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RAVI SINGH filed a consumer case on 22 Dec 2021 against MANAGER SRI RAM GENERAL INSURANCE CO. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/108/2013 and the judgment uploaded on 23 Dec 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 108 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 12.08.2013
निर्णय दिनांक 22.12.2021
बनाम
प्रबन्धक श्रीराम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo 108045 अरिहन्त काम्प्लेक्स डी 64/127 सी नगर निगम रोड सिंगरा वाराणसी उत्तर प्रदेश।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह वाहन संख्या यू.पी. डब्ल्यू/4825 मारूति सुजुकी आटो का पंजीकृत स्वामी है जिसका बीमा विपक्षी से कराया गया। विपक्षी द्वारा बीमाकृत अवधि के दौरान ही दिनांक 27.02.2012 को समय लगभग 7.30 बजे रात को परिवादी का उपरोक्त वाहन जनता इण्टर कालेज अम्बारी के पास एक साईकिल सवार को बचाने के प्रयास में अनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गया तथा क्षतिग्रस्त हो गया, उस समय परिवादी अपने वाहन को स्वयं चला रहा था। दुर्घटना घटित होने में परिवादी का कोई भी दोष नहीं था दुर्घटना अकस्मात साईकिल सवार को बचाने के प्रयास के दौरान घटित हुई। परिवादी के पास उक्त वाहन को चलाने हेतु वैध एवं प्रभावी ड्राईविंग लाइसेन्स भी था तथा दुर्घटना के समय उक्त वाहन विपक्षी द्वारा बीमाकृत था जो दिनांक 25.01.2012 से 24.01.2013 तक वैध एवं प्रभावी था। परिवादी ने क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत मेसर्स भगीरथी मोटर्स सर्फुद्दीनपुर थाना सिधारी जनपद आजमगढ़ में करवाया था वाहन की मरम्मत में क्षतिग्रस्त सामान को बदलने एवं मजदूरी में कुल मिलाकर 2,38,980/- रुपए खर्च हुआ था। वाहन अधिनियम एवं बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार प्रार्थी अपने क्षतिग्रस्त बीमाकृत वाहन की मरम्मत के लिए सम्पूर्ण खर्च 2,38,980/- विपक्षी से प्राप्त करने का अधिकारी है। दुर्घटना एवं क्षतिग्रस्त होने की सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को दे दिया था तथा बीमा कम्पनी से अपने वाहन की मरम्मत कराने हेतु आग्रह किया परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा यह कहा गया कि आप अपने खर्चे से अपने क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत करवा लीजिए मरम्मत में जो भी खर्च आएगा बीमा कम्पनी द्वारा उसका अविलम्ब भुगतान कर दिया जाएगा। परिवादी द्वारा वाहन की मरम्मत करवा लेने के बाद क्षतिपूर्ति की धनराशि प्राप्त करने हेतु बीमा कम्पनी से आग्रह किया तथा वाहन की मरम्मत खर्च से सम्बन्धित सभी रसीदें भी बीमा कम्पनी को प्रदान किया। परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा मनमाने तौर पर क्षतिपूर्ति का निर्धारण करते हुए 2,38,980/- रुपया के स्थान पर मात्र 59,075/- रुपया का भुगतान दिनांक 09.06.2012 को किया गया जो चेक संख्या 241218 दिनांकित 09.06.2012 से दिनांक 13.06.2012 को डाक घर पर परिवादी को प्राप्त हुआ। शेष रकम का भुगतान विपक्षी द्वारा नहीं किया गया। ऐसा न होने पर याची ने बीमा कम्पनी को नोटिस दिया जिसका विपक्षी ने कोई जवाब नहीं दिया और नहीं शेष रकम का भुगतान ही कर रहा है। अतः याची को विपक्षी से उपरोक्त बीमाकृत वाहन की मरम्मत में खर्च हुई अवशेष धनराशि 1,79,905/- रुपया मय 12% ब्याज के साथ दिलाया जाए तथा 1,50,000/- रुपया शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 5/2 सर्टिफिकेट कम पॉलिसी सेड्यूल की छायाप्रति, कागज संख्या 5/3 याची को प्राप्त धनराशि जरिए चेक की छायाप्रति, कागज संख्या 5/4 याची के डी.एल. की छायाप्रति, कागज संख्या 5/5 ता 5/9 रिटेल कैस मेमो की छायाप्रति, कागज संख्या 5/10 नोटिस की छायाप्रति तथा कागज संख्या 5/11 रजिस्ट्री रसीद की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 9क विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि उसे वाहन का बीमा दिनांक 25.01.2012 से 24.01.2013 तक की अवधि के लिए होना स्वीकार है। वाहन का दुर्घटनाग्रस्त होना भी स्वीकार है। याची के वाहन में 2,38,980/- रुपए का नुकसान होना स्वीकार नहीं है। आवेदक के वाहन में हुई क्षति के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त होने पर अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा मान्यता प्राप्त लाइसेन्सधारी सर्वेयर श्री अवताश कुमार सिंह से वाहन में हुई क्षति का आंकलन कराया गया तथा सर्वेयर द्वारा कुल 76672 में से 2500 रुपए पॉलिसी इम्पोज्ड एक्सेस के तथा 500 रुपए कम्पल्सरी डिडक्टिबल 4500 रुपए सेल्वेज के कागकर, कुल क्षति 64796 रुपए की पाई थी, जिसके सम्बन्ध में सक्षम अधिकारी द्वारा दावाफाईल का अवलोकन किया गया तथा 6 विलम्ब से सूचना देने से सक्षम अधिकारी द्वारा वाहन में हुई क्षति का पॉलिसी शर्तों के अनुसार आवश्यक कटौती करके कुल क्षति 59075/- रुपए होना पाई थी जिसे परिवादी को भुगतान कर दिया गया जो परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी से प्राप्त कर चुका है। बीमा कम्पनी की ओर से कोई भी सेवा में कमी नहीं की गयी है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी द्वारा कागज संख्या 11ग क्लेम डिस्चार्ज कम सेटिसफैक्शन वाउचर की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर परिवादी अनुपस्थित तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी का यह कहना है कि उसने वाहन का सर्वे कराया था और उसके अनुसार याची को भुगतान किया गया। सर्वे के विन्दु पर याची द्वारा कोई आपत्ति नहीं की गयी है, इसका तात्पर्य यह है कि विपक्षी ने सर्वेयर नियुक्त किया था और सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया था। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “पन्सुरी पुरूभाई, गुलाभाई एवं अन्य बनाम ब्रान्च मैनेजर ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 2015(2)सी.पी.आर. 501 एन.सी.” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में मुo राष्ट्रीय आयोग ने यह अभिधारित किया है कि सर्वेयर की रिपोर्ट को इन्कार नहीं किया जा सकता है। यह न्याय निर्णय इस याचना के तथ्य एवं परिस्थितियों में ग्राह्य है और सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर ही बिना आपत्ति के याची ने रुपया प्राप्त कर लिया था। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से यह याचना पत्र अस्वीकार होने योग्य है।
आदेश
याचना पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.12.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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