Uttar Pradesh

Chanduali

Cc/56/13

Vibhuti Narayan - Complainant(s)

Versus

K.G.B. - Opp.Party(s)

Vibhuti Narayan

12 Jun 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. Cc/56/13
 
1. Vibhuti Narayan
Vill& Po-dadavli Thsil-Chkiya Chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. K.G.B.
Utraul Chkiya baburi Chandauli
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. jagdishwar Singh PRESIDENT
 HON'BLE MR. Markandey singh MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 56                                सन् 2013ई0
1-विभूति नारायण दूबे पुत्र स्व काशीनाथ दूबे(अध्यक्ष)ग्राम व पो0 ददवल उतरौत चकिया जिला चन्दौली।
2-श्रवण कुमार पुत्र भगवान दास(कोषाध्यक्ष) ग्राम व पो0 उतरौत तहसील चकिया जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादीगण                                                                                                                                    बनाम
1-शाखा प्रबन्धक प्रकाश नारायण सिंह काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक ग्राम व पो0 उतरौत तहसील चकिया जिला चन्दौली।
2-क्षेत्रीय प्रबन्धक क्षेत्रीय कार्यालय काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक गुप्ता पेट्रोल पम्प के पास अलीनगर मुगलसराय जिला चन्दौली।
3-चेयरमैन (अध्यक्ष) प्रधान कार्यालय काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक सी 19/40 फातमान रोड सिगरा वाराणसी।
4-महाप्रबन्धक प्रधान कार्यालय काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक सी 19/40फातमान रोड सिगरा वाराणसी।
5-बैंकिग लोकपाल महात्मा गाॅधी रोड कानपुर।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1-    परिवादीगण ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध बिना परिवादीगण के अनुमति से उनके बचत खाते से मु0 1000/- सी0सी0एल0 खाते में ट्रांसफर कर देने से  हुई मानसिक क्षति एवं अन्य हर्जा कुल मु0 42913/-दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    परिवाद पत्र में परिवादीगण की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादीगण श्रवण सहायता समूह के अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष है एवं उसका संचालन दिसम्बर 2008 से कर रहे है। परिवादीगण ने विपक्षी संख्या 1 के  बैंक में दिनांक 26-12-08 को एक बचत खाता खोला जिसका खाता संख्या 20111050 है। तत्पश्चात श्रवण स्वयं सहायता समूह का विपक्षी संख्या 1 ने मु0 25000/- का एक सी0सी0एल0 खाता दिसम्बर 2010 खोला जिसका खाता संख्या 501-223 है। विपक्षी बैंक का श्रवण स्वयं सहायता समूह पर किसी तरह का कोई ऋण बाकी नहीं था। श्रवण स्वयं सहायता समूह के परिवादीगण द्वारा आगे कथन किया है कि विपक्षी बैंक द्वारा समूह के बचत खाते से दिनांक 21-3-2012 को मु0 1000/- समुह के सी0सी0एल0 खाते में बिना किसी सूचना/अनुमति के ट्रांसफर कर दिया गया। परिवादीगण विपक्षी संख्या 1 से सी0सी0एल0 खाते में डाले गये मु0 1000/- को बचत खाते में ट्रांसफर करने हेतु बराबर प्रार्थना पत्र एवं सम्पर्क करते रहे किन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया गया। इस आधार पर विपक्षीगण की सेवा में कमी बताते हुए परिवादीगण द्वारा यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
