राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-584/2015
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-609/2013 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-03-2014 के विरूद्ध)
- The Manager, IIPM College, Hazratganj, Ashok Marg, Lucknow.
- The Director, IIPM College, Tower, Flat No. 41, DF Seheme No. 74 C Sector D, Vijay Nagar, Indore (MP)
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
Km. Sana Gulnar, daughter of Jahirul Hasnain, resident of house No. 25/26-A, Pokharpur, Jajmau, Kanpur.
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - श्री आर0 पी0 अवस्थी।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 04-01-2017
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय :
परिवाद संख्या-609/2013 कु0 सना गुलनार बनाम् मैनेजर आई0आई0पी0एम0 कालेज व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21-03-2014 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षीगण मैनेजर आई0आई0पी0एम0 कालेज व एक अन्य की ओर से धारा-15 उपभोक्ता
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संरक्षण अधिनियम,1986 के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को संयुक्त व पृथक रूप से आदेशित किया है कि वह परिवादिनी को फीस की धनराशि रू0 1,00,000/- मय 09 प्रतिशत ब्याज सहित परिवाद दाखिल करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक अदा करें।
इसके अतिरिक्त विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया है कि वह क्षतिपूर्ति के रूप में 5000/-रू0 एवं वाद के रूप में 2000/-रू0 भी परिवादिनी को अदा करें। विपक्षीगण उपरोक्त आदेश का पालन एक माह में करें।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन इस प्रकार है परिवादिनी ने विपक्षीगणों के इंजीनियरिंग शिक्षा संस्थान आई0आई0पी0एम0 इंजीनियरिंग कालेज, लखनऊ में एम0बी0ए0 के लिए आवेदन किया जिसमें परिवादिनी द्वारा दिनांक 06-06-2012 को टेस्ट दिया गया और जिसमें परिवादिनी का चयन हुआ। विपक्षी संख्या-1 द्वारा आश्वासन दिये जाने पर कि रू0 1,00,000/- फीस परिवादिनी द्वारा जमा करने पर बाकी फीस हेतु लोन पास कराने की जिम्मेदारी भी विपक्षी संख्या-1 की होगी। इस आधार पर परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-1 के यहॉं विभिन्न तिथियों में फीस मु0 1,00,000/-रू0 जमा कर प्रवेश लिया।
विपक्षीगणों ने बाकी फीस हेतु लोन दिलाने के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की और परिवादिनी को रू0 1,00,000/- लेकर ठगा तथा अनुचित व्यापार व्यवहार अपनाया। विपक्षी संख्या-1 द्वारा प्रवेश के समय परिवादिनी को बताया
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गया कि उक्त कोर्स की पढ़ाई लखनऊ में होगी इस हेतु उनके द्वारा फीस भी लखनऊ में जमा करायी गयी। विपक्षीगणों ने परिवादिनी से कहा कि कक्षायें लखनऊ में नहीं दिल्ली में चलायी जायेगी। परिवादिनी को विपक्षीगण द्वारा पहले यह नहीं बताया गया कि वे लोन नहीं दिला सकेंगे या कक्षायें लखनऊ में नहीं चलेगी और दिल्ली में चलेगी। उक्त जानकारी होने पर परिवादिनी ने विपक्षीगण से अपनी जमा फीस वापस मांगा। परिवादिनी अपनी जमा फीस रू0 1,00,000/- वापस किये जाने हेतु दौड़ती रही, परन्तु विपक्षीगण ने यही कहा कि लोन होगा तथा दिल्ली में ही पढ़ाई करनी होगी। परिवादिनी को यह बात स्पष्ट हो गयी कि विपक्षीगण द्वारा उसे ठगा गया है अत: उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 25-06-2013 को रजिस्टर्ड विधिक नोटिस विपक्षीगणों को भेजा, जिसका कोई उत्तर विपक्षीगणों द्वारा नहीं दिया गया। जब कि विपक्षीगण द्वारा किये गये कथन के अनुसार परिवादिनी को लोन की व्यवस्था करवाते और कक्षायें लखनऊ में ही चलाते, परन्तु ऐसा न करके विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी की फीस 1,00,000/- हड़प ली गयी, जो कि विपक्षीगण की सेवा में कमी का द्योतक है और साथ ही उसका विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी का भविष्य भी नष्ट कर दिया गया, क्योंकि यदि परिवादिनी को फीस वापस कर दी जाती तो वह लखनऊ के किसी दूसरे संस्थान से एम0बी0ए0 की पढ़ाई कर लेती। विपक्षीगण के दोषपूर्ण कृत्य से परिवादिनी को मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक कष्ट पहुँचा है, अत: परिवादिनी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से जमा फीस मु0 1,00,000/-रू0 मय 18 प्रतिशत ब्याज, संभावित सालाना आय के रूप में रू0 5,90,000/- क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 3,00,000/- तथा वाद व्यय के रूप में रू0 10,000/- दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
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विपक्षीगण को रजिस्टर्ड नोटिस भेजी गयी, परन्तु उनकी ओर से न तो कोई प्रतिवाद पत्र और न ही कोई शपथ पत्र दाखिल किया गया है। अत: आदेश दिनांक 27-11-2013 के द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गयी है।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया।
हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना है तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित एकपक्षीय निर्णय साक्ष्य और विधि के अनुरूप नहीं है और उसे जिला फोरम में अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने व सुनवाई का अवसर नहीं मिला है अत: उसे साक्ष्य और सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाए।
हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि जिला फोरम ने बिना विपक्षी/अपीलार्थी को सुने एकपक्षीय निर्णय और आदेश पारित किया है। जिससे अपीलार्थी जिला मंच के समक्ष अपनी बात नहीं रख सका है। अत: न्याय हित में अपीलार्थी/विपक्षी को साक्ष्य और सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान किया जाना उचित प्रतीत होता है।
तद्नुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
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आदेश
अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए पत्रावली जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि वह उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का निस्तारण गुणदोष के आधार पर यथाशीघ्र करे।
उभयपक्ष जिला मंच के समक्ष दिनांक 23-02-2017 को उपस्थित हो।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा