Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/2235

N. I. A. Co. Ltd. - Complainant(s)

Versus

J. B. Sugar Industries - Opp.Party(s)

T. J. S. Makkar

29 Sep 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/2235
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. N. I. A. Co. Ltd.
a
...........Appellant(s)
Versus
1. J. B. Sugar Industries
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 29 Sep 2016
Final Order / Judgement

(राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)

                   सुरक्षित         

अपील संख्‍या 2235/2012

 

(जिला मंच प्रथम, मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0 19/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 06/09/2012 के विरूद्ध)   

 

न्‍यू इंडिया एश्‍योरेन्‍स कंपनी लि0, कुंवर सिनेमा, स्‍टेशन रोड, मुरादाबाद द्वारा डिप्‍टी मैनेजर श्री वी0के0 सिन्‍हा पोस्‍टेड लीगल सेल, 94 एम0जी0 मार्ग, लखनऊ।

 

 

…अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

 

1- जे0बी0 सुगर इण्‍डस्‍ट्रीज द्वारा श्री अमृत लाल तोडी पुत्र श्री बजरंग लाल तोडी प्रो0 जे0बी0 सुगर इण्‍डस्‍ट्रीज बिहाइन्‍ड धर्मकांटा, कांठ रोड, हरथला, मुरादाबाद।

.........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

2- स्‍टेट बैंक आफ इंडिया द्वारा रिजनल मैनेजर का‍मार्शियल ब्रांच सिविल लाइन्‍स, मुरादाबाद।

                        .........प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0 2

 

समक्ष:

       1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य ।

  2. मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित              : विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़।

प्रत्‍यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित          : विद्वान अधिवक्‍ता श्री ब्रिजेन्‍द्र चौधरी।

 

दिनांक:- 10-11-2016

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठा0 सदस्‍य द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील जिला मंच प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0 19/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06/09/2012 के विरूद्ध योजित की गई है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने अपीलकर्ता बीमा कंपनी से अपनी बिल्डिंग तथा स्‍टाक का बीमा कराया था जो 29/03/2007 से 28/03/2008 तक की अवधि के लिए प्रभावी थी। दिनांक 21/03/2008 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी के फैक्‍ट्री प्रांगण में आग लग गई जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी का लगभग 5000 कुन्‍तल खोई निरस्‍त हो गई जिससे उसका 10,00,000/- रूपये का नुकसान हुआ। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने घटना की सूचना अपीलकर्ता बीमा कंपनी को दी। बीमा कंपनी ने प्रारम्भिक निरीक्षण हेतु श्री मुकुल सिन्‍हा को सर्वेयर नियुक्‍त किया। उनके द्वारा वांछित समस्‍त अभिलेख प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्राप्‍त कराया गया। तदोपरान्‍त अपीलकर्ता बीमा कंपनी ने श्री आर0सी0 बाजपेई को अंतिम सर्वेक्षण

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एवं क्षति के आंकलन हेतु सर्वेयर नियुक्‍त किया। सर्वेयर को प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यह सूचित किया कि जिस स्‍थान पर खोई रखी थी वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने किराया पर लिया था किन्‍तु बीमा कंपनी ने बिना किसी तर्कसंगत आधार के बीमा दावा इस आधार पर निरस्‍त कर दिया कि खोई फैक्‍ट्री परिसर से बाहर रखी हुई थी। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा योजित किया गया।

      अपीलकर्ता बीमा कंपनी के कथनानुसार सर्वेयर श्री आर0सी0 बाजपेई ने परिवादी द्वारा कथित अग्नि दुर्घटना स्‍थल पर जाकर विस्‍तृत एवं गहन सर्वे किया तथा अपनी आख्‍या प्रेषित की। सर्वेक्षण के दौरान श्री आर0सी0 बाजपेई द्वारा यह पाया गया कि अग्नि दुर्घटना में प्रभावित खोई का स्‍टाक परिवादी के युनिट परिसर के बाहर रखा हुआ था जो बीमा पालिसी के अंतर्गत नहीं आता। बीमा पालिसी के अनुसार बीमा धारक की युनिट परिसर के अंदर रखे हुए बीमित आइटम का ही जोखिम बीमा की शर्तों के अधीन अच्‍छादित था। अत: ऐसी परिस्थितियों में दुर्घटना में प्रभावित परिवादी की खोई का क्‍लेम भुगतान योग्‍य नहीं पाया गया। तदनुसार बीमा दावा अस्‍वीकार किया गया।

