न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 62 सन् 2013ई0
रविकान्त अवयस्क जरिये संरक्षक(पिता) नरसिंह राजभर पुत्र लालता निवासी जामडीह,थाना व जिला चन्दौली।
...........परिवादी बनाम
1-डा0 प्रेमनारायण पुत्र गौरी निवासी नागनपुर(महेसुआ)थाना सकलडीहा जिला चन्दौली।
.............................विपक्षी
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीया श्रीमती मुन्नी देवी मौर्या सदस्या
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1- यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध अवयस्क परिवादी के हाथ के प्लास्टर लगाने में किये गये लापरवाही के कारण उसके दवा इलाज,आपरेशन एवं बच्चे के भविष्य एवं कष्ट हेतु विपक्षी से कुल मु0 5,00000/-क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2- परिवादी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि अवयस्क परिवादी रविकान्त उम्र 5 वर्ष दिनांक 26-8-2013 को खेलते समय गिर गया जिससे उसके बायां हाथ में फैक्चर हो गया। उपचार हेतु नरसिंह अपने अवयस्क पुत्र को विपक्षी के फैक्चर क्लिनिक पर ले गया जहाॅं पर विपक्षी ने अवयस्क परिवादी के हाथ का एक्सरे कराने के बाद हाथ को सीधा करके पक्का प्लास्टर लगा दिया जिसका शुल्क विपक्षी द्वारा मु0 2500/-लिया गया। परिवादी को उसका पिता लेकर घर आया तो बच्चे के हाथ में दर्द होने लगा तथा हाथ में सूजन हो गया। तब परिवादी के पिता ने दूसरे दिन उसे लेकर विपक्षी डाक्टर के यहाॅं गया तो विपक्षी डाक्टर ने अंगुली वाले भाग में लगाये गये प्लास्टर को काटकर इंजेक्शन दवा देकर छोड़ दिया। परिवादी के हाथ के दर्द में कोई आराम नहीं हुआ तो उसका पिता पुनः विपक्षी के यहाॅं गया और कहा कि आपसे ठीक न हो तो बच्चे को दूसरे डाक्टर को दिखाये। तब विपक्षी ने पक्का प्लास्टर काटकर मलने के लिए क्रीम दिया और कहा कि दो तीन दिन में ठीक हो जायेगा। परिवादी का हाथ धीरे-धीरे शून्य होने लगा। तब परिवादी के पिता उसे लेकर विपक्षी के यहाॅं गये तो विपक्षी डाक्टर अपनी गाड़ी से परिवादी को लेकर डाक्टर के.एन.सिंह के पास मूर्ति फैक्चर क्लिनिक मुगलसराय गये जहाॅं पर डाक्टर के.एन.सिंह ने परिवादी का हाथ देखकर बताया कि हाथ खराब हो गया है और दवा आदि लिखा और कहा कि आराम नहीं होगा तो इसे बी.एच.यू. ले जाना होगा नहीं तो परिवादी का हाथ काटना पड़ सकता है। परिवादी के हाथ में आराम न होने पर परिवादी के पिता उसे दिनांक 12-9-2013 को बी.एच.यू. ले गया जहाॅं पर डाक्टर ने बताया कि बच्चे का हाथ खराब हो गया है,दवा आदि के बाद आपरेशन करना पडेगा। बी.एच.
