Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/2237

M/S Bombay Auto Mobile - Complainant(s)

Versus

Manoj Kumar - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha

11 Aug 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/2237
( Date of Filing : 26 Dec 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/S Bombay Auto Mobile
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Manoj Kumar
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 11 Aug 2023
Final Order / Judgement

  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 2237/2005

 

बाम्‍बे आटोमोबाइल्‍स।

बनाम

मनोज कुमार पाण्‍डेय। 

समक्ष:-                                                     

   मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

   मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा के सहयोगी अधिवक्‍ता

                            श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव।               

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

 

दिनांक:- 11.08.2023

 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित     

 

निर्णय

 1.        परिवाद सं0- 271/2004 मनोज कुमार पाण्‍डेय बनाम मेसर्स बाम्‍बे आटोमोबाइल्‍स में जिला उपभोक्‍ता आयोग, रायबरेली द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 15.06.2005 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.         विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है:-

           ‘’परिवाद इस आशय का स्‍वीकृत किया जाता है कि विपक्षी परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में रूपये 5088/- तीस दिन में अदा करे।‘

3.         प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद पत्र में संक्षेप में कथन इस प्रकार है कि वह बिजली आदि उपकरणों की मरम्‍मत का व्‍यवसाय करता है और उसके व्‍यवसाय के कुशल संचालन हेतु एक वाहन सं0- यू0पी0-33सी/192 हीरो पुक आटोमेटिक वर्ष 1998 में अपने पिता के नाम क्रय किया जो सुचारु रूप से चल रही थी। अपीलार्थी/विपक्षी ने सलाह दिया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपने वाहन में गियर लगवा ले तो गाड़ी का पिकप एवं जीवन अवधि में वृद्धि हो जायेगी तथा मायलेज बढ़कर 80-85 किलोमीटर हो जायेगा। इस पर विश्‍वास करके प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने गियर लगवाया और रू0 5088/- भुगतान किया। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा वाहन से निकाले गये उपकरण जिनकी कीमत रू0 4,000/- थी वापस नहीं की गई। गियर लगाने के बाद गाड़ी के पिकप में वृद्धि नहीं हुई, बल्कि घटकर 30-35 कि0मी0 प्रति हो गई और रास्‍ते में चलते-चलते बन्‍द हो गई। शिकायत करने पर अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा कि नया गियर है कुछ दिन में ठीक हो जायेगा। एक माह के बाद वाहन का कारपोरेटर और फिल्‍टर बदल दिया था उससे भी पिकट में कोई वृद्धि नहीं हुई। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने रू0 5088/- तथा रू0 750/- वापस करने की मांग की तो उसने इंकार कर दिया और नोटिस भी नहीं लिया, जिससे व्‍यथित होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

4.         अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र में कथन किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता वर्ष 1998 में अपीलार्थी/विपक्षी के प्रतिष्‍ठान से हीरोपुक क्रय किये थे और अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कोई सलाह नहीं दी गई तथा मोटरसाइकिल क्रय करने के बाद अपीलार्थी/विपक्षी के प्रतिष्‍ठान पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपस्थित नहीं हुआ। यहां तक कि सर्विसिंग भी अपीलार्थी/विपक्षी के यहां नहीं करायी गई। गाड़ी में गियर नहीं लगवाया गया और न ही कोई धनराशि प्राप्‍त की गई। अपीलार्थी/विपक्षी के प्रतिष्‍ठान में जो गाडि़यां मरम्‍मत करवायी जाती हैं उनकी रसीद दी जाती है, जिस तिथि को वाहन ठीक कराने की बात की जा रही है वर्णित कम्‍पनी की कोई एजेंसी नहीं थी और कोई नोटिस अपीलार्थी/विपक्षी को नहीं प्राप्‍त हुई। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के वाहन को ठीक नहीं किया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी के पास कोई हीरोपुक की एजेंसी नहीं है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी का उपभोक्‍ता नहीं है और परेशान करने के लिये यह परिवाद योजित किया गया है।

5.          प्रत्‍यर्थी को बजरिये पंजीकृत डाक नोटिस प्रेषित किये जाने का कथन आदेश पत्र दि0 02.01.2018 में उल्लिखित है। कार्यालय आख्‍या दिनांकित 08.01.2008 के अनुसार नोटिस अदम तामील वापस नहीं आयी है। एक लम्‍बा समय व्‍यतीत हो चुका है। अत: प्रत्‍यर्थी पर नोटिस की तामीली पर्याप्‍त मानी जाती है। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा के सहयोगी अधिवक्‍ता श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया गया।

6.         पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन परिवाद में इस प्रकार है कि उसने अपनी हीरोपुक बिना गियर के अपीलार्थी/विपक्षी से गियर लगवाये जाने हेतु सेवा ली थी। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से जो प्रपत्र प्रस्‍तुत किये गये हैं उनसे यह साबित नहीं होता है कि प्रश्‍नगत वाहन में गियर लगाया था, चूँकि यह फ्री सर्विस का एक प्रपत्र है। यह भी निष्‍कर्ष दिया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जो प्रपत्र दिया गया है उसमें रू0 5,356/- में से रू0 268/- घटाकर शेष धनराशि का भुगतान अपीलार्थी/विपक्षी से प्राप्‍त किया था। इस धनराशि को दिलवाये जाने हेतु विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद आज्ञप्‍त किया है, किन्‍तु यह धनराशि भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को क्‍यों दिलवायी गई यह स्‍पष्‍ट नहीं है? इस धनराशि को वापस प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलवाये जाने का औचित्‍य भी स्‍पष्‍ट नहीं किया गया। अत: परिवाद बिना कारणों के एवं बिना पर्याप्‍त साक्ष्‍य के प्रस्‍तुत किया गया है। तदनुसार प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त होने योग्‍य एवं अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।               

आदेश

7.         अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है।

           अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

            प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाये।

            आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।    

 

    (सुधा उपाध्‍याय)                              (विकास सक्‍सेना)

        सदस्‍य                                      सदस्‍य  

 

शेर सिंह, आशु0

कोर्ट नं0- 3

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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