Uttar Pradesh

StateCommission

C/2014/94

Smt. Kaushal Devi - Complainant(s)

Versus

ICICI Home Finance - Opp.Party(s)

Ram Gopal

29 Aug 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. C/2014/94
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Smt. Kaushal Devi
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. I C I C I Home Finance
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 29 Aug 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

परिवाद संख्‍या :-94/2014

1        Smt. Kaushalya Devi, W/o Sri Narendra Kumar

2       Sri Narendra Kumar, S/o Late Sri Velji Lalji, Both R/o 19/102 Malhar Sahara Estate Jankipuram, Lucknow U.P.

                                                                   ........... Complainants

Versus    

1        ICICI Home Finance Co. Ltd. 2nd Floor, Shlimar Tower, 31/52, M.G. Marg, Hazratganj, Lucknow -226001 through Manager.

2       Sahara India Cooperative Housing Society Ltd. Sahara India Bhawan 1 Kapoorthala Complex, Aliganj, Lucknow U.P., through Secretary.

……..…. Opp. Parties

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

मा0 श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, सदस्‍य

परिवादीगण के अधिवक्‍ता    :   श्री रामगोपाल

विपक्षी सं0-1 के अधिवक्‍ता   :   श्री डी0के0 गुप्‍ता

दिनांक :05-12-2016

मा0 श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय    

परिवादीगण द्वारा वर्तमान परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इस संदर्भ में प्रस्‍तुत किया गया है कि विपक्षीगण को निर्देश दें दिया जाय कि वह प्रश्‍नगत मूल विक्रय विलेख परिवादी को वापस कर दे और यदि वापस करने में असफल रहते है, तो रू0 40,00,000.00 क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें एवं परिवाद पत्र के माध्‍यम से रू0 5,00,000.00 मानसिक पीड़ा के संदर्भ में क्षतिपूर्ति एवं रू0 55,000.00 वाद व्‍यय के रूप में दिलाये जाने हेतु भी अनुतोष मॉगा गया है।

परिवाद पत्र का अभिवचन संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी पक्ष द्वारा प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति को क्रय किये जाने हेतु रू0 3,00,000.00 विपक्षी सं0-1 (आई0सी0आई0सी0आई0 होम फाइनेंस कं0लि0) से ऋण प्राप्‍त किया गया था, जिसके फलस्‍वरूप विपक्षी सं0-2 (सहारा इण्डिया कोपरोटिव हाउसिंग सोसाइटी लि0) के माध्‍यम से परिवादी सं0-2 को

-2-

विक्रय किया गया था एवं विक्रय विलेख परिवादी सं0-1 के पक्ष में निष्‍पादित की गई थी एवं मूल विक्रय विलेख विपक्षी सं0-2 के पास रख लिया गया था और विक्रय विलेख के साथ आवंटन पत्र व अन्‍य अभिलेख भी लिये गये थे और इस आशय से उपरोक्‍त अभिलेख रख लिए गये थे कि परिवादी द्वारा जो ऋण के संदर्भ में धनराशि अदा कर दी जायेगा, तो विलेख वापस कर दिया जायेगा। विपक्षी सं0-2 (सहारा इण्डिया कोपरोटिव हाउसिंग सोसाइटी लि0) ने विक्रय विलेख विपक्षी सं0-1(आई0सी0आई0सी0आई0 होम फाइनेंस कं0लि0)  बैंक के पक्ष में आवंटित कर दिया और इस संदर्भ में परिवादी पक्ष को सूचित भी नहीं किया गया। वर्ष-2010 में परिवादी पक्ष द्वारा ऋण की सम्‍पूर्ण धनराशि अदा कर दी गई एवं विपक्षी सं0-1 (आई0सी0आई0सी0आई0 होम फाइनेंस कं0लि0) द्वारा परिवादी को नो डयूज प्रमाण पत्र भी निर्गत कर दिया गया, परन्‍तु विपक्षी सं0-1(आई0सी0आई0सी0आई0 होम फाइनेंस कं0लि0) बैंक द्वारा यह नहीं बताया गया कि प्रश्‍नगत विक्रय विलेख उनके कब्‍जे में है। परिवादी पक्ष द्वारा विपक्षी सं0-2 (सहारा इण्डिया कोपरोटिव हाउसिंग सोसाइटी लि0) जिसके पास विक्रय विलेख जमा किया गया था, उनसे विक्रय विलेख वापस मॉगे जाने हेतु अनुरोध किया गया तो उनके द्वारा यह बताया गया कि विक्रय विलेख विपक्षी सं0-1 (आई0सी0आई0सी0आई0 होम फाइनेंस कं0लि0) को अंतरित कर दिया गया है, तत्‍पश्‍चात परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 से विक्रय विलेख प्राप्‍त करने हेतु सम्‍पर्क किया गया तो उनके द्वारा पत्र के माध्‍यम से यह सूचित किया गया कि प्रश्‍नगत विक्रय विलेख खो गया है और वह उपलब्‍ध नहीं है। ऐसी स्थिति में विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादी पक्ष द्वारा वर्तमान परिवाद उपरोक्‍त वर्णित अनुतोष के संदर्भ में प्रस्‍तुत किया गया है।