2
यू. के दवा से बच्चे के घाव में आराम मिला किन्तु परिवादी के हाथ का हिलना डुलना आरम्भ नहीं हुआ तो परिवादी के पिता अपने बच्चे के हाथ के बेहतर इलाज के लिए उसको ओवैसी ग्रुप आफ हास्पिटल हैदराबाद ले गया जहाॅं पर परिवादी के हाथ का घाव ठीक हुआ किन्तु हाथ कार्य करना शुरू नहीं किया। हाथ के आपरेशन के लिए ओवैसी ग्रुप आफ हास्पिटल हैदराबाद के डाक्टर ने 1,50,000/- खर्च होना बताया। परिवादी के पिता पैसे के अभाव में परिवादी को लेकर वापस चला आया। उपरोक्त कृत्यों के सम्बन्ध में जानकारी देने हेतु विपक्षी डाक्टर के यहाॅं गया तो विपक्षी डाक्टर ने धमकी देते हुए उसे भगा दिया। परिवादी के पिता ने विपक्षी डाक्टर के कृत्य के सम्बन्ध में सूचना पुलिस अधीक्षक चन्दौली को दिया जिनके आदेश पर विपक्षी डाक्टर के विरूद्ध प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज की गयी। तदोपरान्त परिवादी के पिता ने विपक्षी डाक्टर के विरूद्ध कार्यवाही हेतु मुख्य चिकित्सा अधिकारी चन्दौली को प्रार्थना पत्र दिया। जिस पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच किया गया तो ज्ञात हुआ कि उक्त डाक्टर फर्जी है। इस आधार पर गलत इलाज के कारण दवा इलाज आदि में हुए खर्च हेतु कुल मु0 5 लाख रूपये क्षतिपूर्ति विपक्षी से दिलाये जाने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
3- विपक्षी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी मुकदमे बाज,चालाक व लालची किस्म का व्यक्ति है और दुश्मनी के दबाव में आकर झूठा मुकदमा दाखिल किया है। परिवादी अपने बच्चे को लेकर विपक्षी के यहाॅं कभी नहीं आया और न ही विपक्षी द्वारा कोई प्लास्टर एवं दवा इलाज ही किया गया है।विपक्षी डाक्टरी पेशे में नहीं है। विपक्षी खेती बाड़ी व ट्यूसन करके अपने परिवार का पालन पोषण करता है। विपक्षी का पड़ोसी चन्द्रिका की साठ-गांठ परिवादी से है। चन्द्रिका व परिवादी आपस में सगे रिश्तेदार है।चन्द्रिका से विपक्षी का मुकदमा चल रहा है और उक्त मुकदमें में सुलह हेतु चन्द्रिका ने परिवादी को हथियार बनाकर मुकदमा दाखिल कराया है। पत्रावली में दाखिल दवा का कोई पर्चा हम विपक्षी द्वारा जारी नहीं किया गया है। परिवादी कहां-कहां दवा कराया है इसकी जानकारी विपक्षी को नहीं है। परिवादी द्वारा पुलिस अधीक्षक एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी को झूठा आवेदन दिया गया है। यदि हम विपक्षी का कही कोई दवाखाना होता तो वहाॅं पर छापा आदि की कार्यवाही हुई होती। परिवादी के बच्चे के दवा इलाज में जो खर्च हुआ होगा उसके लिए विपक्षी जिम्मेदार नहीं है। इस आधार पर परिवादी के परिवाद को निरस्त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
