राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-869/2016
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, सम्भल द्वारा परिवाद संख्या 75/2015 में पारित आदेश दिनांक 10.03.2016 के विरूद्ध)
SBI General Insurance Company Limited,
Second Floor, Trydent,
10, Rana Pratap Marg, Hazaratganj Lucknow.
....................अपीलार्थी/विपक्षी सं01
बनाम
1. Kanti Lal Gupta, Gaurav Refrizeration,
Station Road, Chandausi, District-Sambhal.
2. Branch Manager, State Bank of India,
Main Branch Chandausi,
District-Sambhal (Proforma Party)
................प्रत्यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षी सं02
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री महेन्द्र कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 15.05.2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-75/2015 कान्ति लाल गुप्ता बनाम एस0बी0आई0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सम्भल द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 10.03.2016 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी संख्या-1 एस0बी0आई0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा उपरोक्त परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादी का वाद आंशिक रूप से विपक्षी नं0 1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी नं0 1 को आदेश दिया जाता है कि वह 281345/-रूपया मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दौरान मुकदमा ता वसूली तथा 25000/-रूपया क्षतिपूर्ति और 2000/-रूपया वाद व्यय परिवादी को अदा करे।''
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री महेन्द्र कुमार मिश्रा और प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित आए हैं। प्रत्यर्थी संख्या-2 ब्रांच मैनेजर, स्टेट बैंक आफ इण्डिया की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी श्रीमती कमलेश गुप्ता गौरव रेफरिजरेशन सेन्टर स्टेशन रोड चन्दौसी की प्रोपराइटर रही हैं और उन्होंने अपनी फर्म को चलाने के उद्देश्य से प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 शाखा प्रबन्धक, भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा चन्दौसी से ऋण प्राप्त किया तथा प्रत्यर्थी/परिवादी की सम्पत्ति को बन्धक रखा। अत: प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने ऋण की सुरक्षा हेतु
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अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 एस0बी0आई0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 के कार्यालय से प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी की उपरोक्त दुकान गौरव रेफरिजरेशन सेन्टर में रखे स्टाक व प्रत्यर्थी/परिवादी की सम्पत्ति का बीमा कराया और बीमा प्रीमियम की धनराशि 8857/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी के खाते से प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के खाते में दिनांक 10.07.2013 को ट्रांसफर किया। उसके बाद दिनांक 14.05.2015 की शाम 7 बजे प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी के शोरूम में आग लग गयी। फायर ब्रिगेड मौके पर बुलायी गयी, जिसने चार घण्टे की मेहनत के उपरान्त आग पर काबू पाया, परन्तु अग्निकाण्ड में प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी के गौरव रेफरिजरेशन सेन्टर के सभी सामान, जिनका मूल्य 8,00,000/-रू0 था, जलकर नष्ट हो गए। इसके साथ ही प्रत्यर्थी/परिवादी के स्वामित्व वाले भवन को भी लाखों का नुकसान हुआ, जिसका मूल्यांकन 5,00,000/-रू0 किया गया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने घटना की तुरन्त सूचना विपक्षीगण को दी और आवश्यक कार्यवाही का अनुरोध किया। तब विपक्षीगण की ओर से एक सर्वेयर नियुक्त किया गया, जिसने 7,01,000/-रू0 क्षति का आंकलन किया और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 से कई बार सम्पर्क किया तब उसने उसे प्रथम मेल से सूचना दी कि भवन की क्षति के सम्बन्ध में स्वीकृत बीमा धनराशि 2,77,640/-रू0 को स्वीकार करने हेतु सहमति पत्र हस्ताक्षर करके भेजें। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा
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स्वीकृत धनराशि के सम्बन्ध में अपनी आपत्ति की तो अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने पुन: मेल पर सूचना दी कि प्रत्यर्थी/परिवादी के पक्ष में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 2,81,345/-रू0 स्वीकृत करने हेतु तैयार है। यदि वह तैयार है तो अपनी स्वीकृति तुरन्त प्रेषित करे, परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने 2,81,345/-रू0 पर भी अपनी आपत्ति दर्ज करायी और कहा कि उसके भवन की क्षति 5,00,000/-रू0 की हुई है, इसलिए वह 3,81,345/-रू0 एतराज के साथ स्वीकार करने को तैयार है। शेष धनराशि पर उसका एतराज बना रहेगा। तब अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने उसे कोई भी धनराशि देने से मना कर दिया। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया और कहा कि पहली रिपोर्ट इंजीनियर ने गलत कैलकुलेशन के आधार पर दी थी। बाद में स्ट्रक्चरल डैमेज 7,01,000/-रू0 के स्थान पर 3,48,588/-रू0 पाया गया। अत: विपक्षी बीमा कम्पनी पालिसी की शर्तों के अनुसार प्रश्नगत क्लेम 93,408/-रू0 में सेटेल करने को तैयार है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने यह भी कहा है कि सर्वेयर ने कुल 2,18,754/-रू0 के नुकसान का आंकलन किया है और नेट लॉस 93,585/-रू0 दर्शाया है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने यह भी कहा है कि उसने सेवा में कोई कमी नहीं की है।
