राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२४९१/२०१३
(जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-१३०/२०१२ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-१२/०९/२०१३ के विरूद्ध)
प्राईम होण्डा (कैपिटल कार्स प्रा0लि0) अंसल ट्रेडर्स स्क्वायर काम्प्लेक्स वैशाली मेन लिंक रोड गाजियाबाद यूपी।
.............अपीलार्थी.
बनाम
- मनमोहन कृष्णा पाठक पुत्र श्री पूरन चन्द्र पाठक जी-१११, शास्त्री नगर गाजियाबाद यूपी पीओ कवीनगर।
- गुडइयर लि0 मथुरा रोड बल्लभ घर जिला फरीदाबाद १२१००४
(हरियाणा)
..............प्रत्यर्थीगण
- होण्डा सील कार इंडिया लि0 प्लाट नं0 ए-१ सेक्टर ४०-४१ सूरजपुर कासनारोड ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट एरिया जिला गौतमबुद्ध नगर २०१३०६ यूपी।
........प्रोफार्मा पार्टी
समक्ष:-
- माननीय श्री राज कमल गुप्ता, पीठा0सदस्य।
- माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वीर राघव चौबे विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित: श्री प्रसून कुमार राय विद्वान
अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी सं0-2 व 3 की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
दिनांक: 12/12/2017
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-१३०/२०१२ मनमोहन कृष्णा पाठक बनाम होण्डा सील कार लि0 एवं अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-१२/०९/२०१३ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में विवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक २५/०५/२००९ को अपीलकर्ता से एक होण्डा सिटी वाहन ८ लाख ३२ हजार रू0 में क्रय की थी। उक्त वाहन का पंजीकरण सं0-यूपी-१४ एडब्ल्यू २७१८ चेंसिस नम्बर, एमएकेजीएम २५२ई९ नम्बर२००२७, इंजन नम्बर एल१५ए७००२७०३१ है। उक्तवाहन की कुल ०४ वर्ष अथवा ८० हजार किलोमीटर चलने की वारण्टी, इसमें जो भी कम हो, दी गयी थी। अपीलकर्ता द्वारा वारंटी बुकलेट क्रेता प्रत्यर्थी को दिनांक ३१/०५/२००९ को उपलब्ध कराई गयी। परिवादी/पत्यर्थी के अनुसार उक्त वारंटी में टायर तथा ट्यूब की भी वारंटी शामिल थी, जिसमें मैनूफैक्चरिंग डिफेक्ट अथवा उनकी कार्यशीलता अथवा मटेरियल की गुणवत्ता भी सम्मिलित है। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार वाहन के ०२ वर्ष १० महीने की अवधि में लगभग १५ हजार किलोमीटर चलने के उपरांत ०२ टायर खराब हो गये इन दो टायरों में एक आगे की ओर दाहिनी साईड का टायर तथा दूसरा पीछे की तरफ बाई ओर वाला टायर था। उन टायरों के साईड में बल्ज (Bulge) तथा बबिल (Bubble) हो गए। टायरों में खराब गुणवत्ता का मेटेरियल इस्तेमाल हुआ जिसके कारण उक्त टायर खराब हुए। यह टायर गाडी के साथ आपूर्ति किए गए थे। उन टायरों को दिनांक ०६/०३/२०१२ को अपीलकर्ता को दिखाया गया और दोषपूर्ण टायरों को बदलने का अनुरोध किया गया। यह वाहन अपीलकर्ता के शोरूम पर दिनांक ०६/०३/२०१२ से १७/०३/२०१२ तक खड़ा रहा किन्तु अपीलकर्ता द्वारा दोषपूर्ण टायर नहीं बदले गए। इसी से क्षुब्ध होकर यह परिवाद सं0-१३०/२०१२ जिला मंच गाजियाबाद प्रथम के समक्ष दायर किया गया।
उक्त परिवाद का अपीलकर्ता वाहन निर्माता कम्पनी तथा वाहन विक्रेता द्वारा प्रतिवाद किया गया और अपने-अपने प्रतिवाद पत्र दाखिल किए गए। प्रतिवाद पत्र में अभिकथन किया गया है कि उनके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है और टायर ट्यूब की कोई वारंटी नहीं दी जाती है। प्रतिवाद पत्र में यह भी अभिकथन किया गया है कि बाहरी चोट के कारण टायर में बबलिंग और बल्जिंग का दोष उत्पन्न हुआ है न कि इसमें उनकी गुणवत्ता संबंधी कोई दोष है।
विद्वान जिला मंच द्वारा उभय पक्षों को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन करने के बाद दिनांक १२/०९/२०१३ को निम्न आदेश पारित किया है-
‘’ परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-2 प्राईम होण्डा कैपीटल कार प्रा0लि0 को आदेशित किया जाता है कि वह एक माह के अन्दर परिवादी को रू0 २५०००/- +रू0 २०००/- कुल रूपये २७०००/- (सत्ताईस हजार रूपये) अदा करे। इस अवधि के बाद इस धनराशि पर ०६ प्रतिशत की वार्षिक की दर से ब्याज भी देय होगा। ‘’
उपरोक्त आक्षेपित आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील दायर की गयी है।
