Uttar Pradesh

Chanduali

CC/43/2014

JITENDRA BHADUR SINGH - Complainant(s)

Versus

L.I.C - Opp.Party(s)

Pradeep kumar

15 Jun 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/43/2014
 
1. JITENDRA BHADUR SINGH
VILL- PIPRDAHAN. PO- DHINA DST-CHANDAULI
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. L.I.C
Mughalsarai Chandauli
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. jagdishwar Singh PRESIDENT
 HON'BLE MR. Markandey singh MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 43                                सन् 2014ई0
जितेन्द्र बहादुर सिंह पुत्र रामसकल सिंह ग्राम पीपरदहां पो0 धीना जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                   बनाम
1-शाखा प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा मुगलसराय जिला चन्दौली।
2-भारतीय जीवन बीमा निगम जरिये मण्डलीय प्रबन्धक मण्डल कार्यालय गौरीगंज भेलूपुर वाराणसी।
                                            .............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1-    परिवादी  द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से बीमा पालिसी की परिपक्वता तिथि दिनांक 28-3-15 की शर्त के अनुसार मार्च 2008 का मु0 7500/- व मार्च 2012 का मु0 10000/- मय ब्याज एवं शारीरिक मानसिक, वाद व्यय क्षति के रूप में मु0 85000/- दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2-    परिवादी की ओर से परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी ने विपक्षीगण से बीमा पालिसी संख्या 282673140 दिनांक 28-3-2000 मु0 25000/-का लिया था। मु0 1396/- छमाही किश्तों का भुगतान किया। बीमा के परिपक्वता की अवधि दिनांक 28-3-2015 थी। बीमा शर्त के अनुसार बीमा के प्रारम्भ की तिथि के चार वर्ष बाद मु0 7500/- एवं पुनः चार वर्ष बाद 7500/- तथा पुनः चार वर्ष के बाद मु0 10000/-तथा परिपक्वता तिथि पर सम्पूर्ण बोनस सहित अवशेष धनराशि भुगतान किये जाने का प्राविधान है। बीमा शर्त के अनुसार बीमा की तिथि दिनांक 28-3-2000 के चार वर्ष के बाद परिवादी को पहली किश्त की धनराशि मु0 7500/-प्राप्त हुई। किन्तु दूसरी किश्त वर्ष 2008 का मु0 7500/- एवं तीसरी किश्त वर्ष 2012 का मु0 10000/-विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को प्राप्त नहीं कराया गया। इसकी प्राप्ति के लिए विपक्षीगण के कार्यालय में परिवादी बराबर सम्पर्क करता रहा परन्तु परिवादी को विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा वर्ष 2008 में मु0 7500/- एवं वर्ष 2012 का मु0 10000/- का भुगतान अबतक नहीं किया गया है। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से सूचना अधिकार अधिनियम के अन्र्तगत दिनांक 15-2-2014 सूचना मांगा जिसकी सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी ने दिनांक 21-3-14 को परिवादी को उपलब्ध कराया कि दिनांक 28-3-2008 को चेक संख्या 663059 मु0 7500/- काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक शाखा अलीनगर चन्दौली में नगदीकरण कराया गया है तथा मार्च 2012 के चेक संख्या 6022446 दिनांक 28-3-12 मु0 10000/-का नगदीकरण दिनांक 20-4-2012 को हुआ है परन्तु किस बैंक में हुआ है इसका उल्लेख नहीं है। विपक्षी द्वारा परिवादी को कभी भी उक्त चेक  उपलब्ध नहीं कराया है और न ही किसी के माध्यम से प्राप्त हुआ है। परिवादी का कोई खाता काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक में नहीं है। विपक्षीगण ने वास्तविक लाभार्थी को उपरोक्त धनराशि का भुगतान न 
                                                                                     2
करके सेवा में कमी किया गया है। इस आधार पर परिवादी द्वारा यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
