Uttar Pradesh

StateCommission

A/383/2015

Bank Of Baroda - Complainant(s)

Versus

Mohd Iliyas Khan - Opp.Party(s)

Lalji Gupta

08 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/383/2015
( Date of Filing : 27 Feb 2015 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. c/44/2013 of District Varanasi)
 
1. Bank Of Baroda
Varansi
Varansi
UP
...........Appellant(s)
Versus
1. Mohd Iliyas Khan
Varansi
Varansi
UP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Sep 2022
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-383/2015

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या-44/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.01.2015 के विरूद्ध)

                                    

ब्रांच मैनेजर, बैंक आफ बड़ौदा, अर्दली बाजार ब्रांच, थाना कैण्‍ट, वाराणसी।

अपीलार्थी/विपक्षी

                                               बनाम        

मोहम्‍मद इलियास खान पुत्र स्‍व0 श्री शाह मोहम्‍मद, निवासी नगर निगम कालोनी, फ्लैट नं0-40, शिवपुर, तहसील सदर, वाराणसी।

       प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        : श्री लालजी गुप्‍ता एवं श्री

                                                     राजीव सिंह।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित          : कोई नहीं।

दिनांक:  11.10.2022   

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          परिवाद संख्‍या-44/2013, मो0 इलियास खान बनाम शाखा प्रबंधक, बैंक आफ बड़ौदा में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.01.2015 के विरूद्ध यह अपील योजित की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया है कि परिवादी को चेक का मूल्‍य अंकन 1656/- रूपये तथा अंकन 01 हजार रूपये मानसिक कष्‍ट एवं अंकन 01 हजार रूपये परिवाद व्‍यय के रूप में एक माह के अन्‍दर अदा करें, इसके पश्‍चात 08 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज देय होगा।

2.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अंकन 1656/- रूपये का एक चेक संख्‍या-259222 दिनांकित 25.07.2012, दिनांक 04.09.2012 को बैंक आफ बड़ौदा में जमा किया, इस बैंक में परिवादी का खाता मौजूद है, परन्‍तु विपक्षी बैंक द्वारा चेक में वर्णित राशि खाते में जमा नहीं की गई और न ही चेक वापस लौटाया गया, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         विपक्षी का कथन है कि परिवादी का चेक धन के अभाव में अनादर कर दिया गया था, जिसे रजिस्‍ट्री से परिवादी को वापस कर दिया गया था, इसलिए बैंक के स्‍तर से किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई है।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने यह निष्‍कर्ष दिया कि परिवादी को अनादर चेक की रजिस्‍ट्री होना स्‍थापित नहीं है, इसलिए चेक की राशि को अदा करने के साथ-साथ उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया गया।

5.         इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने तथ्‍य एवं साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया है। अपीलार्थी के विरूद्ध चेक की राशि की अदायगी मात्र कल्‍पना पर आधारित है। चूंकि चेक अनादर हुआ था, इसलिए चेक वापस लौटा दिया गया। चेक की राशि बैंक को कभी भी प्राप्‍त नहीं हुई, इसलिए बैंक चेक की राशि को अदा करने के लिए उत्‍तरदायी नहीं है।

6.         दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         परिवादी द्वारा चेक जमा करना तथा विपक्षी को चेक प्राप्‍त होना स्‍वीकार है। विवाद केवल यह है कि जहां परिवादी का यह कथन है कि चेक में वर्णित राशि जमा नहीं की गई और चेक भी वापस नहीं लौटाया गया, वहीं विपक्षी बैंक का यह तर्क है कि चेक अनादर होने के पश्‍चात परिवादी को वापस लौटा दिया गया। अत: इस अपील के निस्‍तारण के लिए एक मात्र विनिश्‍चायक बिन्‍दु यह उत्‍पन्‍न होता है कि क्‍या अपीलार्थी, बैंक द्वारा परिवादी को चेक वापस लौटा दिया गया ? अपीलार्थी ने लिखित कथन में उल्‍लेख किया है कि स्‍पीड पोस्‍ट संख्‍या-EU666331358IN के द्वारा चेक परिवादी के सही पते पर भेजा गया था। परिवादी द्वारा डाक विभाग से कोई जानकारी नहीं ली गई और तंग करने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत कर दिया गया। स्‍पीड पोस्‍ट नम्‍बर की डाक रसीद की प्रति पत्रावली पर मौजूद है। अत: इस रसीद से साबित होता है कि परिवादी को चेक वापस कर दिया गया था, इसलिए बैंक किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति के लिए उत्‍तरदायी नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त होने और अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.         प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.01.2015 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।

           उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

           अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्‍तुत करते समय अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित विधि अनुसार एक माह में अपीलार्थी को वापस की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

   (विकास सक्‍सेना)                          (सुशील कुमार)

     सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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