Uttar Pradesh

StateCommission

A/1649/2016

Illyas - Complainant(s)

Versus

Kotak Mahindra Bank - Opp.Party(s)

Ritu Sood

18 Feb 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1649/2016
( Date of Filing : 24 Aug 2016 )
(Arisen out of Order Dated 11/08/2016 in Case No. C/83/2014 of District Rampur)
 
1. Illyas
Rampur
...........Appellant(s)
Versus
1. Kotak Mahindra Bank
New Delhi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Feb 2019
Final Order / Judgement

                                                                                                                                      सुरक्षि‍त

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                      अपील संख्‍या- 1649/2016

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, रामपुर द्वारा परिवाद संख्‍या- 83/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11-08-2016 के विरूद्ध)

 

इल्‍यास पुत्र श्री शाहनूर, निवासी ग्राम व पोस्‍ट गोसमपुर थाना पटवाई जिला रामपुर।

                                                                                                                 अपीलार्थी/परिवादी

                              बनाम 

1- दि कोटक महिन्‍द्रा बैंक लि0, 6 वैशाली इन्‍क्‍लेव, नियर गुलाब स्‍वीट्स पीतमपुरा न्‍यू दि‍ल्‍ली 110088

2- एस०बी०आई० जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 द्वारा ब्रांच मैनेजर, यूनिट नं० 414/414 ए एण्‍ड 413 सेकेण्‍ड फ्लोर के एस ट्रिडेन्‍ट 10 राना प्रताप मार्ग, लखनऊ।

                                                                                                     प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

मक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता श्रीमती रितु सूद

प्रत्‍यर्थी सं०2 की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता, श्री महेन्‍द्र कुमार

                                                       मिश्रा

 

दिनांक: 01-03-2019

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                            निर्णय

 

परिवाद संख्‍या- 83 सन् 2014 इल्‍यास बनाम कोटक महिन्‍द्रा बैंक लि0 व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, रामपुर  द्वारा  पारित  निर्णय और आदेश दिनांक 11-08-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

2

आक्षे‍पि‍त निर्णय के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवाद के परिवादी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री रितु सूद उपस्थित आयीं। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री महेन्‍द्र कुमार मिश्रा उपस्थित आए हैं। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अपीलार्थी की विद्वान अधिवक्‍ता ने कथन किया कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 से अपीलार्थी का समझौता हो चुका है। अत: प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विरूद्ध वह अपील वापस लेना चाहता है। इस बात का उल्‍लेख आदेश दिनांक 20-03-2017 में भी है।  

मैंने अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

मैंने उभय पक्ष के लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि वह ट्रक संख्‍या यू0पी0 22 टी/2444 का पंजीकृत स्‍वामी है और उसने यह ट्रक विपक्षी संख्‍या-1 कोटक महिन्‍द्रा बैंक लि0 से दिनांक          29-10-2012 को ऋण लेकर खरीदा था और वह ऋण धनराशि का 31,100/-रू० की दर से 15 मासिक किस्‍तों में भुगतान कर चुका है। अंतिम भुगतान उसने अप्रैल 2014 में किया है।

परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उसने अपने ट्रक का बीमा विपक्षी संख्‍या-2 एस०बी०आई० जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी से दिनांक 07-09-2013  से दिनांक 06-09-2014  तक  की अवधि  हेतु

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11,00,000/- रू० की धनराशि हेतु कराया था। परिवाद पत्र के अनुसार उसका यह ट्रक चोरी हो गया। ट्रक चोरी की सूचना उसने तुरन्‍त विपक्षी संख्‍या-2 के अधिकारियों  को उसी दिन कर दी थी। विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा क्‍लेम संख्‍या 91655 बताया गया गया था। उसके बाद वह विपक्षी संख्‍या-2 के कार्यालय का बराबर चक्‍कर लगाता रहा, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-2 की बीमा कम्‍पनी ने कोई सन्‍तोषजनक जवाब नहीं दिया और न ही बीमित धनराशि का भुगतान किया जिससे वह विपक्षी संख्‍या-1 फाइनांसर के ऋण की किस्‍तें अदा नहीं कर पाया।  अत: जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद प्रस्‍तुत कर निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

