राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1861/2017
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, सीतापुर द्वारा परिवाद संख्या 178/2013 में पारित आदेश दिनांक 15.09.2017 के विरूद्ध)
The Chaturvedi Goods Carrier, Greekganj Chauraha, Sitapur through its proprietor Shri Pradeep Kumar Chaturvedi
..................अपीलार्थी/विपक्षी सं01
बनाम
1. Ghulam Nabi alias Munna, proprietor Misrikh Textiles, Shop No.22, Kapoor Market, Kapda Mandi, Sitapur
2. Iffko Tokyo General Insurance Company Limited Branch Lucknow through its Manager Gokhle Marg, Iffko Bhawan, Lucknow
...................प्रत्यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी सं02
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री मनीष कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री रोमित सेठ,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : श्री अशोक मेहरोत्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 23.01.2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-178/2013 गुलाम नबी उर्फ मुन्ना बनाम दि चतुर्वेदी गुड्स कैरियर व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सीतापुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 15.09.2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता
-2-
संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय व आदेश के द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादी का उपभोक्ता परिवाद विरूद्ध विपक्षी सं0-1 दि चतुर्वेदी गुड्स कैरियर सीतापुर द्वारा प्रोपराइटर श्री प्रदीप चतुर्वेदी इस आशय से स्वीकार किया जाता है कि एक माह की अवधि में विपक्षी द्वारा परिवादी को माल की क्षतिपूर्ति राशि रू0-66,100/- (रू0 छहछठ हजार एक सौ), मानसिक/शारीरिक पीड़ा तथा आर्थिक क्षतिपूर्ति राशि रू0-5,000/-(रू0 पॉंच हजार) एवं वाद व्यय राशि रू0-5,000/-(रू0 पॉच हजार) अदा की जाये अन्यथा कुल आदेशित राशि पर आदेश की तिथि से 9-प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज देय होगा।
आदेश का अनुपालन विपक्षी सं0-1 द्वारा समय सीमा एक माह की अवधि में न किये जाने पर परिवादी को उक्त आदेश का अनुपालन इस जिला उपभोक्ता फोरम के माध्यम से कराने का अधिकार होगा।
विपक्षी सं0-2 अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेगा।
नियमानुसार कार्यालय द्वारा निर्णय एवं आदेश की प्रमाणित प्रति नि:शुल्क पंजीकृत डाक के माध्यम से पक्षकार को अविलम्ब भेजी जाये।''
-3-
जिला फोरम के निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी संख्या-1 दि चतुर्वेदी गुड्स कैरियर की ओर से यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मनीष कुमार, प्रत्यर्थी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री रोमित सेठ और प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक मेहरोत्रा उपस्थित आये हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
उभय पक्ष की ओर से लिखित तर्क प्रस्तुत किया गया है। मैंने उभय पक्ष की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी संख्या-2 के विरूद्ध परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने 160 सूट ब्रासोप्रिन्ट रूपट्टा कीमत 220/-रू0 प्रति पीस कुल मूल्य 35,200/-रू0, 18 सूट बैग वाले कीमत 950/-रू0 प्रति पीस कुल मूल्य 17,100/-रू0, 16 सूट डार्क पट्टी बैगवाले कीमत 850/-रू0 प्रति पीस कुल मूल्य 13,600/-रू0 कुल 194 पीस की एक गांठ मूल्य 65,900/-रू0 अपीलार्थी के ट्रांसपोर्ट पर दिनांक 05.08.2013 को रिजा शकील अहमद महमूदाबाद, जिला सीतापुर
-4-
के लिए बुक कराया और बुकिंग फीस 150/-रू0 तथा पल्लेदारी 50/-रू0 देकर बिल्टी रसीद कटवाया, परन्तु जब बुक कराये गये इस एक गांठ कपड़े की डिलीवरी दिनांक 04.09.2013 तक उपरोक्त कन्साइनी रिजा शकील अहमद महमूदाबाद, जिला सीतापुर को नहीं हुई तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी को दिनांक 04.09.2013 को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस द्वारा अधिवक्ता भेजा और नोटिस में भेजे गये माल की कीमत और ट्रांसपोर्ट व पल्लेदारी का खर्च मिलाकर कुल मूल्य 66,100/-रू0 अंकित किया तथा अपीलार्थी से 15 दिन के अन्दर भुगतान करने को कहा। तब दिनांक 25.09.2013 को अपीलार्थी ने उसकी नोटिस का गोलमोल जवाब भेजा, जो दिनांक 26.09.2013 को प्रत्यर्थी/परिवादी को प्राप्त हुआ। जवाब नोटिस में उसने बुक माल को बीमित न कराये जाने के सम्बन्ध में कहा जबकि उसने माल बुक कराते समय प्रत्यर्थी/परिवादी से माल को बीमित कराने हेतु नहीं कहा था और न ही बिल्टी रसीद में ऐसी कोई प्रविष्टि है।