छत्तीसगढ़ राज्य
उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, पंडरी, रायपुर
अपील क्रमांकःFA/14/70
संस्थित दिनांक: 01.02.2014
जे. डी. फूड प्रोडक्ट्स प्राईवेट लिमिटेड,
द्वारा-गिरीश सलूजा,
डायरेक्टर,
लेन-एल-4, विनोबा नगर, बिलासपुर,
तहसील व जिला-बिलासपुर (छ.ग.) ............अपीलार्थी/परिवादी.
विरूद्ध
1. इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड,
ब्रांच ऑफिस-थर्ड फ्लोर 345-347,
लालगंगा शॉपिंग माल, जी. ई. रोड रायपुर,
तहसील व जिला-रायपुर (छ.ग.)
2. एक्सि बैंक,
ब्रांच ऑफिस-रामा टेªड सेंटर,
बस स्टैण्ड बिलासपुर,
तहसील व जिला-बिलासपुर (छ.ग.)....उत्तरवादीगण/अनावेदकगण.
समक्षः
माननीय न्यायमूर्ति श्री आर. एस. शर्मा, अध्यक्ष.
माननीया सुश्री हिना ठक्कर, सदस्या.
माननीय श्री डी. के. पोद्दार, सदस्य.
पक्षकारों के अधिवक्ता
अपीलार्थी की ओर से श्री राजेश वर्मा, अधिवक्ता।
उत्तरवादी क्रमांक-1 की ओर से श्री के. बी. श्रीवास्तव, अधिवक्ता।
उत्तरवादी क्रमांक-2 की ओर से श्री आर. के. गुप्ता, अधिवक्ता।
आदेश
दिनांकः /02/2015
द्वाराः-माननीय न्यायमूर्ति श्री आर. एस. शर्मा, अध्यक्ष
अपीलार्थी/परिवादी ने यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986, के अंतर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर (छ0ग0) (जिसे आगे संक्षिप्त में ‘‘जिला फोरम’’ संबोधित किया जाएगा) के परिवाद प्रकरण क्रमांक-218/2010 जे. डी. फूड प्रोडक्ट्स लिमिटेड विरूद्ध इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं एक अन्य में पारित आदेश दिनांक-04.01.2014 जिसके द्वारा अपीलार्थी/ परिवादी का परिवाद निरस्त किया गया है, से दुखित होकर प्रस्तुत है।
02. अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद जिला फोरम के समक्ष संक्षिप्त में इस प्रकार रहा है कि अपीलार्थी/परिवादी, उत्तरवादी क्र.2/अनावेदक क्र.2 एक्सिस बैंक से फायनेंस कराकर ग्राम हरदी, बिलासपुर में ब्रेड एवं अन्य पोषणीय उत्पादों का व्यवसाय करता है। अपने ऋण की सुरक्षा हेतु उत्तरवादी क्र.2/अनावेदक क्र.2 एक्सिस बैंक, अपीलार्थी/परिवादी के व्यवसाय के लिए उत्तरवादी क्र.1/अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी से दिनांक-16.09.2008 से दिनांक-15.09.2009 तक की अवधि के लिए अग्नि बीमा कराया था जिसका पॉलिसी क्रमांक-11309477 है। दिनांक-12.09.2009 को अपीलार्थी/परिवादी के संस्थान में अचानक आग लग गई जिसकी नुकसानी के संबंध में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा उत्तरवादी क्र.1/अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी के समक्ष 15,00,608/-(पन्द्रह लाख छः सौ आठ रूपये) का दावा स्टीमेट प्रस्तुत किया गया। दावे की सूचना पर उत्तरवादी क्र.1/अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी द्वारा हितेश चितालिया को सर्वेयर नियुक्त किया गया जिसने मौके पर जाकर क्षति का भौतिक सत्यापन किया किन्तु उसने उत्तरवादी क्र.1/अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी के पक्ष में पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर दावे की राशि केवल 2,37,178/-(दो लाख सैंतीस हजार एक सौ अठहत्तर रूपये) निर्धारण किया है जिसको आधार मानकर दावा निराकृत किया गया है। इस प्रकार उत्तरवादीगण/ अनावेदकगण द्वारा सेवा में कमी की गई है जिसके कारण अपीलार्थी/ परिवादी को परिवाद लाने की आवश्यकता पड़ी है। अतः परिवाद-पत्र में वर्णित अनुसार अनुतोष दिलाई जावे।