      प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा जिला मंच ने प्रत्‍यर्थी परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलकर्ता बीमा कंपनी को निर्देशित किया कि वह निर्णय के दिनांक से एक माह के अंदर परिवादी को बीमा धनराशि मु0 10,00,000/- रूपये, परिवाद व्‍यय 2000/- रूपये एवं मानसिक क्षतिपूर्ति 10,000/- अदा करे, यदि विपक्षी आदेश का अनुपालन समयावधि के अंतर्गत नहीं करता है तो परिवादी बीमा धनराशि 10,00,000/- रूप्‍ये पर 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से आदेश की दिनांक से ब्‍याज भी पाने का अधिकारी होगा। इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई है।

      हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़ एवं प्रत्‍यर्थी सं0 1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ब्रिजेन्‍द्र चौधरी के तर्क सुने। प्रत्‍यर्थी सं0 2 एक औपचारिक पक्षकार है जिसके विरूद्ध कोई अनुतोष प्रश्‍नगत निर्णय में विद्वान जिला मंच द्वारा नहीं पारित किया गया है।

अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍गनत निर्णय पारित किया है। अपीलकर्ता बीमा कंपनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के बीमा दावे के संदर्भ में घटना स्‍थल

 

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का निरीक्षण एवं कथित क्षति के आंकलन हेतु सर्वेयर की नियुक्‍त की थी। सर्वेयर द्वारा घटना स्‍थल के निरीक्षण के उपरान्‍त आख्‍या प्रेषित की गई जिसमें सर्वेयर द्वारा यह पाया गया कि क्षतिग्रस्‍त खोई प्रत्‍यर्थी परिवादी के फैक्‍ट्री परिसर से बाहर पड़ी हुई थी। बीमा की शर्तों के अनुसार फैक्‍ट्री परिसर में रखा स्‍टाक ही बीमित था क्‍योंकि क्षतिग्रस्‍त स्‍टाक प्रत्‍यर्थी/परिवादी की फैक्‍ट्री परिसर से बाहर मौजूद था। अत: बीमा की शर्तों के अनुसार यह माल बीमित नहीं माना जा सकता। अत: इस माल की कथित क्षति के संदर्भ में अपीलकर्ता बीमा कंपनी से क्षतिपूर्ति का अधिकारी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नहीं माना जा सकता।

      प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि फैक्‍ट्री परिसर का तात्‍पर्य फैक्‍ट्री बाउण्‍ड्री के अंदर रखा स्‍टाक ही नहीं माना जा सकता। बीमा कंपनी ने आग लगना स्‍वीकार किया है तथा खोई का नष्‍ट होना भी स्‍वीकार किया है उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी ने परिवाद के निस्‍तारण के दौरान तथा अपील के स्‍तर पर बीमा शर्तों की कोई प्रति प्रस्‍तुत नहीं की और न ही बीमा की उक्‍त शर्त का वर्णन प्रस्‍तुत किया जिसके आधार पर परिवादी का बीमा दावा निरस्‍त किया गया।

      प्रस्‍तुत प्रकरण में महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न यह है कि क्‍या क्षतिग्रस्‍त स्‍टाक प्रश्‍नगत बीमा पालिसी की शर्तों के अंतर्गत अच्‍छादित था ?

