Uttar Pradesh

Chanduali

CC/55/2014

POOJA SINGH - Complainant(s)

Versus

L.I.C - Opp.Party(s)

OMPRAKASH SINGH

26 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/55/2014
 
1. POOJA SINGH
VILL&PO-JAMUNIPUR,DIS-CHANDAULI
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. L.I.C
MUGHALSARAI CHANDAULI
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 55                                सन् 2014ई0
पूजा सिंह स्व0 राजीव कुमार सिंह के./आ.कपिल देव सिंह ग्राम व पो0 जमुनीपुर जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादिनी                                                                                                                                    बनाम
1-वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक, भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा मुगलसराय, जिला चन्दौली।
2-वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय जीवन प्रकाश पो0 बा0 नं0 1155पी0/12/120 गौरीगंज भेलूपुर वाराणसी।
3-क्षेत्रीय प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम क्षेत्रीय कार्यालय 16/275गांधीनगर कानपुर 208001।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 शशी यादव, सदस्या
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादिनी ने यह परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमा पालिसी की धनराशि रू0 500000/-तथा मानसिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति हेतु 100000/- मय व्याज दिलाये  जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    परिवादिनी ने संक्षेप में कथन किया है कि परिवादिनी के पति ने क्षेत्रीय कार्यालय मुगलसराय से रू0 5,00000/- का बीमा कराया था जिसकी बीमा पालिसी संख्या 287162452 है जिसका प्रीमियम की धनराशि रू0 25592/- दिनांक 29-3-2010 को जमा करके रसीद प्राप्त किया था। परिवादिनी के पति की असामयिक मृत्यु हास्पिटल ले जाते समय रास्ते में ही  दिनांक 16-10-2010 को हो गयी।जिनका दाह संस्कार परिवादिनी के श्वसुर कपिलदेव सिंह द्वारा किया गया। परिवादिनी के पति के बीमा की धनराशि अप टू डेट थी। परिवादिनी ने अपने पति के मृत्यु के उपरान्त सही बातों को स्पष्ट करते हुए विपक्षी संख्या 1 के यहाॅं मृत्यु दावा प्रस्तुत किया। परिवादिनी के पति के मृत्यु दावा के सम्बन्ध में विपक्षी ने रजिस्टर्ड डाक द्वारा दिनांक 26-9-2011 द्वारा प्रपत्र की मांग किया जिसे परिवादिनी ने दिनांक 9-11-2011 को विपक्षी के शाखा में जमा कर दिया। परिवादिनी को आश्वासन के बावजूद दावा की फाइल मण्डल कार्यालय में भेजा गया। दावा के भुगतान में बिलम्ब होने पर परिवादिनी ने मण्डल कार्यालय में जाकर दावा के सम्बन्ध में पता किया तो बताया गया कि यहाॅं से कुछ नहीं होगा आप शाखा कार्यालय में जाइये। परिवादिनी के पास दो छोटे-छोटे बच्चे है और परिवादिनी के श्वसुर अतिवृद्ध है। विपक्षी के कार्यालय में आने जाने से आर्थिक तंगी होती है। परिवादिनी के पति के मृत्यु दावा को विपक्षी द्वारा दिनांक 28-11-2013 को अस्वीकार करते हुए परिवादिनी को डायरेक्सन दिया कि एक माह के अन्दर अपने दावा के पुर्न विचार हेतु क्षेत्रीय कार्यालय में अपना प्रार्थना पत्र दे। तत्पश्चात परिवादिनी ने पुनः दिनांक 23-12-2013 को प्रार्थना पत्र विपक्षी के क्षेत्रीय कार्यालय 
