Uttar Pradesh

StateCommission

A/1490/2017

Tata Motors Finance Ltd - Complainant(s)

Versus

Mohd. Javed - Opp.Party(s)

Kapish Srivastava

01 Apr 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1490/2017
( Date of Filing : 22 Aug 2017 )
(Arisen out of Order Dated 28/07/2017 in Case No. C/137/2017 of District Auraiya)
 
1. Tata Motors Finance Ltd
Registered Office Nanawati Mahalaya 3rd Floor 18 Homi Modi Street Mumbai
...........Appellant(s)
Versus
1. Mohd. Javed
S/O Mohd. Rashid Khan Vill. Dalel Nagar Post Muradganj Police Station Ajitmal Distt. Auraiya
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 01 Apr 2019
Final Order / Judgement

सुरक्षि‍त

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                           अपील संख्‍या- 1490/2017

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, औरैया द्वारा परिवाद संख्‍या- 137/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28-07-2017 के विरूद्ध)

 

1- टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड, रजिस्‍टर्ड आफिस, नानावती महाल्‍या 3rd floor, 18 होमी मोदी स्‍ट्रीट मुम्‍बई- 4000001 द्वारा मैनेजर।

 

2- टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड, फर्स्‍ट फ्लोर, जुगल भवन, अफीम कोठी    15ए जी०टी० रोड कानपुर, डिस्ट्रिक कानपुर द्वारा ब्रांच मैनेजर।

                                                                                                                                               अपीलार्थी/विपक्षीगण

                              बनाम 

मोहम्‍मद जावेद, पुत्र मोहम्‍मद रशीद खान, निवासी- ग्राम दलेल नगर, पोस्‍ट मुरादगंज, पुलिस स्‍टेशन अजीतमल, डिस्ट्रिक- औरैया

                                                                                                                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

मक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री कपीस श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :    विद्वान अधिवक्‍ता श्री औसाफ अहमद खान

 

दिनांक- 15-05-2019

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                              निर्णय

 

परिवाद संख्‍या– 137 सन् 2017 मोहम्‍मद जावेद बनाम ब्रांच मैनेजर टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 28-07-2017 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

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आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुये निम्‍न आदेश पारित किया है:- ‍ 

" परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। उन्‍हें आदेशित किया जाता है कि ट्रक संख्‍या- यू०पी० 79 टी.2515 निर्णय के एक माह में परिवादी को वापस करें तथा कुल मिलाकर 3,65,000/- रू० की धनराशि बावत क्षतिपूर्ति मानसिक कष्‍ट और खर्चा मुकदमा इसी अवधि में अदा करें। इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देना होगा। "

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री कपीस श्रीवास्‍तव और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री औसाफ अहमद खान उपस्थित आए हैं।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण के  विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि वह ट्रक संख्‍या– यू०पी० 79 टी 2515 का स्‍वामी है। उसने यह ट्रक अपीलार्थी/विपक्षीगण की कम्‍पनी से ऋण लेकर खरीदा था। ट्रक के सभी कागजात, रजिस्‍ट्रेशन बीमा प्रमाण व ऋण करार के कागजात अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के कब्‍जे में हैं। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण के एजेण्‍ट श्री अवनीश

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तिवारी औरैया में एजेण्‍ट हैं और श्री वैभव मिश्रा भी उनके एजेण्‍ट हैं। उन्‍होंने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षीगण के यहॉं से ऋण फाइनेंस कराने का आश्‍वासन दिया था और अपीलार्थी/विपक्षीगण टाटा मोटर्स कंपनी वाहनों के निर्माता और विक्रेता भी हैं।

     परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण के दोनों एजेण्‍टों से शहर औरैया में ट्रक फाइनेंस की बात हुयी और जरूरी कागजात औरैया में तैयार कराए गये तथा ऋण खाता संख्‍या 5001590456  खोला गया और 18,00,000/-रू० ऋण फाइनेंस कराया गया जिसके लिए मय ब्‍याज 45 महीने में 24,34,934/-रू० प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करना था और किस्‍तों की अदायगी दिनांक 02-08-2014 से दिनांक         02-08-2018 तक होनी थी।

     परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/पविादी का कथन है कि उसने दिनांक 02-03-2017 तक की किस्‍तें जमा की उसके बाद उसके उपरोक्‍त वाहन का एक्‍सीडेंट हो गया और मरम्‍मत के बाद जब वह दिनांक 04-02-2017 को अपना उपरोक्‍त वाहन आगरा ले जा रहा था तभी अपीलार्थी/विपक्षीगण के अधिकारी व कर्मचारियों ने ट्रक जबरन अपने कब्‍जे में ले लिया जो विधि विरूद्ध है।

     परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि वह ऋण करार के अनुसार दिनांक 02-04-2018 तक 45 किस्‍तों में समस्‍त धनराधि जमा करने को तैयार था और आज भी तैयार है फिर भी अपीलार्थी/विपक्षीगण ने जबरन ट्रक को छीन लिया है।  प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ट्रक वापस करने हेतु उन्‍हें नोटिस भी दिया फिर भी उन्‍होंने ट्रक वापस नहीं किया। अत: विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

