Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/2256

N I A Co - Complainant(s)

Versus

Manoj Kumar - Opp.Party(s)

Neeraj Paliwal, Zafar Aziz

10 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/2256
( Date of Filing : 27 Dec 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. N I A Co
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Manoj Kumar
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Mar 2022
Final Order / Judgement

      (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                          

अपील सं0 :- 2256/2005

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, सोनभद्र द्वारा परिवाद सं0- 155/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18/10/2005 के विरूद्ध)

 

दि न्‍यू इंडिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड शामिल ब्रांच एट रेलवे स्‍टेशन रोड़, रॉबटर्सगंज, जिला सोनभद्र और ब्रांच मैनेजर द्वारा कान्‍स्‍टीटयूटेड अटार्नी और असिस्‍टेंट मैनेजर, एस0के0 सिरकर, आफिस लीगल सेल एट 94, एमजी मार्ग, लखनऊ।

 

  1.                                                                                     अपीलार्थी 

बनाम

 

मनोज कुमार, पुत्र देवन चन्‍द, निवासी सिनेमा रोड़, कस्‍बा रॉबटर्सगंज, परगना बधर, तहसील और पोस्‍ट रॉबर्टसगंज, जिला सोनभद्र

 

  •                                                                                           प्रत्‍यर्थी।

समक्ष

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-  श्री जफर अजीज, अधिवक्‍ता 

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-    श्री राजेश चड़ढा, अधिवक्‍ता

दिनांक:-20.04.2022

 