      जहां तक प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क का प्रश्‍न है कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी की शर्तों से संबंधित प्रति उसे उपलब्‍ध नहीं कराई गई। उल्‍लेखनीय है कि इस संदर्भ में कोई आपत्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद के अभिकथनों में नहीं की है और न ही जिला मंच के समक्ष इस संदर्भ में कोई तर्क प्रस्‍तुत किया गया है। सर्वप्रथम अपीलीय स्‍तर पर ही यह तर्क प्रस्‍तुत किया जा रहा है कि बीमा पालिसी से संबंधित शर्तें प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्राप्‍त नहीं कराई गई। अपीलकर्ता ने अपील के साथ प्रश्‍नगत पालिसी की कवर नोट की फोटोप्रति कागजात सं0 39 के रूप में दाखिल की है। स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपनी फैक्‍ट्री के भवन तथा स्‍टाक का बीमा प्रश्‍नगत पालिसी के अंतर्गत होना कहता है तथा बीमा पालिसी आगजनी के कथित घटना के समय प्रभावी होना बताता है यह नितांत अस्‍वाभाविक है कि प्रश्‍नगत पालिसी की कवर नोट की प्रति भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्राप्‍त नहीं कराई गई हो। प्रश्‍नगत पालिसी के कवर नोट की फोटोप्रति कागजात सं0 39 में बीमित स्‍टाक के संदर्भ में स्‍पष्‍ट रूप से दर्शित है कि इस बीमा पालिसी के अंतर्गत बीमाधारक के फैक्‍ट्री परिसर में

 

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स्थित पालिसी में वर्णित स्‍टाक ही बीमित माना जायेगा क्‍योंकि निर्विवादित रूप से पक्षकारान के मध्‍यम फैक्‍ट्री के भवन तथा स्‍टाक के संबंध में बीमा पालिसी की संविदा निष्‍पादित हुई है।  अत: स्‍वाभाविक रूप से इस बीमा के संबंध में पक्षकारान के अधिकार बीमा की शर्तों से ही नियंत्रित माने जायेंगे।

      यह तथ्‍य भी निर्विवादित है कि प्रश्‍नगत प्रकरण के संबंध में अपीलकर्ता बीमा कंपनी द्वारा श्री आर0सी0 बाजपेई को सर्वेयर नियुक्‍त किया गया जिसके द्वारा अंतिम रूप से सर्वेक्षण के उपरान्‍त बीमा दावे के संदर्भ में अपनी आख्‍या प्रेषित की जानी थी। श्री आर0सी0 बाजपेई ने घटना स्‍थल के निरीक्षण के उपरान्‍त अपनी विस्‍तृत आख्‍या प्रेषित की है जिसे अपीलकर्ता बीमा कंपनी ने जिला मंच के समक्ष साक्ष्‍य में प्रेषित की है। विद्वान जिला मंच ने इस आख्‍या पर इस आधार पर ध्‍यान नहीं दिया कि श्री बाजपेई का शपथ पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया। विद्वान जिला मंच का यह तर्क तथ्‍यों के अनुसार सही नहीं है क्‍योंकि अपीलकर्ता बीमा कंपनी का यह कथन है कि श्री आर0सी0 बाजपेई का शपथ पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया था। श्री बाजपेई द्वारा प्रस्‍तुत की गई सर्वेक्षण आख्‍या की प्रति कागज सं0 23 लगायत 37 तक एवं इस आख्‍या की पुष्टि में श्री आर0सी0 बाजपेई द्वारा प्रस्‍तुत शपथ पत्र की प्रति कागज सं0 40 एवं 41 अपीलकर्ता द्वारा अपील के मेमो के साथ दाखिल की गई है। यह भी उल्‍लेखनीय है कि स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी यह स्‍वीकार करता है कि प्रारम्‍भ में श्री मुकुल सिन्‍हा को सर्वेयर के रूप में अपीलकर्ता बीमा कंपनी द्वारा प्रारम्भिक जांच हेतु सर्वेयर नियुक्‍त किया गया था किन्‍तु अंतिम रूप से श्री आर0सी0 बाजपेई की नियुक्‍ति सर्वेयर के रूप में की गई। सर्वेयर द्वारा किये गये सर्वेक्षण के मध्‍य स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने सर्वेक्षण के कार्य में सहयोग किया। श्री आर0सी0 बाजपेई को सर्वेयर के रूप में नियुक्ति पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कोई आपत्ति नहीं की गई। ऐसी परिस्थितियों में सर्वेयर श्री आर0सी0 बाजपेई द्वारा प्रस्‍तुत आख्‍या पर ध्‍यान न दिये जाने का कोई तर्कसंगत आधार प्रतीत नहीं होता। श्री बाजपेई ने अपनी आख्‍या में यह उल्लिखित किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की फैक्‍ट्री बाउण्‍ड्री वाल से घिरी थी और अग्निकांड में नष्‍ट हुई खोई प्रत्‍यर्थी/परिवादी के फैक्‍ट्री प्रांगण में नहीं पाई गई बल्कि आग लगने की कथित घटना में प्रभावित हुई खोई प्रत्‍यर्थी/परिवादी की फैक्‍ट्री से बाहर स्थित पाई गई।