4- परिवादी की ओर से शपथ पत्र,फेहरिस्त के साथ प्रथम सूचना रिर्पोट की प्रति 14/2,आरोप पत्र,14/3,नजरी नक्शा 14/4 एवं एक अन्य सूची से सतीश मेडिकल एजेंसी सकलडीहा बाजार चन्दौली के पर्चा पर डाक्टर द्वारा लिये गये दवा का पर्चा कागज संख्या 15/2,मूर्ति फैक्चर क्लिनिक का पर्चा 15/3, बी0एच0यू0 का पर्चा 15/4ता 15/5 ओवैसी ग्रुप आफ हास्पिटल का पर्चा 15/6, पं0 कमलापति त्रिपाठी जिला चिकित्सालय का पर्चा 15/7 ता 15/8रमा देवी फै्रक्चर्स हास्पिटल
3
का पर्चा 15/9, मुख्य चिकित्साधिकारी चन्दौली का पर्चा 15/10, रेडियोलाजिस्ट पं0 कमलापति त्रिपाठी का पर्चा 15/11, आदर्श हास्पिटल का एक्सरे प्लेट एवं पर्चा, रसीदें 15/12 ता 15/14,ब्लड यूनिट का पर्चा 15/15 योगेश मेडिकल स्टोर का पर्चा 15/16,रामविलास हास्पिटल का एक्सरे प्लेट एवं पर्चा 15/17 ता15/18 दाखिल किया गया है। विपक्षी की ओर से साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र लालपरीक्षा पुत्र श्री मूरत निवासी नागनपुर एवं श्री राम औतार पुत्र श्री मुसाफिर निवासी सकलडीहा का कागज संख्या 18/1 ता 18/4 दाखिल किया गया है।
5- हम लोगों ने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना है। विपक्षी की ओर से जबाबदावा व साक्ष्य प्रस्तुत करके परिवाद का विरोध किया गया है। विपक्षी के अधिवक्ता पहले उपस्थित आते थे तथा अपना तर्क फोरम के समक्ष प्रस्तुत किये थे किन्तु अब पिछले कई तारीखों से विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आ रहा है। अतः पत्रावली में विपक्षी का जो कथन और साक्ष्य उपलब्ध है, एवं परिवादी ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किया है उस पर सम्यक रूप से विचारोपरान्त गुण-दोष के आधार पर निर्णय पारित किया जा रहा है।
6- अवयस्क परिवादी के पिता के शपथ पत्र कागज संख्या 2 तथा सूची सबूत कागज संख्या 15/1 से प्रस्तुत उपचार व दवा की पर्चियां कागज संख्या 15/2 ता 15/7 एवं एक्सरे रिर्पोट व एक्सरे प्लेट कागज संख्या 15/17 ता 15/21 के परिशीलन से परिवाद का यह कथन प्रमाणित होता है कि दिनांक 26-8-2013 को नरसिंह का अवयस्क पुत्र परिवादी रविकान्त उम्र करीब साढ़े पांच वर्ष खेलते समय गिर गया जिससे उसके बाये हाथ की रेडियस और अलना हड्डी फ्रैक्चर का हो गया। इसके इलाज हेतु नरसिंह अपने अवयस्क पुत्र को लेकर विपक्षी डा0 प्रेम नरायण पुत्र गौरी निवासी नागनपुर थाना सकलडीहा जिला चन्दौली के पास गया जो सकलडीहा बाजार में फ्रैक्चर क्लिीनिक के नाम से अपनी दूकान में हड्डी के डाक्टर के रूप में डाक्टरी पेशा करता है। विपक्षी ने अवयस्क परिवादी के हाथ का एक्सरे किया तथा हाथ सीधा करके उस पर प्लास्टर लगा दिया और इसके एवज में कुल मु0 2500/- लिया। इसके बाद नरसिंह अपने पुत्र को घर ले आया। घर आने पर परिवादी के हाथ का दर्द बढ़ने लगा और हाथ में काफी सूजन हो गया तब उसी दिन पुनः उसे विपक्षी के यहाॅं ले गयां। विपक्षी ने अंगूली वाले भाग का प्लास्टर काट दिया और एक इंजेक्शन हाथ में लगाकर तथा यह कहकर छोड दिया कि परिवादी ठीक हो जायेगा। परिवाद में कथन है कि परिवादी को कोई आराम नहीं मिला तो पुनः उसके पिता उसको विपक्षी के पास परिवादी को ले