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प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने अपने लिखित कथन में परिवाद पत्र के इस कथन को स्वीकार किया है कि कैश क्रेडिट लिमिट प्रत्यर्थी/परिवादी की फर्म गौरव रेफरिजरेशन के लिए स्वीकृत की गयी थी और उसके स्टाक व बिल्डिंग का बीमा अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 और प्रत्यर्थी/परिवादी के बीच हुआ था तथा प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने अपने लिखित कथन में यह भी स्वीकार किया है कि उसने प्रत्यर्थी/परिवादी के निर्देश पर अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को प्रीमियम का भुगतान किया था।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि स्वयं अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने 2,81,345/-रू0 में फाइनल सेटेलमेंट के लिए आफर प्रत्यर्थी/परिवादी को दिया। अत: जिला फोरम ने यही धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को ब्याज सहित अदा करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को आदेशित किया है। साथ ही 25,000/-रू0 क्षतिपूर्ति के मद में प्रत्यर्थी/परिवादी को और दिलाया है। जिला फोरम ने 2000/-रू0 वाद व्यय भी अदा करने हेतु आदेशित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और त्रुटिपूर्ण है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
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हमने उभय पक्ष के तर्क के प्रकाश में आक्षेपित निर्णय और आदेश की समीक्षा की है।
उभय पक्ष के अभिकथन से यह स्पष्ट है कि बीमा पालिसी और अग्निकाण्ड अपीलार्थी बीमा कम्पनी को स्वीकार है। अग्निकाण्ड में प्रत्यर्थी/परिवादी के भवन को क्षति कारित होने पर भी विवाद नहीं है। विवाद मात्र क्षतिपूर्ति की धनराशि पर है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के अनुसार सर्वेयर द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को देय क्षतिपूर्ति की धनराशि 93,585/-रू0 निर्धारित की गयी है और इसे वह प्रत्यर्थी/परिवादी को देने के लिए तैयार है, जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार स्वयं अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने दावा 2,81,345/-रू0 पर तय करने का प्रस्ताव दिया था, परन्तु यह धनराशि कम होने के कारण प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्वीकार नहीं किया था। जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को दी गयी इसी आफर के आधार पर 2,81,345/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 को आदेशित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के अनुसार उसने ऐसी कोई आफर प्रत्यर्थी/परिवादी को नहीं दिया था। जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित आफर बिना किसी साक्ष्य के गलत तौर पर स्वीकार किया है। हमने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के कथन पर विचार किया है।
परिवाद पत्र की धारा-6 में प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्पष्ट कथन किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने अन्त में 2,81,345/-रू0
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पर दावा तय करने का आफर दिया। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने अपने लिखित कथन में परिवाद पत्र की धारा-6 के कथन को यह कहते हुए अस्वीकार किया है कि धारा-6 जिस ढंग से अभिकथित है, स्वीकार नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद पत्र की धारा-6 में कथित 2,81,345/-रू0 की आफर से लिखित कथन में स्पष्ट इन्कार नहीं किया है। परिवाद पत्र की धारा-6 में कथित रूप से अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा 2,81,345/-रू0 की की गयी आफर का समर्थन प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत अपने शपथ पत्र में किया है और अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने उसका स्पष्ट खण्डन अपने शपथ पत्र में भी नहीं किया है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी के अखण्डित सशपथ कथन पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है। अत: जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की 2,81,345/-रू0 की आफर पर विश्वास कर कोई गलती नहीं की है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 को जो 2,81,345/-रू0 की क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को बीमित राशि से देने का आदेश दिया है, वह उचित है। जिला फोरम ने जो 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दौरान मुकदमा व उसके बाद वसूली तक दिया है, वह भी उचित है।
जिला फोरम ने जो 2000/-रू0 वाद व्यय दिया है, वह भी उचित है।
चूँकि क्षतिपूर्ति की धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिया गया है। अत: जिला फोरम द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान
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की गयी 25,000/-रू0 की अतिरिक्त क्षतिपूर्ति निरस्त किये जाने योग्य है।
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को 25,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति प्रदान करने हेतु पारित आदेश अपास्त किया जाता है।
जिला फोरम के निर्णय व आदेश का शेष अंश यथावत् कायम रहेगा।
उभय पक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1