     

 

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स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन नहीं है कि आग लगने की कथित घटना में प्रभावित खोई उसकी फैक्‍ट्री की बाउण्‍ड्री में स्थित थी बल्कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन है कि यह खोई जिस स्‍थान पर रखी गई थी वह स्‍थान उसने अपने रिश्‍तेदार से किराये पर ले रखा था और इस संदर्भ में सर्वेयर को वस्‍तुस्थिति से अवगत भी करा दिया गया था। यदपि अपीलकर्ता बीमा कंपनी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत प्रतिवाद पत्र में यह अभिकथित किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पत्र द्वारा सर्वेयर को सूचित किया था कि जहां पर प्रभावित खोई पाई गई वह स्‍थान प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने रिश्‍तेदार से लिया था और उसका कोई किराया अदा नहीं किया जा रहा था। इस प्रकार किराया देने एवं न देने के संदर्भ में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अंतरविरोधी अभिकथन किया गया है किन्‍तु यह तथ्‍य स्‍पष्‍ट है कि वह स्‍थान प्रत्‍यर्थी/परिवादी के फैक्‍ट्री प्रांगण में स्थित नहीं था बल्कि उसे अलग स्थित था।

      प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया है कि अपीलकर्ता ने कोई ऐसा प्रपत्र प्रस्‍तुत नहीं किया जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि फैक्‍ट्री परिसर का सीमांकन कहां से कहां तक था। उल्‍लेखनीय है कि सर्वेक्षण आख्‍या में सर्वेयर श्री आर0सी0 बाजपेई ने यह स्‍पष्‍ट रूप से उल्लिखित किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की फैक्‍ट्री बाउण्‍ड्री वाल से घिरी थी और इस फैक्‍ट्री परिसर के अंदर प्रभावित खोई नहीं पाई गई बल्कि प्रभावित खोई इस फैक्‍ट्री से बाहर स्थित थी। स्‍वाभाविक रूप से फैक्‍ट्री परिसर का सीमांकन उसके बाउण्‍ड्री वाल से ही माना जायेगा। फैक्‍ट्री परिसर से बाहर स्थित सामान चाहे वह फैक्‍ट्री का ही क्‍यों न हो फैक्‍ट्री परिसर में स्थित नहीं माना जा सकता क्‍योंकि बीमा की शर्तों में फैक्‍ट्री परिसर में स्थित सामान ही बीमित किया गया है। अत: उससे बाहर स्थित सामान बीमित नहीं माना जा सकता। 

      उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में हमारे विचार से प्रस्‍तुत प्रकरण से संबंधित क्षतिग्रस्‍त स्‍टाक बीमा पालिसी के शर्तों के अंतर्गत अच्‍छादित न होने के कारण बीमा दावा स्‍वीकार न करके अपीलकर्ता बीमा कंपनी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की।

      विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत त्रुटिपूर्ण निर्णय पारित किया है, अत: अपास्‍त किये जाने योग्‍य है। तदनुसार अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

 

 

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आदेश

        अपीलार्थी की अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच प्रथम, मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0 19/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 06/09/2012 को अपास्‍त किया जाता है। प्रश्‍नगत परिवाद निरस्‍त किया जाता है। उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

        निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार प्राप्‍त कराई जाय।

   

   (उदय शंकर अवस्‍थी)                            (महेश चन्‍द)

     पीठा0 सदस्‍य                                    सदस्‍य   

 

 

 

 सुभाष आशु0 कोर्ट नं0 5

 

 

                                                      

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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