राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-83/2016
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या 68/2016 में पारित आदेश दिनांक 04.05.2016 के विरूद्ध)
1. Sardar Motors Pvt. Ltd.
P.S-Belipar, District Gorakhpur
Through Partner Sardar Preeti Pal Singh.
2. Sardar Motors Nausard
P.S-Belipar, District Gorakhpur. ....................पुनरीक्षणकर्तागण
बनाम
1. Durga Prasad Gupta S/o Late Shyam Bihari Gupta R/o House No. 660,
Q Vir Savarakar Nagar Lakshipur, P.S. Gorakhnath District
Gorakhpur.
2. Reliance General Insurance Company Khoa Mandi Gali, Goleghar,
Gorakhpur through Branch Manager.
3. H D F C Bank Ltd. Prahlad Trade Centre
A.D. Crossing, Bank Road, Gorakhpur Through Branch Manager.
4. Rajat Singh S/O Krishna Mohan Singh, 037, Kharaia Pokhara
Basharatput, Shahpur, Gorakhpur.
5. Miraj Ahmad S/o Ahmad Ali R/o Mohalla Mirzapur, Behind Khalsa
Masjid P.O. Geeta Press, P.S. Rajghat District Gorakhpur.
6. Sambhagiya Parivahan Karyalaya Gorakhpur
Through Sambhagiya Parivahan Adhikari. ................प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री काशी नाथ शुक्ला,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री अजय पाण्डेय, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : श्री महेन्द्र कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं03 की ओर से उपस्थित : श्री मनु दीक्षित, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं04 की ओर से उपस्थित : श्री पारस नाथ तिवारी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0 5 व 6 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 08.08.2016
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माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान पुनरीक्षण याचिका धारा-17 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-68/2016 दुर्गा प्रसाद गुप्ता बनाम सरदार मोटर्स प्रा0लि0 व अन्य में धारा-13 (3बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर पारित आदेश दिनांक 04.05.2016 के विरूद्ध उपरोक्त परिवाद के विपक्षी सरदार मोटर्स प्रा0लि0 की ओर से प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित आदेश दिनांक 04.05.2016 के द्वारा जिला फोरम ने अंतरिम आदेश पारित कर उपरोक्त परिवाद के विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वह परिवाद लम्बन की अवधि तक परिवादी के वाहन इंजन नं0 एस0एम0एफ0 6के0 18884 व चेसिस नं0 एम0ए01एन0ए02एस0एम0एक्स0एफ06के0 46372 को अपने अधिपत्य में न लें न ही कोई उत्पीड़नात्मक कार्यवाही इस सम्बन्ध में करें।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री काशी नाथ शुक्ला, प्रत्यर्थी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अजय पाण्डेय, प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री महेन्द्र कुमार मिश्रा, प्रत्यर्थी संख्या-3 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मनु दीक्षित और प्रत्यर्थी संख्या-4 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री पारस नाथ तिवारी उपस्थित आए।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना है और आक्षेपित आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया है।
अभिलेखों से यह स्पष्ट है कि उपरोक्त परिवाद दिनांक 01.03.2016 को जिला फोरम, गोरखपुर के समक्ष प्रस्तुत किया गया। तब जिला फोरम ने परिवाद की ग्राह्यता के बिन्दु पर सुनवाई हेतु विपक्षीगण को नोटिस जारी की और दिनांक 22.04.2016 तिथि निश्चित की। दिनांक 22.04.2016 को विपक्षीगण संख्या-1 और 4 ने उपस्थित होकर स्थगन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत
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किया, जबकि विपक्षीगण संख्या-2, 3 व 5 पर नोटिस का तामीला पर्याप्त नहीं था। अत: उन्हें पुन: नोटिस जारी की गयी और दिनांक 15.07.2016 तिथि निश्चित की गयी। इस बीच निश्चित तिथि दिनांक 15.07.2016 के पहले ही दिनांक 04.05.2016 को परिवादी द्वारा प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-13 (3बी) जिला फोरम के समक्ष अंतरिम आदेश हेतु प्रस्तुत किया गया, जिस पर जिला फोरम के दो सदस्यों द्वारा प्रश्नगत अंतरिम आदेश पारित किया गया है। प्रश्नगत आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवादी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-13 (3बी) पर विपक्षीगण को सुनवाई का अवसर दिए बिना ही उसका निस्तारण अंतिम रूप से कर दिया है और उस पर उपरोक्त प्रकार से अंतरिम आदेश पारित किया है, जो प्राकृतिक न्याय और विधि के सिद्धान्त के विपरीत और अवैधानिक है। यदि वाद की परिस्थितियों में न्याय हेतु विपक्षीगण को सुने बिना अंतरिम आदेश पारित किया जाना आवश्यक था तो भी ऐसी स्थिति में निश्चित तिथि तक के लिए अंतरिम आदेश पारित किया जा सकता था और उक्त तिथि पर विपक्षीगण को सुनवाई का अवसर देकर विधि के अनुसार प्रार्थना पत्र वास्ते अंतरिम आदेश का अंतिम निस्तारण किया जाना चाहिए था, परन्तु जिला फोरम के दो सदस्यों ने उक्त प्रार्थना पत्र पर विपक्षीगण को सुनवाई का अवसर दिए बिना उसका अंतिम निस्तारण कर दिया है और प्रश्नगत अंतरिम आदेश पारित किया है।
अत: उपरोक्त परिस्थितियों में हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश अपास्त करते हुए जिला फोरम को निर्देशित किया जाना आवश्यक है कि वह परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र वास्ते अंतरिम आदेश पर उभय पक्ष को सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार आदेश पारित करें। हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा प्रार्थना पत्र वास्ते अंतरिम आदेश का अंतिम निस्तारण किए जाने तक उभय पक्ष प्रश्नगत वाहन के सम्बन्ध में यथा स्थिति कायम रखें। तदनुसार वर्तमान पुनरीक्षण याचिका स्वीकार किए जाने योग्य है।
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आदेश
वर्तमान पुनरीक्षण याचिका स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश दिनांक 04.05.2016 को अपास्त करते हुए जिला फोरम को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र वास्ते अंतरिम आदेश पर उभय पक्ष को सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार पक्षकारों की उपस्थिति की तिथि से एक माह के अन्दर आदेश पारित करें।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 05.09.2016 को उपस्थित हों।
परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र वास्ते अंतरिम आदेश का अंतिम निस्तारण होने तक उभय पक्ष प्रश्नगत वाहन के सम्बन्ध में यथा स्थिति कायम रखेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1