Uttar Pradesh

StateCommission

A/1310/2016

Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

Mahavir Singh - Opp.Party(s)

Avadhesh Shukla

01 Oct 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1310/2016
( Date of Filing : 30 Jun 2016 )
(Arisen out of Order Dated 30/05/2016 in Case No. C/186/2013 of District Aligarh)
 
1. Allahabad Bank
Samad Road Branch Distt. Aligarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Mahavir Singh
R/O Vill. Barrner Tehsil Kole Distt. Aligarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 01 Oct 2018
Final Order / Judgement

                                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 1310/2016 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद सं0- 186/2013 में पारित आदेश दि0 30.05.2016 के विरूद्ध)

Allahabad Bank, Samad road Branch District Aligarh through its Branch Manager.                                                                                                                                                                                          

                                        ………Appellant

                                         Versus

  1. Sri Mahavir singh S/o Makkhan singh, R/o Village Barmer Tehsil Kole, District Aligarh.
  2. Administrative officer, L.I.C. Branch office opp. New U.P. Roadways bus stand, Budh Bihar, Aligarh.

                                   …………Respondents

समक्ष:-   

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष। 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित            : श्री अवधेश शुक्‍ला,                                        

                                       विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित        : श्री सुशील कुमार शर्मा,

                                       विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 2 की ओर से उपस्थित      : श्री संजय जायसवाल,

                                       विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:-  01.10.2018                      

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित                                                   

निर्णय

 

          परिवाद सं0- 186/2013 महावीर सिंह बनाम ब्रांच मैनेजर इलाहाबाद बैंक व एक अन्‍य में जिला फोरम, अलीगढ़ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 30.05.2016 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

          जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

          ‘’परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0- 1 इलाहाबाद बैंक के विरुद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0- 1 को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को बीमित धनराशि मु0 1,00,000/-रू0 का भुगतान करे। उपरोक्‍त आदेश का पालन एक माह में किया जावे। विपक्षी सं0- 2 के विरुद्ध परिवाद खारिज किया जाता है। वाद परिस्थितियों को देखते हुए वाद व्‍यय पक्षकार स्‍वयं अपना-अपना वहन करेंगे।‘’

          जिला फोरम के उपरोक्‍त निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी सं0- 1 इलाहाबाद बैंक ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।      

          अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अवधेश शुक्‍ला, प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा तथा प्रत्‍यर्थी सं0- 2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय जायसवाल उपस्थित आये हैं।

          मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

          अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने इलाहाबाद बैंक से 2,00,000/-रू0 लोन लेने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया तो उससे कहा गया कि वह एल0आई0सी0 का बीमा करायेगा तभी लोन मिलेगा, परन्‍तु उसकी अवस्‍था 57 वर्ष थी। इसी कारण उसने अपने पुत्र सोनू कुमार जिसकी जन्‍मतिथि 07.10.1995 है का बीमा कराने की सहमति दी तब इलाहाबाद बैंक द्वारा उसके पुत्र सोनू का 55,000/-रू0 की धनराशि का बीमा दि0 21 वर्ष के लिए दि0 14.03.2011 से 14.03.2032 तक की अवधि के लिए कराया गया और उसे आश्‍वासन दिया गया कि उसे अपने पुत्र सोनू कुमार की किश्‍त जमा करने की आवश्‍यकता नहीं है। बैंक स्‍वयं उसके खाते से किश्‍त प्रति वर्ष जमा करता रहेगा। इसी क्रम में बैंक ने प्रीमियम की पहली किश्‍त दि0 14.03.2011 को 2,427/-रू0 जमा की। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी निश्चिंत हो गया कि उसकी पुत्र की बीमा की किश्‍त नहीं जमा करनी है न ही लोन की किश्‍त जमा करनी है, क्‍योंकि दोनों ही किश्‍तों को जमा करने का दायित्‍व बैंक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाता से जमा करने का अपने ऊपर लिया था। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि दि0 21.06.2013 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पुत्र सोनू कुमार की दुर्घटना में मृत्‍यु हो गई तब उसने बैंक जाकर मैनेजर से सम्‍पर्क किया तब काफी प्रयास के बाद दि0 26.06.2013 को उन्‍होंने उसके पुत्र की बैंक पॉलिसी दी जिसका नम्‍बर 563995449 है। इस पॉलिसी की पहली किश्‍त की रसीद भी उसे दी गई। उसके बाद जब प्रत्‍यर्थी/परिवादी बीमा पॉलिसी लेकर एल0आई0सी0 कार्यालय पहुंचा तो उसे बताया गया कि केवल एक ही किश्‍त जमा है। इस कारण उसे बीमा धनराशि नहीं दी जा सकती है।

          परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि बैंक ने उसके पुत्र की बीमा पॉलिसी की किश्‍त को जमा न कर सेवा में चूक की है। अत: उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण ब्रांच मैनेजर इलाहाबाद बैंक और एडमिनिस्‍ट्रेटिव आफीसर एल0आई0सी0 आफिस के विरुद्ध प्रस्‍तुत किया है और 1,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति विपक्षी/बैंक से दिलाये जाने की मांग की है।

          जिला फोरम के समक्ष परिवाद के विपक्षी सं0- 2 एल0आई0सी0 की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है और कहा गया है कि विपक्षी सं0- 1 के माध्‍यम से प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पुत्र की पॉलिसी जारी की गई है, परन्‍तु दि0 14.03.2011 को इसकी प्रथम किश्‍त जमा करने के बाद अगला प्रीमियम पुन: जमा नहीं किया गया है। लिखित कथन में विपक्षी सं0- 2 एल0आई0सी0 ने कहा है कि इलाहाबाद बैंक एल0आई0सी0 की बीमा पॉलिसी कराने हेतु बीमा निगम का एजेंट है।

          जिला फोरम के समक्ष विपक्षी सं0- 1 उपस्थित नहीं हुए हैं और उसकी ओर से कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। उसके विरुद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करते हुए जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्‍त प्रकार से पारित किया है।

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के विरुद्ध है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का पुत्र अपीलार्थी/बैंक का खाताधारक नहीं रहा है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पुत्र की बीमा पॉलिसी हेतु अपीलार्थी के खाते से तब तक धनराशि डेबिट नहीं की जा सकती है जब तक उसे बैंक को प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अधिकार पत्र न दिया जाए। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पुत्र की बीमा पॉलिसी का प्रीमियम अदा करने का दायित्‍व प्रत्‍यर्थी/परिवादी अथवा उसके पुत्र पर था, बैंक पर नहीं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद गलत कथन के आधार पर प्रस्‍तुत किया है।

          प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश उचित और विधि सम्‍मत है।

          प्रत्‍यर्थी सं0- 2 के विद्वान अधिवक्‍ता का भी तर्क है कि जिला फोरम के निर्णय में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।

          प्रत्‍यर्थी सं0- 2 की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया है।

          मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

          जिला फोरम के निर्णय से स्‍पष्‍ट होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी इलाहाबाद बैंक जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है और उसके विरुद्ध निर्णय एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाए कि जिला फोरम अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को लिखित कथन का अवसर देकर उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर दे और पुन: विधि के अनुसार निर्णय पारित करे।

          उल्‍लेखनीय है कि अपीलार्थी/बैंक के जिला फोरम के समक्ष उपस्थित न होने से जो परिवाद के निस्‍तारण में विलम्‍ब हो रहा है उसके लिए अपीलार्थी/बैंक से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 5,000/-रू0 हर्जा दिलाया जाना आवश्‍यक प्रतीत होता है।

          उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/इलाहाबाद बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी महावीर सिंह को 5,000/-रू0 हर्जा अदा करने पर अपास्‍त किया जाता है और पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्‍दर लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान करे और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय यथाशीघ्र पारित करे।

          उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दि0 21.11.2018 को उपस्थित हों।

          हाजिरी हेतु निश्चित इस तिथि से 30 दिन का समय अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को लिखित कथन हेतु प्रदान किया जायेगा और उसके आगे पुन: कोई समय नहीं दिया जायेगा।

          उभय पक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          हर्जे की उपरोक्‍त धनराशि 5,000/-रू0 अपीलार्थी/बैंक द्वारा धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 व उस पर अर्जित ब्‍याज से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा की जायेगी और शेष धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को वापस कर दी जायेगी।               

         

                (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                                       

                                    अध्‍यक्ष                                                 

 

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

                           

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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