(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 275/2022
श्रीमती रेखा वर्मा पत्नी स्व0 श्री राजेश कुमार वर्मा निवासी अवन्तीबाई नगर, मैनपुरी रोड भोगांव, जिला मैनपुरी।
..........अपीलार्थी
बनाम
ईडलवाइस टोकियो लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0 पंजीकृत कार्यालय छठवां तल टावर नम्बर 3 विंग बी, कोहिनूर सिटी किरोल रोड कुर्ला वेस्ट मुम्बई 400070, द्वारा चेयरमैन/सी0ई0ओ0।
.......प्रत्यर्थी
समक्ष:-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अभिषेक भटनागर, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 12.04.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय/आदेश
परिवाद सं0- 177/2021 श्रीमती रेखा वर्मा बनाम ईडलवाइस टोकियो लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0 में जिला उपभोक्ता आयोग, मैनपुरी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 04.04.2022 के विरुद्ध यह अपील योजित की गई है।
जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादिनी का प्रार्थना पत्र अस्वीकार करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया है:-
‘’परिवादिनी के द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र कागज सं0- 80 उपरोक्तानुसार अस्वीकार किया जाता है।
परिवादिनी को आदेश दिया जाता है कि वह जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत परिवाद संख्या– 177/2021 रेखा वर्मा बनाम ईडलवाइस टोकियो लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0 को इस जिला आयोग मैनपुरी से वापस लेकर माननीय राज्य आयोग, लखनऊ के समक्ष दाखिल करे अथवा इस परिवाद को नोट प्रेस करे।‘’
प्रश्नगत निर्णय व आदेश से व्यथित होकर उपरोक्त परिवाद की परिवादिनी द्वारा यह अपील प्रस्तुत की गई हैं।
हमने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अभिषेक भटनागर को सुना। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया।
इस मामले में परिवाद दि0 25.11.2021 को जिला उपभोक्ता आयोग, मैनपुरी में दाखिल किया गया, जिसमें बीमा पालिसी के सम्बन्ध में बीमित धनराशि 1,00,00,000/-रू0 (एक करोड़ रू0) की मांग की गई थी एवं इस बीमा की धनराशि का प्रीमियम रू0 7,478/- प्रतिमाह का था। परिवाद योजन के उपरांत भारत सरकार द्वारा अधिसूचना जो दि0 30.12.2021 को प्रकाशित हुई में जिला उपभोक्ता आयोग तथा राज्य आयोग की धनीय क्षेत्राधिकारिता निम्नलिखित प्रकार से कर दी गई:-
‘’जिला आयोग की अधिकारिता:- अधिनियम के अन्य उपबंध के अध्यधीन और अधिनियम की धारा 34 की उप-धारा (1) के परंतुक के अनुसरण में, जिला आयोग की अधिकारिता, ऐसी शिकायतों पर होगी, जिनमें माल और सेवाओं के प्रतिफल के रूप में भुगतान किया गया मूल्य पचास लाख रुपये से अधिक न हो।
राज्य आयोग की अधिकारिता:- अधिनियम के अन्य उपबंधों के अध्यधीन और धारा 47 की उप-धारा (1) के खंड (क) के उप-खंड (1) के परंतुक के अनुसरण में, राज्य आयोग की अधिकारिता, ऐसी शिकायतों पर होगी, जिनमें माल और सेवाओं के प्रतिफल के रूप में भुगतान किया गया मूल्य पचास लाख रूपये से अधिक हो किंतु दो करोड़ रूपये से अधिक न हो।‘’
उपरोक्त अधिनियम सूचना के दि0 30.12.2021 से जिला उपभोक्ता आयोग की धनीय क्षेत्राधिकारिता 50,00,000/-रू0 तक सीमित कर दी गई। जिला उपभोक्ता आयोग ने मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नीना अनेजा व अन्य बनाम जय प्रकाश एसोसिएट्स में पारित निर्णय पर आधारित करते हुए यह निष्कर्ष दिया कि सर्वोच्च न्यायालय की यह व्यवस्था उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 पर आधारित है। अत: इस व्यवस्था का कोई लाभ अपीलार्थी/परिवादिनी को नहीं दिया जा सकता। इस आधार पर मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय को इस मामले पर लागू न करते हुए यह निर्णीत किया कि अधिसूचना में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है। अधिसूचना में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि इस अधिसूचना से जारी होने से पहले दाखिल होने वाले रू0 1,00,00,000/- (एक करोड़ रू0) तक के मुकदमें जिला उपभोक्ता आयोग में चलते रहेंगे। जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा की धनराशि जो अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा क्लेम की गई है उसको आधार मानते हुए परिवाद का धनीय क्षेत्राधिकार रू0 1,00,00,000/- (एक करोड़ रू0) निर्णीत करते हुए एवं दि0 30.12.2021 को क्षेत्राधिकारिता सम्बन्धी अधिसूचना को दि0 25.11.2021 से लागू मानते हुए परिवाद इस आधार पर निरस्त करने का आदेश पारित किया कि अपीलार्थी/परिवादिनी राज्य आयोग के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत करे।
