Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/281

Chandrapal Singh - Complainant(s)

Versus

M. D. Venus Sugar Ltd. - Opp.Party(s)

V. P. Sharma

27 Feb 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/281
( Date of Filing : 03 Jan 2004 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Chandrapal Singh
A
...........Appellant(s)
Versus
1. M. D. Venus Sugar Ltd.
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 27 Feb 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ

 (मौखिक)

अपील सं0- 281/2004

Chandrapal Singh, S/o Sri Kandar Lal R/o Village Ugia (Rustamgarh Ugia), Post Kaithal, Tehsil Chandausi, District Moradabad (Died).

1/1. Shanti Devi W/o Chandrapal.

1/2. Ramsewak S/o Chandrapal Singh.

1/3. Ravindrapal Singh S/o Chandrapal Singh.

1/4. Mithilesh D/o Chandrapal Singh.

      All R/o Village Ugia (Rustamgarh Ugia), Post Kaithal, Tehsil Chandausi, District Moradabad.      

                                                                                      ….Appellants.

                                                   Versus

Managing Director, Venus Sugar Limited, Shiv Shakti Nagar, Tehsil Chandausi, District Moradabad.

                                                                                  ……..Respondent   

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री उपेन्‍द्र कुमार सिंह एवं श्री सत्‍येंद्र सिंह,

                            विद्वान अधिवक्‍तागण।  

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : श्री अजय विक्रम सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।     

                       

दिनांक:- 27.02.2023

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.          परिवाद सं0- 237/2000 चन्‍द्रपाल सिंह बनाम मैनेजिंग डायरेक्‍टर, वीनस शुगर लि0 में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वितीय, मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 05.12.2003 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.          जिला उपभोक्‍ता आयोग ने दो आधारों पर यह परिवाद खारिज किया है। प्रथमत: परिवाद समयावधि से बाधित है, द्वितीय गन्‍ने के मूल्‍य का विवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग में संधारणीय नहीं है।  

3.          हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍तागण श्री उपेन्‍द्र कुमार सिंह एवं श्री सत्‍येंद्र सिंह तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अजय विक्रम सिंह को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया।

4.          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह बहस की गई है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरुद्ध है। गन्‍ने की आपूर्ति करने के पश्‍चात गन्‍ना मूल्‍य न प्राप्‍त होना उपभोक्‍ता विवाद है जब कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि गन्‍ने की आपूर्ति के पश्‍चात भुगतान से सम्‍बन्धित विवाद उपभोक्‍ता विवाद नहीं है। नजीर रामचन्‍द्र सिंह बनाम डी0सी0एम0 शुगर मिल्‍स लि0 में एस0सी0डी0आर0सी0, उत्‍तराखण्‍ड द्वारा दि0 13 अप्रैल 2015 को यह निर्णय दिया गया है। इस केस के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी शुगर मिल में गन्‍ने की आपूर्ति करता है जिसका भुगतान गन्‍ना विकास परिषद काशीपुर के माध्‍यम से प्राप्‍त होता है। विपक्षी द्वारा उच्‍च श्रेणी के गन्‍ने का बीज उपलब्‍ध कराने की एक योजना बनायी गई। परिवादी को भी बीज प्राप्‍त कराया गया, परन्‍तु अच्‍छा उत्‍पादन नहीं हुआ और अत्‍यधिक कम उत्‍पादन रहा। इसलिए क्षतिपूर्ति की मांग की गई, परन्‍तु जिला उपभोक्‍ता आयोग एवं राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी एवं शुगर मिल के मध्‍य उपभोक्‍ता के सम्‍बन्‍ध नहीं हैं। इसी निर्णय में यह भी उल्‍लेख किया गया कि चूँकि बीज समिति के माध्‍यम से क्रय किया गया है न कि सीधे मिल से। इसलिए दोनों के मध्‍य उपभोक्‍ता एवं सेवा प्रदाता के सम्‍बन्‍ध नहीं हैं।

5.          अपीलार्थी/परिवादी का यह कथन है कि उसने गन्‍ने की आपूर्ति की है। यानि मिल से कोई सामान क्रय नहीं किया है न ही अपीलार्थी/परिवादी ने मिल को कोई प्रतिफल अदा किया है। विक्रय मूल्‍य प्राप्‍त न होना सिविल प्रकृति का विवाद है। यह विवाद उपभोक्‍ता विवाद नहीं है, क्‍योंकि दोनों पक्षकारों के मध्‍य उपभोक्‍ता एवं सेवा प्रदाता के सम्‍बन्‍ध नहीं हैं। अपीलार्थी/परिवादी शुगर मिल का उपभोक्‍ता नहीं है, अपितु अपने सामान को मिल को आपूर्ति करता है, न कि मिल से कुछ सामान प्राप्‍त करता है। अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई उचित आधार प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्‍य है।   ‍

आदेश

6.          अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

            अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे। 

      आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

    (विकास सक्‍सेना)                                (सुशील कुमार)

        सदस्‍य                                        सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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