03. उत्तरवादी क्र.1/अनावेदक क्र.1 द्वारा जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत कर यह अभिकथन किया है कि बीमा धारक द्वारा जब घटना की सूचना उत्तरवादी क्र.1/अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी को दी गई तो उत्तरवादी क्र.1/अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी ने तत्काल आई. आर. डी. ए. के द्वारा अधिकृत स्वतंत्र सर्वेयर से घटना के अंतर्गत क्षति का भौतिक सत्यापन करके क्षति आंकलित करने हेतु निर्देशित किया गया जिसके फलस्वरूप सर्वेयर ने घटना स्थल का भौतिक सत्यापन एवं बीमा पॉलिसी का अवलोकन करने के पश्चात् बीमा पॉलिसी के तहत बीमित अनुसार क्षति राशि का आंकलन किया गया है जो कि बिना प्रतिकूल प्रभाव के है और सर्वेयर ने भौतिक सत्यापन के बाद 12,00,824.77 (बारह लाख आठ सौ चैबीस रूपये सतहत्तर पैसे) होना पाया लेकिन बीमा पॉलिसी में बीमित अनुसार क्षति मात्र 2,47,178/-(दो लाख सैंतालीस हजार एक सौ अठहत्तर रूपये) की क्षति होना पाया गया क्योंकि जारी बीमा पॉलिसी के अंतर्गत पैकिंग मटेरियल कवर नहीं था इसलिए कुल क्षति राशि में से 9,53,646.27 (नौ लाख तिरपन हजार छः सौ छिंयालीस रूपये सत्ताईस पैसे) घटाकर अपीलार्थी/परिवादी को बीमा पॉलिसी के अंतर्गत कवर्ड हानि राशि का भुगतान हेतु प्रेषित किया गया लेकिन अपीलार्थी/परिवादी ने देय राशि का चेक प्राप्त नहीं किया। इस प्रकार दावा क्षति के निराकरण में किसी प्रकार से कोई सेवा में कमी नहीं की गई है। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा बीमा कंपनी से स्वयं प्रपोजल के आधार पर स्टैण्डर्ड फायर एण्ड पेरिल पॉलिसी ली थी जिसके अंतर्गत अपीलार्थी/परिवादी की प्लांट एण्ड मशीनरी बिल्डिंग फर्नीचर एवं स्टाक कवर किया गया था जिसके संबंध में टेरिफ वायजरी कमेटी जो वैधानिक संस्था है जिसके द्वारा ही स्टैण्डर्ड फायर एण्ड पेरल पॉलिसी अनुमोदित की जाती है। बीमा पॉलिसी में केवल स्टाक कवर था, पैकिंग मटेरियल कवर नहीं था। बीमा पॉलिसी के अनुसार स्टाक से तात्पर्य बीमा धारक द्वारा उत्पादित एवं विक्रय हेतु माल से है। अपीलार्थी/परिवादी के क्लेम दावा का निराकरण सद्भावनापूर्वक समयावधि में कर दिया गया है इसलिए शिकायत के संबंध में विचार-विमर्श करने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है। अपीलार्थी/परिवादी कोई भी क्षति राशि व क्षति राशि पर ब्याज पाने का अधिकारी नहीं है। स्टाक का कम नुकसान हुआ है जो कि बीमित था लेकिन जो बीमा पॉलिसी में कवर नहीं था उसका अधिक नुकसान हुआ है जो संभव नहीं है क्योंकि उत्पादक माल कम नुकसान हुआ है और पैकिंग मटेरियल का अधिक नुकसान दर्शाया गया है। बीमाधारक जानबूझकर अनुपयोगी सामान को उपयोगी बताने की कोशिश कर क्षतिपूर्ति राशि लेने की कोशिश कर रहा है। अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद संधारणीय नहीं है। अतः अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किया जावे।
04. उत्तरवादी क्र.2/अनावेदक क्र.2 प्रकरण में एकपक्षीय रहा है और उसकी ओर से कोई लिखित कथन एवं साक्ष्य पेश नहीं है।