  •  यह कि विपक्षी प्रार्थी के ट्रक की बीमा धनराशि मुबलिग रूपया 11,00,000/- एवं 12 प्रतिशत ब्‍याज सहित विपक्षी संख्‍या-2 परिवादी को अदा करें।
  •  यह कि विपक्षी द्वारा क्‍लेम राशि का अब तक भुगतान न करने के कारण परिवादी को पहॅुंची मानसिक व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के रूप में 1,00,000/-रू० वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत ब्‍याज सहित विपक्षी संख्‍या-2 परिवादी को अदा करें।
  •  यह कि खर्चा परिवाद का परिवादी को दिलाया जाए।
  • यह कि कोई अन्‍य अनुतोष जो बहक परिवादी मुफीद हो परिवादी को दिलाया जाए।  

  जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्‍या-2 बीमा कम्‍पनी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है और कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादी ने गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया है। परिवादी कोई अनुतोष

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पाने का अधिकारी नहीं है। लिखित कथन में विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से कहा गया है कि जब परिवादी ने ट्रक नं० यू०पी० 22 टी/2444 चोरी होने के बाद क्‍लेम फार्म विपक्षी संख्‍या-2 के यहॉं प्रस्‍तुत किया तो पत्र दिनांक          28-06-2014 के द्वारा उससे ट्रक की मूल चाभियां, वाहन का मूल पंजीयन प्रमाण पत्र, ऋण भुगतान संबंधी प्रपत्र,  एन.सी. आर.वी. को प्रेषित पत्र, चोरी से संबंधित एफ०आई०आर० व फाइनल रिपोर्ट, इंश्‍योरेंश पालिसी से संबंधित मूल प्रमाण पत्र, एन.ओ.सी. फार्म नं० 35 जो फाइनेंसर द्वारा जारी किये गए, सरेण्‍डर स्लिप जो एस०बी०आई० जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी को दिये गये, परिवादी के चेक बुक से संबंधित कैंसिल चेक और कोटक महिन्‍द्रा बैंक लि0 द्वारा जारी लोन एकाउन्‍ट का स्‍टेटमेंट आदि अभिलेख मांगे गये। परन्‍तु अपीलार्थी/परिवादी ने कोई भी अभिलेख प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 को प्रस्‍तुत नहीं किया। लिखित कथन में विपक्षी प्रत्‍यर्थी/संख्‍या-2 की ओर से यह भी कहा गया है कि चोरी की घटना दिनांक 22-09-2013 की बतायी गयी है जबकि प्रथम सूचना रिपोर्ट तीन दिन बाद थाना सिविल लाइन्‍स रामपुर में दर्ज की गयी है साथ ही बीमा कम्‍पनी को भी विलम्‍ब से सूचना दी गयी है जो बीमा पालिसी की शर्त का उलंघन है। अत: इस आधार पर भी बीमा कम्‍पनी क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु उत्‍तरदायी नहीं है। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से कहा गया है कि बीमा पालिसी की शर्त के विपरीत अपीलार्थी/परिवादी का आचरण पाकर तथा चोरी की घटना को असत्‍य पाकर उसका क्‍लेम निरस्‍त कर दिया गया है और इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी/परिवादी को दिनांक 16-02-2015 को पत्र द्वारा सूचित कर दिया गया है।

 