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3-    विपक्षीगण की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करते हुए संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादीगण द्वारा यह परिवाद गलत,बेबुनियाद तथा असलियत को छिपाकर दाखिल किया गया है जो खारिज किये जाने योग्य है। श्रवण सहायता समूह का सी0सी0एल0 खाता संख्या 501-223 दिनांक 11-12-10 को स्वीकृत किया गया। दिनांक 1-11-13 को सी0सी0एल0 खाते में मु0 9538/- अवशेष था, जिस दिन परिवादीगण द्वारा शपथ पत्र दिया गया, और यह कहना कि कोई ऋण बाकी नहीं था त्रुटिपूर्ण है। स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष एवं कोषाध्यक्ष द्वारा बैंक के समक्ष जो शपथ पत्र दिया है उसके प्रस्तर-4 में कथन किया है कि ’’मुजहिरागण बहलफ बयान करते है कि श्रवण सहायता समूह बैंक उपरोक्त से नगद ऋण प्राप्त कर लने के पश्चात उसकी अदायगी मय ब्याज के नियमानुसार समय समय पर करता रहेगा। यदि अदायगी करने में असफल रहा तो बैंक को अधिकार होगा कि वे उक्त ऋण मय ब्याज की वसूली श्रवण स्वयं सहायता समूह के खाते से अथवा हम मुजहिरगण के चल व अचल सम्पत्ति से जिस प्रकार चाहे वसूल कर लेवे, इसमे हम मुजहिरगण को कोई आपत्ति न है न भविष्य में होगी’’। श्रवण स्वयं सहायता समूह को वित्त प्रदान करते समय बैंकों द्वारा उपयोग किये जाने वाले करार की शर्तो के क्रमांक 6 ऋण प्राप्तकर्ता के दैनिक शेष पर परिकलित किये जाने वाले उसमे तिमाही आधार पर नामें किये जाने वाले ऋण पर या बैंक जिस तरह निर्णय करे, ब्याज का भुगतान करेगा।    इस आधार पर विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण के परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
4-    परिवादीगण की ओर से साक्ष्य के रूप में बैंक स्टेटमेन्ट की प्रति कागज संख्या 3/1ता 3/2,जनसूचना अधिकार की छायाप्रति 3/3,काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक का पत्र 3/4 श्रवण स्वयं सहायता समूह का आय व्यय विवरण की छायाप्रति 3/5 एवं अन्य प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। विपक्षीगण की ओर से साक्ष्य के रूप में  भारतीय रिजर्व बैंक की गाइडलाइन कागज संख्या 11/2, ग्रामप्रधान द्वारा श्रवण कुमार को दिये गये पहचान पत्र की छायाप्रति 11/3,राशन कार्ड की छायाप्रति 11/4ता 11/5,खाता खोलने का फार्म 11/6,बैंक स्टेटमेन्ट की प्रति 11/7,श्रवण स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष,कोषाध्यक्ष,सचिव एवं अन्य लोगों के द्वारा निष्पादित शपथ पत्र की छायाप्रति 11/8ता11/9,स्वयं सहायता समूह को वित्त प्रदान करते समय बैंकों द्वारा उपयोग किये जाने वाले करार की शर्तो के फार्मेट की छायाप्रति 11/10 ता 11/11 एवं अन्य कागजात दाखिल किये गये है।
5-    हम लोगों ने परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के बहस को सुना तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का भलीभांति परिशीलन किया है।
6-    परिवाद पत्र तथा विपक्षीगण के जबाबदावा के कथनों से यह तथ्य स्पष्ट है कि परिवादीगण श्रवण स्वयं सहायता समूह के क्रमशः अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष है तथा ग्रामसभा ददवल उतरौत में श्रवण स्वयं सहायता समूह का संचालन दिसम्बर 2008 से कर रहे है। यह तथ्य भी निर्विवादित है कि परिवादीगण श्रवण स्वयं सहायता समूह का बचत खाता विपक्षी संख्या 1 काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक उतरौत में 
