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Ramesh Kumar Vimal filed a consumer case on 20 Feb 2015 against Jai Matadi Telecom & Others in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/31/2012 and the judgment uploaded on 17 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-31/2012 (पुराना परिवाद संख्या 1277/2009)
श्री रमेश कुमार विमल पुत्र श्री मालीराम, उम्र लगभग 32 वर्ष, जाति खटीक, निवासी- प्लाॅट संख्या 15, अन्नपूर्णा की बगीची, संजय गांधी पब्लिक स्कूल के सामने, लक्ष्मीनारायणपुरी, हीदा की मोरी, रामगंज, जयपुर ।
परिवादी
बनाम
01. जय मातादी टेलीकाॅम जरिये प्रोपराईटर, कार्यालय पता- एफ-54-55, फस्र्ट फ्लोर, रायसर प्लाजा, इन्द्रा बाजार, जयपुर ।
02. मैसर्स राज एसोसिएट्स जरिये प्रोपराईटर, कार्यालय पता- 2ए, पंच वाटिका, चम्बल पावर हाऊस के सामने, हवा सड़क, सिविल लाईन, जयपुर ।
03. स्पाईस मोबाईल लिमिटेड जरिये प्रबन्धक, कार्यालय पता- डी-1, सेक्टर-3, नोएडा, उत्तर प्रदेश ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री मनोज कुमार विमल, एडवोकेट
विपक्षी संख्या 1 व 2 के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही
विपक्षी संख्या 3 की ओर से श्री विकास मीणा, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः-20.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 11.09.2009 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 से एक स्पाईस मोबाईल एम-5252 दिनांक 29.07.2009 को 2,900/-रूपये में क्रय किया था । फिर इस मोबाईल कोे क्रय करने के बाद परिवादी ने इसका उपयोग करना आरम्भ किया तो परिवादी हतप्रभ रह गया क्योंकि मोबाईल में निम्न खराबियां पाई गईः-
01. कैमरा फिक्स नहीं होता ।
02. फोटो साफ नहीं आती ।
03. वीडियो रिकाॅर्डिंग नहीं करता ।
04. ब्लूट्रुथ से प्रोग्राम एक्सेप्ट नहीं करता ।
05. फिल्में नहीं चलती ।
06. फिल्में जो चलती है, स्लो चलती हैं ।
07. आवाज गानों की कटी-कटी आती हैं ।
08. एफ.एम. से रिकाॅर्डिंग साफ नहीं आती ।
09. बैटरी 7-8 घंटे चार्ज करने पर चार्ज होती हैं ।
10. बैटरी 4-5 घंटे में मोबाईल यूज से डिस्चार्ज हो जाती हैं ।
11. काॅल के डायल अथवा रिसिप्ड करने पर फोन खुद-ब-खुद डिस्कनेक्ट हो जाता हैं ।
12. फोन जब चाहे बैटरी चार्ज होने के बावजूद स्वतः बन्द हो जाता हैं ।
13. फोन पर बात करते समय खुद की आवाज स्पीकर पर सुनाई देती हैं ।
14. लैण्डलाईन डायल के बाद फोन कटने पर डायल नम्बर स्वतः डिलीट हो जाता हैं ।
15. फोन पर बात करते हैं तो आवाज कटी-फटी सुनाई देती हैं व स्पष्ट सुनाई नहीं देती हैं ।
इन सब खराबियों के संबंध में परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 से सम्पर्क किया तो उसने विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में सम्पर्क करने के कहा । इसके बाद परिवादी दिनंाक 13.08.2009 को उक्त खराबियों के संबंध में विपक्षी संख्या 2 से मिला और उसने मोबाईल विपक्षी संख्या 2 के पास जमा करवा दिया । इसके बाद विपक्षी संख्या 2 ने मोबाईल सात दिन बाद लौटाया और उसकी रसीद में लिख दिया कि ’उक्त खराबियों की जांच करना बाकी हैं । उक्त समय जांच करना सम्भव नहीं था क्योंकि मोबाईल की बैटरी पूर्ण रूप से डिस्चार्ज थी ।’
इस प्रकार विपक्षी संख्या 1 ने विपक्षी संख्या 3 द्वारा निर्मित त्रुटिपूर्ण मोबाईल परिवादी को विक्रय करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 11 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी संख्या 1 व 2 लगातार अनुपस्थित रहे हैं । इसलिए अब उनके विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही अमल में लाने के आदेश दिये जाते हैं ।
