राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील सं0- 1570/2014
संयुक्त निदेशक, संयुक्त कृषि निदेशक झांसी मण्डल, जिला झांसी
बनाम
मोती लाल प्रजापति तनय स्व0 नन्हू प्रसाद
समक्ष:-
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0के0 शुक्ला,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 20.09.2024
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 97/2012 मोतीलाल प्रजापति बनाम संयुक्त कृषि निदेशक में जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 30.10.2013 के विरुद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रश्नगत निर्णय व आदेश के माध्यम से परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुये निम्नलिखित आदेश पारित किया है:-
‘’परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 36169/-रू0 की धनराशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से दिनांक 5.5.12 से भुगतान की तिथि तक अदा करेगा।
विपक्षी परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में 5000/-रू0 (पांच हजार रूपये) एवं वाद व्यय के रूप में 2000/-रू0 (दो हजार रूपये) प्रदान करेगा। विपक्षी इस निर्णय का क्रियान्वयन निर्णय की तिथि से दो माह के भीतर करेगा।‘’
आदेश पत्रों के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता पूर्व में उपस्थित आये थे एवं उनके द्वारा आपत्ति भी प्रस्तुत की गई थी, परन्तु विगत कई तिथियों से उपस्थित नहीं आ रहे हैं। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 शुक्ला को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।
परिवाद पत्र के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्वयं को कृषि विभाग का राजकीय कर्मचारी दर्शाया है एवं परिवाद में विभागीय नियम के अनुसार चिकित्सीय व्यय की प्रतिपूर्ति करने हेतु परिवाद लाया गया है। यह स्थापित विधि है कि राजकीय कर्मचारी की सेवा सम्बन्धी लाभ को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सेवा की परिभाषा के अंतर्गत नहीं माना जाता है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय Ministry of Water Resources Vs. Shreepat Rao Kamde I(2020)C.P.J. 30(S.C.) में निर्णीत किया गया है कि राजकीय कर्मचारी सेवा सम्बन्धी लाभ के लिये उ0प्र0 राज्य के विरुद्ध उपभोक्ता का वाद नहीं ला सकता है। उपरोक्त निर्णय को दृष्टिगत रखते हुये वाद पोषणीय नहीं माना जा सकता है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उक्त बिन्दु पर विचार किये बिना परिवाद को ग्रहण एवं निस्तारित किया है। अत: क्षेत्राधिकार के बिन्दु पर प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किये जाने योग्य एवं अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है।
उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुधा उपाध्याय)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 3