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कानपुर को प्रेषित किया जिसका जबाब आजतक नहीं दिया। तत् पश्चात परिवादिनी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 3-9-14 तथा दिनांक 28-10-2014 को विधिक नोटिस दिया जिसका जबाब विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया, तब परिवादिनी ने यह दावा प्रस्तुत करके उपरोक्त धनराशि को दिलाये जाने की प्रार्थना किया है।
3-    विपक्षीगण द्वारा जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया है कि परिवादिनी के पति ने दिनांक 29-3-2010 को उपरोक्त बीमा पालिसी लिया जिसकी प्रथम किस्त रू0 25592/- दिनांक 29-3-2010 को नगद जमा किया जिसकी पहली रसीद परिवादिनी के मृतक पति को दिया गया। परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 16-10-2010 को बीमा पालिसी लेने के 6 माह 18 दिन बाद हो गयी। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत मृत्यु दावा पर विपक्षी के गोपनीय विभाग द्वारा सम्पूर्ण तथ्यों के सम्बन्ध में विधिवत जांच कराया गया जिसमे यह तथ्य प्रकाश में आया कि परिवादिनी के पति 2 वर्ष से किडनी रोग से पीडित थे साथ ही मादक द्रव्य तथा शराब का नियमित सेवन करते थे जिससे पालिसी धारक का स्वास्थ्य अधिक खराब रहता था जिसकी वजह से परिवादिनी के पति की मृत्यु असमय हो गयी। परिवादिनी के मृतक पति ने बीमा पालिसी प्राप्त करते समय बीमा पालिसी की शर्त सं0 ।।(iv ),।।( viii)एवं ।।( ix)से इनकार करते हुए बीमा कम्पनी को धोखे में रखकर बीमा पालिसी प्राप्त किया था। परिवादिनी के पति को यह भलीभांति जानकारी थी कि उसकी मृत्यु अत्यन्त निकट है। गोपनीय जांच प्राप्त होने के उपरान्त परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत मृत्यु दावा को मण्डल कार्यालय द्वारा दिनांक 28-11-2013 को निरस्त करते हुए परिवादिनी को पंजीकृत डाक से सूचना भेज दी गयी है। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत मृत्यु दावा बलहीन निस्तेज व निष्प्रभावी है अतः दावा निरस्त करने हेतु प्रार्थना किया है।
4-    परिवादिनी की ओर से अपने अभिकथन के समर्थन में परिवादिनी का शपथ पत्र दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त गवाहान मनोज कुमार सिंह तथा शमशेर सिंह का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में बीमा की किश्त जमा करने की मूल रसीद, परिवादिनी पूजा सिंह द्वारा क्षेत्रीय प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम को प्रेषित पत्र दिनांकित 23-12-13 की प्रति तथा रजिस्ट्री की रसीद,वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा परिवादिनी पूजा सिंह को प्रेषित पत्र दिनांकित 28-11-13,जनसूचना अधिकार के अन्र्तगत दिये गये प्रार्थना पत्र की छायाप्रति,रजिस्ट्री की रसीदें,लीगल नोटिस दिनांकित 3-9-2014 की प्रतिलिपि तथा लीगल नोटिस दिनांकित 28-10-2014 की कार्बन प्रति एवं रजिस्ट्री की रसीदें दाखिल की गयी है। इसके अतिरिक्त परिवादिनी की ओर से बीमा निगम द्वारा परिवादिनी को प्रेषित पत्र दिनांकित 26-9-2011,पत्र दिनांकित 5-12-12  तथा पत्र दिनांकित 28-12-2013 की छायाप्रतियाॅं भी दाखिल की गयी है।

