Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/1673

Ram Nagina - Complainant(s)

Versus

Dr P L Gupta - Opp.Party(s)

A K Chaubey

15 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/1673
( Date of Filing : 30 Jul 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Ram Nagina
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr P L Gupta
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2012/374
( Date of Filing : 24 Feb 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. N I Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Nagina Yadav
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 15 Oct 2024
Final Order / Judgement

 (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1673/2012

राम नगीना यादव पुत्र शिवलोचन यादव बनाम डा0 पी.एल. गुप्‍ता तथा एक अन्‍य

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक:  15.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.       परिवाद संख्‍या-10/2005, राम नगीना यादव बनाम डा0 पी.एल. गुप्‍ता तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, मऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.1.2012 के विरूद्ध क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्‍तरी के लिए प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवता श्री एस.पी. पाण्‍डेय तथा प्रत्‍यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री नीरज पालीवाल को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। यद्यपि प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर.डी. क्रांति का वकातनामा पत्रावली पर उपलब्‍ध है, परन्‍तु आज वह उपस्थित नहीं हैं।

2.    उल्‍लेखनीय है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.1.2012 को डा0 पी.एल. गुप्‍ता द्वारा कोई चुनौती नहीं दी गई है, केवल बीमा कंपनी द्वारा चुनौती दी गई थी, जिसकी अपील आज ही इस निर्णय/आदेश को लिखाए जाने से पूर्व खारिज की जा चुकी है। बीमा कंपनी को डा0 की लापरवाही के संबंध में किसी तथ्‍य का कोई ज्ञान नहीं है, इसलिए बीमा कंपनी की अपील संधारणीय नहीं है। चूंकि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश को डा0 पी.एल. गुप्‍ता द्वारा कोई चुनौती नहीं दी गई है।

 

-2-

3.    अत: अब केवल इस बिन्‍दु विचार किया जाना है कि क्‍या क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्‍तरी की जानी चाहिए ?

4.    अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि दिनांक 20.6.2003 को विपक्षी सं0-1, डा0 द्वारा बताया गया कि परिवादी के पुत्र की आंत में छेद है तथा काटकर इसे जोड़ा जाएगा, जो ठीक हो जाएगी। दिनांक 22.6.2003 को विपक्षी सं0-1, डा0 द्वारा आपरेशन किया गया, परन्‍तु लापरवाही के कारण पस आने लगा। दिनांक 8.7.2003 को विपक्षी सं0-1, डा0 चेन्‍नई चले गए, जबकि परिवादी के पुत्र के पेट से पस आना बंद नहीं हुआ था। डा0 की अनुपस्थिति में परिवादी के पुत्र की हालत खराब हो गई। दिनांक 15.7.2003 को डा0 चेन्‍नई से वापस आए तब परिवादी के पुत्र को घर ले जाने के लिए कहा गया और एक हफ्ते के बाद आने के लिए कहा गया, परन्‍तु स्‍िथति ठीक न होने के कारण 2-3 दिन बाद ही डा0 गुप्‍ता से पुन: मुलाकात की गई और उन्‍होंने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है, परन्‍तु दिनांक 22.7.2003 को अत्‍यधिक गंभीर स्थिति होने पर बी.एच.यू. अस्‍पताल वाराणसी के लिए रेफर किया गया, यहां मरीज की स्थिति बद्तर पायी गयी और दिनांक 26.7.2003 को परिवादी के पुत्र की मृत्‍यु हो गई, जिसकी उम्र केवल 14 वर्ष थी। विद्वान जिला आयोग ने विपक्षी सं0-1, डा0 की लापरवाही के तथ्‍य को स्‍थापित मानते हुए केवल 20,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है। निश्चित रूप से विद्वान जिला आयोग द्वारा डा0 की लापरवाही के तथ्‍य को साबित माना गया है तब लापरवाही के कारण परिवादी के 14 वर्षीय पुत्र की मृत्‍यु पर केवल 20,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश देना हास्‍यास्‍पद है। परिवादी के पुत्र को असहाय स्थिति में छोड़कर विपक्षी सं0-1, डा0 एल.पी. गुप्‍ता का चेन्‍नई  चले जाना घोर लापरवाही के तथ्‍य को स्‍थापित करता है, इसलिए

 

 

-3-

अंकन 20,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति को अंकन 5,00,000/-रू0 (पांच लाख रूपये) की क्षतिपूर्ति में परिवर्तित किया जाना उचित है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील इस सीमा तक स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

5.    प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.01.2012 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि क्षतिपूर्ति की राशि अंकन 20,000/-रू0 (बीस हजार रूपये) के स्‍थान पर अंकन 5,00,000/-रू0 (पांच लाख रूपये) की प्रतिपूर्ति विपक्षी सं0-2, बीमा कंपनी द्वारा की जाएगी, क्‍योंकि विपक्षी सं0-1, डा0 एल.पी. गुप्‍ता द्वारा बीमा पालिसी विपक्षी सं0-2, बीमा कंपनी से प्राप्‍त की हुई है। अत: उपरोक्‍त राशि की प्रतिपूर्ति विपक्षी सं0-1, डा0 द्वारा ली गई बीमा पालिसी की बीमा राशि की सीमा तक की जाएगी, अवशेष राशि का भुगतान विपक्षी सं0-1, डा0 एल.पी. गुप्‍ता द्वारा स्‍वंय किया जाएगा। शेष निर्णय/आदेश पुष्‍ट किया जाता है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-374/2012

नेशनल इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम राम नगीना यादव पुत्र शिवलोचन यादव

समक्ष:-                                                              

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक:  15.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-10/2005, राम नगीना यादव बनाम डा0 पी.एल. गुप्‍ता तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, मऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.1.2012 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री नीरज पालीवाल तथा प्रत्‍यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस.पी. पाण्‍डेय को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.    प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील बीमा कंपनी की ओर से प्रस्‍तुत की गई है, परन्‍तु चूंकि डा0 के स्‍तर पर कारित लापरवाही के किसी भी दायित्‍व का कोई ज्ञान बीमा कंपनी को नहीं हो सकता। बीमा कंपनी द्वारा डा0 के व्‍यापारिक पेशे को सुरक्षा प्रदान की गई है, इसलिए इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध बीमा कंपनी द्वारा प्रस्‍तुत की गई अपील संधारणीय नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

3.    प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

      प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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