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दिनांक 26-12-08 को खुला जिसका खाता संख्या 20111050 है। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि परिवादीगण के श्रवण स्वयं सहायता समूह को विपक्षी बैंक ने दिसम्बर 2010 में मु0 25,000/- का सी0सी0एल0 खाता संख्या 501-2023 स्वीकृत किया। जबाबदावा के पैरा-22 में कथन किया गया है कि श्रवण स्वयं सहायता समूह के पदाधिकारी ए0पी0एल0 परिवार से है जबकि भारतीय रिजर्व. बैंक के मास्टर सर्कुलर के अनुसार समूह का कोई भी पदाधिकारी ए0पी0एल0 परिवार से नहीं हो सकता है। पैरा 23 में कथन है कि परिवादीगण के श्रवण स्वयं सहायता समूह के बचत खाता संख्या 20111050 में कोषाध्यक्ष श्रवण कुमार का जो पता अंकित है वह उनके बचत खाता संख्या 2015097 में अंकित पता से भिन्न है। उपरोक्त दोनों पैरा में किये गये उल्लेख बिल्कुल अर्नगल है जिसका इस मुकदमें से कोई वास्ता सर्वोकार नहीं है। जब स्वम विपक्षी बैंक ने परिवादीगण के श्रवण स्वयं सहायता समूह के बचत खाता पर मु0 25000/- का लिमिट ऋण स्वीकृत किया है तो उपरोक्त कथन का कोई औचित्य नहीं है।
7-    इस प्रकरण में मूल विवाद इस बिन्दू पर है कि परिवादीगण के उपरोक्त बचत खाता से दिनांक 21-3-2012 को विपक्षी बैंक के शाखा प्रबन्धक ने बिना परिवादीगण को सूचित किये हुए तथा बिना उनकी अनुमति लिये,बिना किसी आधार व अधिकार के उसके बचत खाता से मु0 1000/- काटकर श्रवण स्वयं सहायता समूह के सी0सी0एल0 खाता संख्या 501-223 में ट्रांसफर कर दिया गया। इसकी जानकारी होने पर परिवादीगण द्वारा विपक्षी बैंक के शाखा प्रबन्धक को लिखित प्रतिवेदन दिनांक 4-4-2012 व दिनांक 13-8-2012 (छायाप्रति कागज संख्या 3/3व 3/4) देकर उपरोक्त मु0 1000/-की धनराशि बचत खाते से ट्रांसफर करने के संदर्भ में सूचना मांगी गयी एवं प्रार्थना पत्र दिनांक 4-2-2013 (छायाप्रति कागज संख्या 3/6) विपक्षी बैंक के महाप्रबन्धक और मुख्य सर्तकता अधिकारी को प्रेषित करके तथा दिनांक 21-5-2013 को विपक्षी बैंक उतरौत चकिया के शाखा प्रबन्धक को आवेदन (छायाप्रति कागज संख्या 3/7) प्रेषित करके बचत खाते से काटी गयी धनराशि को ब्याज सहित बचत खाते में वापस किये जाने का निवेदन किया गया लेकिन इस पर कोई कार्यवाही विपक्षी बैंक के पदाधिकारियों द्वारा नहीं किया गया। इस आधार पर सेवा में कमी बताते हुए परिवाद दाखिल किया गया है।
8-    उपरोक्त बिन्दु पर हम लोगों द्वारा विचार किया गया। जबाबदावा मंे उपरोक्त संदर्भ में बिल्कुल भ्रामक एवं असंगत कथन किया गया है, तथा स्पष्ट नहीं किया गया है कि बिना समूह के पदाधिकारियों या सदस्यों की अनुमति प्राप्त किये एवं उनको सूचना दिये किस आधार पर दिनांक 21-3-2012 को समूह के बचत खाता संख्या 20111050 से मु0 1000/- काटकर समूह के ऋण खाता संख्या 501-223 में जमा किया गया। इस संदर्भ में जबाबदावा के पैरा-25 और 26 में जो कथन किया गया है वह पूर्णतया असंगत है तथा ऐसा प्रतीत होता है कि जो बिन्दू परिवाद में उठाया गया है उस पर कोई स्पष्ट जबाब न देकर बिल्कुल अर्नगल तथ्य जबाबदावा के पैरा 25 व 26 में उल्लेख किया गया है। दिनांक 21-3-12 को 
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समूह के बचत खाता से मु0 1000/-काटकर सी0सी0एल0 खाते में जमा किया गया है जबकि पैरा 25 में उल्लेख है कि दिनांक 1-11-13 को सी0सी0एल0 खाते में मु0 9538/- अवशेष था। पैरा 26 में उल्लेख किया गया है कि समूह की ओर से शपथ पत्र दिया गया था जिसके पैरा 4 में यह बयान अंकित है कि श्रवण स्वयं सहायता समूह के ऋण खाते में धनराशि की अदायगी नियमानुसार समूह समय-समय पर ब्याज के साथ करता रहेगा और यदि अदायगी करने में असफल रहता है तो बैंक को अधिकार होगा कि वह श्रवण स्वयं सहायता समूह के खाते से अथवा समूह के सदस्यों के चल-अचल सम्पत्ति से जिस प्रकार चाहे वसूल कर सकता है। उल्लेखनीय है कि समूह के बचत खाते से मु0 1000/- काटकर  दिनांक 21-3-13 को ऋण खाता में डाल दिया गया है जबकि इसके लगभग 1 वर्ष 8 माह बाद दिनांक 1-11-13 को समूह के खाते में मु0 9538/- अवशेष होना उल्लेख करते हुए