| Final Order / Judgement | (सुरक्षित) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। अपील सं0 :-770/2014 (जिला उपभोक्ता आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा परिवाद सं0-633/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11/03/2014 के विरूद्ध) M/s Skoda Auto India Private Limited A-1/1, Five Star Industrial Area Shendra, Midcaurangabad, Maharashtra - Appellant
Versus - K.P. Aggarwal S/O Om Prakash Aggarwal Resident of: D-15, Kamla Nagar, Agra, Uttar Pradesh
- Manager Sheel Benchers C-15, Nirbhay Nagar, Gailana Road, Agra
- Respondents
एवं अपील सं0 –844/2014 Manager Shiel Ventures, Having its Regd Office at; 14-16, E 14/6, IInd Floor, Shanta tower, Sanjay Place, Agra; and branch office now at khasra No. 50, Arsena, Near Anand Engineering College, Runakata, Agra. - Appellant
Versus - K.P. Agarwal, D-15, Kamla Nagar, Agra Chairman K.P. Charitable Trust, 137, Shanti Nagar, Chandigarh
- Managing Director, Skoda Auto India Private Ltd, A-1/1, MIDC, Five star Industrial area, Sendra, Aurangabad-431201
…Respondents समक्ष - मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थी स्कोडा की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री सैय्यद सईद अख्तर एवं श्री विष्णु कुमार मिश्रा प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री सुशील कुमार मिश्रा प्रत्यर्थी सं0 2 शील बेंचर्स की ओर से विद्धान अधिवक्ता:- कोई नहीं दिनांक:-20.07.2023 माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - परिवाद सं0 633/2011 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.03.2014 के विरूद्ध अपील सं0 844/2014 मैनेजर शील बेंचर्स द्वारा प्रस्तुत की गयी है, जबकि अपील सं0 770/2014 मैसर्स स्कोडा आटो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत की गयी है। उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्ताओं को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया। उपरोक्त दोनों अपीलें एक ही विषय-वस्तु से संबंधित हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ किया जा रहा है।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी के0पी0 चैरिटेबल ट्रस्ट का चैयरमैन है। ट्रस्ट के कार्य के लिए एक वाहन लौरा स्कोडा एलीजेन्स 2 टी.डी.आई./सी.आर.डी.आई. विपक्षी सं0-2 से 22/10/2010 को क्रय किया गया था। 15 दिन पश्चात यह गाड़ी रूकने लगी। इंजन तथा डैस बोर्ड में आवाज आने लगी। सर्विस कराने पर भी आवाज बन्द नहीं हुई, कुछ दिन बाद ही पिकअप में दिक्कत आने लगी तब पुन: सर्विस सेण्टर से सम्पर्क किया गया, परंतु शिकायत दूर नहीं हुई। बार-बार शिकायत होने पर प्रत्यर्थी/परिवादी दिनांक 03.09.2011 को सर्विस सेण्टर पर गया। गाड़ी को सही बताकर वापस कर दिया गया। शिकायत दूर नहीं की गयी, इसलिए दिनांक 16.09.2011 को यह वाहन विपक्षी सं0 2 के सर्विस सेण्टर पर छोड़ दिया गया। गाड़ी ठीक नहीं की गयी। लीगल नोटिस के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
- अपील सं0 844/2014 में अपीलार्थी/विपक्षी सं0 2 का कथन है कि कार में उत्पादन संबंधी कमी नहीं है। कार का गेयर बाक्स बदल दिया गया। नोटिस के बाद भी कोई कार लेने नहीं आया। कम्पनी प्रतिदिन के हिसाब से क्षतिपूर्ति देना चाहती है, जिसे परिवादी ने स्वीकार नहीं किया।
- अपील सं0 770/2014 में अपीलार्थी/विपक्षी सं0 1 का कथन है कि मरम्मत अवधि में 2200/-रू0 प्रतिदिन की दर से यात्रा खर्च का भुगतान किया जाता है, जिसे परिवादी द्वारा स्वीकार नहीं किया गया और अवैध रूप से धन की मांग की गयी।
- सभी पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि वाहन में उत्पादन संबंधी कमी है, इसलिए नयी कार प्रत्यर्थी/परिवादी को उपलब्ध करायी जाये या कीमत 07 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस अदा की जाए, साथ ही अंकन 2200/-रू0 प्रतिदिन की दर से क्षतिपूर्ति का आदेश दिया गया है।
