राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
परिवाद संख्या:-30/2023
अभिषेक सिंह उम्र 37 वर्ष पुत्र वीरेन्द्र सिंह, निवासी 340 नजदीक टी0वी0 टावर आवास विकास फतेहपुर उ0प्र0।
........... परिवादी
बनाम
1- आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक लिमिटेड बॉम्बे लॉज, खेलदार मोहल्ला जी0टी0 रोड, फतेहपुर उ0प्र0-212601 द्वारा ब्रांच मैनेजर।
2- आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक लि0, शालीमार टावर, 31/54 एम0जी0 मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ उ0प्र0 226001 द्वारा रीजनल मैनेजर।
3- हैड आफिस, 9वीं मंजिल, साउथ टावर्स, आईसीआईसीआई टावर्स, मुंबई द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
…….. विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
परिवादी के अधिवक्ता : श्री विष्णु कुमार मिश्रा
विपक्षी के अधिवक्ता : कोई नहीं
दिनांक :- 16.3.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद, परिवादी अभिषेक सिंह द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-47 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत विपक्षी आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक लिमिटेड व दो अन्य के विरूद्ध प्रस्तुत कर डी0डी0 की धनराशि रू0 50,00,000.00 मय 18 प्रतिशत ब्याज के साथ तथा मानसिक व शारीरिक क्षति हेतु रू0 10,00,000.00 एवं अधिवक्ता शुल्क एवं न्याय शुक्ल के रूप में दो-दो लाख रूपये विपक्षी बैंक से वापस दिलाये जाने हेतु संस्थित किया गया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा विपक्षी सं0-1 बैंक की शाखा फतेहपुर से बचत खाता सं0-
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159301501521 संचालित किया जाता रहा है और समय-समय पर बैकिंग सेवाएं प्राप्त की जाती रही है। Mery Theresa Mahila Mandali महिला संस्थान के तथाकथित अध्यक्ष द्वारा व्यक्तिगत रूप से परिवादी से मुलाकात की गई एवं महिलाओं के उत्थान व कल्याण हेतु कुछ हस्तनिर्गित परिधान व हस्त निर्मित कुछ उत्पाद दिखाए गये। परिवादी द्वारा उपरोक्त संस्था के उपरोक्त परिधान हस्त निर्मित उत्पाद के संबंध में 50,00,000.00 रू0 देने की सहमति बनाई, परन्तु जैसे ही पता चला कि उपरोक्त संस्था का कार्य व्यक्तियों को छल कपट कर धन ठकने के उद्देश्य से किया जाता है, तो परिवादी द्वारा 50,00,000.00 का डी0डी0 संस्था को नहीं दिया गया और मात्र उपरोक्त संस्था को सूचना हेतु छायाप्रति भेज दी गई। वास्तविक डी0डी0 सं0-501650 परिवादी के पास उपलब्ध है। परन्तु विपक्षी बैंक द्वारा दिनांक 07.11.2022 को Mery Theresa Mahila Mandali के पक्ष में डी0डी0 का भुगतान कर दिया गया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा दिनांक 11.11.2022 को डी0डी0 को निरस्त करने हेतु विपक्षी बैंक को कहा गया, परन्तु विपक्षी बैंक द्वारा बैंक का सर्वर कार्य न करने की बात कहते हुए पूरा दिन टाल मटोल कर उसे निकाल दिया गया तथा विपक्षी बैंक द्वारा उपरोक्त डी0डी0 का भुगतान Mery Theresa Mahila Mandali को कर दिया गया है जबकि परिवादी के पास डी0डी0 की मूल प्रति उपलब्ध थी।
दिनांक 12.11.2022 व 13.11.2022 को बैंक बन्द था व दिनांक 15.11.2022 को पत्र लिखकर बैंक से डी0डी0 निरस्त करते हुए भुगतान की गई धनराशि रू0 50,00,000.00 वापस मॉगी गई, परन्तु विपक्षी बैंक द्वारा उक्त डी0डी0 का भुगतान Mery Theresa Mahila
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Mandali को परिवादी की बिना सहमति के कर दिया गया, जो कि विपक्षी बैंक की सेवा में कमी है। परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक को दिनांक 11.11.2022 को मूल डी0डी0 लेते हुए उसे निरस्त कर वापस करने की प्रार्थना की गई, परन्तु बैंक द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई और दिनांक 23.11.2022 को 12 दिन बाद ई-मेल द्वारा भुगतान की सूचना भेजी गई। विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी से डी0डी0 की मूल प्रति यह कहते हुए प्राप्त कर कि डी0डी0 की धनराशि धीघ्र ही वापस कर दी जायेगी, परन्तु आज दिनांक तक डी0डी0 की धनराशि का भुगतान परिवादी को विपक्षी बैंक द्वारा नहीं किया गया है, जो कि बैंक की सेवा में कमी व अनुचित व्यापार पद्धति एवं बैंक की त्रुटिपूर्ण सेवाओं को प्रदर्शित करता है। अत्एव विवश होकर परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक के विरूद्ध सेवा में कमी को दृष्टिगत रखते परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्र के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है।
