मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 1244 सन 2008
उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन लि0 ।
...................अपीलार्थी
-बनाम-
मौ0 तौफीक पुत्र श्री रफीक ।
....................प्रत्यर्थी
समक्ष
मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता- श्री मनोज कुमार।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता – कोई नहीं ।
दिनांक - 23.11.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग, सुल्तानपुर द्वारा परिवाद संख्या 49 सन 2000 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.05.2008 के विरुद योजित की गयी है।
संक्षेप में, वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी विद्युत कनेक्शन संख्या 601440 का उपभोक्ता है। विपक्षीगण ने दिनांक 29.09.2003 को उसके परिसर से पुराना मीटर हटा कर नया लगा दिया उसके बाद से परिवादी के पास केवल तीन दिन आये है वो गलत थे। बाद में विपक्षी ने एक संशोधित बिल भेजा लेकिन यह भी पूर्ण नहीं था फिर भी परिवादी ने बिजली विभाग में मु01000.00रु० अन्डर प्रोटेस्ट जमा किया। परिवादी का कथन है कि विपक्षी द्वारा प्रेषित तीनो बिलो की रीडिंग गलत थी । परिवादी का विद्युत कनेक्शन एक किलोवाट का था जिसके संबंध में विपक्षीगणा द्वारा एक साल में 6 बिल भेजा जाना चाहिए था और कनेक्शन लगने की तिथि से मुकदमा दायर करने की तिथि तक 54 बिल आना चाहिए था लोकन बिजली विभाग की तरफ से मात्र तीन बिल भेजे गए और एक संशोधित बिल भेजा गया। उन सभी बिलो की रीडिंग अन्तर्विरोधी थी। बिल कनेक्शन के संबंध मे न्यूनतम चार्ज मु0200.रू० बिल होना चाहिए। इस तरह अगर १ साल के 54 बिलों का काउन्ट करके दीगर भार शामिल करके पूरा बिल मु० 14083.रु० का होना चाहिए था लेकिन बिजली विभाग ने गलत बिलों के आधार पर मु0 93461.रू० का बिल भेजा जिसके कारण वाद दाखिल किया गया ।
विपक्षीगण ने बावजूद पर्याप्त तामीली अपना जबाव दावा दाखिल नहीं किया । दिण् 30.04.2004 को अधिशासी अभियंता उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन सुल्तानपुर ने एक प्रार्थनापत्र जबावदावा दाखिल करने के लिए दिया परन्तु समय दिये जाने के बावजूद भी विपक्षीगण ने अपना बयान तहरीरी दाखिल नही किया इस प्रकार वाद एकतरफा चलने का आदेश पारित किया गया। दि0 10.01.2007 को विद्युत विभाग के पैराकार ने एक प्रार्थनापत्र एकपक्षीय आदेश को रिकाल करने के लिए दिया जो मु0 500.रू० हर्जे पर स्वीकार हुआ परन्तु उसके बावजूद भी विपक्षी द्वारा कोई जबावदावा दाखिल नहीं किया गया जिसके कारण विद्वान जिला आयोग ने एक पक्षीय सुनवाई करते हुए तथा यह अवधारित करते हुए कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी के कथनों के खण्डन में न तो जबावदावा दाखिल किया और न शपथपत्र ही दाखिल किया जिसके कारण परिवाद के कथनों पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है, निम्न आदेश पारित किया :-
'' परिवादपत्र एकपक्षीयरूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी गण को आदेश दिया जाता है कि वे परिवादी से गलत बिल को वापस लेकर उनको नियमानुसार दुरुस्त करे तथा परिवादी न्यूनतम चार्ज के रूप में मु014083.00 रू० निर्णय पारित होने की तिथि से एक माह के अन्दर विपक्षी गण के यहां जमा करके रसीद प्राप्त करे । यदि विपक्षी गणा फोरम के आदेशों का अनुपालन यथावत नही करते है तो अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्ड सुल्तानपुर व अधिशासी अभियंता परीक्षण खण्ड सुल्तानपुर के विरुन विधि द्वारा स्थापित प्राविधानों के अन्तर्गत न्यायिक कार्यवाही की जायेगी''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
मेरे द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों का परिशीलन किया तथा उपस्थित विद्धान अधिवक्ता अपीलार्थी के तर्को को सुना गया ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवकतागण की बहस सुनने के हमारे अभिमत से जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय सुसंगत साक्ष्यों पर आधारित है तथा जिला आयोग ने समस्त तथ्यों के सम्यक विश्लेषण के उपरांत प्रश्नगत निर्णय पारित किया है जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
परिणामत, प्रस्तुत अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग, सुल्तानपुर द्वारा परिवाद संख्या 49 सन 2000 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.05.2008 की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
सुबोल श्रीवास्तव
पी0ए0(कोर्ट नं0-1)