Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/1031

Regency Hospital - Complainant(s)

Versus

Maya Devi - Opp.Party(s)

Manish Mehrotra

06 Dec 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/1031
( Date of Filing : 13 May 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Regency Hospital
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Maya Devi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Dec 2024
Final Order / Judgement

  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1031/2013

रिजेन्‍सी हॉस्पिटल लिमिटेड बनाम श्रीमती माया देवी पत्‍नी स्‍व0 रज्‍जन लाल शर्मा

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक:  06.12.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद सं0-267/2008, श्रीमती माया देवी बनाम रिजेन्‍सी हॉस्पिटल प्रा0लि0 में विद्वान जिला आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.4.2013 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनीष मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.   विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए इलाज के दौरान लापरवाही के कारण परिवादिनी को कारित क्षति की पूर्ति के लिए अंकन 3,00,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।

3.   परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी के पुत्र पंकज शर्मा का दिनांक 7.12.2006 को एक्‍सीडेंट हो गया, जिसके कारण उसे चोटें कारित हुईं, परन्‍तु जाहिरा चोट नहीं थी, इस कारण परिवादिनी अपने पुत्र को दुर्घटनास्‍थल से घर ले आयी, परन्‍तु पंकज शर्मा ने नाक, सिर तथा शरीर में तकलीफ की बात बतायी, इस कारण दुर्घटना के दूसरे दिन डा0 ए.के. पाण्‍डेय को दिखलाया, लेकिन उनके इलाज से पंकज शर्मा को

 

 

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कोई लाभ नहीं मिला, इसके पश्‍चात दिनांक 10.12.2006 को आहूजा नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, परन्‍तु वहां पर आईसीयू की सुविधा नहीं थी, इसलिए दिनांक 10.12.2006 को ही उनके द्वारा विपक्षी हॉस्पिटल के लिए सन्‍दर्भित किया गया। विपक्षी ने मरीज को आईसीयू में रखा, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और अंतत: दिनांक 22.12.2006 को पंकज श्‍ार्मा की मृत्‍यु हो गई। आईसीयू में भर्ती होने के पश्‍चात विपक्षी ने कभी किसी प्रकार की जानकारी चोट के संबंध में परिवादिनी को नहीं दी तथा पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट से यह स्‍पष्‍ट हुआ कि पंकज श्‍ार्मा की मृत्‍यु दुर्घटना में आयी चोटों के कारण हुई थी। विपक्षी द्वारा सिर में कारित चोट का कोई इलाज नहीं किया गया। इस प्रकार घोर लापरवाही कारित की गई, जिस कारण पंकज शर्मा की मृत्‍यु कारित हुई। विपक्षी द्वारा केवल Septicemia के नाम पर प्रोटीन सी. का इंजेक्‍शन लगाया गया और इसी बीमारी का इलाज किया गया। इलाज में अंकन 4,50,000/-रू0 खर्च हुए। विपक्षी जानते थे कि पंकज शर्मा के पिता राजकीय सेवा में हैं, इसलिए सरकार द्वारा इस राशि को वहन किया जाएगा, इस कारण लगातार पंकज शर्मा के सिर का इलाज उस बीमारी के लिए करते रहे, जो मौजूद नहीं थी। विपक्षी की लापरवाही के कारण पंकज शर्मा की मृत्‍यु कारित हुई है।

4.   विपक्षी ने इस कथन को स्‍वीकार किया कि दिनांक 10.12.2006 को मरीज को Critical Condition में भर्ती कराया गया था। पंकज शर्मा Cronic Alcoholic हैं, इस तथ्‍य की जानकारी भर्ती करते समय हुई। पंकज शर्मा का इलाज एंटिबायोटिक तथा अन्‍य सर्पोटिव ड्रग्‍स के माध्‍यम से किया गया, क्‍योंकि पंकज शर्मा को Cellulitis बायीं जंघा एवं दायीं  कोहनी  में  थी  तथा Hypotension and Thrombocytopenia

 

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with sepsis की बीमारी थी। भर्ती के समय सांस लेने की परेशानी थी, जिसके कारण वेन्‍टीलेशन दिया गया तथा Hypotension का प्रबंध किया गया। डा0 निर्भय कुमार को भी दिखाया गया, उनके द्वारा Hemo Dialysis किया गया था, लेकिन पंकज शर्मा का लगातार खून निकल रहा था, इसी कारण उनका Cardia respiratory फेल हो जाने के कारण दिनांक 22.12.2006 को मृत्‍यु कारित हुई। इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गयी।

5.   परिवादिनी द्वारा इन कथनों का खण्‍डन किया गया और पुन: दोहराया गया कि सिर की चोटों का कोई इलाज नहीं किया गया।

6.   पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग ने यह निष्‍कर्ष दिया कि पंकज शर्मा के सिर में पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट के अनुसार चोट मौजूद थी और इसी चोट के कारण मृत्‍यु कारित हुई है, परन्‍तु इस चोट का कोई इलाज नहीं किया गया। तदनुसार चिकित्‍सीय लापरवाही बरतने का तथ्‍य मानते हुए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

