Uttar Pradesh

Chanduali

CC/3/2015

Bechan Mishara - Complainant(s)

Versus

Magma HDI General Insurance Company LTD - Opp.Party(s)

OP Singh

22 Dec 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/3/2015
 
1. Bechan Mishara
Gajdhera, Bhatral Chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. Magma HDI General Insurance Company LTD
Magma House24Park Street Kolkata
Kolkata
Kolkata
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 03                                सन् 2015ई0
बेचन मिश्र पुत्र संकठा मिश्रा ग्राम गजधरा पो0 भटरौल थाना शहाबगंज जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-मुख्य शाखा प्रबन्धक मैग्मा एच.डी.आई. जनरल इश्योरेंस कम्पनी लि0 मेग्मा हाउस 24 पार्क स्ट्रीट कलकत्ता 700016।
2-दिलीप कुमार श्रीवास्तव पुत्र श्री ए0एल0 श्रीवास्तव शाखा प्रबन्धक मेग्मा फिन कार्य लि0 शाखा कार्यालय डी 58/12ए-2 द्वितीय पलोर जय माॅं कम्पलेक्स गाॅंधी नगर सिगरा वाराणसी।
3-राकेश चन्द पाठक पुत्र काशी नाथ पाठक रिकभरी एक्सीक्यूटिव मेग्मा फिन कार्य लि0 शाखा कार्यालय डी 58/12ए-2 द्वितीय पलोर जय माॅं काम्पलेक्स गांधी नगर सिगरा वाराणसी।
4-मैनेजर बाबा ट्रैक्टर मशीनरी स्टोर्स जी0टी0 रोड चन्दौली।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 शशी यादव, सदस्या
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण द्वारा परिवादी के एकाउन्ट में हुई गडबडी को ठीक कर एकाउन्ट अप टू डेट करते हुए बकाया किस्तो का भुगतान विपक्षीगण के बिलम्ब की वजह से बढने वाले ब्याज को मुक्त करते हुए कराये जाने तथा विपक्षीगण से परिवादी को मानसिक,आर्थिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 100000/-मय ब्याज के साथ दिलाये  जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    परिवाद में सक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी बाबा ट्रैक्टर एण्ड मशीनरी स्टोर जी0टी0 रोड चन्दौली के यहाॅं से कृषि कार्य हेतु न्यू हालैण्ड ट्रैक्टर खरीदा जिस सम्बन्ध में पैसे का पूरा प्रबन्ध न होने के कारण मेग्मा फिन कार्य लि0 फाइनेन्स कम्पनी से रू0 226608/- फाइनेन्स कराया जिसकी अदायगी  हेतु 24 महीने में 24 किस्त बांधी गयी जिसका एकाउण्ट नं0 पी0पी0/0055/ए/11/000407 परिवादी के नाम विपक्षी के शाखा में खोला गया तथा बीमा पालिसी सं0 पीओओ 14400002/4107/347277 है। विपक्षी संख्या 3 नियमित रूप से समय पर आकर परिवादी से किस्त ले जाते रहे तथा परिवादी समय से किस्त विपक्षी संख्या 3 को देता रहा किन्तु परिवादी जब शाखा वाराणसी में जाकर अपना एकाउण्ट चेक कराया तब पता चला कि परिवादी द्वारा दिनांक 28-12-2013 को जमा किया गया रू0 68000/- अप टू डेट नहीं है बल्कि 68000/- रू0 के स्थान पर 6800/- दिखाया जा रहा है जबकि विपक्षी संख्या 3 को 68000/- दिया गया है जिसकी रसीद परिवादी को मिली है। बाद होने एकाउण्ट में गडबडी विपक्षी संख्या 3 को व्यक्तिगत रूप से एवं प्रार्थना पत्र के माध्यम से सम्पर्क कर एकाउण्ट की गडबडी को ठीक कर उसे अप टू डेट करने की प्रार्थना किया ताकि शेष किस्तो की अदायगी परिवादी द्वारा समय से किया जा सके परन्तु विपक्षीगण सुनवा नहीं हुए
