Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/755

Deoria Kasya Jila Sahkari Bank - Complainant(s)

Versus

Jagdamba Cloth Store - Opp.Party(s)

B K Updhayay

20 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/755
( Date of Filing : 03 May 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Deoria Kasya Jila Sahkari Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Jagdamba Cloth Store
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Sep 2024
Final Order / Judgement

     (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0:- 755/2010

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, देवरिया द्वारा परिवाद सं0-516/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05/03/2010 के विरूद्ध)

  1. देवरिया कसया जिला सहकारी बैंक लि0 सायंकालीन शाखा देवरिया द्वारा शाखा प्रबंधक सुभाष चन्‍द्र पाण्‍डेय
  2. यशवन्‍त सिंह रिकवरी अधिकारी देवरिया कसया जिला सकारी बैंक लि0 सायंकालीन शाखा देवरिया द्वारा अधिकृत प्रतिनिधि शाखा प्रबन्‍धक।
  3.                                                                      अपीलार्थीगण   

बनाम

जगदम्‍बा क्‍लाथ स्‍टोर्स द्वारा प्रोपराइटर देवदत्त कुमार केजरीवाल पुत्र स्‍व0 छेदी लाल केजरीवाल, ठठेरी गली देवरिया, हाल पता-छ:मुखी चौराहा के निकट देवरिया जनपद देवरिया।  

  •                                                                   प्रत्‍यर्थी

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री रामसेवक उपाध्‍याय

प्रत्‍यर्थी की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री आर0के0 मिश्रा

दिनांक:-20.09.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.      यह अपील जिला उपभोक्‍ता आयोग, देवरिया द्वारा परिवाद सं0-516/2003 जगदम्‍बा क्‍लाथ स्‍टोर्स बनाम देवरिया कसया जिला सहकारी बैंक लि0 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05/03/2010 के विरूद्ध योजित की गयी है।
  2.      जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए यह आदेशित किया है कि परिवादी द्वारा अंकन 2,69,817/-रू0 जमा करने पर सी0सी0 लिमिट में बंधक कागजात परिवादी को वापस कर दें।
  3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी से 1,50,000/-रू0 की सी0सी0 लिमिट बनवायी थी, जिसके एवज में सम्‍पत्ति के कागजात बंधक रखे थे। इस खाते की शुरूआत दिनांक 28.10.1998 को हुई थी। परिवादी द्वारा दिनांक 28.10.1998 से दिनांक 7.03.1999 तक 1,28,000/-रू0 जमा किये गये। विपक्षी द्वारा कैश क्रेडिट लिमिट के बावत एक नोटिस दिनांक 12.07.2003 को प्रस्‍तुत किया गया, जिसमें बकाया 2,69,817/-रू0 की मांग की गयी, अन्‍यथा धारा 95क के अंतर्गत वसूली प्रमाण पत्र जारी करने की चेतावनी दी गयी।
  4.        विपक्षी का कथन है कि परिवादी को State Sponsored Scheme के अंतर्गत ऋण जारी किया गया था, जिसकी वसूली आवश्‍यक है। परिवादी पर 2,69,817/-रू0 बकाया है। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया है, जिसे इस अपील में चुनौती दी गयी है।
  5.        दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍ता को सुनने के पश्‍चात तथा पत्रावली में पारित निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि यथार्थ में परिवादी को विपक्षी बैंक के विरूद्ध उपभोक्‍ता परिवाद करने का कोई वाद कारण ही उत्‍पन्‍न नही हुआ। बैंक द्वारा नोटिस जारी किया गया है तब नोटिस जारी करने मात्र से कोई वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं होता। इस नोटिस के जवाब में परिवादी को बकाया धनराशि जमा करने का अवसर उपलब्‍ध  था। यह सही है कि परिवादी द्वारा 1,28,000/-रू0 जमा करने का विवरण प्रस्‍तुत किया गया। समर्थन में शपथ पत्र भी प्रस्‍तुत किया गया है, परंतु स्‍वयं परिवादी ने स्‍वीकार किया है कि उसके द्वारा अंकन 1,50,000/-रू0 का ऋण दिनांक 28.10.1998 को प्राप्‍त किया गया था, जबकि उसके द्वारा दिनांक 07.03.1999 तक केवल 1,28,000/-रू0 जमा किये गये। अत: मूल ऋण की राशि मे से भी परिवादी पर बकाया है तथा ब्‍याज की राशि भी बकाया है, इसलिए जब परिवादी द्वारा समस्‍त ऋण जमा ही नहीं किया गया है तब विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत करने का कोई कारण ही उत्‍पन्‍न नहीं हुआ। अत: यह परिवाद खारिज किया जाना चाहिए था, परंतु गैर वाद कारण उत्‍पन्‍न हुए उपभोक्‍ता परिवाद पर निर्णय पारित किया गया है, जो अपास्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

   अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है।

              उभय पक्ष अपीलीय वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

    प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

                            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

  

(सुधा उपाध्‍याय) (सुशील कुमार)

  •  

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0 2

              

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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