न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 36 सन् 2015ई0
रामनरायन सिंह पुत्र श्री मैनेजर सिंह निवासी देवढी पो0 दाउदपुर तहसील जमनियां जिला गाजीपुर।
...........परिवादी बनाम
1-वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम मुगलसराय,चन्दौली।
2-वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम गौरीगंज भेलूपुर वाराणसी।
.............................विपक्षी
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
शशी यादव, सदस्या
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमा की धनराशि रू0 1,10173/- व मानसिक एवं शारीरिक क्षति हेतु रू0 100000/- मय व्याज दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- परिवादी ने संक्षेप में कथन किया है कि उसने विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम की शाखा मुगलसराय से एक बीमा पालिसी दिनांक 30-3-2007 को लिया जिसकी पालिसी संख्या 284997534 है। जिसका प्रीमियम नियमित रूप से अदा करता था। परिवादी ने अपनी आवश्यकता को देखते हुए उक्त पालिसी दिनांक 8-12-2014 को सरेण्डर करते हुए बीमा के धनराशि का भुगतान यूनियन बैंक आफ इण्डिया अभईपुर गाजीपुर के बचत खाता संख्या 462102010002734 में करने हेतु विपक्षी के यहाॅं आवेदन दिया। परिवादी के सरेण्डर वैल्यू रू0 110173/- का भुगतान दिनांक 27-12-14 को होना था। परिवादी भुगतान हेतु विपक्षी के कार्यालय में बार-बार जाता रहा और विपक्षी द्वारा परिवादी को आश्वासन दिया जाता रहा किन्तु सरेण्डर वैल्यू का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी को विपक्षी के कार्यालय से दिनांक 22-4-2015 को पता लगा कि परिवादी के बीमा के सरेण्डर वैल्यू का भुगतान परिवादी के नाम के दूसरे व्यक्ति जो कानपुर का रहने वाला है उसके सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा बिन्दकी कानपुर के खाता संख्या 3384262912 में गलती से भेज दिया गया है। विपक्षी की ओर से परिवादी से कहा गया कि एक माह इन्तजार करें आपका पैसा वापस आ जायेगा। तब परिवादी ने दिनांक 28-5-2015 को रजिस्टर्ड नोटिस भेजकर विपक्षी से भुगतान का आग्रह किया लेकिन विपक्षी बीमा कम्पनी ने कोई कार्यवाही नहीं किये। परिवादी बार-बार विपक्षी के शाखा कार्यालय का चक्कर लगाता रहा किन्तु कोई परिणाम नहीं मिला। तदोपरान्त विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी ने दिनांक 22-6-2015 को भुगतान करने से साफ तौर से इन्कार कर दिया। तत्पश्चात परिवादी द्वारा यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
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3- विपक्षी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी से अतिरिक्त धनराशि वसूलने हेतु दाखिल किया गया है जो सरासर गलत एवं विधि तथा न्याय की मंसा के विपरीत है। परिवादी ने
बीमा कम्पनी से उपरोक्त बीमा पालिसी दिनांक 30-3-2007 को लिया था जिसका नियमित प्रीमियम रू0 10000/- वार्षिक था। उक्त बीमा पालिसी की परिपक्वता तिथि दिनांक 00-03-2027 थी। परिवादी ने परिपक्वता तिथि 00-3-2027 के पूर्व अपनी उपरोक्त पालिसी को दिनांक 8-12-2014 को सरेण्डर कर दिया तथा याचना की कि परिवादी की उक्त बीमा पालिसी की परिपक्वता तिथि के पूर्व 2014-15 में सरेण्डर स्वीकार करके उसका भुगतान परिवादी को कर दिया जाय। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के प्रस्तुत सरेण्डर पालिसी बाण्ड के आधार पर परिवादी द्वारा जमा प्रिमियम के आधार पर परिवादी को मु0 1,10,173/- के भुगतान का चेक दिनांक 27-12-2014 को जरिये डाक से भेज दिया। किन्तु लिपीकीय त्रुटि के कारण चेक संख्या 9999999 दिनांक 27-12-14 खाता संख्या 462102010002734 बचत खाता धारक रामनरायन सिंह पुत्र मैनेजर सिंह यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा अभईपुर ब्लाक जमनिया जिला गाजीपुर न जाकर बचत बैंक खाता संख्या 3384262912 खाताधारक मनोज कुमार पुत्र राजेन्द्र प्रसाद ग्राम बैरमपुर पो0 डामा जिला फतेहपुर के बिन्दकी शाखा सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया में चला गया। जिसका भुगतान मनोज कुमार द्वारा अपने खाते में प्राप्त कर समस्त धनराशि ए0टी0एम0 के द्वारा आहरित कर लिया है। उक्त लिपिकीय त्रुटि एवं गलत व्यक्ति मनोज कुमार द्वारा भुगतान प्राप्त करने के सम्बन्ध में विभागीय कार्यवाही की जा रही है। जिसके सम्बन्ध में लगातार पंजीकृत डाक से पत्राचार किया जा रहा है। उपरोक्त चेक के गलत पालिसी धारक को भुगतान के सम्बन्ध में विभागीय जांच करायी जा रही है। विभागीय रिर्पोट प्राप्त होने के उपरान्त परिवादी को तत्काल उसकी समस्त देय धनराशि मु0 110173/- मय व्याज अदा करने के लिए विपक्षी सहर्ष तैयार है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत दावा बीमा कम्पनी द्वारा जांच रिर्पोट प्राप्त होने तक निलम्बित रखा जाना आवश्यक है, अस्तु मौजूदा दावा निरस्त किया जाय।
4- परिवादी की ओर से अपने परिवाद के समर्थन में परिवादी का शपथ पत्र दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी ने बीमा कम्पनी की प्राप्ति रसीद,प्रीमियम की रसीद,स्टेट्स रिर्पोट की प्रति, यूनियन बैंक के बैंक पासबुक की प्रति, परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेषित प्रार्थना पत्रों की छायाप्रतियाॅं दाखिल की गयी है। विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से साक्ष्य के रूप में नेपट इनक्वायरी की छायाप्रति,नेपट द्वारा रू0 1,10173/- के गलत पेमेन्ट का विवरण,सीनियर मैनेजर सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया बिन्दकी फतेहपुर को प्रेषित पत्र दिनांकित 17-7-15 की छायाप्रति,सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया द्वारा प्रेषित पत्र दिनांकित 27-7-15 की छायाप्रति,भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा मनोज कुमार पुत्र श्री राजेन्द्र प्रसाद को प्रेषित पत्र दिनांकित 13-8-15 की छायाप्रति दाखिल किया गया है।
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5- पक्षकारों की ओर से लिखित तर्क दाखिल है तथा उनके अधिवक्तागण की मौखिक बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का सम्यक परिशीलन किया गया।
6- परिवादी के अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया कि परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमा कराया था और उसकी किश्तें अदा करता रहा लेकिन निजी आवश्यकता के कारण उसने दिनांक 8-12-14 को अपनी बीमा पालिसी सरेण्डर कर दिया और बीमा कम्पनी से यह निवेदन किया कि उसके बीमा की धनराशि रू0 1,10,173/-का भुगतान यूनियन बैंक आफ इण्डिया की शाखा अभईपुर जिला गाजीपुर में परिवादी के खाते में किया जाय लेकिन विपक्षी ने परिवादी के खाते में भुगतान न करके किसी अन्य व्यक्ति के खाते में धनराशि का भुगतान कर दिया और बार-बार कहने व लिखित प्रार्थना पत्र व नोटिस दिये जाने के बावजूद परिवादी को पैसा नहीं दिया गया। अतः परिवादी बीमा पालिसी के तहत प्राप्त होने वाला धन मय व्याज तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षति तथा मुकदमें के खर्च हेतु क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है।
7- विपक्षी की ओर से लिखित तर्क व मौखिक बहस में यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमा करवाया था लेकिन उसने दिनांक 8-12-14 को अपनी पालिसी सरेण्डर कर दिया और उसका सरेण्डर स्वीकार करते हुए रू0 1,10,173/- का चेक परिवादी को पंजीकृत डाक द्वारा भेज दिया गया लेकिन लिपिकीय त्रुटि के कारण यह पैसा परिवादी के बैंक खाते में न जाकर मनोज कुमार पुत्र राजेन्द्र प्रसाद निवासी ग्राम बैरमपुर पो0 डामा जिला फतेहपुर के सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया के बिन्दकी शाखा में मौजूदा खाते में चला गया और मनोज कुमार ने ए0टी0एम0 के द्वारा अपने खाते से पैसा भी निकाल लिया। इस सम्बन्ध में विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से विभागीय कार्यवाही की जा रही है और पत्राचार किया जा रहा है। विभागीय जांच की रिर्पोट प्राप्त होने के उपरान्त परिवादी को मय व्याज पैसा अदा करने के लिए बीमा कम्पनी तैयार है लेकिन जबतक जांच रिर्पोट प्राप्त नहीं होती है तबतक परिवादी का दावा निलम्बित रखे जाने योग्य है और उसका परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
8- फोरम की राय में विपक्षी की ओर से दिये गये उपरोक्त तर्क में कोई बल नहीं पाया जाता है क्योंकि प्रस्तुत मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से अपना बीमा कराया था जिसे उसने सरेण्डर कर दिया है और बीमा कम्पनी ने परिवादी के सरेण्डर को स्वीकार करते हुए उसके नाम रू0 1,10,173/- का चेक भी जारी किया है, विपक्षी का यह कथन है कि इस चेक की धनराशि लिपीकीय त्रुटि के कारण परिवादी के खाते में न जाकर किसी मनोज कुमार पुत्र राजेन्द्र प्रसाद निवासी ग्राम बैरमपुर पो0 डामा जिला फतेहपुर के खाते में चली गयी है जिसके सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से विभागीय जांच करायी जा रही है। विपक्षी द्वारा विभागीय जांच कराये जाने से परिवादी के बीमा का पैसा प्राप्त
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करने का अधिकार न तो समाप्त होगा और न ही उसका दावा निलम्बित रखा जायेगा क्योंकि ऐसा कोई कानून विपक्षी की ओर से नहीं दिखाया गया है। फोरम की राय में परिवादी को यह विधिक अधिकार प्राप्त है कि वह अपनी बीमा पालिसी के तहत प्राप्त होने वाला पैसा सही समय पर प्राप्त करें किन्तु प्रस्तुत मामले में विपक्षी ने परिवादी के खाते में पैसा न भेजकर किसी अन्य व्यक्ति के खाते में पैसा भेज दिया है जो निश्चित रूप से सेवा में कमी माना जायेगा। ऐसी स्थिति में परिवादी अपनी बीमा पालिसी का पैसा मय व्याज विपक्षी से प्राप्त करने का अधिकारी है तथा वह शारीरिक एवं मानसिक कष्ट तथा मुकदमें के खर्चे की क्षतिपूर्ति भी प्राप्त करने का अधिकारी है और उसका दावा आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के अन्दर परिवादी को बीमा पालिसी के तहत प्राप्त होने वाला धन रू0 1,10,173/-(एक लाख दस हजार एक सौ तिहत्तर )उक्त धनराशि की देय तिथि से धनराशि अदा करने की तिथि तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज सहित अदा करें। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को रू0 10000/-(दस हजार) बतौर शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति तथा रू0 2000/-(दो हजार) बतौर खर्चा मुकदमा भी इसी अवधि में अदा करें।
(शशी यादव) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्या अध्यक्ष
दिनांक-26-2-2016