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5-    विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम की ओर से उनके विधि प्रबन्धक रविप्रकाश श्रीवास्तव का साक्ष्य शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में पंजीकृत पत्र दिनांकित 28-11-2013 जो वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक द्वारा परिवादिनी को प्रेषित किया गया है की छायाप्रति एवं तथाकथित गोपनीय जांच रिर्पोट दाखिल की गयी है। उभय पक्ष की बहस सुनी गयी तथा उनके द्वारा दाखिल लिखित तर्को एवं पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया।
6-    प्रस्तुत मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादिनी के पति राजीव कुमार सिंह ने अपना रू0 500000/- का बीमा विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम से दिनांक 29-3-2010 को कराया था और उसी दिन बीमा की किश्त रू0 25592/-अदा किया था यह भी स्वीकृत तथ्य है कि परिवादिनी के पति राजीव कुमार सिंह की मृत्यु दिनांक 16-10-2010 को हुई है। 
7-    परिवादिनी की ओर से उनके अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया गया है कि परिवादिनी के पति ने दिनांक 29-3-2010 को अपना बीमा कराकर बीमा की वार्षिक किश्त के रूप में रू0 25592/-जमा किया जिसकी रसीद दाखिल की गयी है। अतः बीमा उसी दिन से लागू हो गया और दिनांक 16-10-2010 जिस दिन परिवादिनी के पति की मृत्यु हुई है उस समय यह बीमा पूर्णतः वैधानिक रूप से अस्तित्व में था। अतः इस बीमा पालिसी के तहत परिवादिनी बीमा की धनराशि रू0 500000/-प्राप्त करने की अधिकारिणी है किन्तु उसके द्वारा अपने पति के मृत्यु के बाद बीमा धन प्राप्त करने हेतु जो क्लेम दाखिल किया गया वह विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया है कि परिवादिनी के पति मृत्यु के दो वर्ष पूर्व से किडनी रोग से पीडित थे तथा वे नियमित रूप से शराब का सेवन करते थे जिसके कारण उनका स्वास्थ्य अत्यधिक खराब रहता था, और इस तथ्य को छिपाकर बीमा कराया गया था। परिवादिनी के अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादिनी के पति कभी किडनी रोग से पीडित नहीं रहे और न ही कभी वे शराब का सेवन करते थे। इस सम्बन्ध में परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र दाखिल किया है तथा गवाहान मनोज कुमार सिंह व शमशेर सिंह जो परिवादिनी के गांव के ही रहने वाले है का शपथ पत्र दाखिल किया है। इन दोनों गवाहों ने अपने शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से यह कहा है कि परिवादिनी के पति राजीव कुमार सिंह काफी ह्स्टि पुष्ट व स्वस्थ्य युवक थे और वे किडनी रोग से पीडित नहीं थे और न ही शराब या मादक द्रव्य का सेवन करते थे। विपक्षी की ओर से ऐसा कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं दिया गया है जिससे यह साबित होसके कि परिवादिनी के पति बीमा कराने के दो वर्ष पहले से कीडनी रोग से पीडित थे और उनका इलाज चल रहा था तथा वे नियमित रूप से शराब का सेवन करते थे। इस प्रकार विपक्षी बीमा निगम ने परिवादिनी का क्लेम गलत ढंग से खारिज किया है जबकि परिवादिनी बीमा पालिसी के तहत रू0 500000/-प्राप्त करने की अधिकारिणी है इसके अतिरिक्त शारीरिक व मानसिक क्षति एवं वाद व्यय के रूप में रू0 