गया। तब विपक्षी ने प्लास्टर काटकर हाथ पर मलने वाला क्रीम दे दिया और कहा कि दो-तीन दिन में ठीक हो जायेगा। लेकिन परिवादी का हाथ धीरे-धीरे सुन्न होता चला गया। तब पुनः उसका पिता उसको लेकर विपक्षी के यहाॅं गया। तब विपक्षी अपनी गाडी से परिवादी एवं उसके पिता को लेकर मुगलसराय में डाक्टर के0एन0 सिंह के पास मूर्ति फैक्चर क्लिीनिक में गया। वहाॅं 3-4दिन की दवा दी गयी और जब कोई आराम नहीं मिला तो अवयस्क परिवादी को बी0एच0यू0 रेफर
4
कर दिया गया। तत्पश्चात परिवादी के पिता उसे दिनांक 12-9-2013 को लेकर बी0एच0यू0 में गया जहाॅं पर घाव भरने के लिए दवा दिया गया और कहा कि घाव ठीक हो जाने पर आपरेशन करना पडेगा। परिवाद में कथन है कि परिवादी का हाथ ठीक नहीं हुआ तब परिवादी के पिता उसे ओवैसी ग्रुप आफ हास्पिटल हैदराबाद लेकर गये जहाॅं पर डाक्टर द्वारा देखने पर बताया गया कि आपरेशन में मु0 1,50000/- खर्च आयेगा। परिवादी के पिता के पास पैसा नहीं था । अतः हाथ के आपरेशन के लिए असमर्थता जताया और वहाॅं से अपने अवयस्क पुत्र को लेकर वापस चला आया। उपरोक्त स्थानों पर इलाज कराये जाने के पर्चे पत्रावली में दाखिल किया गया है जिससे परिवाद के उपरोक्त कथनों की पुष्टि होती है। परिवाद में यह भी कथन है कि विपक्षी प्रेमनरायण फर्जी तौर पर हड्डी के डाक्टर के रूप में प्रैक्टिस कर रहा है। उसके पास कोई अधिकृत डिग्री नहीं है। विपक्षी ने अवयस्क परिवादी का गलत इलाज किया तथा गलत इंजेक्शन लगाया जिसकी वजह से अवयस्क रविकान्त का हाथ खराब हो गया। फोरम के आदेश पर चिकित्सीय बोर्ड द्वारा अवयस्क परिवादी रविकान्त के हाथ का परीक्षण किया गया और हाथ खराब होने के आधार पर परिवादी रविकान्त को 50 प्रतिशत विकलांग होना घोषित किया गया है।
7- विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जबाबदावा व शपथ पत्र कागज संख्या 17/1 में यह कथन किया गया है कि विपक्षी के विरूद्ध परिवाद बिल्कुल झूठे व बनावटी तथ्यों पर दाखिल किया गया है। विपक्षी ने अवयस्क परिवादी रविकान्त के हाथ का कोई इलाज नहीं किया है। विपक्षी ने शपथ पत्र में यह भी कथन किया है कि विपक्षी कोई डाक्टरी पेशा नहीं करता है बल्कि खेती बारी व ट्यूशन करके अपने परिवार का पालन पोषण करता है विपक्षी की ओर से उसके गांव के नागनपुर के रहने वाले लाल परीक्षा पुत्र मूरत का शपथ पत्र कागज संख्या 18/1 ता 18/2 व सकलडीहा के रहने वाले राम औतार पुत्र मुसाफिर का शपथ पत्र कागज संख्या 18/3 ता 18/4 दाखिल किया है उक्त दोनों शपथ कर्ताओं ने कहा है कि विपक्षी प्रेमनारायण कृषि व बच्चों को ट्यूशन का कार्य करता है। डाक्टरी पेशा से इनका कोई सम्बन्ध नहीं है। अतः विचारणीय प्रश्न यह हो जाता है कि क्या विपक्षी प्रेम नारायण हड्डी रोग चिकित्सक के रूप में डाक्टरी व्यवसाय सकलडीहा बाजार में करता है ? दूसरा विचारणीय प्रश्न है कि क्या हड्डी रोग चिकित्सक के रूप में डाक्टरी पेशा करने के लिए उसके पास योग्यता है ?
