Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/2081

L I C - Complainant(s)

Versus

Manoj Kumar Yadav - Opp.Party(s)

RAJEEV JAISWAL

24 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/2081
( Date of Filing : 19 Sep 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. L I C
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Manoj Kumar Yadav
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 24 May 2023
Final Order / Judgement

( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या: 2081/2007

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्‍या- 92/2006 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09-08-2007 के विरूद्ध)

 

लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया, ब्रांच आफिस स्‍टेशन रोड, मैनपुरी द्वारा ब्रांच मैनेजर।                                              

                      बनाम

 

 

मनोज कुमार यादव पुत्र श्री श्‍याम बिहारी यादव, निवासी- महादेवा, पोस्‍ट नानामऊ जिला मैनपुरी।

 

                                                                                                                                 प्रत्‍यर्थी

समक्ष  :-

     माननीय श्री विकास सक्‍सेना सदस्‍य

      माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍या

      उपस्थिति :

     अपीलार्थी की ओर से उपस्थित – विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय जायसवाल

     प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित –  विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा

       दिनांक :  24-05-2023

माननीय सदस्‍या श्रीमती सुधा उपाध्‍याय द्वारा उदघोषित

  •  

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया द्वारा विद्वान जिला आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्‍या- 92/2006 मनोज कुमार यादव बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में पारित निर्णय एवं आदेश दिनां‍क- 09-08-2007 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण 1986 के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

  1.  

वाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक28-02-2004 को पालिसी नं० 262261968 अपनी पत्‍नी अनुराधा यादव का दुर्घटना हित लाभ हेतुविपक्षी बीमा कम्‍पनी से बीमा कराया था। बीमित अध्‍यापिका के पद पर कार्यरत थी। दिनांक 06-08-2004 को अचानक परिवादिनी के पेट में दर्द हुआ और उसकी मृत्‍यु हो गयी। इसके पश्‍चात परिवादी द्वारा समस्‍त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए बीमा क्‍लेम विपक्षी बीमा कम्‍पनी के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया परन्‍तु बीमा कम्‍पनी ने बीमित धनराशि अदा नहीं किया अत: विवश होकर परिवाद जिला आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया।

जिला आयोग के समक्ष विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया जिसमें बीमा पालिसी कराया जाना स्‍वीकार किया गया परन्‍तु बीमा कम्‍पनी द्वारा अपने लिखित कथन में यह कहते हुए बीमा क्‍लेम देने से इन्‍कार कर दिया गया कि बीमित ने पालिसी लेने के समय इस तथ्‍य को छिपाया था कि वह दिनांक 01-10-2003 से दिनांक14-10-2003 तक हाई ग्रेड पाइरेकिसिया रोग से पीडि़त थी और उसने इस आधार पर चिकित्‍सीय अवकाश भी लिया था। परिवादिनी द्वारा बीमा प्रस्‍ताव फार्म भरते समय इस तथ्‍य को छिपाया गया। इस प्रकार बीमित द्वारा तथ्‍यों को छिपाए जाने के कारण ही परिवादी का बीमा क्‍लेम निरस्‍त किया गया है। बीमा कम्‍पनी द्वारा अपनी सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है।

विद्वान जिला आयोग ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों का सम्‍यक रूप से अवलोकन करने के उपरान्‍त परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

  1.  

    परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 2,00,000/-रू० (दो लाख रूपये) मय 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज परिवाद की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक एवं आठ हजार रूपये मानसिक क्‍लेश का एवं 1000-रू० वाद व्‍यय का एक माह के अन्‍दर अदा करें। विपक्षी उक्‍त समस्‍त धनराशि का चेक फोरम के नाम बना कर इस आदेश की तिथि से एक माह के अन्‍दर अदा करें।

      जिला आयोग के उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया द्वारा यह अपील योजित की गयी है।

      अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय जायसवाल उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित हुए।

     दौरान बहस अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला आयोग द्वारा जो बीमित धनराशि 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से दिलाए जाने हेतु बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया गया है उसे संशोधित करते हुए 07 प्रतिशत वार्षिक किया जाए।

      प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश पूर्णत: उचित एवं विधि अनुकूल है। जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।

     पीठ द्वारा उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को विस्‍तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया। हमारे द्वारा विद्वान

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जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भी अवलोकन किया गया।

     पत्रावली के परिशीलनोपरान्‍त यह पाया गया कि बीमित द्वारा दिनांक 01-10-2003 से पूर्ण रूप से स्‍वस्‍थ होने तक चिकित्‍सीय अवकाश लिया गया था, इस सम्‍बन्‍ध में मेडिकल आफिसर सी.एच.सी. कुरावली मैनपुरी द्वारा चिकित्‍सीय रिर्पोट में यह तथ्‍य अंकित किया गया कि दिनांक 01-10-2003 से दिनांक 14-10-2003 तक बीमित हाईग्रेड पाइरेक्सिया से पीडि़त थी और विश्राम के लिए अवकाश पर थी। डाक्‍टर द्वारा पूर्ण रूप से स्‍वस्‍थ बताए जाने पर बीमित ने पुन: कार्यभार दिनांक- 15-10-2003 को ग्रहण किया। विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा ऐसा कोई भी साक्ष्‍य एवं प्रपत्र पत्रावली पर दाखिल नहीं किया गया है जिससे यह साबित हो सके कि बीमित बीमा कराए जाने के समय किसी गम्‍भीर बीमारी से पीडि़त थी।

     उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त यह पीठ इस मत की है कि अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा  विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय के विरूद्ध जो तथ्‍य प्रस्‍तुत किये गये हैं उसमें बल प्रतीत नहीं होता है। जिला आयोग ने तथ्‍यों को उचित ढंग से विश्‍लेषित करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया है जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है, परन्‍तु जिला आयोग द्वारा जो बीमित धनराशि 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से दिलाए जाने हेतु बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया गया है उसे संशोधित करते हुए ब्‍याज दर 10 प्रतिशत के स्‍थान पर 08 प्रतिशत किया जाता है साथ ही जिला आयोग द्वारा जो 8000/-रू० मानसिक क्‍लेश हेतु अदा करने

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के लिए आदेशित किया गया है, उसे अपास्‍त किया जाता है, शेष निर्णय की पुष्टि किये जाने योग्‍य है तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                         आदेश

     प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश संशोधित करते हुए बीमित धनराशि 2,00,000/-रू० मय 08 प्रतिशत वार्षिक की दर से  वाद यो‍जन की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक अदा किये जाने हेतु बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है।

    जिला आयोग द्वारा जो मानसिक क्‍लेश के मद में 8000/-रू० दिलाए जाने हेतु आदेशित किया गया है उसे अपास्‍त किया जाता है, शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।

     उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश का अनुपालन दो माह की अवधि में किया जाना सुनिश्चित किया जाए।

     प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

       आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                                     

            (विकास सक्‍सेना)                           (सुधा उपाध्‍याय)

               सदस्‍य                                             सदस्‍य

           

          कृष्‍णा–आशु0 कोर्ट नं0 3

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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