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प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से लिखित कथन में कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से कोई लापरवाही, विलम्‍ब अथवा सेवा में कमी नहीं की गयी है। परिवादी ने गलत इरादे से परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 कोटक महिन्‍द्रा बैंक लि0  ने भी अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि अपीलार्थी/परिवादी ने वाहन खरीदने हेतु 8,00,000/-रू० का ऋण लिया था जिसका  लोन एग्रीमेंट नं० 481092 दिनांक 29-10-2012 है। अपीलार्थी/परिवादी के जिम्‍मा 7,64,400/- रू० की धनराशि अवशेष है जिसकी अदायगी हेतु वह उत्‍तरदायी है। अपीलार्थी/परिवादी का वाहन चोरी होने की दशा में भी परिवादी उक्‍त ऋण की धनराशि हेतु उत्‍तरदायी है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह माना है कि अपीलार्थी/परिवादी ने चोरी की सूचना पुलिस को विलम्‍ब से दी है और अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा वांछित सूचना बीमा कम्‍पनी को उपलब्‍ध नहीं कराया है। जिला फोरम ने यह भी माना है कि‍  अपीलार्थी/परिवादी द्वारा कथित ट्रक चोरी की घटना को पुलिस ने विवेचना में असत्‍य पाया है। जिला फोरम ने परिवाद उपरोक्‍त आधारों पर ही निरस्‍त कर दिया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी/परिवादी ने ट्रक चोरी की सूचना उसी दिन पुलिस थाना में दी है परन्‍तु पुलिस ने रिपोर्ट  उसी दिन दर्ज नहीं किया है, रिपोर्ट दिनांक 25-09-2013 को दर्ज की गयी है।  अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/परिवादी ने

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ट्रक चोरी की सूचना विपक्षी बीमा कम्‍पनी को चोरी के दिन ही दी है जिसका क्‍लेम नं०  91655 बताया गया है। अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा जो भी अभिलेख मांगे गये उसे अपीलार्थी/परिवादी ने उपलब्‍ध कराया है। अत: यह कहना उचित नहीं है कि अपीलार्थी/परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्‍पनी को अभिलेख उपलब्‍ध नहीं कराया है।

अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपील स्‍वीकार कर जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाए तथा अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किया जाए।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ पुलिस ने विवेचना में कथित चोरी की घटना असत्‍य पाया है। अत: प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकार करने हेतु उचित आधार है। अत: प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा रेप्‍युडिएट कर सेवा में कोई कमी नहीं की है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। अपीलार्थी/परिवादी ने ट्रक की कथित चोरी की सूचना पुलिस और बीमा कम्‍पनी दोनों को विलम्‍ब से दिया है और विलम्ब का कोई सन्‍तोषजनक कारण नहीं बताया है। अत: अपीलार्थी/परिवादी ने बीमा पालिसी की शर्त का उल्‍लंघन किया है। इसके साथ ही उसने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी को वांछित  अभिलेख  भी  उपलब्‍ध  नहीं  कराया है।  अत: विपक्षी  बीमा  

 

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कम्‍पनी  ने अपीलार्थी/परिवादी का दावा अस्‍वीकार कर कोई गलती नहीं की है। अपील बल रहित है और निरस्‍त होने योग्‍य है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा इस आधार पर रेप्‍युडिएट किया है कि पुलिस ने विवेचना में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा कथित ट्रक चोरी की घटना होना नहीं पाया है।

जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा रेप्‍युडिएट किये जाने के कथित आधार पर विचार किया है।

जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया है कि फाइनल रिपोर्ट दिनांक 11-10-2013 में उल्लिखित है कि " अब तक की विवेचना तथा सुरागरसी से घटना का होना नहीं पाया गया। आसपास की पूछताछ व मुखविर द्वारा जानकारी से घटना वहॉं होना नहीं पाया गया। अत: मुकदमा एक्‍सपंज किया जाता है। जुर्म खारिजा रिपोर्ट प्रेषित है। अत: मुकदमा द्वारा अंतिम रिपोर्ट संख्‍या– 278/13 समाप्‍त किया जाता है। स्‍वीकार करने की कृपा करें। "

