(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-660/2012
बीरी सिंह पुत्र स्व0 श्री गनेशी लाल, निवासी म0नं0-36/581, अयोध्यापुरम, देवरी रोड, थाना-सदर, आगरा।
बनाम
डा0 अनूप खरे हड्डी रोग विशेषज्ञ, निवास व क्लीनिक 1 गार्डन एन्कलेव, चैम्बर लारीज होटल काम्पलेक्स, प्रतापपुरा महात्मा गांधी रोड, जिला-आगरा तथा एक अन्य।
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर.के. गुप्ता,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 06.11.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-277/2008, बीरी सिंह बनाम डा0 अनूप खरे हड्डी रोग विशेषज्ञ तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 2.3.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आर.के. गुप्ता उपस्थित हैं। प्रत्यर्थीगण की ओर से नोटिस भेजे जाने के बावजूद कोई उपस्थित नहीं है। अत: केवल
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अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवादी के पैर के घुटने का इलाज करने में विपक्षी डा0 की लापरवाही न मानते हुए परिवाद खारिज किया है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि प्रस्तुत केस में विशेषज्ञ राय प्राप्त की गई थी, उनके द्वारा रिपोर्ट को आश्यपूर्वक परिवर्तित करने का प्रयास किया गया, इसलिए इस रिपोर्ट को नकारते हुए इजाज के दौरान लापरवाही के तथ्य को साबित किया जाना चाहिए।
4. पत्रावली पर अनेक्जर सं0-9/1 पर विशेषज्ञ रिपोर्ट मौजूद है, इस रिपोर्ट के अनुसार दिनांक 15.11.2005 को डा0 खरे से परिवादी द्वारा परामर्श लिया गया। दिनांक 28.11.2005 को डा0 खरे द्वारा कामायनी अस्पताल में परिवादी के घुटने का आपरेशन किया गया, इसके बाद दिनांक 25.9.2007 को यानी लगभग दो वर्ष पश्चात डा0 अनूप खरे के समक्ष उपस्थित होकर यह शिकायत की गई कि उनके घुटने में मवाद पड़ गया है, इसके पश्चात दिनांक 25.9.2007 को विपक्षी डा0 खरे द्वारा इस बीमारी का इलाज किया गया। विशेषज्ञ रिपोर्ट के अनुसार यह बीमारी एक स्वतंत्र बीमारी है, जिसका स्वतंत्र इलाज किया गया। पूर्व में घुटने का आपरेशन करने के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई। विद्वान जिला आयोग द्वारा विधिसम्मत रूप से निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जिसमें
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हस्तक्षेप करना अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3