05. उभयपक्ष द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्यों के परिशीलन पश्चात् जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद यह निर्धारित करते हुए कि ’’आवेदक अपना परिवाद प्रमाणित कर सकने में असफल रहा है’’ और परिवाद निरस्त किया है जिसके विरूद्ध यह अपील है।
06. अपीलार्थी/परिवादी की ओर से अपने पक्ष समर्थन में जिला फोरम के समक्ष Std. Fire & Special Peril The Schedule and Standard Fire and Special Perils Policy (Material Damage) (Annexure C-1), थाना प्रभारी, हिर्री को दी गई लिखित सूचना दिनांक-12.09.2009 (Annexure C-2), अशोक कुमार सिंह का थाने में दिया गया बयान (Annexure C-3), कार्यालय नगर पालिक निगम बिलासपुर द्वारा जारी प्रमाण-पत्र दिनांक-06.10.2009 (Annexure C-4), Occurrence Statement (Annexure C-5), एस. एस. इलेक्ट्रिकल्स का कोटेशन दिनांक-06.10.2009 (Annexure C-6) तथा Breakup of Claimed Item Rates (Annexure C-7) की फोटो कापी प्रस्तुत किया है।
07. उत्तरवादी क्र.1/अनावेदक क्र.1 बीमा कपंनी की ओर से अपने पक्ष समर्थन में जिला फोरम के समक्ष Final Survey Report दिनांक-20.03.2010 की फोटो कापी प्रस्तुत किया है।
08. अपीलार्थी/परिवादी की ओर से उपसंजात होने वाले विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश वर्मा का यह तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आलोच्य आदेश त्रुटिपूर्ण है। सर्वेयर रिपोर्ट विश्वास योग्य नहीं है। सर्वेयर ने क्षेत्राधिकार से परे जाकर रिपोर्ट दिया है। सर्वेयर को यह अधिकार नहीं है कि वह यह निर्णय करे कि कौन सा विषय वस्तु बीमा पॉलिसी के अंतर्गत बीमित था। सर्वेयर यह निराकृत नहीं कर सकता था कि पैकिंग मटेरियल बीमा पॉलिसी में शामिल है या नही। जबकि स्टाक के अंतर्गत पैकिंग मटेरियल भी सम्मिलित होता है और सर्वेयर ने पैकिंग मटेरियल को बीमा पॉलिसी से आच्छादित नहीं होना रिपोर्ट दिया है और जिसे स्वीकार कर बीमा कंपनी ने सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर मात्र 2,47,178/-(दो लाख सैंतालीस हजार एक सौ अठहत्तर रूपये) की क्षति का आंकलन किया है वह त्रुटिपूर्ण है। अपीलार्थी/परिवादी, उसके द्वारा परिवाद-पत्र में वर्णित राशि क्षतिपूर्ति के रूप में पाने का अधिकारी है। इंश्योरेंस कंपनी ने परिवाद के शेष दावे को अस्वीकार कर सेवा में कमी किया है और जिला फोरम का आदेश स्थिर रखे जाने योग्य नहीं है। अतः अपीलार्थी/परिवादी की अपील स्वीकार किया जावे और जिला फोरम द्वारा पारित आलोच्य आदेश निरस्त किया जावे।
09. उत्तरवादी क्र.1/अनावेदक क्र.1 की ओर से उपसंजात होने वाले विद्वान अधिवक्ता श्री के. बी. श्रीवास्तव का यह तर्क है कि सर्वेयर रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है और जब तक उसे निश्चयात्मक साक्ष्य के द्वारा खण्डित ना किया जावे, सर्वेयर रिपोर्ट को यथावत् स्वीकार किया जाना चाहिए और सर्वेयर ने स्पष्ट रूप से बताया है कि पैकिंग मटेरियल बीमा से आच्छादित नहीं था और यदि पैकिंग मटेरियल बीमा से आच्छादित होता तो इसका उल्लेख बीमा पॉलिसी में होता। फलस्वरूप जिला फोरम ने जो आदेश पारित किया है वह पूर्णतः उचित है। इस संबंध में उत्तरवादी क्र.1/अनावेदक क्र.1 इंश्योरेंस कंपनी की ओर से National Insurance Co. Ltd. Vs. Sri Chakravathi Enterprises 2012 (1) CPR 124 (NC) एवं Iffco-Tokio General Insurance Co. Ltd. Vs. M/s Technovesons 2013 (3) C.G.L.J. 1 (CCC) का अवलंबन लिया है।