इस सम्बन्ध में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय नीना अनेजा व अन्य बनाम जय प्रकाश एसोसिएट्स लि0 प्रकाशित III(2021)CPJ पृष्ठ 1 (S.C.) का उल्लेख करना उचित होगा। इस निर्णय में यह प्रश्न उत्पन्न हुआ कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 जो दि0 09.08.2019 गजट आफ इंडिया में प्रकाशित हुआ जिसमें दि0 20 जुलाई 2020 को प्रावधान लागू होने की उद्घोषणा की गई। पक्षकारों द्वारा मा0 राष्ट्रीय आयोग के समक्ष परिवाद दि0 18.06.2020 को योजित किया गया जिसका मूल्यांकन 2.19 करोड़ रू0 था। वाद योजन के उपरांत दि0 24.07.2020 से मा0 राष्ट्रीय आयोग का धनीय क्षेत्राधिकार रू0 1,00,00,000/- (एक करोड़ रू0) से बढ़कर दस हजार करोड़ रूपये कर दिया गया, किन्तु मा0 राष्ट्रीय आयोग ने इस आधार पर परिवाद अपने धनीय क्षेत्राधिकार में नहीं माना कि वाद योजन के उपरांत परिवाद राष्ट्रीय आयोग की क्षेत्राधिकारिता में नहीं आता है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त निर्णय नीना अनेजा व अन्य बनाम जय प्रकाश एसोसिएट्स के माध्यम से मा0 राष्ट्रीय आयोग का निर्णय खण्डित करते हुए यह अवधारित किया गया कि वाद योजन की तिथि पर लागू अधिनियम के अनुसार क्षेत्राधिकारिता मानी जायेगी।
मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय के अनुसार इस मामले में भी वाद योजन की तिथि पर लागू क्षेत्राधिकारिता के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग की धनीय क्षेत्राधिकारिता रू0 1,00,00,000/- (एक करोड़ रू0) तक की थी। अत: यह कहना उचित नहीं है कि बाद में धनीय क्षेत्राधिकारिता परिवर्तित होने के कारण पूर्व योजित वाद तदनुसार नए क्षेत्राधिकारिता में चला जायेगा। मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निणर्य से दिशा-निर्देशन लेते हुए यह पीठ इस मत की है कि वाद योजन की तिथि पर लागू अधिनियम एवं क्षेत्राधिकारिता के प्रावधान परिवाद की क्षेत्राधिकारिता तय करते हैं, अन्यथा सभी परिवाद जो पूर्व में चल रहे हैं उनको भी वापस नए क्षेत्राधिकारिता के अनुसार प्रेषित करना होगा।
उपरोक्त के अतिरिक्त अपीलार्थी/परिवारिवादिनी की ओर से एक तर्क यह भी दिया गया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार क्षेत्राधिकारिता मांगे गए अनुतोष के अनुसार नहीं, बल्कि क्रय किए गए वस्तु अथवा सेवा के लिए दिए जाने वाले प्रतिफल पर निर्भर करती है। अत: प्रतिफल के अनुसार भी यह परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग में पोषणीय है।
उपरोक्त तर्क में बल प्रतीत होता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 34 जिला उपभोक्ता आयोग की क्षेत्राधिकारिता निम्नलिखित प्रकार से प्रदान करती है:-
“Subject to the other provisions of this Act, the District Commission shall have jurisdiction to entertain complaints where the value of the goods or services paid as consideration does not exceed one crore rupees.(Now 50 Lakh Rupees)”
उपरोक्त प्रावधान के अनुसार धनीय क्षेत्राधिकारिता सेवा के लिए दिए गए प्रतिफल पर निर्भर करती है। इस मामले में बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है। अत: बीमित द्वारा दिए गए प्रतिफल के आधार पर क्षेत्राधिकारिता निर्धारित की जायेगी जो निश्चय ही परिवाद के समय लागू उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में प्रदान जिला उपभोक्ता आयोग की धनीय क्षेत्राधिकारिता के अंतर्गत आती है। यदि तर्क के लिए यह मान भी लिया जाए कि भविष्य में दिया जाने वाला प्रतिफल भी सम्मिलित होता है तो इस मामले में बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर दिए गए प्रतिफल के आधार पर भी धनीय क्षेत्राधिकारिता निर्धारित होगी जो वर्तमान में धनीय क्षेत्राधिकारिता 50,00,000/-रू0 से भी कम है, अतएव दोनों दशाओं में जिला उपभोक्ता आयोग को इस परिवाद की क्षेत्राधिकारिता है। अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है और परिवाद को इस निर्देश के साथ प्रति प्रेषित किया जाता है कि जिला उपभोक्ता आयोग, मैनपुरी उक्त परिवाद को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित करे। तदोपरांत जिला उपभोक्ता आयोग विधिनुसार परिवाद का निस्तारण गुण-दोष के आधार पर 06 माह की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।
उभयपक्ष दि0 31.05.2023 को जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष उपस्थित होंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना) (सुधा उपाध्याय)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 1