7.   इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्‍यों तथा मौखिक बहस का सार यह है कि मृतक के केस समरी के अनुसार मरीज को गंभीर दशा में दिनांक 10.12.2006 को भर्ती कराया गया था, उस समय मरीज Thrombocytopenia =Low Platelet Count ; ALI = Acute lung injury ; MOF = Multi organ failure. से ग्रसित था। बायीं जंघा में फोड़ा तथा Septicemia था, इसलिए मरीज को आईसीयू में भर्ती किया गया था। मरीज पूर्णत: चेतन अवस्‍था में था, इसलिए सिर में क्षति होने की कोई संभावना नहीं थी। यह भी बहस की गई कि दिनांक 12.12.2006 को मरीज की दशा

 

-4-

में सुधार हो रहा था। दिनांक 16.12.2006 को यह पाया गया कि लीवर बढ़ चुका है और स्‍वस्‍थ होने की धीमी प्रक्रिया है। इलाज के दौरान सम्‍पूर्ण प्रोटोकाल का पालन किया गया। मृत्‍यु का कारण एमओएफ (अनेक अंगों का विफल होना) रहा।

8.   परिवादिनी/प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि शरीर से खून निकलना अंदरूनी चोट का परिचायक है। पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट में सिर में चोट का आना अंकित‍ किया है, परन्‍तु इलाज के दौरान कभी भी सिर की चोटों का इलाज नहीं किया गया, इसलिए इलाज में लापरवाही का तथ्‍य पूर्णत: स्‍थापित है। पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट पत्रावली पर मौजूद है, जिसमें उल्‍लेख है कि मृतक के सिर में चोट मौजूद है, यह तथ्‍य भली-भांति स्‍थापित है कि सिर की चोट का कोई इलाज अपीलार्थी द्वारा नहीं किया गया न ही लगातार खून बहने के कारणों का परीक्षण किया गया। परिवादिनी ने सशपथ साबित किया है कि दुर्घटना के पश्‍चात वह मरीज को घर पर ले आयी थी और तत्‍समय कोई जाहिरा चोट मौजूद नहीं थी। इस प्रकार दुर्घटना के तुरंत पश्‍चात शरीर के विभिन्‍न/अनेक अंगों की विफलता का कोई अवसर नहीं था। पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट (दस्‍तावेज सं0-27) के अनुसार बायीं जंघा तथा दायीं कोहनी में केवल एक Lacerated घाव था, जिसमें केवल त्‍वचा की ऊपरी परत छिलती है। ब्रेन तथा सिर में अनेक चोटें थी, जबकि सिर की चोट का कोई इलाज किया गया हो, ऐसा किसी भी दस्‍तावेज से साबित नहीं है। इलाज से संबंधित कई दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए, परन्‍तु उनमें से कोई भी दस्‍तावेज सिर के चोट के इलाज से संबंधित नहीं है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित  निर्णय/आदेश  साक्ष्‍य की उचित व्‍याख्‍या पर आधारित है। इलाज

 

 

-5-

प्रारम्‍भ करने से पूर्व विधिवत परीक्षण नहीं किए गए और सिर में चोट होने के बावजूद इस चोट का कोई इलाज नहीं किया गया। अत: लापरवाही का तथ्‍य प्रथम दृष्‍टया स्‍थापित है।

9.   अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से यह भी बहस की गई कि प्रस्‍तुत केस में विशेषज्ञ रिपोर्ट प्राप्‍त‍ नहीं की गई, इसलिए लापरवाही का तथ्‍य स्‍थापित नहीं है।

10.  उल्‍लेखनीय है कि लापरवाही के बिन्‍दुओं को दो प्रकार से साबित माना जा सकता है :-

     1.   विशेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्‍तुत होने के पश्‍चात।

     2.   जब लापरवाही की घटना स्‍वंय प्रमाण के रूप में स्‍थापित हो।

11.  प्रस्‍तुत केस में इलाज प्रारम्‍भ करने से पूर्व मरीज का सम्‍पूर्ण चिकित्‍सीय परीक्षण नहीं किया गया। सिर में चोट होने के बावजूद सिर की चोट का इलाज नहीं किया गया। मात्र चेतन अवस्‍था में होने का तात्‍पर्य यह नहीं है कि मरीज के सिर में कोई चोट नहीं थी। मरीज के सिर से खून आना प्रथम दृष्‍टया जाहिर करता है कि मरीज के सिर के अंदरूनी महत्‍वपूर्ण भाग में कोई चोट मौजूद है। अत: प्रस्‍तुत केस में द्वितीय क्रमांक पर वर्णित लापरवाही का तथ्‍य स्‍थापित है।

12.  अपीलार्थी की ओर से नजीर, Niraj Sud and Ors Vs. Jaswinder Singh and Ors MANU/SC/1158/2024 प्रस्‍तुत की गई, जिसमें परिवादी द्वारा असावधानी के संबंध में कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गई, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस में असावधानी की साक्ष्‍य स्‍वंय पत्रावली पर मौजूद है। पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट इस तथ्‍य को साबित करने के लिए पर्याप्‍त है कि सिर की चोट होने के बावजूद डा0 द्वारा सिर की चोट का

 

-6-

कोई इलाज नहीं किया गया। तदनुसार विद्वान जिला आयोग ने विधिसम्‍मत निर्णय/आदेश पारित किया है, इसमें कोई हस्‍तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

13.  प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

     प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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