3-    विपक्षीगण की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि उपरोक्त बीमा पालिसी के परिपक्वता अवधि के बाद बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को मु0 2,50000/- का भुगतान करना है। बीमा शर्तो के अनुसार बीमा पालिसी प्रारम्भ होने के चार वर्ष बाद चेक संख्या 1569 द्वारा मु0 7500/-  परिवादी के काशी गोमती ग्रामीण बैंक शाखा धीना जिला चन्दौली के खाता 61811201001569 में भेजा गया जिसे परिवादी ने प्राप्त होना स्वीकार किया है। बीमा शर्तो के अनुसार परिवादी को द्वितीय चेक संख्या 663059 मु0 7500/- खाता संख्या 363501050014015काशी गोमती ग्रामीण बैंक शाखा अलीनगर जिला चन्दौली जिसका भुगतान परिवादी को दिनांक 12-5-08 को व तृतीय चेक संख्या 6022446 मु0 10000/- दिनांक 28-3-2012 को काशी गोमती ग्रामीण बैंक शाखा अलीनगर को भेजा गया है जो दिनांक 20-4-2012 को परिवादी को भुगतान किया गया है। यदि उपरोक्त दोनों चेकों का भुगतान परिवादी को नहीं हो पाया है तो बीमा धारक के खाते का विवरण अलीनगर बैंक से प्राप्त होने के बाद उक्त चेकों का भुगतान मय ब्याज करेगी। इस आधार पर विपक्षीगण द्वारा जबाबदावा प्रस्तुत किया गया है।
4-    परिवादी की ओर से फेहरिस्त के साथ साक्ष्य के रूप में प्रार्थना पत्र छायाप्रति कागज संख्या 4/1ता 4/2,सूचना अधिकार का पत्र 4/3,प्रार्थना पत्र 4/4ता 4/6,बीमा कम्पनी का पत्र 4/7 ता 4/8,पालिसी बाण्ड की छायाप्रति 4/9,नोटिस की प्रति 4/10ता 4/11,काशी गोमती ग्रामीण बैंक के पासबुक की छायाप्रति 4/13 दाखिल किया गया है। विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से डिसप्ले फार्म की मूल प्रति कागज संख्या 12/1ता 12/2दाखिल किया गया है।
5-    हम लोगों ने परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना है तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का भलीभांति परिशीलन किया है।
6-    परिवाद पत्र तथा विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर प्रस्तुत जबाबदावा के कथनों से यह निर्विवादित तथ्य है कि परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से मु0 25000/- का बीमा पालिसी संख्या 282673140 दिनांक 28-3-2000 को लिया था जिसकी परिपक्वता अवधि दिनांक 28-3-2015 थी तथा बीमा की छमाही किस्त मु0 1396/- था जिसका नियमित भुगतान परिवादी द्वारा किया गया। बीमा की शर्त के अनुसार बीमा पालिसी के प्रारम्भ के 4 वर्ष बाद मु0 7500/- बीमाधारक परिवादी को प्राप्त होना था जिसका भुगतान बीमा कम्पनी ने परिवादी को जरिये चेक संख्या 1569 परिवादी के काशी गोमती ग्रामीण बैंक शाखा धीना जिला चन्दौली के खाता 61811201001569 में कर दिया। परिवादी का कथन है कि बीमा की शर्तो के अनुसार 8 वर्ष बाद दूसरी किश्त मु0 7500/- वर्ष 2008 में एवं तीसरी किश्त वर्ष 2012 में मु0 10000/- का भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा नहीं किया गया। इस संदर्भ में विपक्षी बीमा कम्पनी ने जबाबदावा में कथन किया है कि दूसरी मु0 7500/- के 
                                                                                                      3
किश्त का भुगतान परिवादी को चेक संख्या 663059 द्वारा खाता संख्या363501050014015 काशी गोमती ग्रामीण बैंक शाखा अलीनगर,चन्दौली में दिनांक 12-5-08 को एवं तीसरी मु0 10000/- के किश्त का भुगतान इसी अलीनगर की शाखा में जरिये चेक संख्या 6022446 दिनांक 28-3-2012 को किया गया है। परिवादी का स्पष्ट कथन है कि उसका खाता काशी गोमती ग्रामीण बैंक शाखा धीना जिला चन्दौली में है जिसमे पहले किश्त मु0 7500/- का भुगतान स्वयं बीमा कम्पनी ने किया था। काशी गोमती ग्रामीण बैंक शाखा अलीनगर में परिवादी का न तो कोई खाता है और न ही उसने उपरोक्त दूसरे और तीसरे चेक का भुगतान आजतक प्राप्त किया है। परिवादी का इस बारे में स्पष्ट कथन है कि वह बीमा कम्पनी में जाकर लगातार इस तथ्य की जानकारी देता रहा कि काशी गोमती ग्रामीण बैंक अलीनगर में उसका कोई खाता नहीं है लेकिन बीमा कम्पनी के शाखा प्रबन्धक बार-बार आश्वासन देते रहे कि यह पता किया जा रहा है कि उपरोक्त दूसरे और तीसरे किश्त