Uttar Pradesh

StateCommission

A/2524/2015

Shriram General Insurance Co. Ltd. - Complainant(s)

Versus

Khurshid Hussain - Opp.Party(s)

Dinesh Kumar

22 Mar 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2524/2015
(Arisen out of Order Dated 07/11/2015 in Case No. C/136/2012 of District Muradabad-II)
 
1. Shriram General Insurance Co. Ltd.
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Khurshid Hussain
Muradabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 22 Mar 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-2524/2015

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या 136/2012 में पारित आदेश दिनांक 07.11.2015 के विरूद्ध)

Shriram General Insurance Company Limited, E-8, EPIP, RIICO Industrial Area, Sitapura, Jaipur (Rajasthan)-302022 Branch Office 16, Chintal House, Station Road, Lucknow through its Manager.

                              ....................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

Khursheed Hussain S/o Aayub Hussain, R/o Near Bus Stand Main Market, Pakbada, Moradabad.                              

                                 ................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार,                                    

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0पी0 पाण्‍डेय,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 09.05.2017

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-136/2012 खुर्शीद हुसैन बनाम श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश  दिनांक 07.11.2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षी श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 की ओर से धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है। 

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने उपरोक्‍त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

 

 

-2-

''परिवाद योजित किए जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित 2,80,000/- (दो लाख अस्‍सी हजार रूपया) की वसूली हेतु यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। परिवादीगण क्षतिपूर्ति की मद में एकमुश्‍त 20,000/- (बीस हजार रूपया) और परिवाद व्‍यय की मद में 2,500/- (दो हजार पॉंच सौ रूपया) विपक्षीगण से अतिरिक्‍त पाने के अधिकारी होगें। इस आदेशानुसार समस्‍त धनराशि का भुगतान परिवादीगण को दो माह में किया जाये।''

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिनेश कुमार और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय उपस्थित हुए हैं।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

वर्तमान अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी खुर्शीद हुसैन ने जिला फोरम के समक्ष परिवाद विपक्षीगण श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 शाखा कार्यालय और श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 मुख्‍यालय के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि वह टाटा मैजिक गाड़ी सं0- यू0पी0 21 ए0एन0 0674 का पंजीकृत स्‍वामी है और उसकी यह गाड़ी विपक्षी बीमा कम्‍पनी से दिनांक 26.04.2011 से 25.04.2011 की अवधि हेतु बीमित थी। इस बीच दिनांक 02.11.2011 को थाना कुढ़फतेहगढ़ जिला मुरादाबाद (वर्तमान जिला सम्‍भल) की सीमा के अन्‍तर्गत उसकी यह गाड़ी कुछ अपराधियों द्वारा लूट ली गयी, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट उसने उसी दिन थाना कुढ़फतेहगढ़ में दर्ज कराया और बीमा कम्‍पनी को सूचित किया। पुलिस ने वाद विवेचना अन्तिम रिपोर्ट प्रेषित किया, जिसे न्‍यायालय ने स्‍वीकार कर लिया।

 

-3-

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने भी सर्वेयर नियुक्‍त किया और सर्वेयर ने भी चोरी की कथित घटना की जांच की, परन्‍तु बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के वाहन की बीमित धनराशि का भुगतान सम्‍पूर्ण औपचारिकतायें पूरी होने के बाद भी नहीं किया। इस प्रकार उन्‍होंने सेवा में कमी की है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बीमित धनराशि की मांग की है। साथ ही क्षतिपूर्ति और वाद व्‍यय भी मांगा है।

जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है। लिखित कथन में विपक्षीगण ने उपरोक्‍त वाहन अपनी बीमा कम्‍पनी से बीमित होना स्‍वीकार किया है और कथन किया है कि चोरी की सूचना मिलते ही उन्‍होंने जांच हेतु इन्‍वेस्‍टीगेटर नियुक्‍त किया, जिसने जांच के बाद दिनांक 28.12.2011 को अपनी आख्‍या प्रस्‍तुत की। सर्वेयर आख्‍या के अनुसार बीमाधारक के उपरोक्‍त वाहन का चालक रामअवतार था और वह वाहन में सवारी बैठाकर बीमाधारक खुर्शीद हुसैन के साथ जा रहा था। तभी रास्‍ते में बीमाधारक/प्रत्‍यर्थी/परिवादी व चालक वाहन के इंग्निशन में चाबी लगी छोड़कर पेशाब करने चले गए, जिसके कारण यह घटना घटित हुई। अत: बीमाधारक ने वाहन की सुरक्षा हेतु पर्याप्‍त सावधानी नहीं बरती है। इस कारण वह वाहन की क्षतिपूर्ति बीमा कम्‍पनी से पाने का अधिकारी नहीं है।

लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि वाहन की सुरक्षा हेतु पर्याप्‍त सावधानी न बरतकर बीमाधारक ने बीमा पालिसी की शर्त का उल्‍लंघन किया है। अत: बीमा कम्‍पनी ने उसका दावा निरस्‍त कर कोई त्रुटि नहीं की है।

लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि बीमाधारक ने चोरी की घटना की सूचना दो दिन विलम्‍ब से पुलिस को दिया है। इसके साथ ही उसने चोरी की घटना की सूचना बीमा कम्‍पनी को भी विलम्‍ब से दिया है। अत: इस आधार पर भी उसने बीमा पालिसी की शर्त का उल्‍लंघन किया है।

 

 