10. उत्तरवादी क्र.2/अनावेदक क्र.2 की ओर से उपसंजात होने वाले विद्वान अधिवक्ता श्री आर. के. गुप्ता का यह तर्क है कि उत्तरवादी क्र.2/अनावेदक क्र.2 बैंक है और उसका कोई दायित्व नहीं है और ना ही जिला फोरम ने उत्तरवादी क्र.2/अनावेदक क्र.2 पर किसी प्रकार का कोई दायित्व अधिरोपित किया है और इसलिए जिला फोरम का आदेश यथावत् रखा जावे।
11. हमने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं का तर्क श्रवण किया तथा जिला फोरम के अभिलेख का भी परिशीलन किया।
12. अपीलार्थी/परिवादी की ओर से Standard Fire and Special Perils Policy प्रस्तुत किया है, का परिशीलन किया गया। पॉलिसी के पृष्ठ क्रमांक-2 एवं 3 में Property Description जो कि बीमित है का Description दिया गया है जो इस प्रकार हैः-
Attachment Sheet
Policy No/Risk No : 11309477/0001
Property Description : Stock
Sum Insured : 25,00,000
Description Rate Annual Premium
Basic Rate: 1.5000 3,750.00
Less: STFI discount .0000 .00
RSMD discount .0000 .00
Add Construction Rate .00 .00
Less: Claim Experience discount .00 .00
FEA Discount .00 .00
Add: EFS .1000 250.00
Lodding Amount .00 .00
Floating Amount .00 .00
Escalation .00 .00
Deductible 67.83 271.32
TOTAL 4,271.32
Prop.
Property description : FURNITURE & FIXTURE
Sum Insured : INR ******* 500,00
Description Rate Annual Premium
Basic Rate : 1.5000 750.00
Less : STFI discount .0000 .00
RSMD discount .0000 .00
Add. Construction Rate .00 .00
Less : Claim Experience Discount .00 .00
FEA Discount .00 .00
Add : EFS .1000 50.00
Lodding Amount .00 .00
Floating Amount .00 .00
Escalation .00 .00
Deductible 67.83 54.26
TOTAL 854.26
Policy No/Risk No: 11309477/0001
Property description : PLANT & MACHINERY
Sum Insured : INR ******* 5,000,000
Description Rate Annual Premium
Basic Rate : 1.5000 7,500.00
Less : STFI discount .0000 .00
RSMD discount .0000 .00
Add. Construction Rate .00 .00
Less : Claim Experience Discount .00 .00
FEA Discount .00 .00
Add : EFS .1000 500.00
Lodding Amount .00 .00
Floating Amount .00 .00
Escalation .00 .00
Deductible 67.83 542.64
TOTAL 8542.64
Property description : BUILDING
Sum Insured : INR *******3,000,000
Description Rate Annual Premium
Basic Rate : 1.5000 4,500.00
Less : STFI discount .0000 .00
RSMD discount .0000 .00
Add. Construction Rate .00 .00
Less : Claim Experience Discount .00 .00
FEA Discount .00 .00
Add : EFS .1000 300.00
Lodding Amount .00 .00
Floating Amount .00 .00
Escalation .00 .00
Deductible 67.83 325.58
TOTAL 5,125.58
Sum insured for risk 0001:INR**** 11,000,000
Rupees ELEVEN MILLION Only
Gross Premium = Rs. 5,661.92
Special Disc = Rs. .00
Service Tax = Rs. 699.81
Stamp Duty = Rs. .00
Surcharge = Rs. .00
