
JANAKI DEVI filed a consumer case on 21 Oct 2021 against LIC in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/66/2021 and the judgment uploaded on 16 Nov 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 66 सन् 2021
प्रस्तुति दिनांक 17.06.2021
निर्णय दिनांक 21.10.2021
श्रीमती जानकी देवी, वयस्क, पत्नी श्री सुरेश प्रसाद गुप्ता निवासिनी 331, चकिया चौराहा, खरजरवा रोड, परगना- सलेमपुर मझौली, तहसील व जिला- देवरिया- 274001 हाल मोकाम बमार्फत श्री सुरेश प्रसाद गुप्ता, मुख्य रोकड़िया, कोषागार, सिविल लाइन्स शहर व जिला- आजमगढ़- 276001
......................................................................................परिवादिनी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह तथा विपक्षी संख्या 02 आपस में पत्नी-पत्नी हैं तथा जनपद देवरिया स्थित पता उपरोक्त के स्थायी निवासीगण है, बहरहाल, पिछले काफी अरसा से विपक्षी संख्या 02 की आजमगढ़ में नियुक्ति के कारण जनपद आजमगढ़ में ही निवास कर रहे हैं। विपक्षी प्रथम पक्ष जरूरतमन्द लोगों को गृह निर्माण हेतु ऋण प्रदान कर निर्धारित नियम व शर्तों के अधीन ऋणग्रहीता से ब्याज सहित ऋण की धनराशि वसूल करते हैं। परिवादिनी व विपक्षी संख्या 02 ने विपक्षी प्रथम पक्ष से अपना मकान निर्माण कराने हेतु ऋण प्राप्त किया था तथा इस संव्यवहार से उत्पन्न विवाद के सम्बन्ध में परिवादिनी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अधीन विपक्षी प्रथम पक्ष की उपभोक्ता है। विपक्षी संख्या 02 के वर्तमान समय में मौके पर मौजूद न होने के कारण उनकी सहमति से तथा उनके भी हित में यह परिवाद दायर किया जा रहा है तथा इस परिवाद में परिवादिनी के पति को विपक्षी संख्या 02 बनाया गया है। परिवादिनी ने अपने पति के साथ विपक्षी प्रथम पक्ष के यहाँ से भवन निर्माण हेतु रु. 20,00,000/- मात्र का ऋण प्राप्त किया था जिसका खाता संख्या 111000006714 था। उक्त ऋण खाता दिनांक 07.01.2020 को अन्तिम रूप से बन्द हो चुका है, जिसके सम्बन्ध में विपक्षी प्रथम पक्ष द्वारा अदेयता प्रमाण पत्र आदि भी निर्गत किया जा चुका है। परिवादिनी व उसके पति को उपरोक्त ऋण प्रदान करते समय विपक्षी प्रथम पक्ष द्वारा अन्य प्रतिभूतियों के साथ ही परिवादिनी की भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा राघव नगर- प्रथम देवरिया द्वारा निर्गत जीवन बीमा पॉलिसी संख्या 292991477 को भी विपक्षी प्रथम पक्ष के पक्ष में समनुदेशित कराया गया था। परिवादिनी अपने उपरोक्त ऋण की समयानुकूल अदायगी करती रही परन्तु विपक्षी प्रथम पक्ष के पक्ष में उपरोक्त जीवन बीमा पॉलिसी संख्या 292991477 के समनुदेशित होने के कारण उक्त बीमा पॉलिसी के सापेक्ष देय जीवित हिललाभ की धनराशि रु. 1,00,342/- दिनांक 03.12.2018 को, रु. 1,00,000/- दिनांक 15.05.2019 को, रुप. 1,00,000/- दिनांक 15.05.2020 को एवं रु. 1,00,000/- दिनांक 15.05.2019 को परिवादिनी के उपरोक्त ऋणखाता में समायोजित किए जाने हेतु भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा विपक्षी प्रथम पक्ष के कार्यालय में प्रेषित/अन्तरित किया गया जिसमें से दिनांक 03.12.2018 को प्रेषित धनराशि 1,00,342/- को विपक्षी प्रथम पक्ष द्वारा दिनांक 10.12.2018 को परिवादिनी के उपरोक्त ऋणखाता में समायोजित किया गया परन्तु लापरवाही व असावधानी बरतते हुए एवं सेवाओं में त्रुटि कारित करते हुए उपरोक्त शेष दोनों हितलाभ की धनराशि को न तो ऋण खाता में समायोजित किया गया न ही परिवादिनी को तत्काल वापस ही किया गया। उपरोक्त के अलावा परिवादिनी का ऋणखाता दिनांक 07.01.2020 को बन्द हो जाने के बाद भी परिवादिनी के ऋणखाता के सापेक्ष देय किश्त की धनराशि रु. 