न्यायालय-जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, रायपुर (छ.ग.)
समक्ष :-
सदस्य - श्रीमती अंजू अग्रवाल
सदस्य - श्रीमती प्रिया अग्रवाल
प्रकरण क्रमांक:-240/2013
संस्थित दिनांक:-20.06.2013
श्रीमती मीना बाई, उम्र 42 वर्ष,
पति स्व.श्यामलाल साहू,
ग्राम-खैरा, पोस्ट कोबा,
तहसील-डौंडीलोहारा,
जिला-दुर्ग (छ.ग.) परिवादिनी
विरूद्ध
1. फ्यूचर जनेरली इंडिया इंश्योरेंस कं.लि.,
द्वारा-शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय,
द्वितीय माला, मारूति बिजनेस पार्क,
धुप्पड़ पेट्रोल पम्प के बाजू, जी.ई.रोड,
रायपुर जिला-रायपुर (छ.ग.)
2. जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित,
द्वारा-शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय डौंडीलोहारा,
शाखा- डौंडीलोहारा, जिला-दुर्ग (छ.ग.)
3. जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित,
द्वारा-प्रबंधक, जिला केन्द्रीय कार्यालय,
जिला अस्पताल के सामने, जी.ई.रोड,
जिला-दुर्ग (छ.ग.) - अनावेदकगण
परिवादिनी की ओर से श्री एस.पण्ड्या अधिवक्ता।
अनावेदक क्र.1 की ओर से कोई नहीं, अनुपस्थित।
अनावेदक क्र.2 व 3 की ओर से श्री एस.पी.अग्रवाल अधिवक्ता।
// आदेश //
आज दिनांक:- 09 फरवरी 2015 को पारित
श्रीमती प्रिया अग्रवाल - सदस्य
1. परिवादिनी, अनावेदकगण से बीमादावा राशि 500000/-रू0, 18 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाने, वित्तीय खर्च के लिये 10000/- रू0 एवं मानसिक परेशानी के एवज में 25000/-रू0, कार्य में हुई अक्षमता की हानि एवं वादव्यय के लिये 25000/- रू0 व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है ।
परिवाद:-
2. परिवादिनी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि दि0 24.11.2011 को दोपहर 4.00 बजे उसके पति बीमाधारक श्याम लाल साहू अपने गांव के खेत के पास ट्रेक्टर में धान की बोरियां रस्सी से बांध रहा था । जब वह ट्रेक्टर में बोरा बांध रहा था तब अचानक रस्सी टूट गई और वह नीचे गिर गया जिससे उसके सिर में गंभीर चोट आयी और उसे तुरंत डाॅ.बी.आर.साहू, बालोद इलाज हेतु ले जाया गया जहां डाक्टर ने उसका इलाज किया तथा दि0 25.11.2011 को श्यामलाल को चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल दुर्ग के लिये रेफर कर दिया । चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल में मृतक श्याम लाल साहू का इलाज दि0 27.11.2011 तक चला लेकिन चोट अत्यधिक गंभीर थी तथा श्याम लाल साहू को अस्पताल द्वारा छुट्टी दे दी गई जिस पर श्यामलाल साहू जो पूर्ण रूप से चोट के कारण लगवाग्रस्त हो गया था दि0 28.11.2011 को चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल से लौटने के बाद सुबह ही उसकी मृत्यु हो गई । ग्राम पंचायत खैरा द्वारा श्यामलाल साहू का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है किन्तु मृतक का पोस्ट मार्टम नहीं हो सका । परिवार के लोगों के द्वारा दाह संस्कार किया गया लेकिन मृतक की मृत्यु डाक्टरों द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार मृतक को आयी चोटें ही थी । डा.बी.आर. साहू द्वारा मृतक को ट्रेक्टर से गिरने के कारण उत्पन्न हुए रोग का विवरण स्पष्ट रूप से लिखकर बीमा कंपनी को प्रदान किया गया है।
3. परिवादिनी का आगे यह भी अभिवचन है कि उसकी ओर से बीमा कंपनी को आवश्यक सभी दस्तावेज प्रदान कर दिये गये तथा बीमा कंपनी द्वारा क्लेम पंजीबद्ध किया गया था। परिवादिनी की ओर से कई बार मौखिक रूप से सहकारी समिति ग्राम खैरा के मार्फत् अनावेदकगण को इसकी सूचना दी गई परन्तु अनावेदकगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई । हालांकि परिवादिनी को बैंक जाने पर उसे मौखिक रूप से बताया जा रहा था कि उसका दावा खारिज किया जा रहा है । परिवादिनी को बीमा दावा की राशि प्रदान नहीं करके अनावेदक द्वारा सेवा में कमी की गई है, जो अनुचित व्यापार-व्यवहार की श्रेणी में आता है । अनावेदक क्र.1 के द्वारा परिवादिनी के पति