 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.        यह अपील अंतर्गत धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 जिला उपभोक्‍ता फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद सं0 155 सन 2002, मनोज कुमार बनाम शाखा प्रबंधक न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.10.2005 के विरूद्ध योजित की गयी है, जिसके माध्‍यम से वादी के पक्ष में बीमा की धनराशि रूपये 1,75,000/- की आज्ञप्ति की गयी।
  2.        प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र इन अभिकथनों के साथ योजित किया कि उसने अपने वाहन पंजीकरण सं0 यूपी64ए/8513 का बीमा अपीलकर्ता/       न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड के साथ कराया था। उक्‍त वाहन दिनांक 28.09.2001 की सुबह बिलासपुर, जनपद-छत्‍तीसगढ़ की नवापुरा के निकट स्‍थान पर क्षतिग्रस्‍त हो गयी, जिसकी सूचना चालक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दी तथा दिनांक 29.01.2001 को विपक्षी सं0 1 को इसकी सूचना बिलासपुर स्थित कार्यालय को दे दी, जिस पर विपक्षी द्वारा निरीक्षण का निर्देश स्‍थानीय कार्यालय को प्राप्‍त हुआ। सर्वेक्षण के दौरान मुआयना एवं फोटोग्राफी आदि की गयी और निरीक्षण के उपरान्‍त वाहन को ले जाने के लिए कह दिया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार वह क्षतिग्रस्‍त वाहन को खींचवाकर रावर्ट्सगंज ले आया और पृथक से सूचना दी और उनके आदेशानुसार खर्चे/बनवाई का कोटेशन तैयार करके अपीलार्थी/विपक्षी को दिया गया। अपीलार्थी/विपक्षी के आश्‍वासन पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने खर्चे पर वाहन की मरम्‍मत करायी, जिस पर रूपये 1,75,000/- का खर्च आया, किन्‍तु विपक्षी ने केवल 35,835/- रूपये का क्‍लेम पास किया। विपक्षी द्वारा कहा गया कि उसके अभिकर्ता द्वारा इससे अधिक व्‍यय होने का इस्‍टीमेट नहीं किया गया है, जिस कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा यह परिवाद योजित किया गया तथा रूपये 1,75,000/- ब्‍याज सहित एवं रूपये 2,000/- वाद व्‍यय हेतु वाद योजित किया।
  3.        अपीलकर्ता ने वाद के दौरान परिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया, जिसमें कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है, उसने फर्जी तरीके से क्‍लेम प्रस्‍तुत किया है। पंजीकृत सर्वेयर एवं लास आफिसर ने रूपये 35,835/- की क्षति का निर्धारण किया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी इससे अधिक कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। निर्णय के अनुसार परिवादी से कोई पत्र व्‍यवहार एवं सर्वेयर का शपथ पत्र दाखिल किया गया।
  4.           विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किये गये व्‍यय के विवरण के आधार पर रूपये 1,75,000/- मय 08 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज इस आधार पर आज्ञप्‍त किया तथा यह कि सर्वेयर ने लॉस को किस आधार पर आगणित करके रूपये 35,835/- किया है। यह बीमा कम्‍पनी को सिद्ध करना था, किन्‍तु उसके द्वारा कोई सारवान कागजात बीमा कम्‍पनी की ओर से प्रस्‍तुत नहीं किये गये हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि दुर्घटना के बाद ट्रक को खींचकर रावर्टसगंज लाना पड़ा अखण्डित है, जिससे स्‍पष्‍ट होता है कि ट्रक काफी क्षतिग्रस्‍त हो गया था। बीमा कम्‍पनी द्वारा क्षति के विवरण का कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया जाना इस तरफ इंगित करता है कि बीमा कम्‍पनी ने जान-बूझकर फोरम को अंधेरे में रखा है। इसके अतिरिक्‍त विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने यह भी इंगित किया कि बीमा कम्‍पनी द्वारा क्‍लेम में प्‍लास्टिक फाइबर, इलेक्ट्रिक पार्ट पर नहीं दिया है, मानने का कोई औचित्‍य नहीं है। कम्‍पनी बीमा पूरे ट्रक का करती है न कि अलग-अलग पार्ट्स का। यदि बीमा कम्‍पनी ने बीमा की शर्तों में इसे बढ़ा रखा है तो उन्‍हें यह भी सिद्ध करना होगा कि वह इस बात की जानकारी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दे दी गयी थी।
  5.           अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिये गये हैं कि बीमाकर्ता की जिम्‍मेदारी रूपये 35,835/- से अधिक बीमा की धनराशि देने का नहीं है क्‍योंकि बीमा की पॉलिसी के अनुसार इतनी धनराशि इस क्षति में देय है। प्रश्‍नगत वाहन 3.5 वर्ष से अधिक पुराना था। इस कारण एक युक्ति-युक्‍त धनराशि सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार बीमा कम्‍पनी की ओर से प्रस्‍तावित की गयी थी। सर्वेयर श्री शशि कुमार द्वारा अपनी रिपोर्ट के समर्थन में शपथ पत्र भी दिया गया है। परिवादी द्वारा दिनांक 18.10.2005 को आदेश पारित किया गया था। पुन: इस आदेश को संशोधित करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश पारित किया गया है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम को अपने आदेश को संशोधित करने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है। श्री शशि कुमार द्वारा रूपये 35,835/- की क्षतिपूर्ति हेतु रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गयी थी, जिसके समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया, जो खण्डित है किन्‍तु उस पर विश्‍वास न करते हुए मनमाने रूपये 1,75,000/- की धनराशि प्रदान करा दी गयी थी। अत: निर्णय व आदेश निरंकुश और मनमाना है एवं अपास्‍त होने योग्‍य है। इन आधारों पर अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  6.           अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज तथा प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड़ढा को विस्‍तृत रूप से सुना गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेख का अवलोकन किया गया। तत्‍पश्‍चात पीठ के निष्‍कर्ष निम्‍न प्रकार से हैं:-  
  7.                इस अपील में मुख्‍य विवाद यह है कि बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रस्‍तुत किये गये सर्वेयर रिपोर्ट दिनांकित 08.03.2002 के अनुसार प्रश्‍नगत वाहन की हानि को माना जाये अथवा नहीं तथा परिवादी के द्वारा प्रस्‍तुत किये गये बिल व क्षति की रसीदों के आधार पर रूपये 1,75,000/- की धनराशि परिवादी प्राप्‍त करने का अधिकारी है अथवा नहीं।  
  8.                  जहां तक प्रश्‍नगत वाहन को हुई क्षति एवं इसकी क्षति के रिपेयर में  हुए व्‍यय का प्रश्‍न है सर्वेयर रिपोर्ट द्वारा श्री शशि कुमार अभिलेख पर है विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम का कथन है कि इस सर्वेयर रिपोर्ट के समर्थन में कोई दस्‍तावेज नहीं दिये गये हैं। इस आधार पर सर्वेयर रिपोर्ट को न मानते हुए परिवादी के द्वारा प्रस्‍तुत किये गये रिपेयर के बिलों की पुष्टि करते हुए रू0 1,75,000/- क्षतिपूर्ति के रूप में दिलवायी गयी है। सर्वेयर रिपोर्ट दिनांकित 08.03.2002 में कुल 36,518/- रूपये की हानि का आंकलन किया गया है, जिसमें से रूपये 1,500/- Excess के रूप में समायोजित कर दिया गया है,   किन्‍तु यह Excess किस बात का है, यह स्‍पष्‍ट नहीं है। अत: रूपये 36,518/- की धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में आगणित किया जाना उचित प्रतीत होता है। दूसरी  ओर परिवादी की ओर से दिये गये बिलों के समर्थन में कोई शपथ पत्र प्रस्‍तुत नहीं है। निर्णय के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि इसमें उल्‍लेख है कि परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है         किन्‍तु स्‍पष्‍ट रूप से इन बिलों के क्षतिग्रस्‍त उपकरणों और व्‍यय होने वाली धनराशि के बारे में विशिष्‍ट रूप से मैकेनिक अथवा स्‍पेयर पार्टस विक्रेता आदि का कोई शपथ पत्र नहीं दिया गया है, जबकि दूसरी ओर निर्णय से ही स्‍पष्‍ट है कि सर्वेयर शशि कुमार जिसने अपने अनुभव के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है, उसने अपने शपथ पत्र के माध्‍यम से अपनी रिपोर्ट का समर्थन किया है इस प्रकार स्‍पष्‍ट होता है कि सर्वेयर रिपोर्ट में उल्लिखित व्‍यय एवं      क्षतिपूर्ति शपथ पत्र से समर्पित है, जबकि इसके विपरीत परिवादी की ओर से दिये गये बिलों का समर्थन देने के लिए कोई स्‍वतंत्र साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। अत: परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किये गये बिलों की तुलना में विपक्षी द्वारा दिया गया समर्थन का इस्‍टीमेट अधिक, आधारपूर्ण एवं सुस्‍पष्‍ट साक्ष्‍य से समर्थित परिलक्षित होता है।
  9.           इस संबंध में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय डी0एन0 बडौनी प्रति ओरियंटल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड (I) 2012 CPJ page 272 (N.C)  उपरोक्‍त के संदर्भ में उल्‍लेख किया जाना उचित है। इस निर्णय में माननीय रा‍ष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि सर्वेयर रिपोर्ट क्षति के संबंध में एक उचित साक्ष्‍य है जब तक कि इस रिपोर्ट को किसी विशिष्‍ट एवं सुस्‍पष्‍ट साक्ष्‍य से खण्डित न कर दिया जाये।
  10.           सर्वेयर रिपोर्ट के पूर्व में विशेषज्ञ श्री विजय कुमार डैनियल द्वारा दी गयी रिपोर्ट दिनांकित 26.02.2002 इस संबंध में उल्‍लेखनीय है, जिन्‍होंने रिपेयर के पूर्व वाहन को होने वाली हानि का आंकलन किया था, जिसमें निम्‍नलिखित कमियां पायी गयी थी:-
  1. Both the wind shield glasses were found broken. Glass frame was found misaligned. From Right panel, Headlight were found damaged.
  2. Front left main and 3rd leaf springs were found broken/cracked.
  3. Chassis long members were found bent near centre.
  4. I-Beam appeared slightly bent. 
  5. Bumper was found bent kon the right side.
  6. Diesel tank was pressed and dented.
  7. Battery-local make was found leaking.
  8. Spot repairs and towing shall be required.