31,407/- मात्र को भारतीय स्टेट बैंक स्थित परिवादिनी के पति (विपक्षी संख्या 02) के खाता से दिनांक 10.01.2020 को कटौती कराकर वसूल कर लिया गया एवं इसे परिवादिनी या परिवादिनी के पति को तत्काल वापस भी नहीं किया गया। परिवादिनी द्वारा अपना ऋणखाता दिनांक 07.01.2020 को बन्द करने के बाद अनेक बार उसकी समनुदेशित जीवन बीमा की पॉलिसी को विपक्षी संख्या 01 के समनुदेशन से मुक्त करने, विपक्षी प्रथम पक्ष द्वारा ऋण खाता बन्द होने के उपरान्त वसूल कर ली गयी एक्सेस अमाउन्ट की धनराशि रुप. 31,407/- मात्र को वापस करने, दिनांक 15.05.2019 को विपक्षी प्रथम पक्ष के कार्यालय में प्राप्त धनराशि रु. 1,00,000/- मात्र व दिनांक 15.05.2020 को विपक्षी प्रथम पक्ष के कार्यालय में प्राप्त धनराशि रु. 1,00,000/- मात्र को मय ब्याज के परिवादिनी को वापस करने हेतु लगातार विपक्षी प्रथम पक्ष के कार्यालय का भ्रमण करने, तलब-तकाजा व गुजारिश करने के बाद विपक्षी प्रथम पक्ष द्वारा दिनांक 03.07.2020 को बिना ब्याज आदि के रु. 31,407/- मात्र की धनराशि परिवादिनी को वापस कर दी गयी एवं काफी दौड़ धूप के बाद विपक्षी प्रथम पक्ष द्वारा दिनांक 11.08.2020 के पत्र के द्वारा परिवादिनी की समनुदेशित बीमा पॉलिसी को मुक्त किया गया तथापि उपरोक्त रु. 1,00,000/- व 1,00,000/- मात्र की धनराशि को ब्याज सहित परिवादिनी को वापस नहीं किया गया। दिनांक 15.05.2019 को विपक्षी प्रथम पक्ष के कार्यालय में प्राप्त उपरोक्त धनराशि को यदि विपक्षी प्रथम पक्ष द्वारा परिवादिनी के ऋण खाता में समायोजित कर दिया गया होता तो इस धनराशि पर लगने वाली ब्याज की धनराशि को परिवादिनी द्वार भुगतान न करना पड़ता। इसी प्रकार यदि परिवादिनी का ऋण खाता दिनांक 07.01.2020 को बन्द हो जाने के बाद विपक्षी प्रथम पक्ष द्वारा उसकी बीमा पॉलिसी को विपक्षी प्रथम पक्ष के समनुदेशन से मुक्त कर दिया गया होता तो परिवादिनी को दिनांक 15.05.2020 को विपक्षी प्रथम पक्ष के कार्यालय में जीवन बीमा निगम द्वारा प्रेषित धनराशि रु. 1,00,000/- मात्र की धनराशि पर कम से कम 12% का ब्याज अर्जित कर पाती, परन्तु विपक्षी प्रथम पक्ष की लापरवाही, असावधानी आदि के कारण परिवादिनी को ऐसे ब्याज की धनराशि की क्षति कारित हुई है।
विपक्षी प्रथम पक्ष की लापरवाही आदि के कारण परिवादिनी व विपक्षी संख्या 02 को निम्नलिखित नुकसानात कारित हुए हैं-
क्र | नुकसानात का विवरण | नुकसान की धनराशि |
अ | दिनांक 15.05.2019 को विपक्षी प्रथम पक्ष के कार्यालय में प्राप्त धनराशि रु. 1,00,000/- मात्र पर ब्याज बशरह 12% सालाना का नुकसान, | रु. 21,600/- |
ब | दिनांक 15.05.2020 को विपक्षी प्रथम पक्ष के कार्यालय में प्राप्त धनराशि रु. 1,00,000/- मात्र पर ब्याज बशरह 12% सालाना का नुकसान, | रु. 9,600/- |
स | दिनांक 07.01.2020 को भारतीय स्टेट बैंक स्थित परिवादिनी के खाता से प्राप्त व वसूल की गयी धनराशि रु. 31,407/- मात्र को दिनांक 03.07.2020 को वापस करने के कारण ब्याज बशरह 12% सालाना का नुकसान, | रु. 1,900/- |