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी ने अपने जवाब नोटिस में ट्रक संख्या-यू0पी034सी-8853 द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को भेजे गये माल को दिनांक 06.08.2013 को ट्रक सहित जलना बताया।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी का प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा बुक कराये गये माल को सुरक्षित पहुँचाने का दायित्व था, परन्तु उसने अपने दायित्व को पूरा नहीं किया है और सेवा में कमी की है। अत: क्षुब्ध होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के
-5-
समक्ष प्रस्तुत किया है।
अपीलार्थी, जो परिवाद में विपक्षी संख्या-1 है, की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा एक गांठ कपड़ा गन्तव्य स्थल के लिए बुक कराया गया था, परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा माल का विवरण व मूल्यांकन बिल्टी के साथ संलग्न नहीं किया गया था। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है।
लिखित कथन में अपीलार्थी की ओर से कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी की नोटिस का सही जवाब दिया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा बुक किया गया माल दिनांक 06.08.2013 को ट्रक सहित जल गया है, जो कि एक दैवीय आपदा है, जिसमें किसी पक्ष की कोई गलती नहीं थी।
लिखित कथन में अपीलार्थी ने कहा है कि जब प्रत्यर्थी/परिवादी ने माल बुक कराया तो उसे इस बात की जानकारी थी कि बीमित माल ही बुक कराया जाना है।
लिखित कथन में अपीलार्थी की ओर से कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का माल दिनांक 06.08.2013 को ट्रक संख्या-यू0पी034सी-8853 से प्रेषित किया गया था और माल को सुरक्षित ढंग से रखने की व्यवस्था की गयी थी, परन्तु ट्रक चलते-चलते एकाएक ट्रक में दैवीय प्रकोप से आग लग गयी, जिसमें अपीलार्थी के ट्रक चालक या संचालक की कोई गलती नहीं थी। ट्रक में आग
-6-
लगने से ट्रक में रखा सारा माल आग से जलकर नष्ट हो गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी के साथ अन्य लोगों के माल को भी क्षति हुई है।
लिखित कथन में अपीलार्थी की ओर से कहा गया है कि कैरियर्स एक्ट के प्राविधान के अनुसार अपीलार्थी कोई क्षतिपूर्ति देने हेतु उत्तरदायी नहीं है। अपीलार्थी की सेवा में कोई कमी नहीं है।
प्रत्यर्थी संख्या-2, जो परिवाद में विपक्षी संख्या-2 है, ने भी जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कभी भी उससे क्लेम के सम्बन्ध में सम्पर्क नहीं किया गया है। वाहन में रखी सम्पत्ति थर्ड पार्टी सम्पत्ति नहीं होती है और प्रत्यर्थी/परिवादी, प्रत्यर्थी संख्या-2 बीमा कम्पनी का उपभोक्ता नहीं है। परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों
पर विचार करने के उपरान्त यह माना है कि अपीलार्थी, जो परिवाद में विपक्षी संख्या-1 है, का दायित्व था कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी का माल सुरक्षित पहुँचाये। अत: माल की क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 उत्तरदायी है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का माल गन्तव्य स्थान पर सुरक्षित पहुँचाने हेतु ट्रक से पर्याप्त सुरक्षा और सावधानी के साथ भेजा है।
-7-
रास्ते में ट्रक में आग दैवीय आपदा के कारण लगी है, जिससे माल जलकर नष्ट हो गया है। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी ट्रांसपोर्ट कम्पनी प्रत्यर्थी/परिवादी को कोई क्षतिपूर्ति देने हेतु उत्तरदायी नहीं है। जिला फोरम का निर्णय दोषपूर्ण है। अत: निरस्त किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के अनुकूल है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
प्रत्यर्थी संख्या-2 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उसे गलत पक्षकार बनाया गया है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
THE CARRIAGE BY ROAD ACT, 2007 की धारा- 10 और 11 निम्न है:-
10. Liability of common carrier. –
1. The liability of the common carrier for loss of, or damage to any consignment, shall be limited to such amount as may be prescribed having regard to the value, freight and nature of goods, documents or articles of the consignment, unless the consignor or any person duly authorized in that behalf have expressly undertaken to pay higher risk rate fixed by the common carrier under section 11.