का व्यक्तिगत समूह दुर्घटना बीमा किया गया है जिसके लिये बीमा पालिसी क्रमांक-2011ए 0099676-एफजीपी जारी की गई थी । मृतक के बचत खाता क्रमांक-10918 से बीमा प्रीमियम राशि 100/-काटी गई थी, उपरोक्त प्रीमियम के लिये पंाच लाख रूपये का कवरेज है। अतः परिवादिनी यह परिवाद पेश कर अनावेदकगण से बीमादावा राशि 500000/- रू0, वित्तीय खर्च के लिये 10000/- रू0, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 25000/- रू0, कार्य में हुई अक्षमता की हानि के लिये 25000/- रू0, उपरोक्त सभी राशियों पर 18 प्रतिशत ब्याज दिलाये जाने की याचना कर परिवादिनी श्रीमती मीना बाई ने अपने परिवाद पत्र में किये अभिकथन के समर्थन में स्वयं का तथा उसके पुत्र पवन कुमार साहू ने स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश की है ।
जवाबदावा (अनावेदक क्र.2 व 3) :-
4. अनावेदक क्र.2 व 3 का जवाबदावा इस आशय का पेश है कि परिवादिनी का बीमा क्लेम का दावा अनावेदक क्र.2 के माध्यम से अनावेदक क्र.1 को भेजा गया था। अनावेदक क्र.1 द्वारा परिवादिनी का बीमा दावा खारिज कर दिया गया है । परिवादिनी को अनावेदक क्र.1 द्वारा दावा क्लेम खारिज करने की जानकारी यदि नहीं दी गई है तो उसके लिये अनावेदक क्र.1 जवाबदार है न कि अनावेदक क्र.2 व 3 क्योंकि परिवादिनी के स्व.पति श्री श्यामलाल की सामूहिक दुर्घटना बीमा की राशि अनावेदक क्र.2 द्वारा अनावेदक क्र.1 को जमा की गई है । अतः पेश परिवाद इस अनावेदकगण के विरूद्ध निरस्त किये जाने की प्रार्थना कर डी.आर.साहू-मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने जवाब के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश किया है ।
5. अनावेदक क्र.1 को इस अधिकरण द्वारा पेशी दिनांक-12.05.2014 हेतु पंजीकृत सूचना पत्र जारी किया गया था जिसकी पावती प्रकरण में संलग्न है, उसके बावजूद अनावेदक क्र.1 की ओर से प्रकरण में कोई उपस्थित नहीं हुए । अनावेदक क्र.1 की ओर से प्रकरण में जवाबदावा, शपथपत्र, दस्तावेज इत्यादि पेश नहीं किया गया है । अतः अनावेदक क्र.1 के विरूद्ध प्रकरण में एकपक्षीय कार्यवाही की गई है ।
6. उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण में निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं कि:-
(1) क्या परिवादिनी, अनावेदकगण से बीमादावा राशि ‘‘हां''
500000/- रू0मय ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी
है ?
(2) क्या परिवादिनी, अनावेदकगण से वित्तीय खर्च के 10000/- रू0 प्राप्त करने की
लिये 10000/- रू0, कार्य में हुई अक्षमता की हानि प्राप्त करने की अधिकारी है।
के लिये 25000/- रू0तथा मानसिक क्षतिपूर्ति के
रूप में 25000/- रू0प्राप्त करने की अधिकारी है ?
(3) अन्य सहायता एवं वादव्यय ? परिवाद अंशतः स्वीकृत।
:: विचारणीय बिन्दुओं के निष्कर्ष के आधार ::
7. प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है ।
फोरम का निष्कर्ष:-
8. परिवादिनी का तर्क है कि दि0 24.11.2011 को दोपहर 4.00 बजे बीमाधारक श्याम लाल साहू अपने गांव के खेत के पास ट्रेक्टर में धान की बोरियां रस्सी से बांध रहा था । घटनास्थल पर उसका पुत्र पवन भी खड़ा हुआ था। जब वह ट्रेक्टर में बोरा बांध रहा था तब अचानक रस्सी टूट गई और वह नीचे गिरा जिससे उसे सिर में गंभीर चोट आयी और उसे तुरंत डा.बी.आर.साहू, बालोद इलाज हेतु ले जाया गया जहां डाक्टर ने उसका इलाज किया तथा दि0 25.11.2011 को श्यामलाल को चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल दुर्ग के लिये रेफर कर दिया । चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल में मृतक श्याम लाल साहू का इलाज दि0 27.11.2011 तक चला लेकिन चोट अत्यधिक गंभीर थी तथा श्याम लाल साहू को अस्पताल द्वारा छुट्टी दे दी गई जिस पर श्यामलाल साहू जो पूर्ण रूप से चोट के कारण लगवाग्रस्त हो गया था दि0 28.11.2011 को चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल से लौटने के बाद सुबह ही उसकी मृत्यु हो