Uttar Pradesh

StateCommission

A/63/2018

Meerut Institute of Engineering and Technology - Complainant(s)

Versus

Lalit Kumar Chaursiya - Opp.Party(s)

Tara Gupta

24 May 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/63/2018
( Date of Filing : 10 Jan 2018 )
(Arisen out of Order Dated 12/09/2017 in Case No. C/437/2008 of District Meerut)
 
1. Meerut Institute of Engineering and Technology
Bypass Road Near Partapur Distt. Meerut Through Manager
...........Appellant(s)
Versus
1. Lalit Kumar Chaursiya
S/O Sri Suresh Kumar Chaurasiya R/O 75 Shiv Shanker Puri Meerut
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 24 May 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-63/2018

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या 437/2008 में पारित आदेश दिनांक 12.09.2017 के विरूद्ध)

Meerut Institute of Engineering and Technology (M.I.E.T), Bypass Road, Near Partapur, District-Meerut, through Manager.                                  

                              ...................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

Lalit Kumar Chaurasiya, S/o Shri Suresh Kumar Chaurasiya, R/o 75, Shiv Shanker Puri, Meerut.

                             ......................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : सुश्री तारा गुप्‍ता,                               

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री रवीन्‍द्र सिंह,                                

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 30.07.2019  

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-437/2008 ललित कुमार चौरसिया बनाम मेरठ इंस्‍टीट्यूट आफ इन्‍जीनियरिंग एण्‍ड टैक्‍नोलौजी में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मेरठ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 12.09.2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

 

 

-2-

''परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद विरूद्ध विपक्षी आंशिक रूप से स्‍वीकृत किया जाता है।

विपक्षी मेरठ इंस्‍टीट्यूट आफ इन्‍जीनियरिंग एण्‍ड टैक्‍नोलौजी (एम.आई.ई.टी) मेरठ को निदेशित किया जाता है कि वह उसके द्वारा जमा की गई फीस की धनराशि अकंन-30,670/-रूपये (तीस हजार छ: सौ सत्‍तर रूपये) मय 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज नवम्‍बर, 2007 से भुगतान तिथि तक, मानसिक व शारीरिक कष्‍ट के सम्‍बन्‍ध में अकंन-5,000/-रूपये (पॉंच हजार रूपये) क्षति धनराशि एवं अकंन-2,000/-रूपये (दो हजार रूपये) परिवाद व्‍यय इस निर्णय की दिनॉंक से एक माह के अन्‍दर अदा करे।''

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी मेरठ इंस्‍टीट्यूट आफ इन्‍जीनियरिंग एण्‍ड टैक्‍नोलौजी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री तारा गुप्‍ता उपस्थित आईं हैं। प्रत्‍यर्थी को रजिस्‍टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी है, जो अदम तामील वापस नहीं आयी है। अत: 30 दिन का समय बीतने के पश्‍चात् नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माना गया है। फिर भी प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: प्रत्‍यर्थी की अनुपस्थिति में मैंने अपीलार्थी की विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपीलार्थी की विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुनकर  निर्णय

 

-3-

सुरक्षित रखे जाने के बाद प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री रवीन्‍द्र सिंह ने लिखित तर्क प्रस्‍तुत किया है। मैंने प्रत्‍यर्थी की तरफ से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं  कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने  अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं एम0एस0सी0 माईक्रो बॉयोलॉजी में प्रवेश हेतु दिनांक 18.07.2007 को 5000/-रू0 जमा कर पंजीकरण कराया और दिनांक 06.08.2007 को 25,670/-रू0 बकाया फीस  पूरे साल की जमा किया। इस प्रकार उसने कुल 30,670/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं जमा किया। फीस जमा करते समय अपीलार्थी/विपक्षी ने बताया कि चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय की गाइड लाइन के आधार पर प्रवेश परीक्षा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को देनी होगी। प्रवेश परीक्षा चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय द्वारा ही ली जायेगी और उसमें पास होने पर ही उसका प्रवेश एम0एस0सी0 माईक्रो बॉयोलॉजी में माना जायेगा। प्रवेश परीक्षा अक्‍टूबर 2007 में होनी थी और ति‍थि बाद में 16 व 17 अक्‍टूबर 2007 निर्धारित की गयी।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय द्वारा आयोजित उपरोक्‍त प्रवेश परीक्षा के पूर्व अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का प्रवेश लिया जाना अवैध था। 

 

-4-

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय मेरठ द्वारा प्रेषित पत्रांक                सामान्‍य-2/232 दिनांक 10.10.2007, जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिनांक 15.10.2007 को प्राप्‍त हुआ, में यह वर्णन था कि विश्‍वविद्यालय द्वारा उपरोक्‍त पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु दिनांक 16 एवं 17 अक्‍टूबर 2007 को आयोजित प्रवेश परीक्षा को अपरिहार्य कारणों से निरस्‍त कर दिया गया है और दिनांक 27.10.2007 तक प्रवेश सीट की उपलब्‍धता के आधार पर अपीलार्थी/विपक्षी ले लें, परन्‍तु परिवाद पत्र के अनुसार यह पत्र प्राप्‍त होने के पूर्व ही  दिनांक 10.10.2007 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को मूल रसीदें देकर प्रवेश परीक्षा से अपना नाम कटवा लिया था और अपनी फीस वापस करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी से निवेदन किया था। परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी ने अन्‍य विद्यार्थियों जिसमें सचिन नाम का विद्यार्थी भी है को फीस वापस कर               दी, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी की फीस वापस नहीं की। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से दिनांक 05.04.2008 को अपीलार्थी/विपक्षी को रजिस्‍टर्ड नोटिस भेजा जो उस पर तामील हुई। फिर भी अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की फीस वापस नहीं की। अत: क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और जमा धनराशि 30,670/-रू0 ब्‍याज सहित वापस दिलाये जाने की मांग की है। साथ ही क्षतिपूर्ति व वाद व्‍यय भी मांगा है।

