Uttar Pradesh

StateCommission

A/445/2015

Smt. Ragini Gupta - Complainant(s)

Versus

Medi Assist India Pvt Ltd - Opp.Party(s)

Nitin Gupta

16 Jul 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/445/2015
( Date of Filing : 09 Mar 2015 )
(Arisen out of Order Dated 23/01/2015 in Case No. C/04/2014 of District Bijnor)
 
1. Smt. Ragini Gupta
Bijnor
...........Appellant(s)
Versus
1. Medi Assist India Pvt Ltd
Bangalore
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 16 Jul 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-४४५/२०१५

(जिला मंच, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्‍या-०४/२०१४ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २३-०१-२०१५ के विरूद्ध)

 

श्रीमती रागिनी गुप्‍ता पत्‍नी श्री सुरेन्‍द्र कुमार एडवोकेट निवासी मौ0 सन्‍तोमालन, टाउन नजीबाबाद, जिला बिजनौर, यू0पी0।                .............   अपीलार्थी/परिवादिनी।                                              

बनाम्

१. मेडी असिस्‍ट इण्डिया टीपीए प्रा0लि0, ४७/१, श्री कृष्‍णा एक्रेड, फर्स्‍ट मेन, नौवॉं क्रॉस, सड़क्‍की इण्‍डस्ट्रियल, लेआउट, जेपी नगर, तृतीय फेस, बंग्‍लौर-५६००७८.

२. दी ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, डिवीजन आफिस, प‍ं0 शंकर दत्‍त शर्ता मार्ग, सिविल लाइन्‍स, मुरादाबाद-२४४ ००१ (यू.पी.)।

                                             .............. प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण।

समक्ष:-

१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    :- कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी सं0-१ की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी सं0-२ की ओर से उपस्थित :- सुश्री रेहाना खान विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : ३१-०७-२०१९.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्‍या-०४/२०१४ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २३-०१-२०१५ के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादिनी के कथनानुसार प्रत्‍यर्थी सं0-२ बीमा कम्‍पनी ने परिवादिनी के पति श्री सुरेन्‍द्र कुमार तथा उनके परिवार के पक्ष में पीएनबी ओरियण्‍टल रॉयल मेडिक्‍लेम पालिसी जारी की थी। इस पालिसी के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत दावों के निस्‍तारण हेतु प्रत्‍यर्थी सं0-१ थर्ड पार्टी एडमिनिस्‍ट्रेटर के रूप में कार्यरत है। दिनांक ०५-१२-२०१२ को एक साल के लिए पुन: इस पालिसी का नवीनीकरण कराया गया एवं प्रति वर्ष प्रीमियम की धनराशि का भुगतान किया गया। अपीलार्थी/परिवादिनी के पति को Brain haemorrage (Hemiplagia) हो गया। इलाज हेतु अपीलार्थी/परिवादिनी के

 

 

 

-२-

पति को धन्‍वन्‍तरी जीवन रेखा हास्पिटल में भर्ती कराया गया, जहॉं उनका इलाज किया गया। इस इलाज में १,९४,५४२/- रू० व्‍यय हुआ किन्‍तु परिवादिनी के दावे को प्रत्‍यर्थी सं0-२ बीमा कम्‍पनी ने अपने पत्र दिनांकित १४-०८-२०१३ द्वारा अस्‍वीकार कर दिया। अत: परिवादिनी ने १,९४,५४२/- रू० इलाज में हुए व्‍यय एवं मानसिक आघात के लिए ०५.०० लाख रू० क्षतिपूर्ति तथा वाद व्‍यय के भुगतान हेतु परिवाद योजित किया।

प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण जिला मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। अत: परिवाद की कार्यवाही प्रत्‍यर्थीगण के विरूद्ध एक पक्षीय की गई।

जिला मंच द्वारा यह मत व्‍यक्‍त किया गया कि प्रश्‍नगत मेडिक्‍लेम पालिसी के अपवर्जन क्‍लॉज ४.२ के अन्‍तर्गत डायबटीज एवं हाइपरटेंशन के इलाज में हुए व्‍यय की क्षतिपूर्ति के लिए प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी उत्‍तरदायी नहीं है। यह भी मत व्‍यक्‍त किया गया कि परिवादिनी के पति को हुई सभी बीमारियॉं डायबटीज को छोड़कर हाइपरटेंशन से उत्‍पन्‍न हुईं। अत: क्षतिपूर्ति की अदायगी का दायित्‍व बीमा कम्‍पनी का नहीं माना गया। जिला मंच द्वारा यह मत भी व्‍यक्‍त किया गया कि बीमार, परिवादिनी के पति श्री सुरेन्‍द्र कुमार थे, उन्‍हीं की चिकित्‍सा की क्षतिपूर्ति हेतु दावा प्रस्‍तुत किया गया, अत: अपने पति के जीवित रहते परिवादिनी को परिवाद योजित करने के लिए अधिकृत न मानते हुए प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा परिवाद निरस्‍त कर दिया गया।  

