मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, महामायानगर द्वारा परिवाद संख्या 04 सन 2004 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 02.08.2006 के विरूद्ध)
अपील संख्या 2107 सन 2006
1. प्रबन्धक, हीरो मोटोक्राप लि0 34, कम्युनिटी सेण्टर, वसंत लोक, वसंत विहार, नई दिल्ली ।
2. महाराजा आटोवर्ड, रानी मिल कम्पाउण्ड, माधवगढ रोड, हाथरस, महामायानगर ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
हरिओम प्रकाश पुत्र श्री नथाराम निवासी जटोई, हाथरस, जिला महामायानगर ।
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री आर0एन0 सिंह।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
दिनांक:-28-08-2019
श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, महामायानगर द्वारा परिवाद संख्या 04 सन 2004 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 02.08.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने प्रश्नगत हीरोहांडा संख्या यू0पी0 86ए/8730 अपीलार्थी संख्या 02 से दिनांक 21.10.2002 को 36,952.00 रू0 में क्रय की थी। उक्त वाहन की दो वर्ष की वारण्टी थी। वारंटी अवधि के मध्य प्रश्नगत वाहन का इंजन खराब हो गया। परिवादी ने समय-समय पर अपीलकर्तागण से प्रश्नगत वाहन की सर्विसिंग भी करायी तथा इंजन में उत्पन्न दोष के संबंध में शिकायत भी की, परन्तु वाहन ठीक नहीं किया गया, अत: परिवादी ने जिला मंच के समक्ष वाहन बदलने तथा क्षतिपूर्ति हेतु परिवाद योजित किया।
अपीलकर्तागण ने परिवादी के कथनों से इन्कार किया। अपीलकर्ता के कथनानुसार प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी दोष नहीं था। परिवादी द्वारा निर्धारित अवधि में वाहन की सर्विसिंग नहीं करायी गयी तथा सही ईंधन का उपयोग नहीं किया गया। अपीलकर्ता द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है।
जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा अपीलकर्ता द्वारा सेवा में त्रुटि कारित किया जाना मानते हुए अपीलकर्तागण को निर्देशित किया कि प्रश्नगत वाहन का इंजन एक माह में पूर्ण रूप से बदले तथा 01 हजार रू0 मानसिक संताप तथा 01 हजार रू0 वाद व्यय के रूप में परिवादी को निर्णय की तिथि से 01 माह के अन्दर भुगतान करे।
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क विस्तारपूर्वक सुने । प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ जबकि पंजीकृत डाक से प्रत्यर्थी/परिवादी पर नोटिस की तामीली करायी गयी तथा कार्यालय द्वारा प्रथक रूप से भी परिवादी को अपील की सुनवाई में उपस्थित होने हेतु सूचित किया गया।
अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत निर्णय जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन किए बिना तथा इस तथ्य पर ध्यान न देते हुए कि कथित शिकायत के संबंध में कोई विशेषज्ञ की आख्या प्रस्तुत नहीं है, पारित किया है। पत्रावली के अवलोकन से विदित होता है कि परिवाद के अभिकथनों में परिवादी द्वारा यह अभिकथित नहीं किया गया है कि कथित निर्माण संबंधी दोष के संदर्भ में उसके द्वारा किसी विशेषज्ञ की आख्या प्रस्तुत की गयी है और न ही उसके द्वारा इस संदर्भ में कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है। अपीलकर्ता का यह भी अभिकथन है कि परिवादी द्वारा निर्धारित समय पर इंजन की सर्विसिंग नहीं करायी गयी तथा सही ईंधन का उपयोग नहीं किया गया । अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत वाहन का उपयोग एक वर्ष से अधिक समय तक करने के उपरांत तथा लगभग 9000 किमी0 चलाने के उपरांत परिवाद योजित किया गया।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने प्रश्नगत वाहन के इंजन में निर्माण संबंधी दोष होने का अभिकथन किया है अत: इस तथ्य को प्रमाणित करने का दायित्व प्रत्यर्थी/परिवादी का था किंतु इस तथ्य को प्रमाणित करने हेतु कोई साक्ष्य परिवादी ने जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की, विशेषज्ञ आख्या भी प्रस्तुत नहीं की गयी। बिना किसी विशेषज्ञ आख्या के मात्र परिवादी के अभिकथन के आधार पर कथित दोष निर्माण संबंधी नहीं माना जा सकता है।
परिणामत:, अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)