2. The liability of the common carrier in case of any delay up to such period as may be mutually agreed upon by and between the consignor and
-8-
the common carrier and specifically provided in the goods forwarding note including the consequential loss or damage to such consignment shall be limited to the amount of freight charges where such loss, damage or delay took place while the consignment was under the charge of such carrier: Provided that beyond the period so agreed upon in the goods forwarding note, compensation shall be payable in accordance with sub-section (1) or section 11: Provided further that the common carrier shall not be liable if such carrier proves that such loss of, or damage to, the consignment or delay in delivery thereof, had not taken place due to his fault or neglect or that of his servants or agents thereof.
11. Rates of charge to be fixed by common carrier for carriage of consignment at a higher risk rate. –
Every common carrier may require payment for the higher risk undertaken by him in carrying a particular consignment at such rate of charge as he may fix and correspondingly, his liability would be in accordance with the terms as may be agreed upon with the consignor: Provided that to entitle such carrier to claim payment at a rate higher than his ordinary rate of charge, he should have exhibited a printed or written notice, in English and the vernacular language of the State, of the higher rate of charge in the place or premises where he carries on the business of common carrier.
THE CARRIAGE BY ROAD ACT, 2007 की धारा-17 निम्न है:-
-9-
17. General responsibility of common carrier. –
Save as otherwise provided in this Act, a common carrier shall be responsible for the loss, destruction, damage or deterioration in transit or non-delivery of any consignment entrusted to him for carriage, arising from any cause except the following, namely:-
a. act of God;
b. act of war or public enemy;
c. riots and civil commotion;
d. arrest, restraint or seizure under legal process;
e. order or restriction or prohibition imposed by the Central Government or a State Government or by an officer or authority subordinate to the Central Government or a State Government authorised by it in this behalf: Provided that the common carrier shall not be relieved of its responsibility for the loss, destruction, damage, deterioration or non-delivery of the consignment if the common carrier could have avoided such loss, destruction, damage or deterioration or non-delivery had the common carrier exercised due deligence and care in the carriage of the consignment.
