Uttar Pradesh

StateCommission

A/2622/2018

Postmaster General - Complainant(s)

Versus

Lalta Prasad - Opp.Party(s)

Dr. Udai Veer Singh

10 Apr 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2622/2018
( Date of Filing : 20 Nov 2018 )
(Arisen out of Order Dated 12/09/2018 in Case No. C/40/2018 of District Budaun)
 
1. Postmaster General
Budaun
...........Appellant(s)
Versus
1. Lalta Prasad
Budaun
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Apr 2023
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2622/2018

(जिला आयोग, बदायूँ द्वारा परिवाद संख्‍या-40/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.9.2018 के विरूद्ध)

                                    

1.    पोस्‍ट मास्‍टर जनरल, बरेली रीजन, बरेली।

2.    सुप्रीटेंडेंट आफ पोस्‍ट आफिसेस, बदायूँ डिवीजन, बदायूँ।

अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

                                               बनाम        

लालता प्रसाद पुत्र होरी सिंह, निवासी ग्राम व पोस्‍ट मोगर, तहसील व जिला बदायूँ।

       प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित           : डा0 उदय वीर सिंह, विद्वान

                                                            अधिवक्‍ता के कनिष्‍ठ सहायक 

                                                            श्री श्रीकृष्‍ण पाठक।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित                  : श्री संजय जायसवाल,

                                                            विद्वान अधिवक्‍ता

दिनांक:   29.05.2023

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-40/2018, लालता प्रसाद बनाम पोस्‍ट मास्‍टर जनरल तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, बदायूँ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 12.9.2018 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है :-

           '' परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 2 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसके टी.डी. खाता सं0 3148153805 में मु0 13,50,000/- तथ टी.डी. खाता सं0 3147853430 एवं टी.डी. खाता सं0 3147882409 में मु0 75,000/- 75,000/- जमा राशियां दि0 19.01.16 से और टी.डी. खाता सं0 321505191 में मु0 1,00,000/- जमाराशि दि0 16.03.16 से तथा सेविंग एकाउंट नं0 3147007239 में जमाराशि मु0 902/- मय निर्धारित वार्षिक ब्‍याज के साथ भुगतान करे। विपक्षी सं0 2 परिवादी को वाद व्‍यय में मु0 1000/- का भी भुगतान करे। आदेश का अनुपालन निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर किया जावे। ''

2.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी द्वारा अपने विभिन्‍न खातों में, जिनका उल्‍लेख ऊपर मौजूद है, में सेवानिवृत्ति के बाद प्राप्‍त होने वाली राशि जमा की थी तथा पेन्‍शन भी खाते में आती है, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा इस धनराशि को इस आधार पर देने से इंकार कर दिया कि परिवादी के पुत्र अरविन्‍द कुमार, जो डाक घर में कार्यरत रहे हैं, उन पर नियम 14 के अंतर्गत जांच चल रही है, इसलिए भुगतान नहीं किया जा सकता, जबकि परिवादी की आयु 65 वर्ष है और उनकी दो बेटियां क्रमश: 21 वर्ष एवं 24 वर्ष शादी योग्‍य हैं। परिवादी अरविन्‍द कुमार पर आश्रित नहीं है, इसलिए परिवादी की जमा रकम को किसी नियम के तहत नहीं रोका जा सकता। विपक्षीगण द्वारा जिस रिट याचिका का हवाला दिया गया है, उसमें कर्मचारी की पत्‍नी कर्मचारी पर आश्रित थी। माननीय उच्‍च न्‍यायालय द्वारा रिट याचिका संख्‍या-33207/06 में पारित आदेश परिवादी पर लागू नहीं है। परिवादी अपने द्वारा जमा राशि निकालने के लिए स्‍वतंत्र है।

3.         विपक्षीगण की ओर से विद्वान जिला आयोग के समक्ष कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य के आधार उपर उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

4.         इस निर्णय एवं आदेश को विपक्षीगण द्वारा इन आधारो पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है। परिवादी का पुत्र सह खातेदार है और उनके पुत्र द्वारा धोखा कारित किया गया है, इसलिए जांच विचाराधीन है, इसलिए टी.डी. खाते से निकासी रोक दी गई है। सी.सी.एस. नियम 14 के अंतर्गत सह खातादार होने पर खाते की निकासी रोकने का प्रावधान है। विद्वान जिला आयोग द्वारा इस व्‍यवस्‍था में कोई बाधा उत्‍पन्‍न नहीं की जा सकती। यह प्रकरण उपभोक्‍ता मंच द्वारा संधारणीय नहीं है।

5.         अपीलार्थीगण तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

6.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि चूंकि परिवादी के पुत्र का परिवादी के साथ सह खाता है और परिवादी का पुत्र अरविन्‍द कुमार डाक विभाग में तैनात रहे हैं, उनके विरूद्ध धोखा-धड़ी के आधार पर जांच विचाराधीन है, इसलिए विद्वान जिला आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। यथार्थ में नियम 14 के अंतर्गत यह व्‍यवस्‍था नहीं है कि सह खातादार को उसके द्वारा जमा राशि निकालने का अधिकार नहीं है। इस स‍ह खाते में परिवादी द्वारा जो राशि जमा की गई है। परिवादी को इस राशि को निकालने का पूर्ण अधिकार है, क्‍योंकि परिवादी अपने पुत्र अरविन्‍द कुमार पर आश्रित नहीं है, इसलिए जांच लम्बित होने मात्र से परिवादी को जीवन यापन के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। किसी सेवानिवृत्‍त कर्मचारी द्वारा जीवन यापन के उद्देश्‍य से पेन्‍शन प्राप्‍त की जाती है। अत: पेन्‍शन राशि की निकासी या पुत्रियों के विवाह पर विवाह के उद्देश्‍य से जमा की गई राशि को निकालने से रोकना परिवादी के जीवन यापन के अधिकार का स्‍पष्‍ट उल्‍लंघन है। अत:  विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने

 

 

का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

7.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।                           

    पक्षकार व्‍यय भार स्‍वंय अपना-अपना वहन करेंगे।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

   (सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

     सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

           निर्णय एवं आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

  सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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