 

  1.           रिपेयर के पूर्व उक्‍त आंकलन से स्‍पष्‍ट है कि बाद में जो सर्वेयर रिपोर्ट द्वारा श्री शशि कुमार सर्वेयर द्वारा दी गयी है। वह इन्‍हीं कमियों को दूर करने के संदर्भ में है। श्री विजय कुमार डैनियल द्वारा किया गया आंकलन से        स्‍पष्‍ट होता है कि यह क्षति इस प्रकार की नहीं थी, जिसमें लगभग 1,75,000/- रूपये की क्षति हो सके। अत: दोनों रिपोर्टों की तुलना करने पर श्री शशि कुमार सर्वेयर द्वारा दी गयी रिपोर्ट उचित प्रतीत होती है।
  2.           विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा अपने निर्णय में यह भी कहा गया है कि बीमा कम्‍पनी ने प्‍लास्टिक फाइबर, इलेक्ट्रिक पार्ट की क्षति को बिना किसी आधार के अस्‍वीकार किया है, किन्‍तु यह तर्क उचित प्रतीत नहीं होता है। वाहन की बीमा पॉलिसी में स्‍पष्‍ट रूप से अंकित है कि इन भागों की क्षतिपूर्ति दुर्घटना के बाद नहीं दी जायेगी। अत: यह तर्क उचित नहीं है एवं सर्वेयर शशि कुमार द्वारा दिया गया आंकलन उचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।
    •  

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। अपीलकर्ता को निर्देशित किया जाता है कि रूपये 36,518/- क्षतिपूर्ति के रूप में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिया जाये। इस धनराशि पर निर्णय के अनुसार परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक अदायगी तक 08 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी अदा करे।

उभय पक्ष वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। 

 

       (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                   (विकास सक्‍सेना)

              अध्‍यक्ष                              सदस्‍य

 

       

   संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

              

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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