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से तर्क प्रस्‍तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्‍यर्थी सं0-२ की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री रेहाना खाना उपस्थित हुई। प्रत्‍यर्थी सं0-१ पर नोटिस की तामील आदेश दिनांक २३-०८-२०१६ द्वारा पर्याप्‍त मानी गई किन्‍तु प्रत्‍यर्थी सं0-१ की ओर से तर्क प्रस्‍तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी सं0-२ द्वारा लिखित तर्क दाखिल किया गया है।

हमने प्रत्‍यर्थी सं0-२ बीमा कम्‍पनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री रेहाना खान के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी सं0-२ द्वारा दाखिल लिखित तर्क का भी अवलोकन किया।

 

 

 

 

-३-

अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से अपने लिखित तर्क के माध्‍यम से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए मात्र अनुमान के आधार पर प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी के कथनानुसार जिला मंच का यह निष्‍कर्ष कि परिवादिनी के पति की सभी बीमारी डायबटीज को छोड़कर हाइपरटेंशन जनित थीं, मनमाना एवं अनुमान पर आधारित है।

उल्‍लेखनीय है कि प्रस्‍तुत प्रकरण में प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा दावा इस आधार पर स्‍वीकार नहीं किया गया कि प्रत्‍यर्थी सं0-१ द्वारा जांच किए जाने पर बीमा दावा प्रश्‍नगत पालिसी के अपवर्जन क्‍लाज ४.२ से आच्‍छादित होने के कारण देय नहीं है। बीमा दावा स्‍वीकार न किए जाने के सम्‍बन्‍ध में बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रेषित पत्र दिनांकित १४-०८-२०१३ की फोटोप्रति अपील मेमो के साथ दाखिल की गई है। इस पत्र के साथ प्रत्‍यर्थीं सं0-१ टीपीए द्वारा इस सन्‍दर्भ में जारी किए गये पत्र की फोटोप्रति भी दाखिल की गई है। अपने इस पत्र में प्रत्‍यर्थी सं0-१ द्वारा यह उल्लिखित किया गया है कि प्रश्‍नगत दावे के साथ संलग्‍न अभिलेखों की जांच से यह ज्ञात हुआ कि मरीज धन्‍वन्‍तरी जीवन रेखा लि0 हास्पिटल में दिनांक १९-०५-२०१३ को भर्ती हुआ तथा उसके इलाज उच्‍च रक्‍त चाप (H.T.N.) डी0एम0 (डायबटीज मेलिटस) एवं हेमीप्‍लाजिया रोग के लिए किया गया। बीमा पालिसी दिनांक ०८-१२-२०१२ को प्रारम्‍भ हुई। बीमा पालिसी के अपवर्जन क्‍लॉज ४.२ के अन्‍तर्गत डायबटीज मेलिटस एवं हाइपरटेंशन रोग के इलाज के लिए प्रथम दो वर्षों में क्षतिपूर्ति की अदायगी का उदायित्‍व बीमा कम्‍पनी का नहीं है। अत: बीमा दावा स्‍वीकार नहीं किया गया।

अपीलार्थी/परिवादिनी के कथनानुसार अपीलार्थी ने डायबटीज एवं हाइपरटेंशन के सम्‍बन्‍ध में किसी धनराशि का दावा नहीं किया, बल्कि दावा Brain haemorrage (Hemiplagia) के सम्‍बन्‍ध में है। Brain haemorrage (Hemiplagia)  पालिसी के अपवर्जन क्‍लॉज ४.२ से आच्‍छादित नहीं है।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि परिवादिनी के पति श्री सुरेन्‍द्र कुमार इलाज हेतु धन्‍वन्‍तरी जीवन रेखा लि0 हास्पिटल में दिनांक १९-०५-२०१३ को भर्ती हुए। अस्‍पताल

 

 

 

 

-४-

द्वारा इलाज के उपरान्‍त जारी की गई डिस्‍चार्ज स्लिप की फोटोप्रति दाखिल की गई है। इस डिस्‍चार्ज स्लिप के अनुसार परिवादिनी के पति को डायबटीज, हाइपरटेंशन, हेपरजिक स्‍ट्रोक के साथ दाहिने हिस्‍से का पैरालाइसिस हो गया था तथा दिमाग के बायें हिस्‍से के दिमाग की नस फट गई थी। प्रत्‍यर्थीगण द्वारा बीमा दावा अस्‍वीकार किए जाने के सन्‍दर्भ में जारी किये गये पत्र में भी यह उल्लिखित है कि बीमाधारक सुरेन्‍द्र कुमार का इलाज डायबटी, हाइपरटेंशन के अतिरिक्‍त Brain haemorrage (Hemiplagia) रोग के लिए भी किया गया। जिला मंच का यह निष्‍कर्ष कि डायबटीज को छोड़कर बाकी सब बीमारियॉं हाइपरटेंशन से उत्‍पन्‍न हुईं, मात्र अनुमान पर आधारित है। इस सन्‍दर्भ में किसी चिकित्‍सीय साहित्‍य की चर्चा जिला मंच द्वारा नहीं की गई है। प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा अपीलीय स्‍तर पर उपस्थित होने के बाबजूद इस सन्‍दर्भ में कोई साक्ष्‍य अथवा साहित्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया कि डायबटीज के अतिरिक्‍त बीमाधारक की अन्‍य बीमारियॉं हाइपरटेंशन जनित थीं।