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जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माने जाने के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है और लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। अत: उनके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही  एकपक्षीय रूप से की गयी है।

     अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। करार पत्र के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षीगण को वाहन रीपोजेस करने का अधिकार है।

      अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी से हुए ऋण करार पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा ऋण की धनराशि के भुगतान में चूक करने पर विवाद आर्बीट्रेशन हेतु आर्बिट्रेटर को सन्‍दर्भित किया गया है परन्‍तु आर्बीट्रेटर के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपस्थित नहीं हुए हैं। आर्बीट्रेटर ने दिनांक 04-01-2017 को अवार्ड पारित कर दिया है। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने गलत कथन के आधार पर परिवाद जिला फोरम के समक्ष दिनांक 27-04-2017 को प्रस्‍तुत किया है।

     अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि आर्बीट्रेटर द्वारा अवार्ड पारित किये जाने के बाद प्रश्‍नगत ऋण के सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित  आक्षेपित  निर्णय  और  आदेश  साक्ष्‍य  और  विधि के अनुकूल है।

 

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अपीलार्थी/विपक्षीगण नोटिस तामीला के बाद भी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही करके जो आदेश पारित किया है वह उचित और विधि सम्‍मत है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण के अधिकारियों और कर्मचारियों ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का वाहन बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया को अपनाए अवैध ढंग से कब्‍जे में लिया है जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ऋण की अवशेष धनराशि का भुगतान करने को तैयार हैं।

     मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     निर्विवाद रूप से आक्षेपित निर्णय और आदेश एकपक्षीय रूप से अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध जिला फोरम ने पारित किया है। जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण ने लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है। परिवाद पत्र के अनुसार यह स्‍वीकृत तथ्‍य है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण से 18,00,000/-रू० ट्रक क्रय करने हेतु ऋण लिया था। जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण की ऋण धनराशि के सम्‍बन्‍ध में अदा की गयी किस्‍तों का विवरण और रसीदें प्रस्‍तुत नहीं किया है और जिला फोरम के निर्णय से यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि 18,00,000/-रू० की ऋण धनराशि पर कितनी धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ब्‍याज सहित जमा की है। इसके विपरीत परिवाद पत्र के कथन से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा वाहन कब्‍जे में लिये जाने के पूर्व प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ऋण की धनराशि के भुगतान में चूक की है। इसके साथ ही उल्‍लेखनीय है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण के अनुसार प्रश्‍नगत ऋण की धनराधि के सम्‍बन्‍ध में विवाद आर्बीट्रेटर को ऋण करार पत्र

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के अनुसार सन्‍दर्भित किया गया है और आर्बीट्रेटर ने परिवाद प्रस्‍तुत करने के पहले ही आर्बीट्रेशन अवार्ड दिया है।

 उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हॅूं कि अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध जिला फोरम द्वारा पारित एकपक्षीय निर्णय और आदेश अपास्‍त कर उन्‍हें जिला फोरम के समक्ष अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर दिया जाए। अपीलार्थी/विपक्षीगण नोटिस तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं हुए हैं और न ही लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है जिससे जिला फोरम को एकपक्षीय रूप से कार्यवाही कर आदेश पारित करना पड़ा है। अत: ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/विपक्षीगण से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति हेतु 15,000/-रू० हर्जा दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा Eureka Forbes Limited V. Allahabad Bank & Ors. के वाद में दिया गया निर्णय जो  JT 2010 (5) SC 144 में प्रकाशित है की नजीर प्रस्‍तुत की गयी है जिसमें मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने कहा है कि-

     “a person who by manipulation of a process frustrates the legal rights of others should not be permitted to take advantage of his wrong or manipulations.”

    उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर पत्रावली जिला फोरम को अपीलार्थी/विपक्षीगण को लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान करने हेतु प्रतिप्रेषित किया जाना आवश्‍यक प्रतीत होता है। अत: गुण-दोष के आधार पर इस स्‍तर पर कोई मत व्‍यक्‍त किया जाना या कोई विवेचना किया जाना उचित नहीं है।

    

 

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उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 15,000/-रू० हर्जा देने पर अपास्‍त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम अपीलार्थी/विपक्षीगण को अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान करें और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर यथाशीघ्र विधि के अनुसार पुन: निर्णय व आदेश पारित करें।

     उभय पक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/-रू० व उस पर अर्जित ब्‍याज से हर्जे की उपरोक्‍त धनराशि 15,000/-रू० प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा की जाएगी और अवशेष धनराशि अपीलार्थी/विपक्षीगण को वापस की जाएगी।

     उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 15-07-2019 को उपस्थित हों।

     जिला फोरम हाजिरी की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर अपीलार्थी/विपक्षीगण को लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान करेगा और उसके बाद आगे लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का कोई अवसर दिये बिना उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर यथाशीघ्र विधि के अनुसार निर्णय व आदेश पारित करेगा।

          

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                                                                                                        अध्‍यक्ष                                                            

         

 

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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