द | विपक्षी प्रथम पक्ष की सेवाओं की अल्पता, अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस, लापरवाही व असावधानी के कारण परिवादिनी को कारिए हुए मानसिक तनाव, हैरानी व परेशानी के कारण क्षतिपूर्ति की धनराशि | रु. 25,000/- |
| योग | 58,100/- |
उपरोक्त धनराशि पर परिवादिनी व विपक्षी संख्या 02 तावसूली ब्याज बशरह 12% सालना प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। विपक्षी प्रथम पक्ष द्वारा वर्णित ज्यादा धनराशि वसूल कर लेने एवं ऐसी धनराशियों को अत्यधिक विलम्ब से बिना ब्याज व क्षतिपूर्ति के वापस करने व बावजूद प्रार्थना पत्र व कानूनी नोटिस दिनांक 03.03.2021 के आज तक क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया गया। अतः परिवादिनी ने दादरसी के लिए यह याचना करती है कि परिवादिनी व विपक्षी संख्या 02 के पक्ष में व विपक्षी प्रथम पक्ष के विरुद्ध विपक्षी प्रथम पक्ष की सेवाओं की न्यूनता आदि की क्षतिपूर्ति के तौर पर इस परिवाद में दिए गए विवरण के अनुसार 58,100/- व इस धनराशि पर कानूनी नोटिस की तिथि 03.03.2021 से लगायत ताअसल वसूली कम से कम 18% चक्रवृद्धि ब्याज की धनराशि भुगतान किए जाने हेतु आदेश पारित किया जाए तथा कुल खर्चा मुकदमा हाजा जिम्मा विपक्षी प्रथम पक्ष आयद किया जाए।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी द्वारा कागज संख्या 7/1ता7/4 कानूनी नोटिस की प्रति, कागज संख्या 8ग तामिला प्रार्थना पत्र, कागज संख्या 9 ट्रैक कन्साइन्मेन्ट रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 15 परिवादिनी का शपथ पत्र, कागज संख्या 16 परिवादिनी का आधार कार्ड की छायाप्रति, कागज संख्या 12 परिवादिनी की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों की सूची, कागज संख्या 13/1 पेमेन्ट डिटेल, कागज संख्या 13/2 लगायत 13/7 ऋणखाता का स्टेटमेन्ट 13/8 एन.ओ.सी. की प्रति, कागज संख्या 13/9 एरिया मैनेजर एल.आई.सी. गोरखपुर को लिखे गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या चालू खाता के चेक की छायाप्रति, कागज संख्या 13/16ता13/19 ट्रैक कन्साइन्मेन्ट की प्रति तथा कागज संख्या 14 परिवाद से सम्बन्धित घटनाक्रम का ब्यौरा प्रस्तुत किया गया है।
चूंकि परिवाद के प्रति उत्तर में विपक्षी द्वारा जवाबदावा तामिला पर्याप्त दिनांक 25.06.2021 को हो जाने के बाद भी निर्धारित समय के अन्दर प्रस्तुत नहीं किया जा सका। ऐसी स्थिति में दिनांक 22.09.2021 को परिवाद के सन्दर्भ कार्यवाही एक पक्षीय अग्रसारित की जा चुकी है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित होकर परिवाद के सन्दर्भ में अपना एक पक्षीय बहस सुनाया, जिसे सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। पत्रावली के अवलोकन से परिवाद के सन्दर्भ में विपक्षी प्रथम पक्ष की लापरवाही स्पष्ट रूप से साबित होती है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 01 को यह आदेशित किया जाता है कि वह अन्दर 30 दिन परिवादिनी को हुए नुकसान रुपए 58,100/- (रु. अट्ठावन हजार एक सौ मात्र) परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज की दर से अदा करे तथा विपक्षी संख्या 01 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को खर्चा मुकदमा रुपए 4,000/- (रु. चार हजार मात्र) भी अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 21.10.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.