अपील में जो आधार लिया गया है उसमें कहा गया है कि टायर के किसी दोष के लिए टायर निर्माता कम्पनी विपक्षी सं0-3/प्रत्यर्थी सं0-2 उत्तरदायी है अपीलकर्ता का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। अपील में यह भी आधार लिया गया है कि अपीलकर्ता के स्तर पर किसी भी प्रकार की सेवा में कमी नहीं है। टायरों के अन्दर जो दोष उत्पन्न हुआ वह गाडी में एक्सीडेंट के कारण अथवा गाडी को खराब ढंग से रख-रखाव करने के कारण हुआ है। इस तथ्य की विद्वान जिला मंच ने अनदेखी की है। अपील में यह भी आधार लिया गया है कि वारंटी बुकलेट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि टायर तथा टयूब के लिए वारंटी निर्माता कम्पनी की है और वह भी उस स्थिति में जब उसके मटेरियल अथवा उसकी कार्यकुशलता में कोई दोष हो । अपील में यह भी अभिकथित कियागया है कि टायर के अन्दर बल्जिंग का दोष एक्सीडेंट के कारण हुआ और परिवादी ने कभी टायर के दोष से अवगत नहीं कराया। गाडी लगभग ०२ वर्ष ०८ महीने में १५ हजार किलोमीटर चलने के बाद टायर के उक्त दोष को अपीलकर्ता को अवगत कराया गया। अपीलकर्ता के स्तर पर गाडी का ठीक प्रकार से रख-रखाव नहीं किया गया। इन्हीं आधारों पर प्रश्नगत आदेश को इस अपीलमें चुनौती दी गयी है। अपीलकर्ता के स्तर पर किसी प्रकार की अनुचित व्यापार प्रथा अपनायी नहीं गयी है और न ही किसी प्रकार की सेवा में कमी की गयी है।
अपील का प्रत्यर्थी की ओर से विरोध किया गया।
सुनवाई हेतु यह अपील पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई। अपीलकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री वीर राघव चौबे उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से अधिवक्ता श्री प्रसून कुमार राय उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी सं0-2 व 3 की ओर से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुआ। उपस्थित पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता हैकि वारंटी बुकलेट में उल्लिखित क्लाज ०४ के अनुसार टायर और ट्यूब के संबंध में जो वारंटी दी गयी है वह निम्नानुसार है-
‘’ New Vehicle warranty
- BATTERY, TYRES & TUBES
Battery] Tyres & Tubes are warranted against defects in material and workmanship and are covered by the respective manufacturers warranty. All such cases should be referred to the respective manufacturer by the customer through Honda Authorized Dealer. ‘’
पत्रावली पर उपलब्ध जांच आख्या जोकि टायर कम्पनी के सर्विस इंजीनियर द्वारा दी गयी है उसके अनुसार वाहन में बाहरी चोट से टायर में उक्त दोष उत्पन्न हुआ है उसमें उत्पादन संबंधी कोई दोष नहीं है। अब प्रश्न यह उठता है कि यदि वाहन में एक्सीडेंट हुआ तो तो वाहन का आगे से एक्सीडेंट होगा अथवा पीछे से एक्सीडेंट होगा। इस स्थिति में सामान्यतया केवल आगे के टायर में चोट लगेगी अथवा पीछे के टायर में चोट आयेगी। टायर में दोष इस प्रकार का है कि आगे का टायर में दाहिनी ओर के टायर तथा पीछे की तरफ बांयी ओर का टायर खराब हुआ है, जिसमें बल्जिंग तथा बबलिंग का दोष उत्पन्न हुआ है। एक्सीडेंट के कारण किसी एक साईड में उक्त दोष उत्पन्न होना चाहिए था। अपीलार्थी ने एक्सीडेंट के बारे में भी कोई अकाट्य साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। अत: अपीलकर्ता अथवा गाडी निर्माता के सर्विस इंजीनियर का कथन स्वीकार नहीं किया जा सकता है। निश्चय ही टायरों के निर्माण में गुणवत्ता संबंधी दोष है जिसके कारण उनमें बल्जिंग और बबलिंग का दोष उत्पन्न हुआ। टायर निर्माता कम्पनी के साथ परिवादी का कोई सीधा अनुबंध नहीं है, इसलिए वह टायर निर्माता कम्पनी का सीधा उपभोक्ता नहीं है और वारंटी कार्ड के अनुसार भी गाडी विक्रेता के माध्यम से ही टायर निर्माता कम्पनी के विरूद्ध दावा किया जा सकता है। यह पीठ इस मत की है कि यह गाडी निर्माता कम्पनी का भी दायित्व है कि वह उच्च गुणवत्ता के टायर कार में लगाकर अपने डीलर को उपलब्ध कराए और डीलर का भी दायित्व है कि वह उच्च गुणवत्ता के टायर अथवा गाडी के अन्य पार्ट गाडी में होना सुनिश्चित करे। यह पीठ इस मत की है कि इस प्रकरण में दोषपूर्ण टायर के लिए कार निर्माता कम्पनी कार विक्रेता तथा टायर निर्माता कम्पनी का संयुक्त रूप से तथा पृथक-पृथक उत्तरदायी है। वह वाहन क्रेता के दोषपूर्ण टायरों को बदले अथवा उसकी कीमत का उन्हें भुगतान करे। अपीलकर्ता की अपील में कोई बल नहीं है किन्तु आदेश आंशिक रूप से संशोधित होने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। प्रत्यर्थी/परिवादी के दोषपूर्ण टायर को बदलने के लिए अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-2 व 3 का संयुक्त एवं पृथक-पृथक दायित्व है और वह उन टायरों को इस आदेश के एक माह की अवधि में बदले अथवा परिवादी को रू0 २५०००/- उक्त टायर की क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करे। इसके अतिरिक्त मानसिक वेदना के लिए रू0 २०००/- का भी भुगतान करे। निर्धारित अवधि में भुगतान न किए जाने पर उक्त धनराशि पर ०६ प्रतिशत वार्षिक की दर सेइस आदेश की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक ब्याज देय होगा।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्षों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द)
पीठा0सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र, आशु0 कोर्ट नं0-५