- अपीलार्थीगण के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि का कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। दिनांक 22.10.2010 को वाहन क्रय करने के पश्चात दिनांक 17.09.2011 के जॉब कार्ड मे गेयर में खराबी की शिकायत दर्ज है। दिनांक 16.09.2011 के जॉब कार्ड में 90 किमी से 120 किमी प्रति घण्टे की रफ्तर से वाहन चलने पर टायरों में आवाज की शिकायत दर्ज है। गेयर बॉक्स बदला गया है। अंत में 21.02.2021 को पिकअप में कमी पायी गयी और ए0सी0 कार्य करता हुआ नहीं पाया गया। इंजन मे भी आवाज पायी गयी और हार्न खराब पाया गया तथा पहियों में आवाज आना भी पाया गया, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा उत्पादन संबंधी त्रुटि पायी गयी, परंतु यथार्थ में उत्पादन कमियों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता था कि वाहन मे उत्पादन संबंधी त्रुटि मौजूद है। उत्पादन संबंधी त्रुटि पर निष्कर्ष देने के लिए किसी वाहन विशेषज्ञ की रिपोर्ट प्राप्त करना आवश्यक था। इस रिपोर्ट के अभाव में वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि का निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता था, इसलिए नया वाहन देने या वाहन को बदलने का आदेश विधिसम्मत नहीं है। यद्यपि चूंकि वाहन विपक्षी के गैराज पर खड़ा है और समय पर मरम्मत नहीं की गयी इसलिए 2200/- रूपये प्रतिदिन की क्षतिपूर्ति देने का आदेश विधिसम्मत है। इसी के साथ वाहन बदलने के बजाय वाहन को पूर्ण संतुष्टि के साथ मरम्मत कराने तथा परिवादी को सुपुर्द करने का आदेश देना विधिसम्मत है।
- चूंकि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने वाहन को समय पर तैयार नहीं किया तथा इस तथ्य को स्वयं स्वीकार किया कि वे प्रतिदिन की क्षतिपूर्ति देने के लिए तत्पर है, परंतु विपक्षीगण के इस कृत्य के कारण प्रत्यर्थी/परिवादी अपने वाहन का प्रयोग नहीं कर सका और बार-बार मरम्मत के अनुरोध के लिए बाध्य होना पड़ा, जिसके लिए मानसिक प्रताड़ना कारित हुई। अत: इस मद में प्रत्यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षीगण से 5,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति हेतु प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
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- अपील सं0 770/2014 एवं अपील सं0 844/2014 आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा एकल एवं संयुक्त दायित्व के तहत गैराज में वाहन खड़े होने की तिथि से भुगतान की तिथि तक अंकन रू0 2200/- की क्षतिपूर्ति का आदेश प्रतिदिन की दर से दिया जायेगा। इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज भी देय होगा।
- निर्णय की प्रति प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा वाहन की मरम्मत अपने खर्चे से की जायेगी तथा अगले 15 दिन के अंदर वाहन पूर्णता मरम्मत कर प्रत्यर्थी/परिवादी को उपलब्ध करायी जायेगी, यदि इस आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तब प्रत्यर्थी/परिवादी को वाहन की कीमत 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से वापस लौटायी जायेगी।
- अपीलार्थी/विपक्षीगण मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 5,00,000/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करेगें।
उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। इस निर्णय व आदेश की मूल प्रति अपील सं0-770/2014 में रखी जाये एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्बंधित अपील सं0-844/2014 में रखी जाये। प्रस्तुत दोनों अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (सुशील कुमार)(राजेन्द्र सिंह) निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया। (सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य 20.07.2023 संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2 | |