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1,00000/- प्राप्त करने की अधिकारिणी है और उसका परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
8-    इसके विपरीत विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया गया है कि प्रस्तुत मामले में परिवादिनी के पति राजीव कुमार सिंह ने बीमा की केवल एक किश्त ही जमा किया है और बीमा कराने के मात्र 6 माह 18 दिन बाद ही उनकी मृत्यु हो गयी। इसी से यह स्पष्ट है कि वे गम्भीर बीमारी से पीडित थे और इस तथ्य को छिपाते हुए और गलत सूचना देते हुए उन्होंने बीमा कराया था इस सम्बन्ध में विपक्षी बीमा निगम द्वारा गोपनीय जांच करायी गयी जिसकी रिर्पोट कागज संख्या 13/3 दाखिल है जिसमे यह कहा गया है कि परिवादिनी के पति राजीव कुमार सिंह दारू पीते थे और उनकी किडनी क्षतिग्रस्त थी अतः क्लेम निरस्त किया गया। विपक्षी के अधिवक्ता का तर्क है कि चूंकि परिवादिनी के पति ने तथ्यों को छिपाते हुए गलत सूचना देकर बीमा कराया था जबकि बीमा कराते समय वे कीडनी रोग से पीडित थे और नियमित शराब पीने के कारण उनका स्वास्थ्य अत्यधिक खराब रहता था ऐसी स्थिति में परिवादिनी का क्लेम बीमा कम्पनी ने सही ढंग से खारिज किया है और परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
9-    उभय पक्ष के अधिवक्तागण के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मामले में जिस समय परिवादिनी के पति की मृत्यु हुई उस समय बीमा पालिसी विधिक रूप से लागू थी जहाॅंतक बीमा कराते समय परिवादिनी के पति राजीव कुमार सिंह के कीडनी रोग से ग्रस्त होने तथा नियमित शराब पीने के कारण उनका स्वास्थ्य अत्यधिक खराब होने के तथ्य का प्रश्न है तो इस तथ्य को साबित करने का भार मुख्य रूप से विपक्षी पर ही है क्योंकि विधि का यह सुस्थापित सिद्धान्त है कि जो पक्ष किसी तथ्य का अभिकथन करता है उस तथ्य को सिद्ध करने का भार मूल रूप उसी पक्ष पर होता है किन्तु प्रस्तुत मामले में विपक्षी बीमा कम्पनी ने ऐसा कोई विश्वसनीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि बीमा कराने के दो वर्ष पूर्व से परिवादिनी के पति राजीव कुमार सिंह कीडनी रोग से ग्रस्त थे या नियमित रूप से अत्यधिक शराब पीने के कारण उनका स्वास्थ्य गम्भीर रूप से खराब हो चुका था इस सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से एक मात्र साक्ष्य कागज संख्या 13/3 दाखिल है जिसे विपक्षी की ओर से भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा करायी गयी गोपनीय जांच रिर्पोट कहा जा रहा है। इस दस्तावेज के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि यह सादे कागज पर कलम से लिखा हुआ दस्तावेज है जिस पर इसके किसी लेखक का कोई हस्ताक्षर नही है और न ही कोई तिथि अंकित है न किसी की कोई मुहर लगी है न भारतीय जीवन बीमा निगम का कही नाम है। अतः फोरम की राय में यह दस्तावेज कत्तई विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है और इसके आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि परिवादिनी के पति राजीव कुमार सिंह बीमा कराते समय कीडनी रोग से पीडित थे या नियमित शराब पीने के कारण उनका स्वास्थ्य अत्यधिक खराब हो चुका था इसके विपरीत परिवादिनी की ओर से परिवादिनी के 
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गांव के गवाहान मनोज कुमार सिंह तथा शमशेर सिंह का शपथ पत्र दाखिल किया गया है जो मृतक राजीव कुमार सिंह के पडोसी भी है और इन्होने अपने शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से यह कहा है कि राजीव कुमार सिंह कीडनी रोग से पीडित नहीं थे और न वे शराब पीते थे।
10-    यहाॅं यह भी तथ्य उल्लेखनीय है कि बीमा कम्पनी की ओर से परिवादिनी पूजा सिंह को दिनांक 26-9-11 एवं 5-12-2012 को जो पत्र भेजे गये है और जिनकी छायाप्रति परिवादिनी ने दाखिल किया है उनमे विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा यह कहा गया है कि परिवादिनी के पति राजीव कुमार सिंह का इलाज गलैक्सी अस्पताल वाराणसी तथा चन्दौली में कराया गया है और इसके विवरण की  परिवादिनी से मांग की गयी है जबकि परिवादिनी ने कही इलाज कराने से इन्कार किया है।अतः यदि वास्तव में परिवादिनी के पति का इलाज इन अस्पतालों में हुआ होता तो विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम सहजता से इन इलाजो का विवरण प्राप्त करके इस फोरम में दाखिल कर सकती थी या कम से कम इन साक्ष्यों को फोरम के माध्यम से तलब करा सकती थी किन्तु उनके द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है। इससे भी यही निष्कर्ष निकलता है कि परिवादिनी के पति का किडनी रोग से सम्बन्धित कोई इलाज किसी अस्पताल में नहीं हुआ था और इस सम्बन्ध में विपक्षीगण की ओर से किया गया अभिकथन गलत है।
    उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादिनी के पति की मृत्यु बीमा पालिसी के लागू रहते हुए ही हुई है ऐसी स्थिति में फोरम की राय में परिवादिनी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है और वह बीमा की धनराशि रू0 500000/- तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षति के रूप में रू0 5000/- एवं वाद व्यय के रूप में रू0 2000/- विपक्षीगण से प्राप्त करने की अधिकारिणी है इसके अतिरिक्त परिवादिनी को बीमा की प्राप्त होने वाली धनराशि पर दावा प्रस्तुतीकरण की तिथि से 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज दिलाया जाना भी न्यायोचित होगा।
                                आदेश
    परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी को उसके पति के बीमा पालिसी के अन्र्तगत प्राप्त होने वाली धनराशि रू0 500000/-(पांच लाख)तथा इस धनराशि पर दावा प्रस्तुतीकरण की तिथि 9-12-2014 से पैसा अदा करने तक 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज सहित आज से दो माह के अन्दर अदा करें। विपक्षीगण को यह भी आदेश दिया जाता है कि वे परिवादिनी को हुई शारीरिक व मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 5000/-(पांच हजार)तथा वाद व्यय के रूप में रू0 2000/-(दो हजार)भी इसी अवधि में अदा करें।
 (शशी यादव)                                       (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्या                                                अध्यक्ष
                                                    दिनंक 26-4-2016

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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