प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अपर्वजन क्‍लॉज ४.२ के अन्‍तर्गत बीमाधारक की डायबटीज एवं हाइपरटेंशन रोग आच्‍छादित होना माना जा सकता है किन्‍तु निश्चित रूप से बीमाधारक के अन्‍य रोग जिनका उल्‍लेख ऊपर किया गया है, बीमा पालिसी के अपर्वजन क्‍लॉज ४.२ से आच्‍छादित नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा दावा स्‍वीकार न करके सेवा में त्रुटि की गई है।

जहॉं तक परिवादिनी द्वारा प्रश्‍नगत परिवाद योजित किए जाने की अधिकारिता का प्रश्‍न है, परिवादिनी का यह कथन है कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी उसके पति ने स्‍वयं तथा अपने परिवार की चिकित्‍सा क्षतिपूर्ति हेतु प्राप्‍त की थी। परिवादिनी के इस कथन को प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी ने अस्‍वीकार नहीं किया है। इसके अतिरिक्‍त यह तथ्‍य भी निर्विवाद है कि परिवादिनी श्री सुरेन्‍द्र कुमार बीमाधारक रोगी की पत्‍नी है। बीमाधारक रोगी श्री सुरेन्‍द्र कुमार का शपथ पत्र दिनांकित ०९-०३-२०१६ भी पत्रावली में दाखिल है। इस शपथ पत्र द्वारा बीमाधारक रोगी श्री सुरेन्‍द्र कुमार द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि उन्‍होंने अपनी पत्‍नी श्रीमती रागिनी गुप्‍ता को बीमा दावा योजित किए जाने    हेतु अधिकृत किया था। जिला मंच में परिवाद योजित करते समय तक तथा आयोग में

 

 

-५-

अपील योजित करते समय उनकी शारीरिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह स्‍वयं परिवाद प्रस्‍तुत कर सकते। परिवाद तथा अपील में उल्लिखित अभिकथनों को उनके द्वारा स्‍वीकार किया गया। ऐसी परिस्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि परिवादिनी को प्रश्‍नगत परिवाद योजित करने का अधिकार नहीं था।

परिवादिनी ने अपने पति के इलाज में हुआ व्‍यय कुल १,९४,५४२/- रू० बताया है तथा इस सम्‍बन्‍ध में विवरण जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत किया गया। जिला मंच के समक्ष विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। इस प्रकार परिवादिनी के इस कथन का खण्‍डन विपक्षीगण द्वारा नहीं किया गया। परिवादिनी का यह भी कथन है कि इलाज में हुए व्‍यय से सम्‍बन्धित समस्‍त अभिलेख परिवादिनी ने बीमा कम्‍पनी को प्रेषित किए थे। परिवादिनी का बीमा इस आधार पर खण्डित नहीं किया गया कि परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत किया गया विवरण असत्‍य है, बल्कि इस आधार पर खण्डित किया गया कि बीमा पालिसी की शर्तों के अन्‍तर्गत मांगी गई धनराशि देय नहीं है। अपीलीय स्‍तर पर भी प्रत्‍यर्थीगण का यह कथन नहीं है कि इलाज में परिवादिनी द्वारा बताया गये खर्च का विवरण सत्‍य नहीं है। ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी के पति के इलाज में हुए खर्च की धनराशि के रूप में १,९४,५४२/- रू० मय ब्‍याज परिवादिनी को भुगतान कराया जाना न्‍यायोचित होगा। मामले के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आलोक में १०,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में भी परिवादिनी को दिलाया जाना उपयुक्‍त होगा। परिवाद तद्नुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है। प्रश्‍नगत निर्णय पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए पारित किए जाने के कारण अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। अपील तद्नुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

      प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्‍या-०४/२०१४ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २३-०१-२०१५ अपास्‍त किया जाता है। परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी को निर्देशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादिनी को क्‍लेम की धनराशि के रूप में १,९४,५४२/-

 

 

 

 

-६-

रू० निर्णय की प्रति प्राप्ति तिथि से ४५ दिन के अन्‍दर मय ब्‍याज अदा करे। इस धनराशि पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक अपीलार्थी/परिवादिनी, प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी से ०८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज प्राप्‍त करने की अधिकारिणी होगी। इसके अतिरिक्‍त प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी, अपीलार्थी/परिवादिनी को १०,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में निर्धारित अवधि में अदा करें।

      उभय पक्ष इस अपील का व्‍यय-भार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

 

                                              (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                पीठासीन सदस्‍य

 

                                           

                                                (गोवर्द्धन यादव)

                                                    सदस्‍य

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-२.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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