Uttar Pradesh

Chanduali

CC/22/2015

Arvind Kumar Yadav - Complainant(s)

Versus

L.I.C - Opp.Party(s)

Sanjay Sarma

21 Jan 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/22/2015
 
1. Arvind Kumar Yadav
Amodhpur Alinagar Mughalsarai Chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. L.I.C
Mughlsarai Chandauli
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 22                                सन् 2015ई0
अरविन्द कुमार यादव पुत्र लालता प्रसाद यादव निवासी अमोधपुर थाना अलीनगर जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-शाखा प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम,शाखा मुगलसराय, जिला चन्दौली।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 शशी यादव, सदस्या
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी द्वारा रू0 5000/- का चेक विलम्ब से देने के कारण उसके व्याज व शारीरिक,मानसिक क्षति हेतु रू0 10000/- एवं वाद व्यय हेतु रू0 2000/-के साथ दिलाये  जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    परिवादी ने संक्षेप में कथन किया है कि परिवादी ने विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम की शाखा मुगलसराय से दिनांक 31-3-2006 को एक बीमा ’’बीमा गोल्ड’’ पालिसी संख्या 284960704 रू0 50000/- 20 वर्षो के लिए कराया था। जिसका तिमाही किश्त रू0 527/- जमा करता था। परिवादी को बीमा कम्पनी द्वारा प्राप्त विद्यमानता हितलाभ के पैरा-3 के द्वारा 20 वर्षो की अवधि की पालिसी के लिए मनी बैक अर्थात प्रत्येक चार वर्षो के उपरान्त चैथे,आठवे,बारहवे एवं सोलहवे वर्ष में बीमा धन का 10 प्रतिशत 5000/-रू0 परिवादी/बीमित व्यक्ति को दिया जाना था। परिवादी को पालिसी जारी करने की तिथि से पालिसी की शर्तो के अनुसार मार्च 2010 में रू0 5000/- चार वर्षो के बाद बतौर चेक संख्या 0045525 दिया गया। परिवादी सन् 2010 के बाद लगातार अपने किश्त को जमा करता और अगला प्राप्त होने वाले मनीबैक के चेक का मार्च 2014 के अन्त तक इन्तजार करता रहा। परिवादी को जब मनीबैक का चेक अप्रैल 2014 तक नहीं मिला तो परिवादी ने विपक्षी के शाखा कार्यालय से सम्पर्क किया और विपक्षी द्वारा परिवादी को आश्वासन दिया गया कि आपका चेक डाक द्वारा अपने पते पर भेज दिया जायेगा कहकर वापस कर दिया। परिवादी काफी दिनों तक इन्तजार करने पर भी चेक परिवादी को प्राप्त नहीं हुआ तो परिवादी ने पुनः विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय से सम्पर्क किया तो बताया गया कि आपका चेक बनकर तैयार है किन्तु साहब बाहर गये है आते ही हस्ताक्षर कराकर आपके पते पर भेज दिया जायेगा। परिवादी काफी दिनों तक इन्तजार करके जनवरी सन् 2015 में विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय से सम्पर्क किया तो टाल-मटोल करते रहे। परिवादी को विपक्षी द्वारा काफी हैरान-परेशान करने के बाद दिनांक 27-3-2015 को चेक संख्या 076199 रू0 5000/- परिवादी के पते पर प्रेषित किया जो परिवादी को दिनांक 5-4-2015 को प्राप्त हुआ। इस प्रकार विपक्षी के लापरवाही व सेवा में कमी के कारण एक वर्ष बाद अप्रैल 2015 में चेक प्राप्त हुआ।
                                                                                             2
3-    विपक्षी को रजिस्टर्ड डाक से इस फोरम द्वारा नोटिस भेजी गयी जो उन पर तामिल भी हुई और उनके अधिवक्ता हाजिर आकर वकालतनामा दाखिल भी किये किन्तु उनकी ओर से जबाबदावा दाखिल नहीं किया गया। अतः यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय सुना गया।
4-    परिवादी की ओर से अपने परिवाद के समर्थन में परिवादी का शपथ पत्र दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी ने बीमा पालिसी बाण्ड की छायाप्रति,मार्च 2015 की रसीद की छायाप्रति,स्टेट्स रिर्पोट की छायाप्रति तथा दिनांक 27-3-2015 को जारी चेक की छायाप्रति दाखिल किया है।
5-    हम लोगों ने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एक पक्षीय बहस को सुना तथा सम्पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया जिससे यह स्पष्ट होता है कि परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से रू0 50000/- का बीमा दिनांक 28-3-2006 को कराया है और इस पालिसी के तहत परिवादी को प्रत्येक चैथे वर्ष बीमा धनराशि का 10 प्रतिशत अर्थात रू0 5000/- प्राप्त होना है। परिवादी के अभिकथन के मुताबिक पालिसी शुरू होने के 4 वर्ष बाद मार्च सन् 2010 में विपक्षी बीमा कम्पनी से उसे रू0 5000/-का चेक प्राप्त हुआ है और इसके बाद 8वे वर्ष अर्थात मार्च सन् 2014 में रू0 5000/- परिवादी को बीमा कम्पनी से प्राप्त होना था। बार-बार कहने पर भी बीमा कम्पनी ने समय से चेक नहीं दिया और लगभग 1 वर्ष बाद दिनांक 27-3-2015 को परिवादी को रू0 5000/- का चेक जारी किया जिसकी छायाप्रति परिवादी की ओर से दाखिल की गयी है। परिवादी के परिवाद एवं उसके द्वारा दाखिल साक्ष्य के विरूद्ध अवसर दिये जाने के बावजूद विपक्षी की ओर से कोई जबाबदावा दाखिल नहीं किया गया है ऐसी स्थिति में परिवादी का अभिकथन अखण्डित है एवं उसके द्वारा दिये गये साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को रू0 5000/- का जो चेक दिया है वह देय तिथि से 1 वर्ष बाद दिया है। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है। अतः परिवादी उक्त रू0 5000/- की धनराशि पर 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज प्राप्त करने का अधिकारी पाया जाता है। इसके अतिरिक्त फोरम की राय में परिवादी को रू0 500/-(पांच सौ) बतौर वाद व्यय एवं रू0 1000/-(एक हजार) बतौर शारीरिक एवं मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति हेतु दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है और इस प्रकार उसका परिवाद एक पक्षीय रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
                                                                                                 आदेश
परिवादी का परिवाद एक पक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा मुगलसराय को आदेशित किया जाता है कि वह 2 माह के अन्दर परिवादी को दिये गये रू0 5000/- पर 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से व्याज अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षी परिवादी को रू0 500/-(पांच सौ) बतौर वाद व्यय एवं रू0 1000/-(एक हजार) शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु भी इसी अवधि में अदा करेगा। यदि विपक्षी ऐसा 

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नहीं करते है तो उसे देय धनराशि पर आज से उपरोक्त धनराशि अदा करने की तिथि तक का 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज भी अदा करना होगा।

(शशी यादव)                                        (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्या                                                  अध्यक्ष
                                                         दिनांक 21-1-2016
    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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