जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या 244/2016
उपस्थितिः-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
दिनाॅंकः- 01 सितम्बर, 2017
डा0 हरेन्द्र यादव नि0 ओ0पी0 चैधरी हास्पिटल, तेलीबाग, जिला-लखनऊ।
.....परिवादी।
बनाम
होटल कासमास, खसरा नम्बर 2389 हैवतमऊ मवैया वार्ड, रायबरेली रोड, लखनऊ, द्वारा प्रबन्धक।
.....विपक्षी।
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी को भुगतान किये गये 4,277/-रूपये की प्राप्ति हेतु एवं मानसिक क्षति के रूप में 1,00,000/-रूपये, अधिवक्ता फीस 10,000/-रूपये, कुल 1,14,277/-रूपये पाने के लिए प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनाॅंक 24.09.2015 को विपक्षी के होटल में जन्मदिन मनाने हेतु 32 व्यक्तियों के भोजन की व्यवस्था 550/-रूपये प्रति व्यक्ति की दर से कराया। इसके साथ 2000/-रूपये गुब्बारों की सजावट की थी। परिवादी ने विपक्षी को बिल के अनुसार सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान कर दिया, एवं परिवादी को 577/-रूपये की छूट भी दी गयी। विपक्षी ने सेवाकर के रूप में 1725/-रूपये एवं वैट के रूप में 2552/-रूपये भी लिये। परिवादी को जो बिल प्रदान किया गया उस पर उनका कोई पंजीकरण नम्बर अंकित नहीं था। सेवाकर या वैट के लिए निर्धारित पंजीकरण भी अंकित नहीं था। विपक्षी द्वारा गलत तरीके से वैट एवं सेवाकर वसूला जाता है एवं उसका भुगतान सरकारी कार्यालयों में जमा नहीं किया जाता है।
परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय चल रहा है। परिवादी ने अपना लिखित साक्ष्य शपथ पत्र दाखिल किया है, तथा कथित बिल संख्या-053 एवं कानूनी नोटिस की छायाप्रति दाखिल किया है।
परिवादी ने अपनी बहस के दौरान कथन किया कि विपक्षी द्वारा जो रसीद प्राप्त करायी गयी है वह अभिलेख पर उपलब्ध है। अधिवक्ता नोटिस के साथ संलग्न किया गया है।
कथित बिल संख्या 053 दिनाॅंकित 24.09.2015 के अवलोकन से विदित होता है कि दिनाॅंक 24.09.2015 का कथित बिल नम्बर 053 कैश मेमो या बिल नहीं है, बल्कि वह अनुमानित बिल है और उसमें 2,000/-रूपये एडवान्स पाने की बात लिखी हुई है। सम्पूर्ण धनराशि के भुगतान की कोई रसदी अभिलेख पर परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं की गयी है। विपक्षी के यहाॅं पार्टी हुई या नहीं इसकी कोई साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है तथा परिवादी द्वारा यह तथ्य अपने साक्ष्य में अंकित नहीं किया गया है कि विपक्षी के होटल में पार्टी हुई थी और 32 व्यक्ति को भोजन कराया गया था। ऐसी परिस्थिति में परिवादी यह साबित करने में असफल रहा है कि विपक्षी के होटल में कोई पार्टी हुई थी या नहीं और सिर्फ अनुमानित बिल के आधार पर यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद बिल एवं साक्ष्य के अभाव में खारिज होने योग्य है। परिवादी कोई भी अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।
आदेश
परिवादी का परिवाद एकपक्षीय रूप से खारिज किया जाता है।
(स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,
प्रथम, लखनऊ।