जिला फोरम ने अपने आक्षेपित आदेश में उल्‍लेख कि‍या है कि पुलिस द्वारा प्रेषित अंतिम रिपोर्ट के विरूद्ध मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट रामपुर के न्‍यायालय में अपीलार्थी/परिवादी ने प्रोटेस्‍ट पिटीशन दायर किया जिसमें सी०जे०एम० रामपुर ने अंतिम आख्‍या निरस्‍त करने के बाद पुन: विवेचना कराए जाने का आदेश थाना सिविल लाइन्‍स की पुलिस को दिया है जो आदेश दिनांक 12-05-2014 है।

जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय में यह भी उल्‍लेख किया है कि थाना सिविल लाइन्‍स की पुलिस ने पुन: इस मामले की विवेचना की तथा अंतिम रिपोर्ट दिनांक 27-06-2014 को प्रेषित की और यह निष्‍कर्ष निकाला

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कि‍ "चोरी गये ट्रक का कोई पता नहीं चला और न ही कोई उम्‍मीद है। विवेचना समाप्‍त की जाती है।"

जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि‍ पुलिस के द्वारा बार-बार विवेचना कर इस ट्रक की चोरी की घटना को असत्‍य पाया गया। अत: प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2  का यह कथन सही है कि पुलिस ने इस मामले की विवेचना की और ट्रक संख्‍या- यू०पी० 22 टी/2444 की चोरी की घटना को असत्‍य पाया। अत: जिला फोरम ने यह माना है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा रेप्‍युडिएट किये जाने हेतु उचित आधार है।

अपीलार्थी/‍परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट के आदेश से जो पुन: विवेचना की गयी है उसमें उल्लिखित किया गया कि चोरी गये ट्रक का कोई पता नहीं चला और न ही कोई उम्‍मीद है। इससे यह स्‍पष्‍ट है कि ट्रक चोरी गया है परन्‍तु उसका पता नहीं चला है और न ही पता चलने की उम्‍मीद है। अत: ट्रक चोरी की घटना को असत्‍य मानने हेतु उचित आधार नहीं है।

मैंने अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।

जिला फोरम के निर्णय में अंकित उपरोक्‍त तथ्‍यों से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/परिवादी के ट्रक चोरी की सम्‍बन्‍ध में पहली विवेचना जो की गयी है उसमें स्‍पष्‍ट रूप से उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर यह निष्‍कर्ष अं‍कित है कि आस-पास की पूछताछ एवं जानकारी से अपीलार्थी/परिवादी द्वारा कथित चोरी की घटना होना नहीं पाया गया है। न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट के आदेश से जो पुन: विवेचना की गयी है उसमें दूसरे विवेचक ने प्रथम विवेचक द्वारा एकत्र साक्ष्‍यों

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का खण्‍डन अपनी विवेचना में नहीं किया है और न ही यह अंकित किया है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा कथित ट्रक चोरी की घटना का समर्थन विवेचना से होता है, दूसरे विवेचक ने मात्र उल्‍लेख किया है कि चोरी गया ट्रक बरामद नहीं हुआ है और न बरामद होने की सम्‍भावना है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने पुलिस विवेचना के आधार पर जो यह माना है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा कथित ट्रक चोरी की घटना असत्‍य है, वह साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है। अत: पुलिस विवेचना में निकाले गये निष्‍कर्ष के आधार पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा जो रेप्‍युडिएट किया है वह विधि विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है और न ही सेवा में कमी कहा जा सकता है।

उपरोक्‍त विवेचना एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस निष्‍कर्ष पर पहॅुंचता हॅूं कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने पुलिस विवेचना के आधार पर अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा जो रेप्‍युडिएट किया है उसे विधि विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद निरस्‍त कर कोई गलती नहीं की है। अत: जिला फोरम के निर्णय में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।  अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

 उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

    (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                                                                                                      अध्‍यक्ष                                                                            

         

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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