राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
परिवाद संख्या-219/2024
ओम प्रकाश धूसिया, पुत्र स्व0 श्री राम दयाल व दो अन्य
बनाम
कानपुर इलैक्ट्रिसिटी सप्लाई कम्पनी व दो अन्य
दिनांक: 13.12.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख परिवादीगण द्वारा निम्न अनुतोष प्रदान किए जाने हेतु योजित किया गया:-
1- Admit this consumer complaint and Award the compensation of Rs. 99,50,000/- INR (Ninety-Nine Lakhs & Fifty Thousand), in lieu of (i.e. Deficiency in Services, Adopting Unfair Trade Practices, Resorting the Unfair Tarde Contract, Mental Agony, Impairing the fundamental rights of the complainants), along with 9% interest from the date of cause of action arose.
2- And/Also Pass an appropriate order to the opposite parties to Restore the permanent electricity connection in the dwelling of the complainants, i.e. 136, Lal Kurti, Cantt, Kanpur Nagar.
3- Also, Award the Cost of Litigation Expenses which tune to Rs.50,000/- in favor of the complainants/Petitioners and against the respondents.
4- And/Also, impose the exemplary punitive cost over the respondents.
5- And/or any other compensation or relief, which this Hon’ble Commission deemed fit and appropriate in the circumstances of this case, may also be awarded.
प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से आज सुनिश्चित की गयी। परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अभिषेक तिवारी वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित हैं, जिनके द्वारा न्यायालय के सम्मुख कथन किया गया कि परिवादीगण को विपक्षी विद्युत विभाग की कम्पनी केस्को द्वारा विगत दो वर्ष से विद्युत वितरण/विद्युत सप्लाई नहीं प्रदान की जा रही है।
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परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री अभिषेक तिवारी द्वारा कथन किया गया कि विपक्षी का उपरोक्त कृत्य/कार्य विपक्षी की ‘सेवा में कमी’ की श्रेणी में पाया जाता है, साथ ही ‘अनुचित व्यापार पद्धति’ के अन्तर्गत पाया जाता है।
इस न्यायालय द्वारा परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता से प्रश्न किया गया कि यदि विगत दो वर्ष से परिवादीगण द्वारा विद्युत वितरण के संबंध में विपक्षी विद्युत विभाग से कोई अनुतोष प्राप्त किए जाने की कार्यवाही की गयी है, तब उपरोक्त कार्यवाही के संबंध में विद्युत विभाग द्वारा की गयी कार्यवाही का विवरण उल्लिखित किया जावे। इस न्यायालय द्वारा परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता से यह भी प्रश्न किया गया कि प्रस्तुत परिवाद से सम्बन्धित जो विवाद विद्युत वितरण अथवा विद्युत न प्रदान किए जाने आदि का है, उसके संबंध में शासन द्वारा एक संस्था अलग से नामित की गयी है, जो विद्युत उपभोक्ताओं से सम्बन्धित विवादों का निवारण यथाशीघ्र किए जाने के उद्देश्य से स्थापित की गयी है, अर्थात् ''विद्युत उपभोक्ता संरक्षण आयोग''।
परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री अभिषेक तिवारी द्वारा उल्लिखित किया गया कि उपरोक्त आयोग में विद्युत विभाग के ही द्वारा नामित पदाधिकारी/सदस्य आदि द्वारा सुनवाई की जाती है, जो विद्युत विभाग के पक्ष में ही ज्यादातर निर्णीत की जाती है।
उपरोक्त तथ्यों को सुनने के उपरान्त परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता के कथन को मेरे विचार से स्वीकार किया जाना पूर्ण रूप से अनुचित है। किसी भी आयोग का गठन विधि अनुसार न्यायिक प्रक्रिया/अर्ध न्यायिक प्रक्रिया के अन्तर्गत कार्य किए जाने हेतु अपेक्षित/किया जाता है।
परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री अभिषेक तिवारी द्वारा अपने कथन के समर्थन में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय TEXCO MARKETING PRIVATE LIMITED
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Versus TATA AIG GENERAL INSURANCE COMPANY LIMITED AND OTHERS (2023) 1 Supreme Court Cases 428 की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया, विशेष रूप से अनुचित व्यापारिक प्रक्रिया एवं अनुचित अनुबन्ध के संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा की गयी व्याख्या।
मेरे द्वारा उपरोक्त न्याय निर्णय का समुचित परिशीलन किया गया एवं पाया गया कि वास्तव में प्रस्तुत परिवाद में जो विवाद है, उससे सम्बन्धित कोई भी तथ्य उपरोक्त न्याय निर्णय द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय में न तो उल्लिखित पाए गए, न ही माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उपरोक्त संबंध में कोई निर्णय ही पारित किया गया।
तदनुसार समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत परिवाद अंगीकरण के स्तर पर निरस्त किया जाता है।
यहॉं यह स्पष्ट किया जाता है कि परिवादीगण विधि अनुसार सम्बन्धित न्यायालय/आयोग के सम्मुख अपना वाद प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र हैं।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1