विपक्षी संख्या 3 की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी को जांच-परखकर मोबाईल क्रय करना चाहिये था । वारण्टी की शर्तों के अनुसार परिवादी को वादकारण पैदा नहीं होता हैं । मोबाईल अच्छा हैं और उसके फिचर्स भी अच्छे हैं । विपक्षी संख्या 3 ने कोई सेवादोष कारित नहीं किया हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि मंें परिवादी श्री रमेश कुमार विमल ने स्वयं का शपथ पत्र एवं चार पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी संख्या 3 की ओर से कोई शपथ पत्र व साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई हैं ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 ने विपक्षी संख्या 3 स्पाईस मोबाईल लिमिटेड द्वारा निर्मित मोबाईल 2,900/-रूपये में क्रय किया था । यह तथ्य विपक्षी संख्या 1 के टंज प्दअवपबम से प्रमाणित हैं । इसके बाद में इस मोबाईल में 15 खराबियां परिवादी द्वारा देखी गई । जिसके संबंध में परिवादी ने विपक्षी संख्या 2, जो विपक्षी संख्या 3 का सर्विस सेन्टर हैं, के समक्ष दिनांक 13.08.2009 को अपनी शिकायत दर्ज करवाई । परन्तु इस मोबाईल की जाॅबशीट दिनांकित 13.08.2009 पर केवल स्वू ठंजजमतल ठंबानच की ही शिकायत अंकित हैं । इस प्रकार परिवादी ने मोबाईल मंें जो 15 शिकायतें बताई थी उन शिकायतों का अंकन यद्यपि सर्विस जाॅबशीट दिनंाकित 13.08.2009 पर उपलब्ध नहीं हैं । लेकिन विपक्षी संख्या 2 ने इन तथ्यों का अपने जवाब और साक्ष्य पेश करके खण्डन भी नहीं किया हैं । बल्कि विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही अमल में लाई गई हैं । इसलिए आदेश 8 (5) (2) सी.पी.सी. के प्रावधानों में यह मानकर चला जावेगा कि विपक्षी संख्या 2 ने विवादित मोबाईल में उक्त 15 खराबियां पाई थी । जिनका निराकरण विपक्षी संख्या 2 और मोबाईल निर्माता कम्पनी विपक्षी संख्या 3 के स्तर पर नहीं किया गया हैं । इस प्रकार विपक्षी संख्या 1 ने निर्विवाद रूप से परिवादी को विपक्षी संख्या 3 द्वारा निर्मित त्रुटिपूर्ण मोबाईल विक्रय किया था । जिसमें दिनांक 29.07.2009 को मोबाईल क्रय करने के बाद दिनांक 13.08.2009 को ही 15 त्रुटियां पाई गई और जिनका निराकरण विपक्षीगण के स्तर पर नहीं किया गया । इसलिए विपक्षीगण ने परिवादी को त्रुटिपूर्ण मोबाईल विक्रय किया हैं, यह निष्कर्ष निकाला जाता हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर मोबाईल निर्माता कम्पनी विपक्षी संख्या 3 ने परिवादी को त्रुटिपूर्ण मोबाईल विक्रय करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब मोबाईल निर्माता कम्पनी विपक्षी संख्या 3 से विवादित मोबाईल की कीमत 2,900/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी विवादित मोबाईल की कीमत प्राप्त करते समय विवादित मोबाईल विपक्षी संख्या 3 को वापस लौटायेगा । परिवादी को विपक्षी संख्या 3 से उसके इस सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 3,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं । विपक्षी संख्या 1 व 2 का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होेने से परिवादी उनके विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादी मोबाईल निर्माता कम्पनी विपक्षी संख्या 3 से विवादित मोबाईल की कीमत 2,900/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी विवादित मोबाईल की कीमत प्राप्त करते समय विवादित मोबाईल विपक्षी संख्या 3 को वापस लौटायेगा । परिवादी को विपक्षी संख्या 3 से उसके उपरोक्त सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 3,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं । विपक्षी संख्या 1 व 2 का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होेने से परिवादी उनके विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं ।
विपक्षी संख्या 3 को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेगा ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 20.02.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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