Rajasthan

Kota

CC/350/2005

Indra kumar arvind - Complainant(s)

Versus

Firm T C infotech - Opp.Party(s)

Narendra vyas

17 Apr 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )

पीठासीनः- अध्यक्ष, श्री नंदलाल शर्मा, मेम्बर श्री महावीर तंवर

परिवाद संख्या:-   350/05

इन्द्र कुमार अरविन्द पुत्र रामगोपाल निवासी थाका जी का मोहल्ला, जलदाय विभाग के पास संगोदा जिला कोटा।                              परिवादी

                    बनाम
फर्म टी सी ई इन्फोटेक 106-फस्र्ट फ्लोर शांति निकेतन सराय कायस्थान, केथूनी पोल  कोटा द्वारा पार्टनर-
01.    मदन मोहन तैलंग पार्टनर फर्म टी सी ई इनफोटेक 106, फस्र्ट     फ्लोर, शाति निकेतन, सराय कायस्थान, कैथूनी पोल, कोटा पता     हाल कार्यालय पी एच ई डी बकानी झालावाड।
02.    अविनाश तैलंग पुत्र मदन मोहन तैलंग पार्टनर फर्म टी सी ई     इनफोटेक 106 फस्र्ट फ्लोर शाति निकेतन, सराय कायस्थान     केथूनी पोल कोटा                          अप्रार्थीगण


    प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति:-

01.    श्री नरेन्द्र व्यास, अधिवक्ता,परिवादी की ओर से ं।
02.    अप्रार्थी सं. 1 को परिवादी ने तर्क कर दिया।
03.    श्री विष्णु प्रकाश शर्मा, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं. 2 की ओर से।
 

 

            निर्णय             दिनांक 17.04.2015

    परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड,केम्प कोटा को प्राप्त हुआ जिसमें अंकित किया कि उसने अप्रार्थीगण से जरिये बिल 220 दिनांक 10.09.04 तादादी 22,670/-रूपये में कम्प्यूटर सेट खरीद किया, जिसकी एक वर्ष की गारन्टी दी थी। परिवादी ने उक्त कम्प्यूटर अपने गांव ले जाकर अपना व्यवसाय कम्प्यूटर्स एण्ड ग्राफिक्स के नाम से शुरू किया। उक्त कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क 7 माह बाद खराब हो गई। जिसकी शिकायत अप्रार्थीगण से की तो उन्होने उक्त कम्प्यूटर ठीक करने के लिये कोटा मंगवाया। परिवादी ने अप्रार्थीगण को दिनांक 05.04.05 को परिवादी के कम्प्यूटर को दिखाया तो अप्रार्थीगण ने परिवादी के उक्त कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क की सील तोडकर छेड-छाड की और कहा कि उक्त हार्ड डिस्क ठीक नही हो रही है। इसको कंपनी को भेजने के बाद ही ठीक होगी अथवा रिप्लेसमेन्ट हो सकेगा। अप्रार्थीगण ने उक्त हार्ड डिस्क फर्म इनग्राम माइक्रो इंडिया प्राईवेट लि0 जयपुर के यहाॅ ठीक करवाने भिजवाया और कहा कि डेढ माह बाद आवेगा जो आपको दे दिया जावेगा। काफी समय बाद भी अप्रार्थीगण परिवादी की हार्ड डिस्क बदल कर नही दी। अप्रार्थीगण ने परिवादी की हार्ड डिस्क बदल कर नही देकर उसकी सेवा में कमी की है, इसलिये परिवादी को अप्रार्थीगण से उसके कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क, मानसिक संताप, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।  

