Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/680

Mahindra and Mahindra - Complainant(s)

Versus

Jeeju - Opp.Party(s)

K N Shukla

01 May 2012

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/680
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Mahindra and Mahindra
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Jugul Kishor MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-680/2011

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-390/2001 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.03.2010 के विरूद्ध)

 

1. महेन्‍द्रा एण्‍ड महेन्‍द्रा लि0, फर्म इक्‍यूप्‍मेंट सेक्‍टर, महेन्‍द्रा पावर रोड नं0 13, वर्ली मुम्‍बई, महाराष्‍ट्रा।

2. एरिया मैनेजर (महेन्‍द्रा एण्‍ड महेन्‍द्रा लि0) ट्रैक्‍टर डिवीजन, ए-57 सेक्‍टर 33, नोएडा, गौतमबुद्ध नगर।

                           ......................अपीलार्थीगण/विपक्षी सं0-1, 2।                                           

बनाम्

1. जीजू पुत्र सद्दीक, फारूख नगर, परगना लोनी, तहसील व जिला गाजियाबाद।

2. सैनू मोटर, डीलर महेन्‍द्रा ट्रैक्‍टर बी-188, लोहिया नगर, गाजियाबाद, द्वारा अथराइज्‍ड डीलर सैनू मोटर्स, लोहिया नगर, गाजियाबाद।

       ...................प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-3।                                                 

समक्ष:-

1. माननीय श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित          : श्री काशी नाथ शुक्‍ला, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित      : कोई नहीं।

दिनांक 01.10.2014

माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री काशी नाथ शुक्‍ला उपस्थित हुए। उन्‍हें विस्‍तारपूर्वक सुना गया एवं उनके तर्कों के परिप्रेक्ष्‍य में पत्रावली का परिशीलन किया गया।

इस प्रकरण में जिला फोरम, गाजियाबाद द्वारा दिनांक 19.03.2010 को निर्णय एवं आदेश उदघोषित किया गया था। जबकि अपीलार्थीगण ने यह अपील दिनांक 21.04.2011 को योजित की है। इस  प्रकार  यह  अपील  लगभग 13 माह के समय सीमा अवधि से बाधित है। पत्रावली के परिशीलन से यह तथ्‍य प्रकाश में आता है कि एक पक्षीय निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.03.2010 के पारित होने के उपरान्‍त डिक्रीदार/परिवादी

 

-2-

ने निष्‍पादन वाद संख्‍या-101/2010 संस्थित किया था एवं उक्‍त निष्‍पादन वाद में अपीलार्थी/निर्णीत ऋणी ने दिनांक 03.11.2010 को उपस्थित होकर एक पक्षीय निर्णय एवं ओदश दिनांक 19.03.2010 को अपास्‍त करने के लिए एक प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया था जिसे दिनांक 22.03.2011 को अधीनस्‍थ फोरम द्वारा निरस्‍त कर दिया गया था। इस प्रकार यह विनिश्चित किया जाता है कि अपीलार्थी को एक पक्षीय निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.03.2010 के बारे में दिनांक 03.11.2010 के पूर्व पूर्ण जानकारी हो गयी थी। फिर भी उनके द्वारा यह अपील दिनांक 21.04.2011 को दाखिल की गयी। इस प्रकार यह अपील निश्चित रूप से समय सीमा से बाधित है। अपीलार्थी द्वारा इस विलम्‍ब को क्षमा करने के लिए प्रार्थना पत्र दिनांक 21.04.2011 के साथ अपने मण्‍डलीय प्रबन्‍धक श्री आशीष गुप्‍ता का शपथपत्र भी प्रस्‍तुत किया गया है। इस शपथपत्र में अपीलार्थी द्वारा न तो तथ्‍यों को सही प्रकार से रखा गया है और न ही उनके द्वारा दिन प्रति‍ दिन विलम्‍ब का स्‍पष्‍टीकरण दिया गया है। वर्णित परिस्थितियों में अपीलार्थीगण द्वारा विलम्‍ब क्षमा प्रार्थना पत्र में दर्शाया गया कारण पर्याप्‍त नहीं है। अत: माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा महेन्‍द्रा एण्‍ड महेन्‍द्रा फाइनेन्सियल सर्विसेज लिमिटेड बनाम नरेश सिंह I (2013) CPJ 407 (NC),  यू0पी0  आवास  एवं विकास परिषद बनाम बृज किशोर पाण्‍डेय IV (2009) CPJ 217  (NC), दिल्‍ली डेवलेपमेंट अर्थारिटी बनाम वी0पी0 नारायण IV (2011) CPJ 155 (NC) एवं माननीय उच्‍च्‍तम न्‍यायालय द्वारा अंशुल अग्रवाल बनाम नोएडा IV (2011) CPJ 63 (SC) में दिये गये विधिक सिद्धान्‍त को दृष्टिगत रखते हुए यह निष्‍कर्ष दिया जाता है कि अपील को योजित करने में हुए विलम्‍ब को क्षमा करना न्‍यायोचित नहीं होगा।

