मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
निष्पादन वाद संख्या-14/2011
1. शिव बालक सिंह पुत्र बालदेव सिंह, निवासी ग्राम बारनपुर, पोस्ट आफिस सूरतगंज, जिला बाराबंकी।
2. श्री बालदेव सिंह पुत्र खण्डे दीन सिंह, निवासी ग्राम बारनपुर, पोस्ट आफिस सूरतगंज, जिला बाराबंकी।
डिक्रीदार/परिवादीगण
बनाम्~
1. मैनेजर, एक्कार्ट्स ट्रैक्टर लिमिटेड, सेक्टर-13, प्लाट नं0-2, फरीदाबाद।
2. मे0 बी0आर0 आटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, 19, अशोक मार्ग, लखनऊ, अधिकृत डीलर।
निर्णीत ऋणी/विपक्षी संख्या-1 व 2
एवं
निष्पादन वाद संख्या-18/2001
1. शिव बालक सिंह पुत्र बालदेव सिंह।
2. श्री बालदेव सिंह पुत्र खण्डे दीन सिंह, निवासीगण ग्राम बैरानामऊ, मजारे मोलाहे सिंहका पुरवा, पोस्ट आफिस सूरतगंज, जिला बाराबंकी।
डिक्रीदार/परिवादी
बनाम्~
1. मैनेजर, एक्कार्ट्स ट्रैक्टर लिमिटेड, सेक्टर-13, प्लाट नं0-2, फरीदाबाद।
2. मे0 बी0आर0 आटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, अशोक मार्ग, लखनऊ।
निर्णीत ऋणी/विपक्षी संख्या-1 व 2
एवं
विविध वाद संख्या-360/2011
शिव बालक व अन्य
आवेदक/परिवादी
बनाम्~
मैनेजर स्कार्ट्स ट्रैक्टर लि0 व अन्य
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
एवं
-2-
विविध वाद संख्या-49/2000
मे0 बी0आर0 आटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, 19, अशोक मार्ग, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
आवेदक/विपक्षी संख्या-2
बनाम्~
1. शिव बालक सिंह, विलेज बारनपुर, पोस्ट आफिस सूरतगंज, जिला बाराबंकी।
2. श्री बालदेव सिंह, ग्राम बारनपुर, पोस्ट आफिस सूरतगंज, जिला बाराबंकी।
प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण
एवं
परिवाद संख्या-277/1992
1. शिव बालक सिंह, विलेज बारनपुर, पोस्ट आफिस सूरतगंज, जिला बाराबंकी।
2. श्री बालदेव सिंह, ग्राम बारनपुर, पोस्ट आफिस सूरतगंज, जिला बाराबंकी।
परिवादीगण
बनाम्~
1. मैनेजर, एक्कार्ट्स ट्रैक्टर लिमिटेड, सेक्टर-13, प्लाट नं0-2, फरीदाबाद।
2. मे0 बी0आर0 आटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, अशोक मार्ग, लखनऊ।
3. उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी कृषी एवम ग्राम विकास बैंक लिमिटेड, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
4. मैनेजर, उत्तर प्रदेश स्टेट कार्पोरेशन एग्रीकल्चर एण्ड डेवलेपमेंट बैंक, फतेहपुर ब्रांच, जिला बाराबंकी।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
आवेदक की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
विपक्षी संख्या-1/निर्णीत ऋणी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 01.12.2016
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
आदेश
-3-
निष्पादन वाद संख्या-14/2011, निष्पादन वाद संख्या-18/2001, विविध वाद संख्या-360/2011, विविध वाद संख्या-49/2000 एवं परिवाद संख्या-277/1992 एक दूसरे से संयुक्त तथा एक दूसरे के पूरक हैं एवं आज संयुक्त रूप से निस्तारण हेतु सूचीबद्ध हैं।
इन सभी वादों के आवेदक, श्री शिव बालक सिंह अनुपस्थित हैं। विपक्षी संख्या-1/निर्णीत ऋणी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित हैं।
पत्रावली के परिशीलन से यह तथ्य प्रकाश में आता है कि परिवाद संख्या-277/1992 को दिनांक 04.02.2000 को निर्णीत किया जा चुका है।
इसी प्रकार विविध वाद संख्या-49/2000 को दिनांक 03.07.2006 को निर्णीत किया जा चुका है। इस प्रकार परिवाद संख्या-277/1992 एवं विविध वाद संख्या-49/2000 में अब कोई अग्रिम कार्यवाही शेष नहीं रही गयी है। तदनुसार दोनों वाद दाखिल अभिलेखागार किये जाने योग्य हैं।
विपक्षी संख्या-1/निर्णीत ऋणी के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा का कहना है कि मा0 राष्ट्रीय आयोग में प्रथम अपील संख्या-535/2011 की सुनवाई के दौरान विपक्षी संख्या-1, मैनेजर, एक्कार्ट्स लि0 ने सम्पूर्ण डिक्रीशुदा धनराशि रू0 6,57,000/- जरिये बैंक ड्राफ्ट डिक्रीदार को हस्तगत करा दिया है, जिसका उल्लेख मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 10.09.2012 में किया गया है। इस प्रकार विविध वाद संख्या-360/2011 भी निष्प्रभावी हो जाता है। इसमें अब कोई अग्रिम कार्यवाही शेष नहीं रह जाती है। अत: यह विविध वाद संख्या-360/2011 निरस्त होने योग्य है।
पत्रावली के परिशीलन से यह तथ्य भी प्रकाश में आता है कि निष्पादन वाद संख्या-18/2001 एवं निष्पादन वाद संख्या-14/2011 में डिक्रीदार के विद्वान
अधिवक्ता अनुपस्थित हैं। विपक्षी संख्या-1/निर्णीत ऋणी एक्कार्ट्स लि0 के विद्वान अधिवक्ता का कहना है कि पक्षकारान के बीच अब कोई विवाद शेष नहीं रह गया है। फलस्वरूप इन दोनों निष्पादन वादों मे डिक्रीदार ने अभीरूचि लेना छोड़ दिया है।
-4-
मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.09.2012 के परिशीलन से यह भी तथ्य प्रकाश में आता है कि अब पक्षकारान के बीच न तो कोई विवाद शेष रह गया है और न ही इनके बीच उपभोक्ता सेवा प्रदाता का सम्बन्ध सम्पूर्ण डिक्रीशुदा धनराशि रू0 6,57,000/- प्राप्त करने के उपरान्त रह जाता है। वर्णित परिस्थितियों में उपरोक्त दोनों निष्पादन वाद संख्या-18 सन् 2001 एवं 14 सन् 2011 निरस्त किये जाने योग्य हैं।
तदनुसार, परिवाद संख्या-277/1992 एवं विविध वाद संख्या-49/2000 पूर्व में निर्णीत किये जा चुके हैं, अत: उपरोक्त दोनों वाद दाखिल अभिलेखागार किये जायें। विविध वाद संख्या-360/2011, निष्पादन वाद संख्या-18/2001 तथा निष्पादन वाद संख्या-14/2011 निष्प्रभावी हो जाने के कारण निरस्त किये जाते हैं।
इस आदेश की मूल प्रति निष्पादन वाद संख्या-14/2011 में रखी जाये एवं इसकी एक-एक प्रमाणित प्रतिलिपि सम्बन्धित पत्रावलियों में नियमानुसार रखी जाये।
इस आदेश की एक-एक प्रति पक्षकारान को नियमानुसार उपलब्ध करायी जाये।
वर्णित परिस्थितियों में पक्षकारान अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
(आलोक कुमार बोस) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2