Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/303

Post Office - Complainant(s)

Versus

Ganga Prasad Verma - Opp.Party(s)

Vishal Chaudhary

17 Feb 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/303
( Date of Filing : 14 Feb 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Post Office
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ganga Prasad Verma
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 17 Feb 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-303/2005

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, हरदोई द्वारा परिवाद संख्‍या-24/2000 में पारित निर्णय दिनांक 18.08.2004 के विरूद्ध)

सुपरिटेन्‍डेन्‍ट आफ पोस्‍ट आफिस जिला हरदोई।     ........अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

 

गंगा प्रसाद वर्मा पुत्र स्‍व0 उमराय वर्मा द्वारा अयोध्‍या प्रसाद वर्मा

निवासी मोहल्‍ला पीताम्‍बरगंज, परगना गोपामऊ तह0 व जिला

हरदोई।                                        ......प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री श्रीकृष्‍ण पाठक, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

दिनांक 28.02.2022

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 24/2000 श्री गंगा प्रसाद वर्मा बनाम अधीक्षक डाक विभाग हरदोई में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 18.08.2004 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया गया है:-

     ‘’ परिवाद स्‍वीकार किया जाता है विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह आज से एक माह के अंदर परिवादीगण को उसकी मां का डाकघर बेहटागोकुल में टी0डी0 खाता संख्‍या 100100 व बचत खाता संख्‍या 800766 व मुख्‍य डाकघर हरदोई के टी0डी0 खाता संख्‍या 9516 व टी0डी0 खाता संख्‍या 145075 एवं बचत खाता सं0- 108372 में जमा धन मय ब्‍याज अदा करें। विपक्षीगण परिवादीगण को दो हजार रूपये बतौर क्षतिपूर्ति भी अदा करेंगें।‘’

 

-2-

2.   परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी की माता स्‍वर्गीय रामश्री हरदोई डाकघर में 3 खाते और बेहटागोकुल डाकघर में दो खाते हैं। उनकी माता की मृत्‍यु 2 अक्‍टूबर 1980 को हो गई। परिवादी उनके उत्‍तराधिकारी हैं, इसलिए विपक्षी को नोटिस दी गई कि पांचों खातों का पैसा दिया जाए, परन्‍तु अदा नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.   विपक्षी बैंक का कथन है कि परिवादी ने उत्‍तराधिकार प्रमाणपत्र दाखिल नहीं किया। खाता संख्‍या 6576, 100100, 145075 के लेजरकार्ड एवं इन्‍डेक्‍स रिपोर्ट न मिलने के कारण सत्‍यापन नहीं हो पाया और विलम्‍ब हो गया, केवल परेशान करने के लिए यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। यह भी उल्‍लेख किया गया कि परिवाद 17 साल बाद प्रस्‍तुत किया गया है, जो विधिसम्‍मत नहीं है।

4.   दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि खाते में जमा राशि इस आधार पर देने से इंकार नहीं किया जा सकता कि अभिलेख नहीं मिल रहे हैं, इसलिए परिवादी अपनी मृतिका माता की धन प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

5.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि परिवाद मृतिका रामश्री के एक उत्‍तराधिकारी द्वारा प्रस्‍तुत किया गया है, जबकि 3 पुत्र छोड़े गए है। शैक्षिक प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है। परिवाद 17 वर्ष बाद प्रस्‍तुत किया गया है, जो समयावधि से बाधित है। जिला उपभोक्‍ता  मंच ने कानूनी परिस्थितियों के विपरीत जाकर निर्णय पारित किया है।

6.   केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।

-3-

7.   स्‍वयं परिवाद पत्र में स्‍वीकार किया गया है कि मृतिका का स्‍वर्गवास वर्ष 1980 में हुआ और उनके द्वारा 4 पुत्र छोड़े गए जिनके नाम काशी प्रसाद, अयोध्‍या प्रसाद, गया प्रसाद व गंगा प्रसाद है, अत: अकेले गंगा प्रसाद वर्मा द्वारा परिवाद प्रस्‍तुत नहीं किया जा सकता। यद्यपि उत्‍तराधिकार प्रमाणपत्र प्रस्‍तुत करने के पश्‍चात जिसके पक्ष में प्रमाणपत्र मौजूद हो उस व्‍यक्ति द्वारा परिवाद प्रस्‍तुत किया जा सकता है, इसलिए परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किया गया वाद संधारणीय नहीं है।

8.   यह उल्‍लेख भी समीचीन होगा कि वर्ष 1980 में परिवादी की मां का स्‍वर्गवास हो जाने के पश्‍चात 3 वर्ष की अवधि के अंतर्गत परिवाद प्रस्‍तुत किया जा सकता था, जबकि परिवाद वर्ष 2000 में प्रस्‍तुत किया गया है, अत: स्‍पष्‍ट है कि यह परिवाद समयावधि से भी बाधित है। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24(क) की व्‍यवस्‍था के अनुसार वाद कारण उत्‍पन्‍न होने पर 2 वर्ष की अवधि के अंतर्गत परिवाद प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए। इस अवधि के बाद प्रस्‍तुत परिवाद विचार हेतु ग्राह्य नहीं किया जाएगा। विधिक नोटिस देने से वाद कारण उत्‍पन्‍न होना नहीं कहा जा सकता, अत: स्‍पष्‍ट है कि समयावधि से बाधित परिवाद पर निर्णय पारित किया गया है जो विधि विरूद्ध है। तदनुसार अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

9.   अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है। संधारणीय न होने के कारण परिवाद खारिज किया जाता है।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

 

-4-

वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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