राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
पुनरीक्षण संख्या :45/2009
(जिला मंच, प्रथम बरेली द्धारा परिवाद सं0-174/2007 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 04.02.2009 के विरूद्ध)
Dwarikesh Sugar Industries Ltd. Dwarikeshdham, P.S. & Tehsil Faridpur, District Bareilly Through its Power of Attorney Holder Shri Salil Swaroop Arya
........... Revisionist
Versus
Kuldeep Singh S/o Sri Sohan Pal Singh, R/o Simra Boripur, Tehsil & District Bareilly.
.......... Respondent
पुनरीक्षण संख्या :46/2009
(जिला मंच, प्रथम बरेली द्धारा परिवाद सं0-175/2007 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 04.02.2009 के विरूद्ध)
Dwarikesh Sugar Industries Ltd. Dwarikeshdham, P.S. & Tehsil Faridpur, District Bareilly Through its Power of Attorney Holder Shri Salil Swaroop Arya
........... Revisionist
Versus
Anil Singh S/o Sri Surendra Kumar Singh, R/o Simra Boripur, Tehsil & District Bareilly.
.......... Respondent
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से अधिवक्ता : मोहम्मद अल्ताफ मंसूर
प्रत्यर्थी की ओर से अधिवक्ता : श्री पी0एन0 भार्गव
दिनांक : 08-02-2016
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0-174/2007 कुलदीप सिंह बनाम द्वारिकेश शुगर इण्डस्ट्रीज में जिला मंच, प्रथम बरेली द्वारा इस आशय का आदेश पारित किया गया कि क्षेत्राधिकार सम्बन्धी प्रश्न का निस्तारण मूल परिवाद के साथ किया जायेगा और विपक्षी/पुनरीक्षणकर्ता की ओर से इस संदर्भ में उठाये गये तर्क को स्वीकार नहीं किया गया, जिससे क्षुब्ध होकर वर्तमान
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पुनरीक्षण (पुनरीक्षण सं0-45/2009) प्रस्तुत किया गया है एवं परिवाद सं0-175/2007 अनिल सिंह बनाम प्रबन्धक द्वारिकेश शुगर इण्डस्ट्रीज लिमिटेड में जिला मंच, प्रथम बरेली द्वारा उपरोक्त वर्णित निष्कर्ष दिया गया है, जिससे क्षुब्ध होकर विपक्षी/पुनरीक्षणकर्ता की ओर से पुनरीक्षण सं0-46/2009 योजित किया गया है।
उपरोक्त वर्णित दोनों पुनरीक्षण में उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण एक ही हैं और एक ही विवादित बिन्दु निहित है, अत: उपरोक्त वर्णित दोनों पुनरीक्षण का निस्तारण एक साथ किया जाना न्याय संगत है एवं पुनरीक्षण सं0-45/2009 मूल पुनरीक्षण के रूप में समझा जायेगा।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मोहम्मद अल्ताफ मंसूर तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री पी0एन0 भार्गव उपस्थित को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत आदेश एवं उपलब्ध अभिलेख का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
जिला मंच द्वारा पोषणीयता के संदर्भ में जो निष्कर्ष दिया गया है उसका निस्तारण मूल वाद के साथ किया जायेगा। इस संदर्भ में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा Secretary, Board of Secondary Education, Orissa Vs. Santosh Kumar Sahoo and Anr. (2010) 8 SCC 353 एवं T.K. Lathika Vs. Seth Karsandas Jamnadas (1999) 6 SCC 632 की नजीरों में इस आशय का स्पष्ट सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि जहॉ क्षेत्राधिकार और पोषणीयता के संदर्भ में आपत्ति उठाई जाती है, तो उसका निस्तारण सर्वप्रथम किया जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में जिला मंच द्वारा पारित आदेश इस टिप्पणी के साथ अपास्त किये जाने योग्य है कि जिला मंच द्वारा क्षेत्राधिकार और पोषणीयता के आधार पर जो आपत्ति उठाई गई है, उसका निस्तारण उभय पक्ष को सुनने के पश्चात विधिनुसार सर्वप्रथम किया जाय। अत: उपरोक्त वर्णित दोनों पुनरीक्षण स्वीकार करते हुए जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश अपास्त किये जाने योग्य हैं।
आदेश
उपरोक्त दोनों पुनरीक्षण स्वीकार करते हुए जिला मंच, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद सं0-174/2007 कुलदीप सिंह बनाम द्वारिकेश शुगर इण्डस्ट्रीज में पारित आदेश दिनांक 02.02.2009 एवं परिवादी परिवाद सं0-
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175/2007 अनिल सिंह बनाम प्रबन्धक द्वारिकेश शुगर इण्डस्ट्रीज लिमिटेड में पारित आदेश दिनांक 04.02.2009 इस निर्देश के साथ अपास्त किया जाता है जिला मंच उभय पक्ष को सुनने के पश्चात क्षेत्राधिकार एवं पोषणीयता की आपत्ति का निस्तारण सर्वप्रथम करना सुनिश्चित करेंगे।
इस निर्णय/आदेश की एक प्रमाणित प्रतिलिपि पुनरीक्षण सं0-46/2009 पर भी रखी जाय।
(जे0एन0 सिन्हा) (बाल कुमारी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2