गई जिसकी सूचना बैंक को दी गई एवं बीमा कंपनी को भी बैंक के द्वारा समस्त दस्तावेज प्रदान कर दिये गये । चॅूकि परिवादिनी के पति का व्यक्तिगत समूह दुर्घटना बीमा अनावेदक के द्वारा किया गया था जिसके लिये बीमा पालिसी क्रमांक-2011ए 0099676-एफजीपी जारी की गई थी। पालिसी की समयावधि में मृतक की दुर्घटना मृत्यु कव्हर है लेकिन बीमा कंपनी द्वारा मृतक का 500000/- रू0 व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा की राशि आज तक प्रदान नहीं की गई । अनावेदक का उक्त कृत्य सेवा में कमी एवं अनुचित व्यापार-व्यवहार की श्रेणी में आता है ।
9. अनावेदक क्र.2 व 3 का तर्क है कि उनके द्वारा समस्त जानकारी अनावेदक क्र.1 को दे दी गई थी । अतः परिवादिनी के प्रति अनावेदक क्र.1 की जवाबदारी है, उनकी नहीं ।
10. अनावेदक क्र.1 के द्वारा परिवादिनी के पति को व्यक्तिगत समूह दुर्घटना बीमा किया गया है जिसके लिये बीमा पालिसी क्रमांक-2011ए 0099676-एफजीपी जारी की गई थी । मृतक के बचत खाता क्रमांक-10918 से बीमा प्रीमियम राशि 100/-काटी गई थी, उपरोक्त प्रीमियम के लिये पांच लाख रूपये का कवरेज है।
11. प्रकरण में अनावेदक क्र.1 द्वारा तामिली रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद जवाबदावा, शपथपत्र पेश नहीं किया गया, अतः अनावेदक क्र.1 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई । चॅूकि अनावेदक क्र.1 के द्वारा ही पालिसी जारी की गई थी एवं दावा राशि का भुगतान भी अनावेदक क्र.1 के द्वारा ही की जानी थी ।
12. परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र में किये गये उपरोक्त कथन शपथपत्र से समर्थित है जिसका खण्डन अनावेदक क्र.1 द्वारा नहीं किया गया है । परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेज भी पेश किये हैं, जो अखंडित है । उक्त दस्तावेजों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि अनावेदक क्र.1 ने परिवादिनी को उसके पति की व्यक्तिगत समूह दुर्घटना बीमा से संबंधित बीमा दावा की राशि प्रदान न कर परिवादिनी को दी जाने वाली सेवा में कमी की गई है । चॅूकि प्रकरण में पेश दस्तावेज व शपथपत्रों के खण्डन में अनावेदक क्र.1 की ओर से कोई भी शपथपत्र पेश नहीं किये हैं। इसलिए परिवादिनी द्वारा पेश दस्तावेजों व शपथपत्रों पर विश्वास किया जाता है ।
13. अनावेदक क्र.1 द्वारा क्लेम के संबंध में समस्त दस्तावेज प्राप्त कर लेने के बाद भी दावा का निराकरण न कर निश्चय ही सेवा में कमी की गई है । फलतः परिवादिनी बीमा दावा राशि 500000/-रू0 अनावेदक क्र.1 से प्राप्त करने की अधिकारी है । परिवादिनी ने वित्तीय खर्च के लिये 10000/- रू0 तथा कार्य में हुई अक्षमता की हानि के लिये 25000/-रू0 तथा मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 25000/-रू0 भी दिलाने की प्रार्थना की है । हमारे मत में परिवादिनी, अनावेदक क्र.1 से वित्तीय खर्च तथा कार्य में हुई अक्षमता की हानि तथा मानसिक क्षतिपूर्ति के मद में कुल 10000/-रू0 प्राप्त करने की अधिकारी है तथा वादव्यय के रूप में 2000/-रू0 भी प्राप्त करने की अधिकारी है ।
14. अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अंशतः स्वीकार कर यह आदेश देते हैं कि आदेश दिनांक से एक माह के अवधि के भीतर:-
(अ) अनावेदक क्र.1, परिवादिनी को संबंधित बीमा दावा राशि 500000/- रू0 (पांच लाख रूपये) परिवाद दिनांक-20.06.2013 से अदायगी दिनांक तक 6 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित अदा करेगा ।
(ब) अनावेदक क्र.1, परिवादिनी को वित्तीय खर्च तथा कार्य में हुई अक्षमता की हानि के लिये तथा मानसिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में कुल 10000/-रू0 (दस हजार रूपये) अदा करेगा।
(स) अनावेदक क्र.1, परिवादिनी को अधिवक्ता शुल्क तथा वादव्यय के रूप में 2000/- रू0 (दो हजार रूपये) भी अदा करेगा ।
(श्रीमती अंजू अग्रवाल) (श्रीमती प्रिया अग्रवाल)
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