मेरे द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
मेरे द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के कथनों को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि परिवादी द्वारा महिला संस्थान (Mery Theresa Mahila Mandali) के अध्यक्ष से व्यक्तिगत रूप से वार्ता की गई और उनकी बातों से प्रभावित होकर उक्त महिला संस्थान की महिलाओं के उत्थान व कल्याण हेतु कुछ हस्तनिर्गित परिधान व हस्त निर्मित कुछ उत्पाद के संबंध में 50,00,000.00 रू0 देने का आश्वासन दिया गया, तत्पश्चात 50,00,000.00 रू0 का डी0डी0 विपक्षी बैंक से बनवाना उल्लिखित किया
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गया, परन्तु जैसे ही पता चला कि उपरोक्त संस्था का कार्य सामान्य नागरिको से छल कपट कर धन ठगने के उद्देश्य से किया जाता है, तो परिवादी द्वारा रू0 50,00,000.00 का उपरोक्त डी0डी0 महिला संस्थान को प्रदान नहीं किया गया और मात्र उपरोक्त संस्था को सूचना हेतु छायाप्रति भेज दी गई। तदोपरांत दिनांक 11.11.2022 को डी0डी0 को निरस्त करने हेतु विपक्षी बैंक को कहा गया, परन्तु विपक्षी बैंक द्वारा सर्वर कार्य न करने की बात कहते हुए टाल मटोल कर उपरोक्त डी0डी0 का भुगतान Mery Theresa Mahila Mandali को कर दिया गया है जबकि परिवादी के पास मूल डी0डी0 उपलब्ध था।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के कथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध सम्पूर्ण तथ्यों के परिशीलनोंपरांत ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी एवं विपक्षी तथा उपरोक्त महिला संस्थान के मध्य आपस में सांठ-गॉठ कर उपरोक्त घटना कारित की गई है जैसा कि परिवाद पत्र के कथनों से स्पष्ट हो रहा है। प्रस्तुत मामले में महिला संस्थान को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से न सिर्फ परिवादी द्वारा 50,00,000.00 रू0 का डी0डी0 बनवाना कहा गया वरन विपक्षी बैंक द्वारा केवल डी0डी0 की छाया प्रति के आधार पर परिवादी के खाते से 50,00,000.00 रू0 की धनराशि को महिला संस्थान के पक्ष में क्रेडिट कर दिया गया, जो कि विपक्षी बैंक के कर्मचारी एवं महिला संस्थान के कर्मचारी की आपस में मिलीभगत करके षड़यंत्र करने की ओर इशारा कर रहा है। उपरोक्त मेरी टेरेसा महिला मंडली की गतिविधियॉ भी आपराधिक प्रकृति की प्रतीत होती हैं, जो विषय निश्चित रूप से परीक्षित होना चाहिए।
प्रस्तुत मामले में परिवादी के खाते से इतनी भारी धनराशि निकाले जाने के बावजूद भी विपक्षी बैंक के विरूद्ध कोई विधिक कार्यवाही न किया जाना परिवादी की स्वयं की मंशा एवं लापरवाही व कमी को
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उजागर करता है तथा महिला संस्थान के विरूद्ध भी कोई कड़ी कार्यवाही किये जाने का उल्लेख नहीं किया गया है, न ही प्रस्तुत मामले में उपरोक्त महिला संस्थान (Mery Theresa Mahila Mandali) को पक्षकार बनाया गया है, जिस कारण प्रस्तुत मामले में महिला संस्थान को पक्षकार न बनाये जाने का दोष व्याप्त है, जो परिवादी की स्वयं की लापरवाही एवं उसकी दूषित मंशा को जाहिर करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि उपरोक्त कृत्य परिवादी एवं महिला संस्थान की मिलीभगत से किया गया है एवं किसी बडे अपराध की ओर इशारा करता है। विगत कुछ वर्षों से जिला फतेहपुर, प्रयागराज, कौशाम्बी इत्यादि में गरीब एवं आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं को लालच देकर धर्म परिवर्तन की कार्यवाही भी संचालित हो रही है जो जॉच का विषय है एवं जिसमें शासन-प्रशासन स्तर से गम्भीर जॉच जारी है। अत: संभवत: प्रथम दृष्टया प्रस्तुत मामले में भी उसी तथ्यों का समावेश परिलक्षित हो रहा है। उपरोक्त समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए परिवाद मेरे विचार से परिवाद पोषणीय प्रतीत नहीं हो रहा है। अत: परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1