राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-२३२०/२००१
(जिला उपभोक्ता मंच/आयोग, उन्नाव द्वारा परिवाद सं0-४२१/१९९५ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०४-२००१ के विरूद्ध)
उन्नाव शुक्लागंज डेवलपमेण्ट अथारिटी शुक्लागंज, उन्नाव द्वारा सैक्रेटरी उन्नाव शुक्लागंज डेवलपमेण्ट अथारिटी, उन्नाव।
...........अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
महेन्द्र शंकर त्रिपाठी एडवोकेट पुत्र श्री जुगराम प्रसाद त्रिपाठी, मकान नं0-६१६, सिविल लाइन्स, कल्याणी, उन्नाव।
...........प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
२- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
३- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक रंजन विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- ०३-०१-२०२२.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
१. यह अपील, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता मंच/आयोग, उन्नाव द्वारा परिवाद सं0-४२१/१९९५, महेन्द्र शंकर त्रिपाठी बनाम उन्नाव शुक्लागंज विकास प्राधिकरण में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०४-२००१ के विरूद्ध योजित की गयी है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विपक्षी को आदेशित किया गया है कि परिवादी को भूखण्ड का आबंटन प्राप्त कराऐं और परिवादी द्वारा जमा पंजीकरण राशि अंकन ६,०००/- रू० एवं उस पर जमा करने की तिथि से १८ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज जोड़ कर समायोजित करें और भूखण्ड का कब्जा परिवादी को सुपुर्द करें। अंकन १०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय अंकन १,०००/- रू० अदा करने के लिए भी आदेशित किया गया है।
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२. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने भूखण्ड प्राप्त करने के लिए अंकन ६,०००/- रू० जमा कर विपक्षी के कार्यालय में पंजीकरण कराया था परन्तु भूखण्ड आबंटन/लाटरी निकलने की कोई सूचना नहीं दी गई। इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
३. विपक्षी का कथन है कि परिवादी को भूखण्ड सं0-६३ का आबंटन किया गया था जिसकी सूचना पंजीकृत डाक द्वारा प्रेषित की गई थी और अंकन ५०,७००/- रू० का भुगतान दिनांक १५-०७-१९९४ तक करने के लिए कहा गया था परन्तु यह राशि जमा नहीं की गई, इसलिए भूखण्ड का आबंटन निरस्त कर दिया गया।
४. दोनों पक्षों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात् जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी को आबंटित भूखण्ड की सूचना नहीं दी गई, इसलिए सेवा में कमी की गई। तद्नुसार उपरोक्त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।
५. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथ्य एवं विधि के विपरीत है। लाटरी द्वारा आबंटन करने का स्पष्ट कथन अपीलार्थी द्वारा किया गया था परन्तु जिला उपभोक्ता मंच ने इस पर विचार नहीं किया। शपथ पत्र से साबित किया गया था कि आबंटन की सूचना परिवादी को भेजी गई थी। परिवादी को अंकन ५०,७००/- रू० दिनांक १५-०७-१९९४ तक जमा करना था।
६. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा प्रश्नगत निर्णय, अभिकथनों तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक रूप से परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
७. परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में कहीं पर यह उल्लेख नहीं किया है कि लाटरी द्वारा भूखण्ड का आबंटन नहीं किया गया। परिवादी ने केवल यह कथन किया है कि प्रस्तावित प्लाट का नक्शा तैयार नहीं था और आबंटन की सूचना नहीं दी गई।
८. परिवादी का कथन है कि वह विपक्षी के कार्यालय में गया था। विपक्षी के कार्यालय में जाने पर उसको ज्ञात हो चुका था कि प्लाट आबंटित कर दिए गए हैं, इसलिए वह कार्यालय से आबंटन की प्रति मांग सकते थे और आबंटन मूल्य जमा का सकते थे परन्तु ऐसी कोई कार्यवाही नहीं की गई और उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया। चूँकि परिवादी द्वारा
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आबंटन मूल्य जमा नहीं किया गया इसलिए उसके पक्ष में भूखण्ड आबंटन करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। ऐसी स्थिति में जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि के विपरीत है जो अपास्त होने योग्य है तथा अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
९. अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच/आयोग, उन्नाव द्वारा परिवाद सं0-४२१/१९९५ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०४-२००१ अपास्त किया जाता है। प्रश्नगत परिवाद सं0-४२१/१९९५ केवल इस रूप में स्वीकार किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्यर्थी/परिवादी को उसके द्वारा जमा धनराशि अंकन ६,०००/- रू० में से नियमानुसार कटौती करने के पश्चात् शेष धनराशि ०६ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज सहित एक माह के अन्दर वापस करे।
१०. अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
११. उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
१२. वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य सदस्य
१३. निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-२.