     विपक्षी सं0-1 (आई0सी0आई0सी0आई0 होम फाइनेंस कं0लि0) की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री डी0के0 गुप्‍ता उपस्थित आये। विपक्षी सं0-2 (सहारा इण्डिया कोपरोटिव हाउसिंग सोसाइटी लि0) की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     विपक्षी सं0-1 की ओर से परिवाद का विरोध किया गया और प्रारम्भिक रूप से यह अभिवचित किया गया कि वर्तमान परिवाद की

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सुनवाई का क्षेत्र‍ाधिकार उपभोक्‍ता फोरम को प्राप्‍त नहीं है और स्‍पष्‍ट रूप से यह अभिवचित कियागया कि परिवादी पक्ष ने कर्ज की धनराशि की अदायगी कर दी और उसे नो डयूज प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया है और लिखित कथन की धारा-10 व 11 में स्‍पष्‍ट रूप से निम्‍नलिखित अभिवचन किया गया है:-

10-    That as the said misplace/loss of the deeds is simply a happening, which was beyond the control of the opposite party No. 1, ICICI Bank limited and the opposite party No.1, ICICI Bank Limited had adopted all the precautionary measures in searching the said deed so there is no deficiency in service or negligence on the part of the opposite party No.1, ICICI Bank Limited and the instant complaint is liable to be dismissed.

11-     That the said misplace/loss of the deeds does not affect the ownership and title of the complainant. The complainant has not suffered with any loss due to loss of the aforesaid deed and the said property is still in their possession and they are enjoying the rights and enjoyments over the said property.

यह भी अभिवचित किया गया कि बैंक द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कमी किया जाना नहीं पाया जाता है एवं विपक्षी बैंक द्वारा सेल डीड के गुम होने के संदर्भ में पुलिस को भी सूचना दी गई एवं अखबार में भी सूचना प्रकाशित करायी गई थी, इस संदर्भ में प्रश्‍नगत परिवाद खण्डित किये जाने योग्‍य है। लिखित कथन की धारा-10 व 11 उपरोक्‍त के अभिवचन से स्‍पष्‍ट है कि विपक्षी सं0-1 की कस्‍टडी से ही प्रश्‍नगत विक्रय विलेख का गुम होना पाया जाता है, अत: इस संदर्भ में विपक्षी सं0-1(आई0सी0आई0सी0आई0 होम फाइनेंस कं0लि0) की सेवा में कमी होना स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है, अत: वर्तमान परिवाद विपक्षी सं0-1 (आई0सी0आई0सी0आई0 होम फाइनेंस कं0लि0) के विरूद्ध स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा पीठ का ध्‍यान Abdul Hafeez Vs. State Bank of Hyderabad II (2013) CPJ 285 (NC) की ओर आकर्षित कराया गया। उपरोक्‍त वर्णित मुकदमें में भी

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अभिलेख गुम हो जाने के फलस्‍वरूप बैंक की सेवा में कमी होना स्‍वीकार की गई थी और रू0 1,00,000.00 क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु आदेश पारित किया गया था। वर्तमान मुकदमें के भी तथ्‍य उपरोक्‍त वर्णित मुकदमें के ही सामान है, अत: मुकदमें की सम्‍पूर्ण परिस्थितियों एवं उपरोक्‍त वर्णित नजीर में प्रतिपादित सिद्धांत को देखते हुए पीठ इस निष्‍कर्ष पर पहुंचती है कि रू0 1,00,000.00 क्षतिपूर्ति दिलाया जाना विधि‍ सम्‍मत व उचित है।

तद्नुसार प्रस्‍तुत परिवाद अं‍शत: स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए विपक्षी सं0-1 को आदेश दिया जाता है कि वह निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर रू0 1,00,000.00 (एक लाख रूपये) क्षतिपूर्ति की धनराशि परिवादी पक्ष को अदा करें, अन्‍यथा परिवादी पक्ष उपरोक्‍त वर्णित धनराशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज भी पाने का अधिकारी होगा।

पक्षकारान अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेगें।

 

 

 (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)         (जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा)

          अध्‍यक्ष                           सदस्‍य

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha]
MEMBER

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