राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-1380/2023
सीनियर ब्रांच मैनेजर, लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन, शाखा डी0एम0 रोड, बुलन्दशहर व एक अन्य
बनाम
श्रीमती कमलेश देवी पत्नी स्व0 सुधीर कुमार, निवासी ग्राम व पोस्ट सराय छबीला तहसील व जिला बुलन्दशहर।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थीगण के अधिवक्ता : सुश्री रेहाना खान
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री संजय कुमार वर्मा
दिनांक :- 28.8.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद सं0-62/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.6.2023 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति स्व0 श्री सुधीर कुमार द्वारा अपने जीवन काल में अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 से दिनांक 28.4.1998 को एक बीमा पालिसी प्राप्त की थी, जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादिनी को नामिनी अंकित किया गया था। प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति उक्त पालिसी की तिमाही प्रीमियम रू0 1837.00 अदा करते रहे एवं दिनांक 12.4.2016 को सुबह 6.00 बजे प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति पूजा करने जा रहे थे कि तभी सड़क पर तेजी व लापरवाही से चल रहे ट्रक की टक्कर से उनकी मृत्यु हो गई और वहॉ पर मौजूद लोगों द्वारा पुलिस को सूचना दी गई, जिस पर पुलिस द्वारा
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उनका पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम कराकर अंतिम संस्कार करा दिया गया। उक्त दुर्घटना के समय उनके पति के पास ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं था, जिसके आधार पर पुलिस मृतक बीमाधारक के परिवार को सूचित करती एवं प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पुत्र द्वारा दिनांक 26.10.2016 को कबीर धाम आश्रम मुस्तफाबाद थाना गोला, जिला खीरी द्वारा पता करने पर ज्ञात हुआ कि उसके पिता की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। तत्पश्चात प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 को अपने पति की मृत्यु की सूचना देते हुए समस्त वॉछित प्रपत्रों के साथ क्लेम प्रस्तुत किया गया, जिस पर अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा उसकी बीमित धनराशि रू0 1,84,100.00 का भुगतान दिनांक 27.6.2017 को उसके बैंक खाते में कर दिया गया, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा उसके पति की मृत्यु दुर्घटना हित लाभ की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया, जिसके संबंध में कई बार प्रार्थना करने पर कोई सुनवाई नहीं की गई अत्एव दुर्घटना हित लाभ मय ब्याज का अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र का विरोध किया गया और यह कथन किया गया कि परिवाद पत्र पोषणीय न होने के कारण खण्डित किये जाने योग्य है।
निर्विवादित रूप से अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा पालिसी के विरूद्ध प्रत्यर्थी/परिवादिनी को रू0 1,84,100.00 दिनांक 27.6.2017 को उसके बैंक खाते में भुगतान द्वारा प्राप्त कराया जा चुका है जिस पक्ष को अपीलार्थी बीमा कम्पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन करते हुए कहा गया कि जिला उपभोक्ता आयोग
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ने संज्ञान में लिया, परन्तु उसका सही तरह से उल्लेख न करते हुए परिवादिनी द्वारा मॉगी गई सम्पूर्ण धनराशि अंकन रू0 2,00,000.00 (दो लाख रू0) का भुगतान प्राप्त कराये जाने हेतु आदेश पारित दिया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा को सुना।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता को सुनने के उपरांत एवं तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत आदेश में अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध जो रू0 2,00,000.00 (दो लाख रू0) की देयता निर्धारित की गई है, उसे वाद के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य की सहमति से रू0 1,00,000.00 (एक लाख रू0) में परिवर्तित किया जाना उचित है, तद्नुसार दुर्घटना हित लाभ के मद में रू0 2,00,000.00 (दो लाख रू0) की देयता को रू0 1,00,000.00 (एक लाख रू0) की देयता में परिवर्तित किया जाता है, साथ ही उपरोक्त धनराशि पर ब्याज की देयता परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 07 (सात) प्रतिशत वार्षिक निर्धारित की जाती है एवं वाद व्यय के सम्बन्ध में पारित आदेश अपास्त किया जाता है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि़ में किया जाना सुनिश्चित करें, अन्यथा ब्याज की देयता उपरोक्त धनराशि पर 08 प्रतिशत वार्षिक भुगतान की तिथि तक देय होगी।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित
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ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1