उपरोक्त काटी गयी धनराशि को उचित ठहराने की कोशिश की गयी है। समूह के ऋण खाते का विवरण कागज संख्या 11/7 बैंक की ओर से प्रस्तुत किया गया है जिसके परिशीलन से पाया जाता है कि दिनांक 21-3-12 को जब समूह के बचत खाते से मु0 1000/- काटकर ऋण खाते में ट्रांसफर किया गया इसके पूर्व ऋण खाते में दिनांक 29-2-12 को मात्र 260/- ऋण के ब्याज का बकाया था। ऋण खाते की सीमा मु0 25000/- तक थी अर्थात समूह जरूरत पडने पर मु0 25000/- का ऋण ले सकता था। ऋण खाते के मंजूर होने के बाद समूह ने दिनांक 11-12-2010 को मु0 5,000/- तथा दिनांक 3-3-2010 को पुनः मु0 5,000/- खाते से निकाला था जबकि खाते में दिनांक 4-3-11 को मु0 5,000/- और पुनः दिनांक 19-4-11 को मु0 5,000/- जमा करके ऋण की अदायगी कर दिया था। इस प्रकार जब मु0 1000/- की धनराशि बचत खाते से काटी गयी उस समय ऋण खाते में ब्याज के रूप में मात्र मु0 260/- बकाया था। ऋण खाते की सीमा को देखते यह मु0 260/- का बकाया बिल्कुल तुच्छ था। बैंक के पास इसका कोई औचित्य नहीं रहा है कि वह समूह के बचत खाते से मु0 1000/- काटकर ऋण खाते में जमा करे। जब ऋण खाते की सीमा मु0 25000/-थी तो मात्र मु0 260/- की वसूली के लिए उपरोक्त मु0 1000/- बचत खाता से काटने का बैंक के पास कोई आधार नहीं था। इससे प्रमाणित होता है कि बैंक ने मनमाना तरीके से बिना किसी औचित्य और अधिकार के समूह के बचत खाता से मु0 1000/- काटकर ऋण खाते में जमा किया है। परिवादीगण द्वारा बिल्कुल नियमानुसार निवेदन किया गया था कि उनकी अनुमति के बगैर उपरोक्त बचत खाते से मु0 1000/- काटकर ऋण खाते में जमा किया गया है उसे ब्याज सहित बचत खाता में जमा कर दिया जाय। इस संदर्भ में दिये गये आवेदन पत्र पर बैंक द्वारा कोई कार्यवाही न करके तथा उपरोक्त बचत खाते में उक्त धनराशि ट्रांसफर न करके बैंक द्वारा सेवा में कमी की गयी है। अतः बैंक को आदेश दिया जाना उचित है कि उपरोक्त काटी गयी मु0 1000/-की धनराशि काटी गयी तिथि से नियमानुसार बचत खाता पर देय ब्याज के साथ वापस करें इसके अतिरिक्त उपरोक्त मनमाना आचरण के लिए परिवादीगण को दावा दाखिल 
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करने के लिए जो विपक्षी बैंक के पदाधिकारियों ने विवश किया है तथा परिवादीगण को शारीरिक मानसिक क्षति उठानी पडी है इस संदर्भ में मु0 2000/-हर्जा तथा मु0 2000/-वाद व्यय दिलाया जाना न्यायोचित है। तद्नुसार परिवाद अंशतः स्वीकार किये जाने योग्य है।
                            आदेश
    प्रस्तुत परिवाद अंशतः स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि परिवादीगण के श्रवण स्वयं सहायता समूह के बचत खाता संख्या 20111050 से दिनांक 21-3-2012 को काटी गयी मु0 1000/-(एक हजार) की धनराशि नियमानुसार बचत खाते पर देय ब्याज के साथ इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर उनके बचत खाता में वापस करें, तथा उपरोक्त अवधि में ही परिवादीगण को मु0 2,000/-(दो हजार) हर्जा एवं मु0 2000/-(दो हजार) वाद व्यय का भुगतान करें। निर्धारित अवधि में उपरोक्त भुगतान न करने पर तद्नुसार उपरोक्त देय समस्त धनराशि पर विपक्षीगण को 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देना होगा। 
    
  (मारकण्डेय सिंह)                                     (जगदीश्वर सिंह)
     सदस्य                                              अध्यक्ष
                                                    दिनांक 12-06-2015

 

 
 
[HON'BLE MR. jagdishwar Singh]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Markandey singh]
MEMBER

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