8- उपरोक्त बिन्दुओं पर हम लोगों द्वारा विचार किया गया। परिवादी के पिता के शपथ पत्र में स्पष्ट कथन है कि विपक्षी सकलडीहा बाजार में हड्डी रोग विशेषज्ञ के रूप में एक दूकान में फ्रैक्चर क्लिीनिक खोलकर डाक्टरी व्यवसाय करता है। दिनांक 26-8-13 को खेलते समय परिवादी गिर गया तथा उसके हाथ में चोट आई तो उसके पिता विपक्षी के फ्रैक्चर क्लिीनिक पर ले गये जहाॅं परिवादी रविकान्त के बाये हाथ का एक्सरे विपक्षी ने किया और उसमे फ्रैक्चर पाया। तब उस पर प्लास्टर चढा दिया और दवा आदि का पर्चा लिखा। दिनांक 26-8-13 को....................................
5
विपक्षी द्वारा लिखे गये दवा के पर्चा की छायाप्रति कागज संख्या 15/2 परिवादी की ओर से दाखिल किया गया है जिससे उपरोक्त कथन की पुष्टि होती है।
9- परिवाद में कथन यह भी किया गया है कि जब विपक्षी के गलत इलाज से परिवादी का हाथ खराब हो गया तो परिवादी के पिता नरसिंह ने बिना डिग्री के फर्जी ढंग से फ्रैक्चर क्लिीनिक चलाने व गलत इलाज करने के बारे में विपक्षी के विरूद्ध कार्यवाही हेतु मुख्य चिकित्साधिकारी चन्दौली तथा जिलाधिकारी चन्दौली को आवेदन पत्र प्रेषित किया। थाना सकलडीहा में विपक्षी के विरूद्ध प्रथम सूचना रिर्पोट धारा 269,504,506 भा0द0वि0 के अन्र्तगत अंकित कराया। प्रथम सूचना रिर्पोट मुकदमा अपराध संख्या 133/2013 की छायाप्रति कागज संख्या 14/2 परिवादी की ओर से दाखिल किया गया है जिससे उपरोक्त कथन की पुष्टि होती है। पुलिस ने इस मुकदमें में विवेचना किया जिसमे पाया कि विपक्षी प्रेम नारायण अनाधिकृत तौर पर बिना किसी अधिकार पत्र के सकलडीहा बाजार में फ्रैक्चर क्लिीनिक खोलकर नाजायज तरीके से डाक्टरी व्यवसाय करता हुआ पाया गया। मुख्य चिकित्साधिकारी चन्दौली ने पुलिस अधीक्षक चन्दौली को पत्र दिनांक 23-11-13 विपक्षी के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए प्रेषित किया था जिसकी छायाप्रति कागज संख्या 14/5 परिवादी की ओर से दाखिल किया गया है जिसके परिशीलन से पाया जाता है कि परिवादी के पिता नरसिंह के शिकायत के आधार पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी चन्दौली श्री आर0एन0 विश्वकर्मा ने विपक्षी प्रेम नारायण द्वारा अनाधिकृत तौर पर चिकित्सा का व्यवसाय करने के संदर्भ में जांच किया था। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी ने विस्तृत जांच के बाद अपनी आख्या मुख्य चिकित्साधिकारी चन्दौली को प्रेषित किया जिसमे उन्होंने उल्लेख किया कि जांच करने पर यह पाया गया कि श्री प्रेमनारायण पुत्र गौरी निवासी नागनपुर(महेसुआ)थाना सकलडीहा जिला चन्दौली अनाधिकृत रूप से प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहा है। जांच में यह भी पाया गया है कि नरसिंह के अवयस्क पुत्र रविकान्त परिवादी के हाथ पर प्लास्टर विपक्षी प्रेम नारायण द्वारा लगाया गया था तथा दूसरे दिन प्लास्टर हटाकर हड्डी रोग विशेषज्ञ के यहाॅं रेफर किया गया था। उक्त आधार पर विपक्षी प्रेम नारायण के विरूद्ध इण्डियन मेडिकल कौंसिल एक्ट 1956 की धारा 15(3) तथा सुसंगत आई0पी0सी0 की