धारा-17 THE CARRIAGE BY ROAD ACT, 2007 को पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि धारा-17 का यह प्राविधान धारा-10 और 11 के प्राविधान के अधीन है और धारा-11 के उपरोक्त प्राविधान से यह स्पष्ट है कि कामन कैरियर ऐसी स्थिति में क्षतिपूर्ति के भुगतान हेतु उत्तरदायी नहीं होगा जब वह यह साबित
-10-
कर देता है कि कन्साइनमेन्ट उसकी या उसके कर्मचारी या एजेन्ट की गलती या चूक से नहीं खोया है। अत: धारा-11 THE CARRIAGE BY ROAD ACT, 2007 के प्राविधान को देखते हुए अपीलार्थी पर यह दर्शित करने का भार है कि ट्रक में आग अपीलार्थी या उसके चालक या एजेन्ट की गलती से नहीं लगी है।
अपीलार्थी ने जिला फोरम के समक्ष उत्तर प्रदेश फायर सर्विस विशेष फायर-विश्लेषण की प्रति प्रस्तुत की है, जिसे अपील के संलग्नक ए-12 के रूप में प्रस्तुत किया गया है। विशेष फायर-विश्लेषण में वाहन संख्या-यू0पी034सी-8853, जो सीतापुर से कास्मेटिक सामान, सीमेन्ट, चना, वनस्पति घी आदि लेकर महमूदाबाद जा रहा था, में आग लगने का उल्लेख है और यह अंकित है कि युनिट ने MFE द्वारा पम्पिंग कर व दूसरी गाड़ी की मांग कर दोनों युनिटों द्वारा खुले पानी से पम्पिंग कर आग को पूर्ण रूप से बुझाकर शान्त कराया गया। अधिकांश सामान जलकर क्षतिग्रस्त हो गया था। वाहन की बाडी भी आंशिक जल गयी थी। इस आख्या में वाहन में रखे माल में आग लगने का कारण उल्लिखित नहीं किया गया है। इस विश्लेषण आख्या से स्पष्ट है कि आग वाहन में रखे माल में ही लगी है। वाहन के इंजन में आग लगने का कोर्इ उल्लेख नहीं है। वाहन में रखे माल में आग कैसे लगी यह रिपोर्ट में उल्लिखित नहीं है। अपीलार्थी ट्रांसपोर्टर ने वाहन चालक का शपथ पत्र प्रस्तुत कर यह स्पष्ट नहीं किया है कि वाहन में रखे माल में आग कैसे लगी या आग लगने का कारण क्या था।
-11-
ऐसी स्थिति में यह मानने हेतु उचित आधार है कि अपीलार्थी यह साबित करने में असफल रहा है कि वाहन में रखे माल में आग उसके चालक या उसके एजेन्ट की गलती या चूक से नहीं लगी है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी को प्रत्यर्थी/परिवादी के माल का जो मूल्य देने हेतु आदेशित किया है, वह THE CARRIAGE BY ROAD ACT, 2007 की धारा-10, 11 व 17 के प्राविधान के अनुसार उचित है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने एक गांठ माल का पूरा विवरण परिवाद पत्र और अपने शपथ पत्र में दिया है। जिला फोरम ने जो 66,100/-रू0 क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया है, वह उचित है। जिला फोरम ने जो 5000/-रू0 वाद व्यय प्रत्यर्थी/परिवादी को दिया है, वह भी उचित है। जिला फोरम ने जो 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज एक माह के अन्दर भुगतान न करने पर आदेशित धनराशि पर दिया है वह उचित है, परन्तु यह अवधि इस निर्णय की तिथि से एक माह किया जाना उचित है।
जिला फोरम ने जो 5000/-रू0 मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति दिलाया है, वह भी उचित है क्योंकि आदेशित धनराशि पर ब्याज प्रत्यर्थी/परिवादी को भुगतान एक माह के अन्दर किये जाने पर नहीं मिलेगा।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम द्वारा आदेशित धनराशि में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, परन्तु जिला फोरम द्वारा निर्धारित एक माह की अवधि इस निर्णय की तिथि से एक माह किया जाना उचित है।
-12-
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील निरस्त की जाती है, परन्तु यह आदेशित किया जाता है कि जिला फोरम द्वारा आदेशित धनराशि इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1, प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करेगा और यदि इस अवधि में जिला फोरम द्वारा आदेशित धनराशि का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 नहीं करता है तब वह जिला फोरम द्वारा आदेशित 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से आदेशित धनराशि पर ब्याज भी अदा करेगा।
उभय पक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जायेगी। जिला फोरम के समक्ष इस अपील में पारित अन्तरिम आदेश दिनांक 17.10.2017 के अनुपालन में यदि 41,100/-रू0 अपीलार्थी ने जमा किया है तो यह धनराशि अर्जित ब्याज सहित प्रत्यर्थी/परिवादी को अवमुक्त की जायेगी। उपरोक्त धनराशि के समायोजन के बाद यदि आदेशित धनराशि अवशेष बचती है तो उसकी वसूली विधि के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 से की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1