-4-

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह निष्‍कर्ष निकाला है कि घटना की रिपोर्ट प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने घटना के ही दिन सम्‍बन्धित पुलिस थाने में दर्ज करायी है और दिनांक 04.11.2011 को ही चोरी की सूचना विपक्षीगण को भी दिया है, जबकि घटना दिनांक 02.11.2011 की सायंकाल 06:00 बजे की है। अत: जिला फोरम ने यह माना है कि विपक्षीगण की बीमा कम्‍पनी का यह कथन आधारहीन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने चोरी की घटना की सूचना पुलिस में विलम्‍ब से दर्ज करायी है और विपक्षीगण बीमा कम्‍पनी को चोरी की घटना की सूचना विलम्‍ब से दिया है। जिला फोरम का यह निष्‍कर्ष प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति एवं उपलब्‍ध अभिलेखों पर आधारित है। जिला फोरम के इस निष्‍कर्ष को त्रुटिपूर्ण मानने हेतु कदापि उचित और युक्‍तसंगत आधार नहीं है। जिला फोरम ने माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा III (2014) CPJ 663 (नेशनल कमीशन)       न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड व एक अन्‍य बनाम गिरीश गुप्‍ता के मामले में दिए गए निर्णय को आक्षेपित निर्णय में सन्‍दर्भित किया है, जिसमें माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने निम्‍न मत व्‍यक्त किया है:-

“ The leaving of the key in the ignition of the car on all occasions can not be termed as so serious breach so as to disentitle the insured from seeking claim under the insurance policy. Whether or not there is breach of condition will always depend upon the facts of the case. The car is said to have been stolen when the driver parked the vehicle at road side and went to ease himself, forgetting to remove the keys from ignition. The is lapse on the part of the driver can not be treated as wilful breach of condition No.5 on the part of the driver. If in the hurry to answer the call of nature the driver forgot to

 

-5-

remove keys from the ignitions switch he can not be said to have committed wilful breach violation of the trems of the above condition No.5. In our aforesaid view we are supported by judgment of Punjab & Haryana high court in the matter of Bajaj Allianz general insurance company ltd V/s M/s Sagar tour & Travels & Anr. P.L.R. Vol. CLX IV-(2011-4)”

अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन की सुरक्षा हेतु पर्याप्‍त सावधानी नहीं बरती है और वाहन में चाबी लगी छोड़कर पेशाब करने गए हैं, जिससे चोरी की घटना घटित हुई है। ऐसी स्थिति में उन्‍होंने बीमा पालिसी की शर्त का उल्‍लंघन किया है। अत: बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का दावा अस्‍वीकार कर कोई त्रुटि नहीं की है।

अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का दावा स्‍वीकार कर गलती की है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। अत: इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क के प्रकाश में आक्षेपित निर्णय की समीक्षा किया है।

अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के सर्वेयर की आख्‍या के अनुसार बीमाधारक और चालक वाहन के इंग्निशन में चाबी लगी छोड़कर पेशाब करने चले गए थे, परन्‍तु इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि बीमाधारक व उसके चालक ने वाहन को असुरक्षित व अनअटेंडेड छोड़ा था क्‍योंकि वाहन सड़क पर खड़ा करने के बाद उसके पास ही वे पेशाब करने गए थे। अत: इस आधार पर यह कहना उचित नहीं है कि उन्‍होंने वाहन की सुरक्षा  में पर्याप्‍त सावधानी नहीं बरती है और बीमा पालिसी की  शर्त  का

 

-6-

उल्‍लंघन किया है। हमारे इस मत का समर्थन माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड व एक अन्‍य बनाम गिरीश गुप्‍ता के उपरोक्‍त वाद में दिए गए निर्णय से होता है।

अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा भारती एक्‍सा जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 बनाम भागचन्‍द IV (2016) CPJ 219 (NC) में पारित निर्णय सन्‍दर्भित किया गया है, परन्‍तु वर्तमान वाद के तथ्‍यों के परिप्रेक्ष्‍य में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के इस निर्णय का कोई लाभ अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी को नहीं दिया जा सकता है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों व परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का दावा निरस्‍त करने का जो आधार बताया गया है, वह आधारयुक्‍त और विधिसम्‍मत नहीं है। अत: जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद स्‍वीकार कर जो वाहन की बीमित धनराशि 09 प्रतिशत ब्‍याज सहित प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिए जाने का आदेश दिया है, वह उचित और विधिसम्‍मत है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। ब्‍याज दर 09 प्रतिशत वार्षिक को अधिक नहीं कहा जा सकता है।

जिला फोरम ने बीमित धनराशि पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को ब्‍याज दिया है। अत: हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो 20,000/-रू0 एकमुश्‍त क्षतिपूर्ति की धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दी है, वह अनावश्‍यक है। अत: उसे अपास्‍त किया जाना उचित है।

जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जो 2500/-रू0 वाद व्‍यय दिलाया है, वह भी हमारी राय में उचित है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्षों के आधार पर अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान      की गयी एकमुश्‍त क्षतिपूर्ति की धनराशि 20,000/-रू0  (बीस हजार

 

 

-7-

रूपए) निरस्‍त की जाती है। जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश का शेष अंश यथावत् कायम रहेगा।

अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित

की जाए।

उभय पक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।         

 

     (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           (बाल कुमारी)       

           अध्‍यक्ष                    सदस्‍य           

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1     

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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