    दिनांक 20.02.14 को परिवादी ने अप्रार्थी .1 को तर्क किया। 

    अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि परिवादी ने अप्रार्थीसं. 1 को गलत पक्षकार बनाया है। परिवादी अकेला दिनांक 11.04.05 को पुनः हार्ड डिस्क लेकर आया, उससमय हार्ड डिस्क की सील टूटी हुई थी और परिवादी के द्वारा हार्ड उिस्क की सील तोड कर छेड-छाड  की हुई थी, इस आशय की शिकायत अप्रार्थी परिवादी से की तो परिवादी ने यह स्वीकार किया और कहा की गलती हो गई,आप इसे कंपनी को भिजवा दे तो रिप्लेसमेन्ट हो जावेगा, अप्रार्थी सं. 2 ने कंपनी के स्थानीय विक्रेता कोटा कम्प्यूटर के माध्यम से हार्ड डिस्क इनग्राम माइक्रो  इण्डिया प्रा0लि0 को भिजवाया, किन्तु कंपनी ने हार्ड डिस्क की सील तोडकर छेड-छाड किये जाने के कारण नियमो के तहत हार्ड डिस्क रिप्लेसमेन्ट नही हुई, जिसकी सूचना कंपनी द्वारा दिनांक 25.05.05 को पत्र द्वारा परिवादी को दे दी गई तथा 26.05.05 को अप्रार्थी सं.2 को भी दे दी। परिवादी ने परिवाद मिथ्या एवं मनगढन्त तथ्यों का पेश किया है, परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता नहीं है। अप्रार्थीगण ने परिवादी की सेवा में कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद मय हर्जा खर्चा खारिज किया जावे। 


    उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-

01.    क्या परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?

    परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, कम्प्यूटर खरीद के बिल तथा अप्रार्थीगण के जवाब से परिवादी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है। 
     

02.    क्या अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?
    
    उभय पक्षों को सुना गया। उभय पक्ष इस बात पर सहमत है कि परिवादी ने अप्रार्थी सं 2 से कम्प्यूटर खरीदा, उसका खराब होना,स्वीकार करते है, परन्तु खराब होने के कारण पर उभय पक्ष में मत भेद है। जहाॅ परिवादी कहता है कि अप्रार्थी सं. 2 ने छेड-छाड की है, वही अप्रार्थी सं. 2 कहता है कि परिवादी ने छेड-छाड की है, इस संदर्भ में पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजात में कोटा कम्प्यूटर्स का पत्र दिनांक 26.05.05 की फोटो कापी से स्पष्ट है कि विवादित कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क ग्राहक द्वारा छेड-छाड के कारण खराब हुई, इसलिये हार्ड डिस्क को रिप्लेस नहीं किया जा सकता है, इस तथ्य की पुष्टि अप्रार्थी के जवाब के पैरा नं. 6 में अंकित किया है कि परिवादी दिनांक 11.04.05 को अप्रार्थी सं. 2 के पास आया, उस समय हार्ड डिस्क की सील टूटी हुई थी, इस आशय की शिकायत करने पर परिवादी स्वयं ने स्वीकार किया कि गलती हो गई, अब इसे कंपनी को भिजवा दे जिससे रिप्लेस हो जावेगी। इन तथ्यों के खंडन में परिवादी ने कोई रिज्वाइंडर नहीं दिया है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के पैरा नं. 6 में अप्रार्थीगण द्वारा हार्ड डिस्क में छेड-छाड करना बताया है। परन्तु अप्रार्थीगण चूंकि कम्प्यूटर का विक्रय करता है। परिणामतः अप्रार्थीगण द्वारा इस तरह की लापरवाही किया जाना मुमकिन प्रतीत नहीं होता है। यह भी उस स्थिति में जब कोटा कम्प्यूटर्स के पत्र में ग्राहक द्वारा छेड-छाड किया जाना अंकित है और परिवादी द्वारा उसके खंडन मेें कोई दस्तावेज या रिज्वाइंडर पेश नहीं किया है ऐसी स्थिति में उपरोक्त विवेचन को दृष्टिगत रखते हुये हमारे विचार से परिवादी, अप्रार्थीगण का कोई सेवा दोष साबित नहीं कर सका। 

03.    अनुतोष ?

    परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है। 

                  आदेश 


     परिवादीइन्द्र कुमार अरविन्द का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वय वहन करेगे। 


     (महावीर तंवर)                (नंदलाल शर्मा)
        सदस्य                       अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा           मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
    निर्णय आज दिनांक 17.04.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।


   सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा            मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

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