पत्रावली के परिशीलन से यह तथ्‍य भी प्रकाश में आता है कि डिक्रीदार/परिवादी जीजू पुत्र सद्दीक ने ओरियंटल बैंक आफ कामर्स से कर्ज लेकर तथा अपनी जमीन गिरवी रखकर अपीलार्थी/निर्णीत ऋणी से दिनांक 31.08.1999 को एक ट्रैक्‍टर महेन्‍द्रा डी आई जिसका इंजन व चेसिस नं0 एचडी 17845 था क्रय किया था। इस ट्रैक्‍टर के गेयर बाक्‍स में निर्माण दोष प्रमाणित होने पर अधीनस्‍थ फोरम द्वारा उसे नि:शुल्‍क बदलने हेतु आदेश पारित  किया  गया  था।  इसी के साथ साथ डिक्रीदार/परिवादी को असुविधा एवं क्षतिपूर्ति

 

-3-

स्‍वरूप रू0 5,000/- एवं वाद व्‍यय स्‍वरूप रू0 1,000/- कुल रू0 6,000/- अदा करने हेतु आदेश पारित किया गया है। इसी आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील दाखिल की गयी है। इस निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार का कोई विधिक अथवा तथ्‍यात्‍मक त्रुटि होना नहीं पाया जाता है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अभिलेखों पर आधारित है।

पत्रावली के परिशीलन से यह तथ्‍य भी प्रकाश में आता है कि अपीलार्थी/निर्णीत ऋणी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री लीलाधर शर्मा की मृत्‍यु के उपरान्‍त अपीलार्थी को दिनांक 15.04.2009 को उनके स्‍थान पर एक अन्‍य अधिवक्‍ता नियुक्‍त करते हुए पैरवी करने हेतु आदेश पारित किया गया था, परन्‍तु अपीलार्थी/निर्णीत ऋणी द्वारा उक्‍त आदेश की न तो केवल अवेहलना की गयी, बल्कि उक्‍त तिथि के उपरान्‍त वह अधीनस्‍थ फोरम में उपस्थित होना भी बंद कर दिया गया है। फलस्‍वरूप उनके विरूद्ध दिनांक 19.03.2010 को एक पक्षीय निर्णय एवं आदेश पारित किया गया। तदनसुार अधीनस्‍थ फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.03.2010 में किसी प्रकार का कोई विधिक त्रुटि नहीं है।

वर्णित परिस्थितियों में अपील सारहीन तथा समय सीमा से बाधित होने के कारण निरस्‍त होने योग्‍य है। तद्नुसार यह अपील सारहीन तथा समय सीमा से बाधित होने के कारण निरस्‍त की जाती है। पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे। इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये। पत्रावली दाखिल अभिलेखागार हो।

 

 

              (आलोक कुमार बोस)                    (जुगुल किशोर)

             पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0-2

     कोर्ट-5

 
 
[HON'ABLE MR. Alok Kumar Bose]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Jugul Kishor]
MEMBER

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