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 और न ही आज तक विपक्षीगण द्वारा एकाउण्ट की गडबडी दूर की गयी जो विपक्षीगण की लापरवाही एवं गैर जिम्मेदारान रवैया है। विपक्षीगण के लापरवाही एवं गैर जिम्मेदारान रवैया से परिवादी बकाया किस्त की अदायगी समय से नहीं कर पा रहा है जिससे बकाया किस्त पर ब्याज की धनराशि में वृद्धि हो रही है जिसका परिवादी देनदार नहीं है। परिवादी ने दिनांक 9-9-2014 को विधिक नोटिस विपक्षी संख्या 2 व 3 को दिया किन्तु उसका जबाब समय से नहीं दिया। तब परिवादी ने दिनांक 8-12-2014 को हर सही बातों को स्पष्ट करते हुए अन्तिम नोटिस अधिवक्ता के माध्यम से दिया किन्तु विपक्षीगण जानबूझकर क्षति से बचने हेतु जबाब नहीं दिये।  परिवादी ने आगे कथन किया है कि विपक्षी संख्या 4 को जबाबदेही न देने की सूरत में खर्चा मुकदमा से बरी किया जा सकता है। 
3-    विपक्षीगण पर नोटिस का तामिला पर्याप्त रूप से होने के बावजूद वे न तो उपस्थित हुए और न ही कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया। अतः विपक्षीगण के विरूद्ध मुकदमा एक पक्षीय रूप से सुना जा रहा है। 
4-    परिवाद पत्र तथा साक्ष्य शपथ पत्र में परिवादी का मुख्य अभिकथन यह है कि उसने हालैण्ड ट्रैक्टर खरीदने के लिए मैग्मा फिन कार्य लि0 फाइनेन्स कम्पनी से रू0 2,26608/- फाइनेंस कराया जिसे 24 मासिक किश्तों में अदा किया जाना था जिसके लिए विपक्षी की शाखा में एकाउण्ट नं0 पी0पी0/0055/ए/11/000407 परिवादी के नाम खोला गया। विपक्षी संख्या 3 राकेश चन्द पाठक जो मैग्मा फिन कार्य लि0 कम्पनी के रिकवरी एक्जूक्टिव है, समय-समय पर परिवादी से ऋण की किश्तें लेते रहे लेकिन जब परिवादी ने फाइनेन्स कम्पनी की वाराणसी शाखा में जाकर अपना एकाउण्ट चेक कराया तो पता चला कि परिवादी दिनांक 28-12-2013 को जो रू0 68000/- की धनराशि जमा किया था वह एकाउण्ट में रू0 68000/- के स्थान पर 6800/- दिखाया जा रहा है जबकि परिवादी ने विपक्षी संख्या 3 को रू0 68000/- दिया था और उसे रसीद भी रू0 68000/- की मिली है। एकाउण्ट की इस गडबडी को ठीक करने के लिए परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 ता 3 से व्यक्तिगत रूप से एवं प्रार्थना पत्र के माध्यम से निवेदन किया किन्तु उन्होंने एकाउण्ट की गडबडी को सही नहीं कराया। परिवादी ने विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भी प्रेषित किया लेकिन उसका भी कोई जबाब विपक्षीगण की ओर से नहीं दिया गया तब यह परिवाद दाखिल किया गया।
5-    अपने अभिकथन के समर्थन में परिवादी ने अपने शपथ पत्र के अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रथम सूचना रिर्पोट दिनांकि 22-3-2014,मैग्मा एच0डी0आई0 कम्पनी के द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र की छायाप्रति,बीमा की छायाप्रति,विपक्षी को रू0 68000/- देने की रसीद,परिवादी के एकाउण्ट का विवरण,वाहन का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र  तथा विपक्षी को प्रेषित 2 अद्द कानूनी नोटिस की प्रति,परिवादी द्वारा कलेक्शन मैनेजर/ब्रांच मैनेजर मैग्मा फिन कार्य लि0 को प्रेषित पत्र की छायाप्रति तथा विपक्षी कम्पनी से लेन-देन से सम्बन्धित कागजात
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दाखिल किया है जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा विपक्षी मैग्मा फिन कार्य लि0 से रू0 2,26608/- ऋण लिया गया है। परिवादी ने अपने शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि उसने दिनांक 28-12-2013 को उक्त ऋण के एवज में विपक्षी संख्या 3 को रू0 68000/-जमा किया था और इसकी रसीद भी उसे मिली थी लेकिन उसके ऋण एकाउण्ट में उस दिन रू0 68000/- के स्थान पर केवल 6800/- रू0 जमा करना दिखाया गया है। परिवादी के शपथ पत्र तथा उसके द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्य से इस कथन की पुष्टि होती है कि दिनांक 28-12-2013 को परिवादी ने ऋण के एवज में विपक्षी संख्या 3 को रू0 68000/- अदा किया था। परिवादी के अभिकथन और साक्ष्य के खण्डन में विपक्षीगण की ओर से न तो कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल है और न ही कोई साक्ष्य दाखिल है। इस प्रकार परिवादी का कथन/साक्ष्य अखण्डित है यहाॅं यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि परिवादी द्वारा प्रथम सूचना रिर्पोट दिनांकित 22-3-2014 की जो प्रमाणित छायाप्रति दाखिल की गयी है उसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मुकदमें में विपक्षी संख्या 2 दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने विपक्षी संख्या 3 राकेश चन्द पाठक के विरूद्ध धारा 406 आई0पी0सी0 के तहत प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज करायी है जिसमे स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि विपक्षी संख्या 3 राकेश चन्द्र पाठक फाइनेन्स कम्पनी के ग्राहकों से पैसा वसूलते थे किन्तु वे कम्पनी में पूरा पेसा जमा न करके उसका दुर्विनियोग करते थे। इस प्रथम सूचना रिर्पोट में इस तथ्य का भी उल्लेख है कि परिवादी बेचन मिश्रा ने रू0 68000/- विपक्षी राकेश चन्द पाठक को दिया था किन्तु उन्होंने उसके स्थान पर केवल रू0 6800/- फाइनेन्स कम्पनी में जमा कराया इससे भी परिवादी के इस कथन की पुष्टि होती है कि वास्तव में उसने दिनांक 23-12-2013को ऋण के एवज में रू0 68000/- अदा किया था यदि विपक्षी कम्पनी के कर्मचारी ने इस धनराशि का दुर्विनियोग या अमानत में खयानत किया है तो इसके लिए परिवादी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता और न ही परिवादी को आर्थिक क्षति पहुंचायी जा सकती है बल्कि अपने कर्मचारी के कृत्य के लिए फाइनेन्स कम्पनी ही जिम्मेदार होगी।
    उपरोक्त विवेचन के आधार पर परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है और विपक्षी को यह आदेशित किया जाना न्यायोचित है कि वह परिवादी द्वारा दिनांक 23-12-2013 को जमा किये गये रू0 68000/- को उसके ऋण खाते में उचित तौर पर समायोजित करें। तद्नुसार इस धनराशि पर ब्याज भी उससे न लिया जाय।
                               आदेश
    परिवादी का परिवाद एक पक्षीय व आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 1 ता 3 को निर्देशित किया जाता है कि वे परिवादी के ऋण खाते में दिनांक 23-12-2013 को रू0 68000/- की अदायगी मानते हुए ही परिवादी से ऋण की शेष धनराशि की वसूली करेगे और जिस दिन परिवादी ने रू0 68000/- जमा किया है उस दिन से इस धनराशि पर परिवादी द्वारा कोई ब्याज भी देय नहीं 
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होगा। इसके अतिरिक्त विपक्षी संख्या 1 ता 3 परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षति के लिए रू0 4,000/-(चार हजार) तथा खर्चा मुकदमा के लिए रू0 1000/-(एक हजार) भी दो माह में अदा करेगे। 

(शशी यादव)                                       (रामजीत सिंह यादव)
सदस्या                                                अध्यक्ष
                                                दिनांक-22-12-2015     

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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