धाराओं के अन्र्तगत कार्यवाही करने का अनुरोध मुख्य चिकित्साधिकारी ने पुलिस अधीक्षक चन्दौली से किया था। पुलिस ने विवेचना के बाद उपरोक्त कथन सत्य पाते हुए विपक्षी के विरूद्ध आरोप पत्र (छायाप्रति कागज संख्या 14/3) धारा 269,504,506 भा0द0वि0 तथा धारा 15(3) इण्डियन मेडिकल कौसिंल एक्ट 1956 के अन्र्तगत प्रस्तुत किया है। उपरोक्त उपलब्ध साक्ष्यो से यह तथ्य पूर्णतया सिद्ध हो जाता है कि विपक्षी प्रेम नारायण बिना किसी शैक्षणिक योग्यता के अवैध ढंग से हड्डी रोग विशेषज्ञ के रूप में सकलडीहा बाजार में एक दूकान लेकर उसमे डाक्टरी पेशा का कार्य करते थे। यह तथ्य भी सिद्ध है कि विपक्षी डा0 प्रेम नारायण के गलत इलाज की वजह से अवयस्क परिवादी रविकान्त के हाथ की हड्डी खराब हो गयी तथा विपक्षी द्वारा गलत इंजेक्शन व दवा देने के कारण अवयस्क परिवादी
6
के हाथ में सून्नता आ गयी तथा परिवादी 50 प्रतिशत विकलांग हो गया है। तद्नुसार यह प्रमाणित है कि विपक्षी ने बिना उचित डिग्री के अवयस्क परिवादी का बिल्कुल गलत इलाज करके सेवा में घोर कमी किया है। अतः इस संदर्भ में परिवादी विपक्षी से उचित हर्जा प्राप्त करने का अधिकारी है।
10- अगला विचारणीय प्रश्न है कि उचित हर्जा की धनराशि क्या निर्धारित की जानी चाहिए? विपक्षी के गलत इलाज से परिवादी का बाया हाथ लगभग सुन्न हो गया है। चिकित्सीय बोर्ड द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र के अनुसार परिवादी 50 प्रतिशत विकलांग हो गया है। परिवादी अभी बच्चा है। उसका सारा जीवन 50 प्रतिशत विकलांगता में गुजरेगा। अतः इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षी के गलत इलाज के कारण परिवादी के हाथ में आई उपरोक्त विकलांगता के संदर्भ में मु0 1,50,000/- क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायसंगत है। विपक्षी के गलत इलाज की वजह से परिवादी का जो हाथ खराब हो गया उसका इलाज परिवादी के पिता ने मुगलसराय में डाक्टर के0एन0सिंह के यहाॅं तथा पुनः बी0एच0यू0 में करवाया। इसके बाद उसे ओवैसी ग्रुप आफ हास्पिटल हैदराबाद ले गया। वहाॅं भी इलाज कराया लेकिन पैसे के अभाव के कारण आपरेशन नहीं करा सका। इसके अलावा अन्य कई जगहों पर उपचार कराया जिसके पर्चे दाखिल किये गये हैं। अभी भी उपचार चल रहा है। अतः उपचार के संदर्भ में परिवादी को मु0 50,000/- और क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायोचित है। तद्नुसार विपक्षी से परिवादी को कुल मु0 2,00000/-क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायसंगत है। इस प्रकार परिवाद अंशतः स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद अंशतः स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर परिवादी को कुल मु0 2,00000/-(दो लाख)क्षतिपूर्ति तथा इस पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से आइन्दा भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज का भुगतान करें।
(मारकण्डेय सिंह) (मुन्नी देबी मौर्या) (जगदीश्वर सिंह)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
दिनांक 18-05-2015