13. पॉलिसी के परिशीलन से स्पष्ट है कि Stock, Furniture & Fixture, Plant & Machinery एवं Building ही जोखिम से आच्छादित था। यदि वास्तव में पैकिंग मटेरियल को भी बीमा पॉलिसी के अंतर्गत शामिल किया गया होता तो इसका उल्लेख बीमा पॉलिसी में किया जाता। जहां तक पॉलिसी की शर्तों का संबंध है उनका अर्थान्वयन उसी अनुरूप किया जाना होता है जैसा वह उल्लेखित है तथा कोई भी न्यायालय या फोरम या ट्रिब्यूनल पॉलिसी की शर्तों में अपनी शर्तों को समाविष्ट नहीं कर सकता है।
इस प्रकार इस पॉलिसी में पैकिंग मटेरियल को सम्मिलित नहीं किया गया है।
14. जहां तक सर्वेयर का संबंध है इस प्रकरण में हितेश चितालिया को सर्वेयर नियुक्त किया गया था और सर्वेयर का कार्य क्षति का आंकलन करना होता है और ऐसी स्थिति में सर्वेयर बीमा पॉलिसी की शर्त और पॉलिसी के अंतर्गत क्या-क्या सम्मिलित है, इसको विचार में ले सकता है और उसके बाद ही सर्वेयर द्वारा क्षति का निर्धारण किया जाता है। इस प्रकरण में सर्वेयर हितेश चितालिया ने स्पष्ट रूप से बताया है कि पैकिंग मटेरियल पॉलिसी में सम्मिलित नहीं था और वह जोखिम से आच्छादित नहीं था तथा हितेश चितालिया ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेखित किया है कि आग की घटना से जो पैकिंग मटेरियल था वही क्षतिग्रस्त हुआ है परन्तु वह पैकिंग मटेरियल बीमित नहीं था।
15. जिला फोरम ने भी अपने आदेश की कंडिका-10 में यह निष्कर्ष निकाला है कि ’’पॉलिसी में आवेदक के प्लांट, मशीनरी, बिल्डिंग, फर्नीचर एवं स्टाक को कव्हर किया गया था किन्तु ’’स्टाक’’ में पैकिंग मटेरियल भी सम्मिलित होने के संबंध में इसमें कुछ भी उल्लेख नहीं है और न ही इस संबंध में उसमें कोई अतिरिक्त प्रीमियम भुगतान करने का ही कोई जिक्र है।’’
16. जहां तक सर्वेयर रिपोर्ट का संबंध है वह एक महत्वपूर्ण साक्ष्य होता है तथा सर्वेयर एक निष्पक्ष व्यक्ति होता है और ऐसी स्थिति में उसकी रिपोर्ट पर विश्वास किया जा सकता है।
17- United India Insurance Co. Ltd. And Others Versus Roshan Lal Oil Mills Ltd. And Others (2000) 10 SCC 19 में माननीय सर्वोच्य न्यायालय द्वारा यह निर्धारित किया गया है कि:-
"7. The appellant had appointed joint surveyors in terms of Section 64-UM(2) of the insurance Act, 1938. Their report has been placed on the record in which a detailed account of the factors on the basis of which the joint surveyors had come to the conclusion that there was no loss or damage caused on account of fire, was given and it was on this basis that the claim was not found entertainable. This is an important document which was placed before the Commission but the Commission, curiously, has not considered the report. Since the claim of the respondent was repudiated by the appellant on the basis of the joint survey, the Commission was not justified in awarding the insurance amount to the respondent without adverting itself to the contents of the joint survey report specially the factors enumerated therein. In our opinion, non-consideration of this important document has resulted in serious miscarriage of justice and vitiates the judgment passed by the Commission. The case has, therefore, to be sent back to the Commission for a fresh hearing."