की धनराशि किसके खाते में जमा हुई है और यह ज्ञात होने पर उक्त दोनों किश्तों का भुगतान परिवादी को कर दिया जायेगा किन्तु कई वर्ष बीत जाने के बावजूद इस संदर्भ में कोई कार्यवाही विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा प्रबन्धक के द्वारा नहीं किया गया और इस तरह सेवा में घोर कमी किया गया है, जिससे उक्त धनराशि प्राप्त करने के लिए परिवादी सन् 2014 तक इन्तजार किया और अन्ततः मजबूर होकर उसे यह परिवाद दाखिल करना पडा। बहस के समय विपक्षी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता को कहा गया कि दूसरी किश्त मु0 7500/- और तीसरी किश्त मु0 10000/- परिवादी को भुगतान किये जाने का क्या प्रमाण विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत किया गया है तो उन्होंने यह स्पष्ट स्वीकार किया कि उपरोक्त दोनों किश्तों की धनराशि अलीनगर शाखा में किसी गलत एकाउण्ट में जमा हो गया है। इस बिन्दु पर पूछा गया कि जब परिवादी लगभग 8 वर्षो से भुगतान प्राप्त करने के लिए दौडता रहा तो उपरोक्त गलती को सुधार कर उसे उक्त दोनों बकाया किश्तों का भुगतान क्यों नहीं किया गया तो इसका कोई उत्तर विपक्षी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता नहीं दे सके। इस बारे में जबाबदावा में कहा गया है कि यदि परिवादी को उपरोक्त दोनों चेको का भुगतान नहीं हो पाया है तो बीमाधारक के खाता का विवरण अलीनगर बैंक से प्राप्त होने के बाद उक्त दोनों चेको का भुगतान बीमा कम्पनी करेगी। यह कथन करने के बावजूद इस संदर्भ में क्या कार्यवाही की गयी इसके बारे में फोरम को कोई जानकारी बीमा कम्पनी की ओर से प्राप्त नहीं करायी गयी है।
7-    उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि बीमा कम्पनी ने उपरोक्त पालिसी के अधीन परिवादी को वर्ष 2008 में प्राप्त होने वाला मु0 7500/- तथा वर्ष 2012 में प्राप्त होने वाला मु0 10000/- का भुगतान नहीं किया गया। यह चेक अलीनगर के किसी गलत खाते में निर्गत कर दिया गया है जबकि काशी गोमती ग्रामीण बैंक शाखा अलीनगर में परिवादी का कोई खाता नहीं है।उपरोक्त तथ्य अवगत कराये जाने के बावजूद बीमा कम्पनी के शाखा प्रबन्धक लगभग 6 वर्षो तक कोई कार्यवाहीं 
4
नहीं किये जिसके फलस्वरूप परिवादी को काफी आर्थिक क्षति हुई तथा उसे फोरम में दावा दाखिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा। जिसकी वजह से उसको मानसिक और शारीरिक परेशानी हुई। अतः परिवादी को उपरोक्त दोनों किश्तों की बकाया धनराशि मु0 17500/- दिलाया जाना न्यायोचित है। परिवादी को उक्त धनराशि क्रमशः वर्ष 2008 और 2012 में देय था जिसका भुगतान न होने की वजह से उसको काफी ब्याज की क्षति हुई है तथा बार-बार विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा में दौडना पड़ा। बार-बार निवेदन के बावजूद देय धनराशि का भुगतान करने का कोई प्रयास बीमा कम्पनी के शाखा प्रबन्धक ने नहीं किया। अतः इस संदर्भ में सम्यक रूप से विचारोपरान्त मु0 10000/- हर्जा तथा मु0 2500/- वाद व्यय दिलाया जाना न्यायोचित है। तद्नुसार परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
                          आदेश
    प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर परिवादी के बाकी दो किश्तों की धनराशि मु0 17500/-(सत्रह हजार पांच सौ) तथा हर्जा स्वरूप मु0 10000/-(दस हजार) एवं वाद व्यय के रूप में मु0 2500/-(दो हजार पांच सौ) कुल मु0 30000/-(तीस हजार) परिवाद प्रस्तुतीकरण की तिथि से आइन्दा भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करें। 

(मारकण्डेय सिंह)                                       (जगदीश्वर सिंह)
   सदस्य                                                 अध्यक्ष 
                                                   दिनांक 15-6-2015
 

 
 
[HON'BLE MR. jagdishwar Singh]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Markandey singh]
MEMBER

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