 

-5-

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि विश्‍वविद्यालय द्वारा 16 व 17 अक्‍टूबर को होने वाली प्रवेश परीक्षा को अपरिहार्य कारणों से निरस्‍त कर दिया गया था और दिनांक 27.10.2007 तक प्रवेश सीट की उपलब्‍धता के आधार पर अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं दिया जाना था।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन असत्‍य है कि उसने दिनांक 10.10.2007 को प्रवेश परीक्षा से अपना नाम कटवा लिया था और फीस वापसी के लिए आवेदन किया था।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 10.10.2007 को एक प्रार्थना पत्र केवल इस आशय का दिया था कि उसे अगले दिन होने वाली काउंसलिंग के लिए सभी मूल प्रमाण पत्रों की आवश्‍यकता है, जिस पर सदभावना पूर्वक विश्‍वास करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी ने उसे समस्‍त प्रपत्र वापस कर दिये थे।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी स्‍वयं ही चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप प्रवेश लेने नहीं आया है और उसने बाद में असत्‍य कथनों पर आधारित प्रार्थना पत्र प्रेषित किया है। जमा किये गये शुल्‍क को वापस किये जाने का कोई प्रावधान नहीं                  है।

 

-6-

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित है।

अपीलार्थी/विपक्षी की विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।

अपीलार्थी/विपक्षी की विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के इंस्‍टीट्यूट में प्रवेश न लेने के कारण सीट खाली रह जायेगी जिससे अपीलार्थी/विपक्षी को आर्थि‍क क्षति होगी। अत: अपीलार्थी/विपक्षी से प्रत्‍यर्थी/परिवादी जमा फीस वापस पाने का अधिकारी नहीं है।

मैंने अपीलार्थी/विपक्षी की विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं एम0एस0सी0 माईक्रो बॉयोलॉजी में प्रवेश हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी से दिनांक 18.07.2007 व दिनांक 06.08.2007 को दो तिथियों में 30,670/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी के इंस्‍टीट्यूट में जमा कराया गया था, परन्‍तु प्रवेश चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय के निर्देशानुसार प्रवेश परीक्षा के बाद होना था। यह तथ्‍य भी निर्विवाद है कि चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय मेरठ ने दिनांक 16 व 17 अक्‍टूबर 2007 को होने वाली प्रवेश परीक्षा को अपरिहार्य कारणों से निरस्‍त कर दिया और उसके बाद प्रवेश सीट की उपलब्‍धता के आधार  पर

 

-7-

अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा दिनांक 27.10.2007 तक दिया जाना था।

चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा विश्‍वविद्यालय के पत्र दिनांक 10.10.2007 के द्वारा निरस्‍त की गयी है और अपीलार्थी/विपक्षी को सीट की उपलब्‍धता के आधार पर प्रवेश लेने का अधिकार दिया गया है, परन्‍तु चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय के पत्र दिनांक 10.10.2007 के बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रवेश दिया जाना नहीं बताया गया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं उपरोक्‍त धनराशि दिनांक 18.07.2007 व दिनांक 06.08.2007 को जमा की है। उस वक्‍त तक प्रत्‍यर्थी/परिवादी को विद्यालय में विधिवत् प्रवेश नहीं दिया गया है और अपीलार्थी/विपक्षी के इंस्‍टीट्यूट में उसका प्रवेश चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय मेरठ की प्रवेश परीक्षा के परिणाम के अधीन रहा है, परन्‍तु चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा निरस्‍त कर दी गयी है और परीक्षा निरस्‍त किये जाने के बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी को विधिवत् अपीलार्थी/विपक्षी के इंस्‍टीट्यूट में प्रवेश दिया जाना नहीं बताया गया है। ऐसी स्थिति में यह मानने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की अपीलार्थी/विपक्षी के इंस्‍टीट्यूट में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है और प्रक्रिया पूरी होने के पहले ही उसने अपनी जमा फीस की धनराशि वापस चाही है। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/विपक्षी के इंस्‍टीट्यूट द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के प्रवेश के पहले जमा अग्रिम धनराशि उसे वापस

 

-8-

न किया जाना अपीलार्थी/विपक्षी के इंस्‍टीट्यूट की सेवा में कमी है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम फोरम ने जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जमा धनराशि 30,670/-रू0 ब्‍याज के साथ प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वापस करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है, वह उचित है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

जिला फोरम ने जो 2000/-रू0 वाद व्‍यय प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलाया है वह उचित है, परन्‍तु जिला फोरम ने जो 5000/-रू0 शारीरिक व मानसिक कष्‍ट हेतु प्रदान किया है वह अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान किया गया 5000/-रू0 अपास्‍त किया जाता है।

जिला फोरम के निर्णय का शेष अंश यथावत् कायम रहेगा।

उभय पक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जायेगी।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                  अध्‍यक्ष                      

जितेन्‍द्र आशु0,

कोर्ट नं0-1    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.