18- D.N. Badoni versus Oriental Insurance Co. Ltd. I (2012) CPJ 272 (NC) में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्धारित किया गया है कि:-
"11. We see no reason to disbelieve the report of the Surveyor particularly since the petitioner has not been able to produce any credible evidence to contradict the same. The contention of the authorized agent of the petitioner that the Surveyor had admitted that the loss suffered was Rs. 93,340 is not correct. In fact, in his report Surveyor has just quoted the assessment and the datails of the repairs given by the petitioner. In the next colum of his report, he has listed out the approximate net amount of the loss as Rs. 3,665.63. The District Forum erred in not taking this important evidence into consideration and ralied only on the petitioner's version of the loss suffered based on some bills produced by him which have not been proved. It is well settled law that a Surveyor's report has significant evidentiary velue unless it is proved otherwise which petitioner has failed to do so the instant case. The State Commission a part from being a Court of appeal in also a Court of fact and has correctly concluded that the actual loss suffered to the vehicle as reported by the Surveyor was Rs. 3,715. To this amount the Surveyor has added another Rs. 4,000 being the actual amount paid for the toeing charges and by not deducting Rs. 1,500 as excess clause, which is reasonable. We, therefore, agree with the well reasoned order of the state Commission that the petitioner is entitled to get Rs. 7,500 from the respondent as insurance and there is no other compensation warranted in the instant case."
19- Dipali Das versus United India Insurance Co. Ltd. & Anr. IV (2013) CPJ 233 (NC) में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्धारित किया गया है कि:-
7. In D.N. Badoni versus Oriental Insurance Co. Ltd. I (2012) CPJ 272 (NC), it was observed that it is well settled that a Surveyor's report has significant evidentiary value, unless it is proved otherwise, which the petitioner has failed to do so in the instant case.
8. The Hon'ble Apex Court in United India Insurance Co. Ltd. V. Roshanlal Oil Mills & Ors. (2002) 10 SCC 19, was pleased to hold:
"The appellant had appointd joint surveyors in terms of Section 64-UM(2) of the insurance Act, 1938. Their report has been placed on the record in which a detailed account of the factors on the basis of which the joint surveyors had come to the conclusion that there was no loss or damage caused on account of fire, was given and it was on this basis that the claim was not found entertainable. This is an important document which was placed before the Commission but the Commission, curiously, has not considered the report. Since the claim of the respondent was repudiated by the appellant on the basis of the joint survey, the Commission was not justified in awarding the insurance amount to the respondent without adverting itself to the contents of the joint survey report specially the factors enumerated therein. In our opinion, non-consideration of this important document has resulted in serious miscarriage of justice and vitiates the judgment passed by the Commission. The case has, therefore, to be sent back to the Commission for a fresh hearing."
20. Ashu Textiles v. New India Assurance Company & Anr., III (2009) CPJ 272 (NC), में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्धारित किया गया है कि:-
"the Surveyor's report has to be given more weightage than the report of Fire Brigade and compensation to be assessed on basis of detailed survey report."
21. Khimjibhai & Sons v. New India Assurance Co. Ltd., IV (2011) CPJ 458 (NC), में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्धारित किया गया है कि:-
"It is to be noted that it is in accordance with the requirement of law that a surveyor is required to be appointed by the Insurance Company and when such a surveyor who is licensed professional to assess such loss gives a report with reasons to support the same, such a report can be discredited only on the basis of specific grounds which are required to be recorded in the order."
22. Ankur Surana v. United India Insurance Co. Ltd., I (2013) CPJ 440 (NC), में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्धारित किया गया है किः-
"it is well established by now that the report of the surveyor is an important document and the same should not be rejected by the Fora below unless cogent reasons are recorded for doing so. The State Commission has stated that it did not see any legal ground before the District Forum to reject the report of the Surveyor. The report of the surveyor should have been rebutted on behalf of the complainant/petitioner since the respondents/OPs had filed the surveyor's report as their evidence."
23. इस प्रकरण में सर्वेयर की रिपोर्ट पर अविश्वास करने का कोई आधार विद्यमान नहीं है। फलस्वरूप जिला फोरम द्वारा जो निष्कर्ष निकाला गया है वह पूर्णतः विधि सम्मत है और उसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
24. अतः अपीलार्थी/परिवादी की अपील सारहीन होने से निरस्त किया जाता है। जिला फोरम द्वारा पारित आलोच्य आदेश दिनांक-04.01.2014 की पुष्टि की जाती है। प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार इस अपील का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति आर. एस. शर्मा) (सुश्री हिना ठक्कर) (डी. के. पोद्दार)
अध्यक्ष सदस्या सदस्य
/02/2015 /02/2015 /02/2015